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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, November 2, 2012

हिंदुत्ववादी ताकतें फिर तैयार करने लगीं दंगों की जमीन

Bookmark and Share हिंदुत्ववादी ताकतें फिर तैयार करने लगीं दंगों की जमीन

http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/31971-2012-11-02-05-53-10
Friday, 02 November 2012 11:22

अंबरीश कुमार / त्रियुग नारायण तिवारी, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की तैयारी नए सिरे से शुरू हो गई है। दशहरा, दुर्गा पूजा और बकरीद निकल गई और फैजाबाद को छोड़ दूसरा कोई जिला प्रभावित नहीं हुआ पर जिस तरह पुलिस प्रशासन  फैजाबाद में दंगों से निपटा अगर वह किसी और जिले में दोहराया गया तो हालात बेकाबू होंगे। फैजाबाद के बाद अब बारी गोरखपुर, बस्ती, मऊ, आजमगढ़ और सिद्धार्थ नगर जैसे पूर्वांचल के कई जिलों की है। भड़काने वाली भाषा बोली जा रही है।
पूर्वांचल में हिंदुत्ववादी ताकतें खुल कर सामने आ रही हैं। ये ताकतें अब चुनावी दंगों की तैयारी में हैं। फैजाबाद में इन्ही ताकतों ने माहौल बिगाड़ा और आगे भी तैयारी है। फैजाबाद में दुर्गा पूजा के दौरान लगातार नारा लगता रहा-अब भी जिस हिंदू का खून न खौला, खून नहीं वह पानी है। 24 सितंबर को चार बजे रुदौली में हिंसा होती है तो छह बजे फैजाबाद, आठ बजे भदरसा, नौ बजे शाहगंज और बारह बजे टिपरी में हिंसा हो जाती है।
फैजाबाद में जो दंगा हुआ उसके पीछे स्थानीय हिंदुत्ववादी वे ताकतें थीं, जो विधानसभा चुनाव हार गई थीं पर दंगा अगर फैला, तो उसके लिए सीधे सीधे पुलिस प्रशासन का शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है। क्योंकि जब समूचे फैजाबाद को यह पता था कि शहर में दंगे की तैयारी है, तब सिर्फ जिले के कलक्टर और एसएसपी को यह जानकारी नहीं थी। जब दंगों में दुकानें जलाई जा रही थी, तब दो दमकलों में से  एक से पानी ही नहीं निकला तो दूसरी का पानी खत्म हो गया। वह जो पानी लेने गर्इं, तो लौट के नहीं आई।
यह बानगी है उस जिले की जो राज्य का सबसे संवेदनशील जिला है। यहां जिस तरह दंगाइयों ने पहले काली प्रतिमा की चोरी को लेकर माहौल बनाया और फिर मूर्ति मिल जाने के बाद भी दंगों की तैयारी की, उससे इन दंगों की राजनीति को आसानी से समझा जा सकता है। अयोध्या से पांच बार विधायक रहे लल्लू सिंह विधानसभा का पिछला चुनाव हार चुके हैं जो 1991 से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। यह एक बड़ा झटका रहा और फिर सामने 2014 का लोकसभा चुनाव है।
फैजाबाद से त्रियुग नारायण तिवारी के मुताबिक फैजाबाद का दंगा राजनीतिक ज्यादा रहा है, जिसमें यहां के नेताओं की बड़ी भूमिका रही है। भाजपा के एक विधायक रामचंद्र यादव के खिलाफ इस सिलसिले में मामला भी दर्ज हुआ। समूचे दुर्गा पूजा के दौरान दंगों का माहौल बनाया गया। उत्तेजक नारे लगे। योगी आदित्यनाथ के कैसेट चलाए। पेट्रोल जमा किया गया। दुकानें चिह्नित की गई ताकि उन्हें लूटने में आसानी हो पर जिला प्रशासन इन सबसे बेखबर था ।
इससे पहले सांप्रदायिक हिंसा की जो घटनाएं हुर्इं, उनमें जून में मुजफ्फरनगर, कोसीकलां (मथुरा) के बाद प्रतापगढ़ के अस्थाना गांव में एक दलित बालिका से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हुई हत्या से माहौल बिगड़ा। गुरुवार को तो भाजपा ने बाकायदा सूची जारी कर इसका ब्योरा दिया। भाजपा की खुद क्या भूमिका रही है, इस पर भी गौर करना चाहिए। बहरहाल, इसके बाद बरेली, गाजियाबाद, कानपुर और इलाहाबाद आदि का नाम लिया गया है पर भाजपा ने इस सब की जो वजह बताई है उससे भी उसकी नीयत पर सवाल उठता है।
पार्टी के मुताबिक आतंकवादियों को छोड़ने की कार्रवाई शुरू करना, बुनकरों के बिजली बिल माफ करना, रंगनाथ मिश्र आयोग और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने का संकल्प व्यक्त करने के साथ वर्ग विशेष की छात्राओं को 30 हजार की आर्थिक सहायता आदि के कारण यह परिस्थिति पैदा हो गई है। भाजपा के इन आरोपों से साफ है कि वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाने के प्रयास में है। पूर्वांचल में शुरुआत हो गई है।
सिद्धार्थ नगर से विनयकांत मिश्र के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन कर आग उगलना शुरू कर दिया है। सिद्धार्थनगर जनपद में हियुवा के जिलाध्यक्ष रमेश गुप्ता ने धरने के दौरान कहा कि यदि सरकार ने गोकसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया, तो आप पुलिस को बिना सूचना दिए हुए मस्जिदों के सामने सूअर काट दें। भारत-नेपाल सीमा पर सिद्धार्थनगर जनपद में दो दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के विधानसभा क्षेत्र इटवा के मुख्य चौराहे पर दिनदहाड़े गोकसी की घटना से हियुवा के कार्यकर्ता गुस्से में थे। उनका कहना था कि जब विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो पूरे राज्य की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।


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