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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, April 4, 2013

मानवाधिकार जननिगरानी समितिए वाराणसी एवं ह्यूमन राईट्स ला नेटवर्क के संयुक्त तत्वाधान में उत्तर.प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिसिया उत्पीडन पर 3 व 4 अप्रैलए 2013 को होटल कामेश हट में एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया द्य 2 दिन तक चली इस जन सुनवाई में उत्तर.प्रदेश के विभिन्न जिलो से आये तकरीबन 30 से 40 पीडितो ने अपनी स्व व्यथा कथा 6 सदस्यों वाली ज्यूरी के सामने रखी द्य दो दिन तक चली जन सुनवाई के दौरान तकरीबन 40 पीडितो का स्व व्यथा कथा सुनाने के उपरान्त ज्यूरी सदस्यों ने उत्तर.प्रदेश में पुलिस द्वारा मानव अधिकार के उल्लघन की बढ़ती घटनाओं के प्रति अपनी गहरी चिंता प्रकट की और ज्यूरी इस निष्कर्ष पर पहुची कि सभी पीडितो ने पुलिस द्वारा उत्पीडन पर रोक और पुलिस की कार्यशैली पर बदलाव हेतु मांग की द्य पुलिस के आम जनता पर बढ़ते अत्याचार के नियंत्रण के लिए ज्यूरी ने निम्नलिखित सुझाव दिए

मानवाधिकार जननिगरानी समितिए वाराणसी एवं ह्यूमन राईट्स ला नेटवर्क के संयुक्त तत्वाधान में उत्तर.प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिसिया उत्पीडन पर 3 व 4 अप्रैलए 2013 को होटल कामेश हट में एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया द्य 2 दिन तक चली इस जन सुनवाई में उत्तर.प्रदेश के विभिन्न जिलो से आये तकरीबन 30 से 40 पीडितो ने अपनी स्व व्यथा कथा 6 सदस्यों वाली ज्यूरी के सामने रखी द्य दो दिन तक चली जन सुनवाई के दौरान तकरीबन 40 पीडितो का स्व व्यथा कथा सुनाने के उपरान्त ज्यूरी सदस्यों ने उत्तर.प्रदेश में पुलिस द्वारा मानव अधिकार के उल्लघन की बढ़ती घटनाओं के प्रति अपनी गहरी चिंता प्रकट की और ज्यूरी इस निष्कर्ष पर पहुची कि सभी पीडितो ने पुलिस द्वारा उत्पीडन पर रोक और पुलिस की कार्यशैली पर बदलाव हेतु मांग की द्य पुलिस के आम जनता पर बढ़ते अत्याचार के नियंत्रण के लिए ज्यूरी ने निम्नलिखित सुझाव दिए

Recommendation from Independent Peoples' Tribunal

Recommendation from Independent Peoples' Tribunal


मानवाधिकार जननिगरानी समितिए वाराणसी एवं ह्यूमन राईट्स ला नेटवर्क के संयुक्त तत्वाधान में उत्तर.प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिसिया उत्पीडन पर 3 व 4 अप्रैलए 2013 को होटल कामेश हट में एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया द्य 2 दिन तक चली इस जन सुनवाई में उत्तर.प्रदेश के विभिन्न जिलो से आये तकरीबन 30 से 40 पीडितो ने अपनी स्व व्यथा कथा 6 सदस्यों वाली ज्यूरी के सामने रखी द्य दो दिन तक चली जन सुनवाई के दौरान तकरीबन 40 पीडितो का स्व व्यथा कथा सुनाने के उपरान्त ज्यूरी सदस्यों ने उत्तर.प्रदेश में पुलिस द्वारा मानव अधिकार के उल्लघन की बढ़ती घटनाओं के प्रति अपनी गहरी चिंता प्रकट की और ज्यूरी इस निष्कर्ष पर पहुची कि सभी पीडितो ने पुलिस द्वारा उत्पीडन पर रोक और पुलिस की कार्यशैली पर बदलाव हेतु मांग की द्य पुलिस के आम जनता पर बढ़ते अत्याचार के नियंत्रण के लिए ज्यूरी ने निम्नलिखित सुझाव दिए




