पलाश विश्वास
हमारे पुराने पाठकों को याद होगा कि ओएनजीसी और दूसरी सरकारी तेल कंपनियों के विनिवेश के तिए तैयार करने के लिए एअरइंडिया तकनीक कैसे अपनायी गयी, इसपर लिखते हुए हमने बताया था कि ओएनजीसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि सरकारी संसाधन और ओएनजीसी की विशेज्ञता के तहत खोजे गये तेल ब्लाकों को कैसे रिलायंस को सौंप दिया गया। गैस की कीमते बढ़ाने के लिए रिलायंस के लगातार दबाव से से कोई मूर्ख ही अनजान होगा।आडिट के मामले में रिलायंस की सीनाजोरी भी लगभग सबको मालूम है।हमने राष्ट्रपति चुनाव से पहले लिखा था कि कैसे रिलायंस समूह रायसीना हिल्स पर कब्जा कर रहा है। तेल की कीमतें विनियंत्रित करने से भारतीय अर्थ व्यवस्था को फायदा नहीं होने जा रहा है। हम पहले भी लिखते रहे हैं कि करारोपण प्रणाली में पूंजीपतियों को अंधाधुंध हर बजट में लाखों करोड़ की छूट, राहतें और भुगतान संतुलन के लिए विदेशी कर्ज लेना ही एकमात्र वित्तीय नीति है। विदेशी ऋण चुकता करने का कोई इतिहास नहीं है।बल्कि राज्स्व आय का बड़ा हिस्सा विदेशी ऋण और कर्मचारियों के वेतन, भत्तों में ही खर्च हो जाता है। प्रतिरक्षा व्यय और राष्ट्र के सैन्यीकरण का भी वित्तीय प्रबंधन पर दबाव पड़ता है।अब वित्तमंत्री पी चिदंबरम और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मंटेक सिंह आहलूवालिया दोनों मान रहे हैं कि डीजल की कीमतें विनियंत्रित करने से वित्तीय घाटा कम होने के आसार नहीं हैं। इस पर तुर्रा मंटेक तो यह तक कह रहे हैं कि इस विनियंत्रण से मुद्रास्फीति नहीं बढ़ेगी! बहरहाल वित्तमंत्री नहीं मानते के डीजल के विनियंत्रण से वित्तीय घाटा की हालत में सुधार होगा। इसका मतलब है सुधार के और कड़े कदम।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का अनुमान है कि डीजल के दाम बढ़ाने से मुद्रास्फीति में 1.2 फीसद की वृद्धि होगी और मार्च तक थोक मूल्य वाली मुद्रास्फीति 7.0 से 7.5 फीसद तक रहेगी।बैंक ऑफ इंडिया मेरिल लिंच इंडिया के अर्थशास्त्री इंद्रनील सेन गुप्ता ने एक रप्ट में कहा ''मुद्रास्फीति में 2013-14 में फिर सर उठाएगी। पिछली शाम से डीजल की कीमत में बढ़ोतरी से 2013-14 में मुद्रास्फीति 1.2 फीसद बढ़ेगी।''
सरकार ने गुरुवार को डीजल की कीमत को नियंत्रण-मुक्त करने कर दिश में कदम बढ़ाया। डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई और आगे भी मासिक स्तर पर ऐसी ही बढ़ोतरी की योजना बनाई ताकि रिकॉर्ड सब्सिडी में कटौती की जा सके।डीजल के थोक क्रेताओं के लिए डीजल मूल्य 10 रुपये लीटर बढ़ गया है। रपट के मुताबिक मार्च की तिमाही में मुद्रास्फीति सात फीसद के इर्द-गिर्द और 2013 की दूसरी छमाही में 7.5 से आठ फीसद के बीच रहेगी। उसक बाद नरम हो कर मार्च 2014 तक यह 6.5 से सात फीसद तक आ जाएगी।रपट में कहा गया कि मौजूदा परिस्थिति में रिजर्व बैंक 29 जनवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 फीसद की कटौती कर सकता है।
डीजल के दाम बाजार के हवाले करने का फैसला होते ही सियासी गुस्सा जाहिर होने लगा है। विरोध की पहली आवाज सरकार में शामिल दलों की तरफ से आई है। एनसीपी ने इस फैसले को आम आदमी के खिलाफ बताया तो यूपीए को समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी ने सरकार की आलोचना की। उधऱ, सरकार में शामिल डीएमके ने भी सरकार के फैसले पर विरोध जताया है।बीजेपी ने रोलबैक की मांग कर डाली। बीजेपी ने आरोप लगाया कि सरकार जनता के हितों को अनदेखा कर तेल कंपनियों के फायदे में लगी है। पार्टी ने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की तादाद 6 से बढ़ाकर 9 करने के सरकार के फैसले को नौटंकी करार दिया। वहीं लेफ्ट ने आशंका जताई कि अब डीज़ल की कामतें भी पैट्रोल की तर्ज पर आसमान छुएंगीं।बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक कांग्रेस के पास यह कला है कि कैसे कीमतें बढाई जाएं, हम इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ये फैसला वापस ले। जिसे जितने सिलेंडर की जरूरत हो दिया जाए।
