Silent Protest March of Writers to Sahitya Academy, Delhi.
कलमकारों-कलाकारों का ख़ामोश जुलूस
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ख़ामोशी की भी जुबां होती है
ज़ुल्मी उससे भी ख़ौफ़ खाता है
हमारी आज़ादी की हिफ़ाज़त
हम ख़ामोशी से भी करना जानते हैं
और उतनी ही अच्छी तरह हम जानते हैं
तुम्हारे कानों के परदे फाड़ देने वाली एकजुट आवाज़ में
इंक़लाब के नारे लगाना और आज़ादी के तराने गाना।
हमीं लाल हैं।हमीं फिर नील हैं।
बाकी हिंदुत्व महागठबंधन का फासिज्म है।
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