भारत सरकार को भी लोकसभा और जनताके बजाय कारपोरेट आस्था की ज्यादा जरुरत है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कारपोरेट इंडिया को न समयपूर्व चुनाव की चिंता है और न अनास्था प्रस्ताव की।आर्थिक सुधारों के लिए दबाव तेज।भारत की वाणिज्य राजधानी मुंबई में शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के निधन और अंत्येष्टि की वजह से भले ही जनजीवन और कारोबार ठप है, कारपोरेट इंडिया हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा है।भारत सरकार को भी लोकसभा और जनता के बजाय कारपोरेट आस्था की ज्यादा जरुरत है।वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रविवार को खुलासा किया कि सामान्य कर परिवर्जनरोधी नियम (गार) में संशोधनों को अंतिम रूप दे दिया गया है। चिदंबरम ने कहा कि मैंने आयकर कानून के अध्याय 10ए में संशोधनों को अंतिम रूप दे दिया है। अब यह प्रधानमंत्री कार्यालय के पास जाएगा और उसके बाद हम संशोधनों के साथ तैयार होंगे। इसके बाद गार नियमों में संशोधित अध्याय 10 ए आ जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी तैयारी चल रही है और मेरी राय में काम लगभग पूरा हो गया है। ड्राफि्टंग का काम पूरा हो चुका है। आयकर कानून का अध्याय 10 ए निवेश के कराधान से जुड़ा है। गार विदेशी निवेश के जरिये कर बचाव के खिलाफ विवादास्पद कानून है। 2012-13 के बजट मे इसका प्रस्ताव कर अपवंचना रोकने के लिए किया गया था लेकिन घरेलू तथा विदेशी निवेशकों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। इनकी आंशका है कि कर अधिकारियों को ज्यादा अधिकार मिले तो निवेशकों का उत्पीड़न होगा। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के आंकड़े को काल्पनिक करार देने के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की बात भी काल्पनिक साबित होगी।चिदंबरम ने कहा कि विमानन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिये एफडीआई नियमों में बदलाव करने का विकल्प खुला है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम को उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार कुछ अहम फैसले लेने में कामयाब रहेगी। दो महीने पहले सरकार ने बड़े फैसले लिए ताकि इकोनॉमी को थोड़ी रफ्तार मिल सके। लेकिन दो कदम आगे बढ़ाने के बाद वो फिर सुस्त पड़ गई।इस बीच स्पेक्ट्रम नीलामी से बड़ी आमदनी के उसके मंसूबे भी पूरे नहीं हो पाए। जो बड़े फैसले हुए हैं, उनमें से कई पर संसद की मुहर लगनी है।ऐसे में शीतकालीन सत्र को सरकार रिफॉर्म को आगे बढ़ाने के आखिरी मौके के तौर पर देख रही है। क्योंकि अगर ये वक्त निकल गया तो फिर हालात संभालने में और मुश्किल होगी।
ममता के अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की माकपा खिल्ली उड़ाने में लगी है तो दूसरी ओर भाकपा ने इसे समर्थन देने की घोषणा कर दी।माकपा ने संसद में संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तृणमूल कांग्रेस की घोषणा का आज मजाक उड़ाया और कहा कि निचले सदन में वह अपने प्रतिनिधियों की संख्या गिन ले । ममता को राजग ने भी साथ देने का वायदा किया है। माकपा की असमंजस यह है कि राष्ट्रीय राजनीति में वह ममता का कद बढ़ते हुए नहीं देख सकती। सपा और बसपा के समीकरण अलग है। इस परिदृश्य के मद्देनजर कांग्रेस से ज्यादा उद्योग जगतत आश्वस्त है कि सरकार गिरने का सवाल नहीं उठता और न ही मध्यावधि चुनाव के आसार है। एसोचैम ने तो टो डुक शब्दों में दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों पर अमल करने के लिए अपनी सरकार को हिदायत भी दे दी। बहरहाल कोलकाता में दीदी की वजह से फोकस बना हुआ है। माकपा को जहां भरोसा है कि अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक की कीमत पर ममता भाजपा के साथ खड़ी होने की गलती नहीं करेगी तो दूसरी ओर दीदी को अपने पाले में लाने के मिशन को अंजाम देने के लिए वरिष्ठ भाजपाई मुरली मनोहर जोशी को लगा दिया है।
संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के तृणमूल कांग्रेस के फैसले को कांग्रेस ने भाजपा के 'करीब जाने के समान' बताया और कहा कि यह प्रस्ताव गिर जाएगा क्योंकि सरकार को 305 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा,' तृणमूल कांग्रेस जैसी 19 सदस्यों वाली पार्टी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना न सिर्फ भाजपा से बल्कि माकपा से भी उसकी नजदीकी दर्शाता है।' उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव गिर जाएगा क्योंकि सरकार को 305 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।