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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, January 31, 2013

मूर्ति चुराई हिन्दू ने, मारे गये मुसलमान By visfot news network

मूर्ति चुराई हिन्दू ने, मारे गये मुसलमान

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फैजाबाद में हुए दंगों की जांच के लिए एक नागरिक जांच दल ने पाया है कि फैजाबाद में जो दंगे हुए वे पूर्व नियोजित थे। रिहाई मंच के बैनर तले फैजाबाद पहुंचे जांच दल ने 28 अक्टूबर और 4 नवंबर को फैजाबाद का दौरा किया वहां से जो सबूत जुटाएं हैं उसके आधार पर इस जांच दल का दावा है कि दंगा पूर्वनियोजित था शायद यही कारण है बहुत कम समय में फैजाबाद के कई स्थानों पर टकराव, व तनाव पैदा कर दिया गया। 21-22 सितंबर की रात देवकाली मंदिर की मूर्ती के चोरी होने और 23 अक्टूबर को उसके मिलने का प्रकरण और उस पर हुई सांप्रदयिक राजनीति इस दंगे की प्रमुख वजहों में से एक थी।

हिन्दुत्वादी समूहों के अफवाह तंत्र ने आमजनमानस के भीतर इस बात को भड़काया कि देवकाली की प्रतिमा को मुसलमानों ने चोरी किया। केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति फैजाबाद ने भी कहा था कि वो पूजा पांडालों पर विरोध स्वरुप पांडालों को कुछ घंटों तक दर्शन के लिए बंद रखा जाएगा। यहां गौरतलब है कि केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति फैजाबाद के अध्यक्ष मनोज जायसवाल समाजवादी पार्टी के भी नेता हैं। पर ऐन वक्त 23 अक्टूबर को मूर्तियों के बरामद होने के बाद हिन्दुत्वादी शक्तियों के मंसूबे पस्त हुए। क्योंकि मूर्ति की चोरी में पकड़े गए लोग हिंदू निकले ऐसे में ऐन वक्त में पहले से प्रायोजित दंगों के लिए अफवाहों का बाजार गर्म करके जगह-जगह पथराव करके दंगे की शुरुआत की गई। पहले से तैयार भीड़ ने प्रायोजित तरीके से सैकड़ो साल पुरानी मस्जिद हसन रजा खां पर हमला बोला ओर उसके आस-पास की तकरीबन तीन दर्जन से ज्यादा दुकानों में लूटपाट व आगजनी की और पूरे फैजाबाद को दंगे की आग में झोक दिया।

पुलिस की निस्क्रियता का यह आलम रहा कि चैक इलाके की साकेत स्टेशनरी मार्ट को दंगे के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को पुलिस की मौजूदगी में फूंका गया। बाद में जब दुकान के मालिक खलीक खां ने प्रशासन से एफआईआर दर्ज करने की मांग की तो यह कहकर पुलिस ने हिला हवाली की कि बिजली की शार्ट शर्किट की वजह से आग लगी।

28 अक्टूबर और 4 नवंबर को जांच दल फैजाबाद गया उसमें मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, एडवोकेट मोहम्मद शुएब, एसएम नसीम, इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान, सोशलिस्ट पार्टी के सचिव ओंकार सिंह, मुस्लिम मजलिस के जैद फारूकी, एसआईओ के आफताब आलम, युगल किशोर शरण शास्त्री, मो0 खालिक, शाह आलम, हाजी आफाक, मोहम्मद अनीस, अतहर शम्सी, बिसमिल्ला, दिनेश श्रीवास्तव, मंजर मेंहदी, गुफरान सिद्दीकी, आफाक, राजीव यादव इत्यादि शामिल थे।

जांच दल ने पाया है कि प्रयोजित दंगों में अफवाह तंत्र के सक्रिय होने और फैजाबाद प्रशासन की निष्क्रियता के चलते दंगाइयों का मनोबल बढ़ा और कुछ घंटों में उन्होंने प्रायोजित तरीके से आगजनी और लूट-पाट की। जांच दल के सामने यह तथ्य आये, कि दंगे को दशहरा-ईद-दीपावली के ऐन वक्त कराने के पीछे दंगाइयों की यह मानसिकता भी सामने आई की ज्यादा से ज्यादा लूट और आगजनी करके मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचाना।

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