चांडाल चौकड़ी
लेखक : उमेश तिवारी 'विस्वास :: अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2011:: वर्ष :: 35 :September 15, 2011 पर प्रकाशित
[अन्याय के खि़लाफ लड़ने के एवज में 16 अगस्त 2011 को भोपाल में हलाक कर दी गई बहिन शहला मसूद की शहादत को समर्पित-]
http://www.nainitalsamachar.in/a-poem-on-sahla-masood-murder/
चांडाल चौकड़ी
लेखक : उमेश तिवारी 'विस्वास :: अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2011:: वर्ष :: 35 :September 15, 2011 पर प्रकाशित
[अन्याय के खि़लाफ लड़ने के एवज में 16 अगस्त 2011 को भोपाल में हलाक कर दी गई बहिन शहला मसूद की शहादत को समर्पित-]
इन्सानों सी शक्लें बनाए
जब वो मुस्कुराकर तक़रीर करते हैं,
टपक पड़ता है एक कतरा ख़ूँ-का
अचानक लबों के कोने से,
आस्तीन पर दाग़ छोड़ता है कभी,
कभी टपक दस्तरखान पर
मक़तूल की तस्वीर बना देता है।
ख़ैरख्वाह चाकर टूट पड़ते हैं तभी,
गुनाहों के नंगे सुबूत छुपाने को,
ईनामो-इक़राम पाने को।
कुछ बिक चुकी आवाज़ें
पूछती हैं मनचाहे – आसान सवाल,
'जनाब, आपकी मुस्कराहट का राज़ ?'
वाह ! पर ख़ूँन नज़रअंदाज़ ?
फिर उतर जाते हैं नक़ाब
गले मिलते हैं फ़तेह आब लम्हों में,
आकाओं से बयाँ करते मौके की नज़ाकत
'कैसी मुश्किल से सम्हाली हमने सियासत !'
- उमेश तिवारी 'विश्वास'
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