सीपीएम महासचिव प्रकाश करात के मुताबिक जनता पर ये एक और हमला है। जिस तरह से पेट्रोल को डी-कंट्रोल किया गया, उसके बाद उसका दाम हर रोज बढ़ रहा है। उसी तरह से अब डीजल पर होगा। वहीं तेल और सिलेंडर के दामों पर यूपीए सरकार से समर्थन वापिस लेने वाली तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे जनता विरोधी कदम बताया।
खास बात ये कि सरकार की सहयोगी पार्टियों ने भी फैसले का जमकर विरोध किया। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा है कि केंद्र ने माइक्रो फैमिली के लिए 9 सिलिंडर और लार्ज फॅमिली के लिए 12 सिलिंडर कर दिए हैं। डीजल से चलने वाली बड़ी आलिशान लक्जरी गाड़ियों पर टैक्स लगाए सरकार और उससे मिलने वाले पैसे से किसानों को डीजल पर सब्सिडी मिले। सरकार को इसकी कोशिश करनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी नेता रामआसरे कुशवाह ने कहा कि महंगाई की मार का खामियाजा 2014 के चुनाव में केंद्र सरकार को भुगतना पड़ेगा। महंगाई के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से दोषी है। दरअसल डीजल और रसोई गैस की कीमतें आम आदमी के बजट की धड़कनें तय करती है। लिहाजा तमाम पार्टियों को इसका विरोध करना ही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये विरोध लोगों को राहत दिलवा पाएगा।
वित्तमंत्री ने कहा,"When they will make this small correction and how much, I can't say," he said. "So I am not factoring it."
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने डीजल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने की दलील को शुक्रवार को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कीमतों पर मामूली प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उपभोक्ताओं के पास अन्य वस्तुएं खरीदने के लिये कम पैसा बचेगा।अहलूवालिया ने संवाददाताओं से कहा,'जब आपके पास 'दमित कीमत' होती है और आप उस कीमत को बढ़ाते हैं तब जो लोग उच्च कीमत देते हैं, उनके पास अन्य चीजें खरीदने के लिये कम पैसा बचेगा। फलस्वरूप इससे बाजार में अन्य कीमतों पर दबाव नरम होगा।'
उन्होंने कहा,'निश्चित रूप से डीजल की कीमत बढ़ेगी, लेकिन अन्य वस्तुओं की महंगाई कम होने जा रही है। ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ने की बात मेरे विचार से गलत है।'
अहलूवालिया ने तेल विपणन कंपनियों को हर महीने डीजल के दाम में 45 से 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाने के सरकार के फैसले पर संतुष्टि जतायी। इससे तेल विपणन कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन बेचने से जो नुकसान हो रहा था, उसमें कमी आएगी और वे 18 महीने में डीजल बाजार भाव पर बेचने लगेंगी।
उन्होंने कहा,'मूल रूप से कंपनियों को डीजल के मामले में 9 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है और अगर हम इसे 50 पैसे प्रति महीने समायोजित करते हैं, उन्हें डीजल बाजार भाव पर बेचने में 18 महीने का समय लगेगा। इससे डीजल पर घाटा 18 महीने में समाप्त हो जाएगा।'
योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि सरकार सब्सिडी कम करने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखा रही है और मुद्रास्फीति में जो कमी आयी है, रिजर्व बैंक इस महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में इसे ध्यान में रखेगा।