राजद, सपा, बसपा और जद एस के समर्थन का जिक्र करते हुए अहमद ने कहा, ' जरूरी संख्या 272 ही है लेकिन संप्रग को 305 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।'अहमद ने कहा कि ममता की घोषणा में सकारात्मक पहलू भी है और वह कभी नहीं कहेंगी कि कांग्रेस माकपा की बी टीम है।खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] पर संप्रग के सहयोगियों व बाहर से समर्थन दे रहे दलों को प्रधानमंत्री के भोज के बहाने साधने के बाद सरकार ने भले ही राहत महसूस की हो, लेकिन रूठों को मनाने की उसकी मुहिम अब नई चुनौती में फंस गयी है। एकतरफ संप्रग से अलग हुई ममता बनर्जी ने जहां अविश्वास प्रस्ताव के लिए लामबंदी तेज कर सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा को समझाने-बुझाने का मामला फिलहाल खटाई में पड़ गया है।
वित्त और पर्यावरण मंत्रालय के झगड़े के बीच फंसे नेशनल इंवेस्टमेंट बोर्ड को प्रधानमंत्री कार्यालय की मंजूरी मिल गई है। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने वित्त मंत्रालय को नेशनल इंवेस्टमेंट बोर्ड का नया प्रस्ताव तुरंत कैबिनेट के सामने लाने को कहा है।
दरअसल पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के लिए 7 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। वित्त मंत्रालय इन प्रोजेक्ट को जल्द शुरू करना चाहता है। इसलिए पीएमओ ने पर्यावरण मंत्रालय को नए आदेश जारी करने को कहा है।इस आदेश में ये कहा जाएगा कि कोयला माइन को 25 फीसदी उत्पादन बढ़ाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी नहीं लेनी होगी। साथ ही कोयला खदान की लीज रीन्यू होने पर पर्यावरण मंत्रालय की फिर मंजूरी नहीं लेनी होगी।पर्यावरण मंत्रालय ने नेशनल इंवेस्टमेंट बोर्ड पर अपनी आपत्ति जताई थी। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक इस बोर्ड के बाद उनकी काफी पावर कम हो जाएगी।
चिदंबरम ने कहा कि मैंने आयकर कानून के अध्याय 10ए में संशोधनों को अंतिम रूप दे दिया है। अब यह प्रधानमंत्री कार्यालय के पास जाएगा और उसके बाद हम संशोधनों के साथ तैयार होंगे। इसके बाद गार नियमों में संशोधित अध्याय 10 ए आ जाएगा।उन्होंने कहा कि इसकी तैयारी चल रही है और मेरी राय में काम लगभग पूरा हो गया है। ड्राफि्टंग का काम पूरा हो चुका है। इसलिए, गार नियंत्रण में है। मैंने फैसले कर लिए हैं जिन पर प्रधानमंत्री तथा उसके बाद मंत्रिमंडल की मंजूरी ली जानी है।चिदंबरम ने रविवार को इस धारणा को खारिज किया कि उनके मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक में ब्याज दर और अन्य मामले पर एक दूसरे के साथ विरोध है। साथ ही कहा कि वे एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं।उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा,'भारत में सरकार और केंद्रीय बैंक के भी वही संबंध है जो किसी भी अन्य देश की सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच होता है। सरकार हमेशा वृद्धि का पक्ष रखती है और केंद्रीय बैंक अपनी ओर से स्थिरता और मुद्रास्फीति पर लगाम की दलील देता है।'यदि सरकार केंद्रीय बैंक के सामने वृद्धि को बढ़ावा देने का समर्थन करने की बात रखती है तब भी इसका मतलब यह नहीं है कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक एक दूसरे के विरोधी हैं।वित्त मंत्री द्वारा राजकोषीय घाटे का खाका तैयार करने और केंद्रीय बैंक की सरकारी खर्च से जुड़ी चिंता पर गौर करने के बावजूद रिजर्व बैंक ने 30 अक्तूबर को पेश मौद्रिक नीति की छमाही समीक्षा में ब्याज दरें नहीं घटाईं। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि मुद्रास्फीति 7.45 फीसद पर है जो केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने के लिए बहुत उच्च स्तर है।हालांकि, वित्त मंत्रालय आर्थिक वृद्धि में नरमी के बारे में चिंतित है क्योंकि सितंबर के दौरान औद्योगिक उत्पादन 0.4 फीसद घटा।
हिंदूत्ववादी नेता और मराठी स्वाभिमान के झंडाबरदार बाल ठाकरे रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनको लाखों लोगों ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से भावभीनी विदाई दी जबकि महानगर लगभग बंद रहा।उनकी मौत पर मुंबई रविवार को लगभग बंद रही और बड़े-बड़े मॉल से लेकर छोटी चाय की दुकानें और 'पान बीड़ी' की दुकानें भी बंद रहीं।शव यात्रा के दौरान 'परत या परत या बालासाहेब परत या (लौट आओ, लौट आओ, बालासाहेब लौट आओ), कौन आला रे, कौन आला शिवसेनेचा वाघ आला (कौन आया, कौन आया, शिवसेना का बाघ आया) और 'बाला साहेब अमर रहे' के नारे लगते रहे। उनके सबसे छोटे बेटे और शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ने उन्हें मुखाग्नि दी।