  1. ज्यूरी का कहना था कि इन सभी मामलो में संस्थागत भेद.भाव साफ़ दिखाई पड़ता है और पुलिस की कार्यशैली और रवैया सभी समुदाय के प्रति एक तरह की है
  2. उत्तर.प्रदेश के बारे में उनका कहना है कि यहाँ पुलिस की सख्तियाँ और सामन्तवादी ढाचे चलते बड़ी संख्या में लोगो का उत्पीडन जातीए धर्म और वर्ग के आधार पर होता चला आ रहा है द्य पुलिस की जवाबदेही न होने के कारण समाज के बीच में खाई गहरी होती चली जा रही है जिससे पीडितो को न्याय नहीं मिल पा रहा है 
  3. ज्यूरी ने यह सुझाव दिया है कि पुलिस की जवाबदेही का ढांचा और मजबूत और कारगर बनाया जाना चाहिए द्य जिसमे वरिष्ठ अधिकारियो की जिम्मेदारिया सुनिश्चित की जानी चाहिए और समय समय पर इनके काम का मूल्यांकन किया जाना चाहिए 
  4. पुलिस की जवाबदेही न होने के कारण अपराधए साम्रदायिक दंगे और असुरक्षा को बढ़ावा मिलता है और देश में जवाबदेही पर आधारित पुलिस प्रणाली ही संस्थागत भेद.भाव पर नियंत्रण लगा सकती है 
  5. पीड़ित को मिलने वाले मुआवजे के प्रावधानों को मजबूत किया जाना चाहिए जिसकी अनुपस्थिति भी पुलिस उत्पीडन और साम्प्रदायिक दंगो को बढ़ावा देती है द्य इसके लिए आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय मानको को अपनाया जाय द्य जिसके तहत पीड़ित की मर्जी से उसी जगह या अन्य स्थानों पर पुरानी आर्थिक स्थितियों के अनुरूप उनका पुनर्वासन किया जाय 
  6. सभी संस्कृतियोंए धर्मो की विशेषताओं के प्रति पुलिस प्रशासन को संवेदनशील बनाया जाय तथा उनको नौकरी के दौरान उनके संवेदनशीलता को बढाने के लिए समय.समय पर प्रशिक्षण दिया जाय और साथ ही मानव अधिकार के संस्कृति के प्रति भी संवेदनशील बनाया जाय 
  7. अक्सर पुलिस की कार्यवाही उत्पीडन के मामलो एकतरफा होती है उत्पीड़क और पीड़ित के बीच में उचित पहचान की जाय और बिना किसी कारण या साक्ष्यो के अभाव में किसी ख़ास समुदाय को निशाना न बनाया जाय ख़ास तौर पर मुस्लिम समुदाय को द्य मुस्लिम समुदाय के प्रति पुलिस वालो का पूर्वाग्रह है कि ये लोग ही हिंसा और दंगो में शामिल होते है द्य जिसकी वजह से निचले स्तर के अधिकारियो को कार्यवाही की खुली छूट मिल जाती है और वो मनमानी कार्यवाही करते है द्य उच्च अधिकारिओ द्वारा अनदेखा करना या लापरवाही इस व्यवहार को बढ़ावा देती है 
  8. पुलिस के निष्पक्ष काम के लिए ये आवश्यक है कि इसमे विभिन्न समुदाय के लोगो की भर्ती की जाय द्य पुलिस बल को धर्मनिरपेक्ष बनाया जाय द्य जैसा कि पश्चिमी देशो में होता है 
  9. पुलिस प्रसाशन में जो विभिन्न आयोगों द्वारा सुझाए गए सुधार और सर्वोच्च न्यायालय के समय.समय पर दिए गए दिशा निर्देशों का कडाई से पालन किया जाय द्य भारतीय पुलिस का ढांचा ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीतियों की उपज है द्य इस मानसिकता को बदले की सख्त जरूरत है 
  10. पुलिस हिरासत और मुठभेड़ में मौत के मामलो पर पुलिस के खिलाफ मामले दर्ज किये जाय जैसा कि किसी आम नागरिक के मामले में होता है जबकि आत्मरक्षा में किसी को मारने पर उसके खिलाफ केस दायर करके जांच की जाती है द्य थी उसी तरह की प्रक्रिया पुलिस के मामले में भी अपनाई जानी चाहिए द्य साथ ही पुलिस के हाथो हुयी मौतों के मामलो में किसी निष्पक्ष और स्वतन्त्र इकाई को जांच के लिए जिम्मेदारी दी जानी चाहिए 
  11. न्यायालय में मामलो को काफी लम्बे समय तक लटकाया जाता है और पुलिस हिरासत से जुडी कानूनी प्रक्रिया के प्रावधान स्पष्ट होने चाहिए जिन पर सर्वोच्च न्यायालय का नियंत्रण होना चाहिए द्य न्यायायिक प्रक्रिया को नजरअंदाज करने वालो जजों के खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिए और उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए 
  12. आधिकारिक पुलिस शिकायत समितियो का गठन जिला स्तर पर किया जाना चाहिए जो कि पुलिस आयोगों के समय समय दिए गए सुझावो के अनुरूप होना चाहिए
  13. उत्तर.प्रदेश में नियमो से हटकर समय से पहले अच्छे काम के आधार पर पदोन्नति की परम्परा प्रचलित होती आई है जिस पर तुरन्त प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए द्य इस गलत नीति की वजह से फर्जी मुठभेड़ो को बढ़ावा मिल रहा है 
  14. राज्य मानवाधिकार आयोगो में शिकायत निवारण की प्रणाली को सशक्त बनाया जाना चाहिए द्य निष्पक्ष जांच एजेंसी होनी चाहिए जिसमे काम करने के लिए पर्याप्त मानव बल और संसाधन होने चाहिए  
  15. पुलिस प्रताड़ना से सम्बंधित मामलो के लिए जन सूचना अधिनियम के तहत प्राप्त सूचना पाने के अधिकार के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए 
  16. जमानत से सम्बंधित सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का कडाई से पालन किया जाना चाहिए द्य जिससे मानव अधिकार के उल्लघन के मामलो में कमी आ सके तथा साथ ही साथ गिफ्तारी और गुमशुदगी के मामलों के निपटारे में तेजी आ सके 
  17.  आम तौर पर यह देखने में आता है वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के मीडिया ब्रीफिंग में कुछ लोगो को पकड़कर लाया जाता है और उन लोगो को पकड़ने वाले पुलिस कर्मियों को उनके अच्छे काम के रूप में पेश किया जाता है द्य जिनकी फोटो मीडिया छापती है और जब वही पकडे गए लोग निर्दोष बरी होते है तो मिडीया में उनका कोइ जिक्र नहीं होता है द्य इस प्रथा पर तुरन्त रोक लगाई जानी चाहिए
  18. जनता को भी पुलिस की क्षमता से ज्यादा अपेक्षा नहीं करनी चाहिए जिसके कारण पुलिस गैर कानूनी तरीको का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हो जाती है द्य


