गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आशीष नंदी
एससी, एसटी और ओबसी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में फंसे समाजशास्त्री आशीष नंदी ने गिरफ्तारी से बचने एवं अपने खिलाफ दायर सभी एफआईआर को रद्द करने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने नंदी की याचिका पर सुनवाई की मंजूरी दे दी है। इस मामले की शुक्रवार को सुनवाई होगी। नंदी ने शनिवार को जयपुर साहित्य महोत्सव के दौरान कहा था कि अधिक भ्रष्ट लोग एससी, एसटी और ओबीसी से आते हैं। उनके इस बयान पर काफी हंगमा हुआ था और उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हुई हैं।
नंदी के वकील गौरव कांत ने बताया कि नंदी के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज हुई है। कांत ने कहा कि जहां तक हमारी जानकारी है नंदी के खिलाफ चार एफआईआर दर्ज हुए हैं। हालांकि हमारे पास एफआईआर की कॉपी नहीं है। लेकिन हमारी जानकारी के मुताबिक एक जयपुर में, जोधपुर, नासिक, रायपुर और शायद एक पटना में भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। कांत ने कहा कि हम राजनीतिक मजबूरी के कारण कोर्ट आए हैं। एससी और एसटी एक्ट का उनके खिलाफ गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उनके खिलाफ मामला पूरी तरह गलत है। नंदी ने कुछ भी अपमानजनक नहीं कहा है। हमारी मुख्य दलील यह है कि जहां तक बात एससी एसटी एक्ट की है नंदी ने बयान के पीछे दलितों को अपमानित करने की कोई मंशा नहीं थी।
अधिवक्ता ने कहा कि नंदी ने ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे किसी विशेष समुदाय को नुकसान हुआ हो। पुलिस ने अभी तक नंदी से पूछताछ क्यों नहीं की है इस सवाल के जबाव में कांत ने कहा कि मैं वास्तव में इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि मुझे नहीं पता कि वह पूछताछ के लिए क्यों नहीं आए। हम पूछताछ के लिए तैयार हैं और जांच में हर तरह की मदद के लिए भी तैयार हैं। उनके जो भी सवाल होंगे जब जवाब देने के लिए तैयार हैं।
नंदी के वकील ने जोर देते हुए कहा कि उन्होंने 45 साल तक आदिवासियों, दलित और ओबीसी के लिए काम किया है। नंदी ने भी मंगलवार को कहा था कि अगर उनके खिलाफ एससी और एसटी एक्ट तहत मामला चलता है और वह दोषी पाए जाते हैं तो वह जेल जाने के लिए तैयार हैं। मैं जेल जाउंगा क्योंकि मैंने 45 साल उनके लिए काम किया है। और मैं इस अपमान को चुपपाच नहीं सहूंगा। मंगलवार को ही उन्होंने कहा था कि उनको अभी तक कोई समन नहीं मिला है।
नंदी ने जयपुर साहित्म महोत्सव में कहा था कि ज्यादातक भ्रष्ट लोग ओबीसी एसटी और एससी से आते हैं। उनके इस बयान पर हंगामा मचने के बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि मेरे कहने का अर्थ यह था कि दलितों का भ्रष्टाचार उजागर हो जाता है जबकि अमीरों के द्नारा किया गया सामने नहीं आता।
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