उनकी शव यात्रा में कई नेता (जिसमें सहयोगी से लेकर विपक्षी तक शामिल थे), फिल्म अभिनेता से उद्योगपति तक शामिल हुए। दादर में शिवसेना मुख्यालय से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित शिवाजी पार्क मैदान में ठाकरे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे प्रमुख लोगों में राकांपा प्रमुख शरद पवार, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, अभिनेता अमिताभ बच्चन और उद्योगपति अनिल अंबानी शामिल थे।इसके साथ ही वहां पर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा नेता मेनका गांधी एवं शाहनवाज हुसैन, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डा डी वाई पाटिल और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता एकनाथ खडसे भी उपस्थित थे।इसके अलावा वहां पर केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल,वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली, विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और महाराष्ट्र के लोकनिर्माण मंत्री छगन भुजबल भी उपस्थित थे।
इस मौके पर बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर, अभिनेता निर्देशक महेश मांजरेकर और रितेश देशमुख भी उपस्थित थे।
भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने रविवार को कोलकाता में कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को फोन कर उनकी पार्टी की ओर से संप्रग सरकार के खिलाफ लाए जा रह अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा है।हालांकि जोशी ने इस प्रस्ताव के असफल रहने के बाद के घटनाक्रमों के बारे में कयास लगाने से परहेज किया।पूछने पर कि क्या सपा और बसपा का समर्थन पाने वाली संप्रग सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रसताव लाने का तृणमूल कांग्रेस का निर्णय उचित है? जोशी ने जवाब में कहा, 'एफडीआई का विरोध करना उचित कदम है, लेकिन अगर तृणमूल अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो उसे उसके प्रभावों के लिए भी तैयार रहना होगा।' उन्होंने चेतावनी दी,'तृणमूल के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और वह अन्य दलों के समर्थन पर निर्भर है। इसके बावजूद अगर तृणमूल का नेतृत्व इस राह पर आगे बढ़ता है तो उसे संभावित प्रभावों के लिए तैयार रहना होगा।'अपनी टिप्पणी का मतलब समझाते हुए जोशी ने कहा कि अगर संख्या पूरी नहीं है और प्रस्ताव असफल हो जाता है तो सरकार अगले छह माह के लिए सुरक्षित हो जाएगी और इस दौरान फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा,'दूसरी ओर अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है और सरकार गिर जाती है तो भी आपको आगे के बारे में सोचना होगा।' जोशी ने कहा कि एक बार सुषमा स्वराज बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के बाद मुंबई से दिल्ली वापस आ जाएं तो राजग नेतृत्व इस मामले पर बात करेगा।इससे पहले तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को रविवार को फोन किया और केंद्र की संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में उनका सहयोग मांगा। एफडीआई के मुद्दे पर यूपीए सरकार से नाराज टीएमसी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। टीएमसी ने यूपीए के सहयोगियों और लेफ्ट से भी समर्थन मांगा है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) संप्रग सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। पार्टी के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी किसी भी दल द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी।दासगुप्ता ने कहा,'अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव आता है तो हम सरकार को बचाने की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। हम वॉक आउट नहीं करेंगे, हम सरकार के खिलाफ वोट देंगे।' संसद में तृणमूल कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर दासगुप्ता ने स्पष्ट कर दिया कि यह सिर्फ उनकी पार्टी का मत है, सभी वामपंथी दलों का नहीं।उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रस्ताव को पेश करने वाले की जिम्मेदारी है कि वह 50 सांसदों का समर्थन जुटाए जिससे यह प्रस्ताव स्वीकार किया जा सके।