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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, October 10, 2014

फाॅरवर्ड प्रेस पर दिल्ली पुलिस का छापा मोदी सरकार का फासीवादी कदम-जेयूसीएस यह छापा लोकतंत्र के मूल अधिकार ’अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ पर खुला हमला है-जेयूसीएस

फाॅरवर्ड प्रेस पर दिल्ली पुलिस का छापा मोदी सरकार का फासीवादी कदम-जेयूसीएस
यह छापा लोकतंत्र के मूल अधिकार 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर खुला हमला
है-जेयूसीएस

फारवर्ड प्रेस पर छापा ब्राह्मणवादी ताकतों के इशारे पर-जेयूसीएस

लखनऊ, 10 अक्टूबर, 2014। जर्नलिस्टस् यूनियन फाॅर सिविल सोसाईटी
(जेयूसीएस) ने फॅारवर्ड प्रेस के दिल्ली कार्यालय पर दिल्ली की बसंतनगर
थाना पुलिस द्वारा 8 अक्टूबर को छापा मारने तथा उसके चार कर्मचारियों को
अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने की घटना की कठोर निंदा की है। जेयूसीएस
ने दिल्ली पुलिस की इस कारवाई को फाॅसीवादी हिन्दुत्व के दबाव में आकर
उठाया गया कदम बताते हुए इसके लिए नरेन्द्र मोदी सरकार को जिम्मेदार
ठहराया है। इसके साथ ही फाॅरवर्ड प्रेस की मासिक पत्रिका के अक्टूबर-2014
के अंक 'बहुजन श्रमण परंपरा विशेषांक' को भी पुलिस द्वारा जब्त करने को
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए इसे मुल्क में फासीवाद के
आगमन की आहट कहा है।

फारवर्ड प्रेस के दिल्ली कार्यालय पर छापे का विरोध करते हुए जेयूसीएस के
नेता लक्ष्मण प्रसाद और अनिल कुमार यादव ने कहा कि देश का संविधान किसी
भी नागरिक को उसके न्यूनतम मूल अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की
गारंटी देता है। संघ के साहित्यों में बेहद शातिराना तरीके से मुसलमानों
के खिलाफ जहर उगला जाता है और वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर
छपते हैं। ठीक उसी तरह, दलित समाज को भी अपनी बात कहने का लोकतांत्रिक और
संविधान प्रदत्त हक है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की यह कार्यवाही
मोदी सरकार के दबाव में तथा हिन्दुत्ववादी ताकतों के हाथों खेलते हुए
संविधान और देश के धर्म निरपेक्ष ताने बाने के खिलाफ जाकर की गई है।

इस अवसर पर जेयूसीएस के नेता तथा वरिष्ठ पत्रकार राघवेन्द्र प्रताप सिंह
ने कहा कि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में 'ऑल इंडिया बैकवर्ड
स्टूडेंट्स फोरम' के तत्वाधान में 9 अक्टूबर, को महिषासुर शहादत दिवस के
आयोजन स्थल पर जिस तरह से एबीवीपी के गंुडों द्वारा मापीट और तोड़फोड़ की
गई, उससे यह साबित होता है कि अब संघ अपने बौद्धिक विरोधियों से तर्कों
से निपटने में एकदम असहाय हो चुका है। अब वह झुंझलाहट में सीधे मारपीट पर
उतर आया है। उन्होंने कहा कि भारत एक मिली जुली संस्कृतियों वाला देश रहा
है। हर संस्कृति की अपनी एक प्रतीकात्मक पहचान रही है तथा उसका समाज उस
संस्कृति की अस्मिता को अगर अपने स्तर पर लोकतांत्रिक तरीके से पूजना
चाहता है तो किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? उन्होंने कहा कि यह घटना
नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा देश को फासीवाद के रास्ते पर धकेलने की खुली
कोशिश है और लोकतंत्र के हित में पूरी ताकत के साथ इसका प्रतिकार किया
जाएगा।

                                                                द्वारा जारी

राघवेंद्र प्रताप सिंह
                                                        प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य
                                      जर्नलिस्ट्स यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी,
                                                   लखनऊ उत्तर प्रदेश
                                                  संपर्क- 09696545861
______________________________________________________________
110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon East, Latouche Road, Lucknow
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            Email- jucsup@gmail.com

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