ज्यूरी के सभी सदस्यों का मानना था कि मानव अधिकार के उल्लघन की बढ़ती घटनाए भारतीय समाज और प्रजातंत्र के लिए गहरी चिंता का विषय है जिसके लिए पुलिस की छवि और कार्यशैली में सुधार लाना अति आवश्यक है ताकि आम जनता और पीडितो का विश्वास न्याय प्रणाली पर स्थापित हो सके द्य

एसण्आरण् दरापुरी     

जेण्एसण्पाण्डेय     
     
इरफ़ान अली इंजीनीयर

शाइन नज़र

साईना रिजवी

उत्कर्ष सिन्हा


Heard to Unheard: Breaking silence

 Photo 1: Tanweer Ahmed Siddiqui, Legal Co-ordinator and Secretary of PVCHR speaking in the inaugural session of people's tribunal  http://www.pvchr.net/2013/03/invitation-to-independent-peoples.html 

 Photo 2: Survivors from Aligarh and Tanda, Ambedkar Nagar  http://www.testimonialtherapy.org/2013/04/regarding-beating-and-threat-to-human.html

 Photos 3: survivors
 Photo 4: Panelist Mr. Jyoti Swaroop Pandey, Ms. Saheena Rizvi and Mr. Irfan Ali Engineer in Panel 1

 Photo 5: Panelists Mr. S.R Darapuri and Mr. Saheen Nazar are listing testimony of survivor. Ms. Shruti Nagvanshi assisting to the panelist


Photo 6: Panelists are listing testimony of survivor


 Photo 7: Survivors and activist


Photo 8: Mr. Mukhtar, survivor of Bazardiha police firing sharing his testimony http://www.pvchr.net/2012/11/open-letter-to-prime-minister-of-india.html


Photo 9:  Female survivor sharing her testimony to panelist

 Photo 10: Survivors ready for Human Rights Street Movement 


 Photo 11: Chanting slogans

 Photo 12: Marching


Photo 13: Lighting candle

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