दासगुप्ता ने कहा कि इस संबंध में उनकी पार्टी को तृणमूल की ओर से कोई सूचना नहीं मिली है। यह पूछे जाने पर कि यदि भाजपा की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया जाए तो, उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी यह प्रस्ताव लेकर आए उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा उनके चीनी समकक्ष वेन च्याबो के बीच सोमवार को होने वाली बैठक में व्यापार और निवेश का मामला प्रमुखता से छाये रहने की संभावना है। चीन के साथ बढ़ते व्यापार असंतुलन तथा वहां के कुछ क्षेत्रों में बाजार पहुंच नहीं होने को लेकर भारत की चिंता के बीच यह बैठक हो रही है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रविवार को कम्बोडिया की राजधानी नाम पेन्ह पहुंच गए जहां वह दो क्षेत्रीय शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री 18 से 20 नवम्बर तक की अपनी इस यात्रा के दौरान 10वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन तथा 7वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। कंबोडिया की यात्रा पर रवाना होने से पहले सिंह ने अपने बयान में कहा कि दस सदस्यीय आसियान के साथ भारत के रिश्ते उसकी `पूर्व की ओर देखो नीति` का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
गौरतलब है कि विदेश दौरे के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) सरकार से संबंधित सभी प्रमुख मुद्दों पर फैसला करेगी।कैबिनेट सचिवालय ने एक आदेश में कहा है कि रक्षा मंत्री एके एंटनी, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में जरूरी सरकारी मामलों के निपटारे के लिए दिल्ली में मौजूद रहेंगे। कामकाज की यह व्यवस्था प्रधानमंत्री के तीन दिवसीय कंबोडिया दौरे के मद्देनजर की गई है। एंटनी, चिदंबरम और शिंदे के अलावा कृषि मंत्री शरद पवार, अक्षय ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला, शहरी विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ, नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह, दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और रसायन एवं उर्वरक मंत्री एमके अलागिरी सीसीपीए में शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि कल रात के आदेश के कारण गृह मंत्री शिंदे शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की अंत्येष्ठि में शामिल होने महाराष्ट्र नहीं जा सके।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा से मिले संकेतों के अनुसार नोम पेन्ह आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान होने वाली इस बैठक के दौरान सिंह चीन से विशेष रूप से भारत में गठित हो रहे राष्ट्रीय विनिर्माण तथा निवेश क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश का आग्रह कर सकते हैं।आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे प्रधानमंत्री के विशेष विमान में उनके साथ यात्रा कर रहे भारतीय संवाददाताओं से शर्मा ने कहा, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक में सभी मुददों पर चर्चा होगी। सिंह और वेन के बीच कई बैठकें हो चुकी है लेकिन यह उनकी आखिरी मुलाकात है क्योंकि चीन में नेतत्व परिवर्तन के बाद प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी नये नेता के हाथ में होगी।
शर्मा ने कहा कि पूर्व में भारत ने प्रधानमंत्री के स्तर पर तथा वाणिज्य मंत्री के स्तर पर व्यापार असंतुलन तथा आईटी एवं औषधि क्षेत्र में बाजार पहुंच का मुददा उठा चुका है। उन्होंने कहा कि लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि केवल यही मुद्दे हैं। हम चीन को महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा वाणिज्यिक सहयोगी मानते हैं। चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन इस वर्ष अक्तूबर महीने में 23 अरब डालर पहुंच गया जो चीन के पक्ष में है।दोनों देशों ने 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डालर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। पिछले साल दोनों देशों का व्यापार 73.9 अरब डालर पहुंच गया। शर्मा ने कहा कि निवेश तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय विनिर्माण तथा निवेश क्षेत्र का जिक्र किया। इसका उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 करना तथा एक दशक में 10 करोड़ रोजगार सृजित करना है।
शर्मा ने कहा कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश होगा। मुझे उम्मीद है कि सिंह तथा वेन के बीच होने वाली बैठक में इस पर बातचीत होगी। चीन में नेतृत्व परिवर्तन से भारत के साथ संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि उन्हें द्विपक्षीय संबंधों बेहतर बने रहने की उम्मीद है।
दक्षिण चीन सागर को लेकर विवाद तथा आसियान द्वारा इसके उपयोग को लेकर आचार संहिता तैयार किए जाने के मुद्दे पर शर्मा ने कहा कि यह मुद्दा संबंधित देशों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। उम्मीद है कि इससे बेहतर तरीके से निपटा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए किसी भी पहल का हमेशा समर्थन किया है।
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