नित्यानंद गायेन
क्या तुझे शर्म नहीं आयी ! दनकौर में, मादरे हिन्द की बेटी को नग्न किया गया उस रात फिर खूब रोए 'नागा बाबा' बाबा ने मुझसे कहा - देख रे -बेरोजगार ग्रेजुएट इसी देश में आया था बुद्ध भटककर कबीर भी और फिर आया था फ़कीर संत गाँधी आज सभी रोए रात भर देखने वाले देखते रहे -बे-शर्म और मैं देता रहा खुद को तस्सली कि, अब नहीं रहा इस देश में मेरी गालियाँ भी अब हो चुकी है बेअसर चल तू बता - क्या सच में नहीं बदल पाए इस देश को जिसे - हिन्दोस्तान कहते हैं ! देख , आज भी मादरे हिन्द की बेटी असहाय नग्न घूम रही है तेरी जमीन पर .... हिल उठी है मेरी आत्मा क्या तुझे शर्म नहीं आयी ! या डरता है मरने से !
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