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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, January 27, 2013

प्रेत नगरी में तब्दील कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय सिटी!

प्रेत नगरी में तब्दील कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय सिटी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय  सिटी  राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर छह दिल्ली रोड पर वर्षों से टूटे हुए सलप पुल से हर शाम अंधेरे में डूबी प्रेतनगरी नजर आता ​​है। इस पुल का एक हिस्सा टूटा हुआ है तो दूसरे हिस्से के वनवे से गाड़ियां आती जाती हैं।इस वजह से रोजाना ट्राफिक जाम इस अतिव्यस्त राजमार्ग और आगे चलकर इससे जुड़ने वाले मुंबई रोड की रोजमर्रे की जिंदगी है। पुल पर किसी गाड़ी के अटक जाने से घंटों आवागमन रुक जाता है इस अति महत्वपूर्ण वाणिज्यपथ पर। विकास का ढाक ढोल पीटने वाली सरकार एक पुल का वर्षों से मरम्मत नहीं कर पा रही है, अंधेरे में डूबे पुल के नीचे पूरब में दूर दूर तक फैले कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय  सिटी  को देखते हुए बंगाल के हालात का सही जायजा लिया जा सकता है।किसी भी दिन।उधर मुंबई रोड के विस्तार के लिए तोढ़ फोड़ धड़ल्ले से जारी है पर दिल्ली रोड पर इस जीते जागते कब्रिस्तान कीसुधि लेनेवाला कोई नहीं है। इस  सिटी  के​ ​ आधे से ज्यादा मंहगे आवासीय बंगले अधबने हैं। जो बन गये हैं, वहा कोई रहता नहीं है। दिया बत्ती होती नहीं है। जबकि पुल से उतरते ही जो ग्लो साइन बोर्ड इस  सिटी  में स्वागत की घोषणा करता था, वह भी हटा लिया गया है।​कोलकाता कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय  सिटी एक सेटेलाइट उपनगर है जो३९०.२ एकड़ जमीन पर १.५७९ वर्गमील इलाके में अब भी​​ निर्माणाधीन है। इसमें ६,१०० भव्य बंगलों के साथ तीन आईटी पार्क, दो सौ बिस्तरों वाले एक आधुनिक अस्पताल, दो विद्यालय, एक शापिंग ​​प्लाजा और एक मनोरंजन जोन बनाये जाने थे। शांपिंग प्लाजा विचित्रा तो बनकर तैयार है और वहीं इस प्रेतनगरी में लाइटहाउस जैसा नजर आता है। पता नहीं कि वहां कौन लोग खरीददारी के लिए पहुंचते होंगे।

हावड़ा आमता रोड पर राष्ट्रीय  राजमार्ग नंबर छह के टीक नीचे बीबीडी बाग से महज नौ किमी दूर और विद्यासागर सेतु से १२ किमी दूर इस​ ​ अति महात्वाकंक्षी परियोजना को देखते हुए बंगाल में निवेश के लिए कितने माई के लाल देशी विदेशी निवेशक तैयार होंगे, अंदाजा लगाना मुश्किल है। बंगाल में पूंजी के श्राद्ध का यह कर्मकांड किसी दूसरे राज्य में दिखना तो मुश्किल ही है। इस परियोजना को बंगाल की निवर्तमान वाम सरकार ने इंडोनेशिया की सलेम और सिपुत्रा ग्रुप के पूंजी निवेश से अप्रवासी भारतीय इंडोनेशियाई उद्योगपति प्रसून मुखर्जी के यूनिवर्सल सक्सेस ग्रुप की साझदारी से शुरु की थी। इस परियोजना की शुरुआत के वक्त जमीन अधिग्रहण को लेकर भी कोई विवाद नहीं हुआ। लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन की बेंट चढ़ गयी यह परियोजना।इस परियोजना को भारत में आवासीय परियोजना पर सबसे बड़े विदेशी प्रत्य़क्ष पूंजी निवेश की प्रतिष्ठा मिली हुई है।जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने १५ अगस्त, २००६ को किया था।तब उन्होंने अपने बाषण में कहा था कि ढाी हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से ​​हुगलीपार का कायाकल्प हो जायेगा और विकास के नये कीर्तिमान बनेंगे।उम्मीद थी कि इस सिटी में करीब ३६ हजार लोगों के घर का सपना पूरा होगा।

​इस परियोजना का क्रियान्वयन कोलका मेट्रोपालिटन डेवलपमेंट आथोरिटी के सहयोग से किया जाना था। सिटी की डिजाइन आधुनिक वास्तुशास्त्र के मुताबिक है और प्रोमोटरों नेप्रकृति के सान्निध्य में बेहतरीन घर दिलाने का सपना दिखाया था, आज जिसका कोई खरीददार शायद ही बचा हो।आधुनिक बंगलों के अलावा इस सिटी में दो से चार बेडरूम वाले कई उपनगर बनने थे।इसमे कुल  पांच हजार आवासीय यूनिट बसाये जाने की योजना थी। परियोजना​ ​ का काम २०१० तक पूरा हो जाना था।

सत्ता परिवर्तन से इस परियोजना  के लटक जाने से राष्ट्रीय राजमार्ग छह के आर पार हावड़ के विकास के सपने भी फिलहाल खटाई में हैं, जिसका जीवंत प्रतीक सलप का टूटू हुआ बेमरम्मतवाला सलप पुल है। हावड़ा के विकास में भी ट्रापिक जाम हो गया है, जो कब खुलेगा, किसी को नहीं मालूम।जबकि इसी बीच बालीवुड के सुपर स्टार और पश्चिम बंगाल के ब्रांड एम्बेसडर शाहरख खान ने पश्चिम मिदनापुर जिले के चंद्रकोना में प्रयाग फिल्म सिटी के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया।दो हजार सात सौ एकड के प्रस्तावित क्षेत्र में दस अरब रुपये की लागत से बनने वाली यह फिल्म सिटी दुनिया की सबसे बडी फिल्म सिटी में एक होगी। परियोजना के पहले चरण में स्टूडियो तल बारह हजार वर्ग फुट क्षेत्र में होगा।

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