गौरतलब है कि रिलायंस के दबाव में चार बार पेट्रोलियम मंत्री बदल दिये गये। पर घाटा से तसरकारी तेल कंपनियों को उबारने के नाम पर रिलायंस को एक के बाद एक तोहफा देने के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ। जयपाल रेड्डी को तो रिलांस के हित न सधने के कारण खुल्लमखुल्ला हटा दिया गया।नये पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने मंत्रालय का प्रभार संभालने के बाद लिए गए अपने पहले बड़े फैसले में रिलायंस इंडस्ट्रीज और केयर्न इंडिया को कुछ शर्तों के साथ पहले से उत्पादन कर रहे क्षेत्रों में तेल एवं गैस उत्खनन की मंजूरी दे दी।इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय जो इस प्रस्ताव को एक साल से दबाए बैठा था, ने हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय को इस सप्ताह लिखा कि पहले से उत्पादन कर रहे तेल एवं गैस क्षेत्र में उत्खनन की इजाजत देने का फैसला किया गया है।मोइली ने पिछले साल अक्टूबर में पेट्रोलियम मंत्रालय का कार्य-भार संभालने के बाद तेल एवं गैस उत्खनन क्षेत्र में यह निर्णय लिया है। इन कंपनियों को उत्पादन कर रहे तेल एवं गैस क्षेत्र में तेल कूपों के उत्खनन की मंजूरी इस शर्त पर दी गई है कि उन्हें लागत वसूली की इजाजत तभी मिलेगी जब ऐसे कूपों का वाणिज्यिक उपयोग हो सकेगा।इसका मतलब यह है कि ऐसे किसी भी तेल कूप की खुदाई लागत को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि यहां पेट्रोलियम भंडार नहीं मिलता या फिर उक्त तेलकूप से स्वतंत्र रूप से उत्पादन नहीं किया जाता है।
अब यह देखें!रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बार फिर बाजार को चौंकाते हुए चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टू-दिसं.) उम्मीद से बेहतर नतीजों की घोषणा की है। सकल रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल मार्जिन में सुधार के बल पर रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का शुद्घ मुनाफा पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 5502 करोड़ रुपये रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी को 4440 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। यह लगातार तीसरी तिमाही है जब कंपनी का शुद्घ मुनाफा बढ़ा है। तिमाही नतीजे जारी करने से पहले कंपनी का शेयर बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 1 फीसदी चढ़कर 895.95 रुपये पर बंद हुआ।साथ ही कंपनी का जीडीआर 6 फीसदी चढ़कर 34.69 डॉलर पर पहुंच गया।
बाजार विश्लेषकों के का हवाला देते हुए ईटी नाउ ने कहा हे कि डीजल कीमतें विनियंत्रित हो जाने से जिन्हें सबसे ज्यादा फायदा हुआ उनमे रिलायंस अग्रणी है।डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संकेतों की वजह से बाजार ने दम दिखाया। कारोबार के दौरान निफ्टी 2 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। हालांकि, बाद में बाजार पर मुनाफावसूली हावी हुई।सेंसेक्स 75 अंक चढ़कर 20039 और निफ्टी 25 अंक चढ़कर 6064 पर बंद हुए। छोटे और मझौले शेयरों पर मुनाफावसूली का दबाव दिखा। निफ्टी मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप 0.25-0.5 फीसदी गिरे।डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से ऑयल एंड गैस शेयर 3 फीसदी उछले। सरकारी कंपनियों के शेयरों में भी करीब 3 फीसदी की तेजी आई। रियल्टी शेयर करीब 1 फीसदी चढ़े। कैपिटल गुड्स और बैंक शेयरों में हल्की मजबूती आई।बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स शुक्रवार को दो साल में पहली बार 20,000 अंक के स्तर से ऊपर बंद हुआ। डीजल कीमतों को नियंत्रणमुक्त किए जाने के सरकार के सुधारात्मक कदम से रिफाइनरी कंपनियों के शेयरों की भारी मांग रही। इसके अलावा कंपनियों के बेहतर नतीजों से भी बाजार धारणा को बल मिला।
आरआईएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, 'पेट्रोकेमिकल्स के मार्जिन में सुधार और रिफाइनिंग कारोबार की रिकॉर्ड आय के दम पर कंपनी का मुनाफा बढ़ा है।' अंबानी ने कहा, 'हम पेट्रोकेमिकल कारोबार की क्षमता बढ़ाने पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर रहे हैं। परियोजना की क्षमता बढऩे और इस निवेश से आरआईएल की आय में भी इजाफा होगा। साथ ही इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और देश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।'
पिछले साल की समान तिमाही 6.8 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन समीक्षाधीन तिमाही में बढ़कर 9.6 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। हालांकि रिलायंस का सकल रिफाइनिंग मार्जिन एस्सार ऑयल के 9.75 डॉलर प्रति बैरल से अब भी कम है।एसएमसी कैपिटल्स के इक्विटी प्रमुख जगन्नाथ थुनुंगुंटला ने कहा, 'लंबे समय बाद आरआईएल ने बेहतर नतीजों से बाजार को चौंकाया है। इससे आने वाले समय में कंपनी के शेयर में तेजी आ सकती है।'
निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने गुजरात स्थित विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के 40 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को गैर-अधिसूचित करने के लिए आवेदन किया है।जिसे सरकार ने हाथोंहाथ मंजूर कर लिया। केंद्र और गुजरात सरकार दोनों में रिलायंस की गहरी पैठ का यह नमूना है। कोई अकारण अंबानी भाइयों ने वाइब्रेंट गुजरात के मंच से नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी का दर्जा तो नहीं दिया! कंपनी ने इस क्षेत्र में घरेलू बाजार की जरुरतों को पूरा करने के लिए 45,000 करोड़ रुपए की योजना बनाई है।रिलायंस का बहुउत्पादीय सेज 1,764.14 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। कंपनी इसमें से 728.43 हेक्टेयर क्षेत्र की अधिसूचना रद्द कराना चाहती है। इसके बाद 1,035.72 हेक्टेयर भूमि बहु उत्पाद सेज के लिए रह जाएगी।सूत्रों का कहना है कि गैर-अधिसूचित क्षेत्र में कंपनी 45,000 करोड़ रुपए का निवेश करना चाहती है। इस नई परियोजना से घरेलू बाजार की जरुरतों को पूरा किया जाएगा। वाणिज्य सचिव एसआर राव की अध्यक्षता वाले अंतरमंत्रालयी मंजूरी बोर्ड की 18 जनवरी को होने वाली बैठक में रिलायंस के प्रस्ताव पर विचार किया जाना था।जाहिर है कि फैसला रिलायंस के हक में ही हुआ!
रिलायंस के जामनगर स्थित सेज में दैनिक 5,80,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन क्षमता की रिफाइनरी है। इस रिफाइनरी में बनने वाले पेट्रोलियम उत्पादों का वेनेजुएला, मैक्सिको के अलावा अमेरिका और यूरोप को निर्यात किया जाता है। इसके साथ ही 3.30,000 करोड़ टन क्षमता की पुरानी रिफाइनरी है जिसके उत्पाद घरेलू बाजार में बेचे जाते हैं।विकास आयुक्त ने अपनी सिफारिश में कहा कि विशुद्ध रूप से निर्यात संचालन वाले इस क्षेत्र को गैर-अधिसूचित किए जाने की अनुमति इस शर्त के साथ दी जा सकती है कि कंपनी क्षेत्र में अब तक मिले सभी तरह के कर लाभ के रिफंड को तैयार हो।
वित्त वर्ष 2013 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज की बिक्री 10.3 फीसदी बढ़कर 93886 करोड़ रुपये रही है। पिछले साल की तीसरी तिमाही में कंपनी की बिक्री 85135 करोड़ रुपये रही थी। वित्त वर्ष 2013 की जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी की बिक्री 90335 करोड़ रुपये रही थी।
वित्त वर्ष 2013 की तीसरी तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का जीआरएम 9.6 डॉलर प्रति बैरल रहा है। पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में जीआरएम 6.8 डॉलर प्रति बैरल रहा था। वित्त वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही में कंपनी का जीआरएम 9.5 डॉलर प्रति बैरल रहा था।
तिमाही-दर-तिमाही आधार पर अक्टूबर-दिसंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज की अन्य आय 2112 करोड़ रुपये से घटकर 1740 करोड़ रुपये रही है। वहीं, कंपनी का निर्यात 16.6 फीसदी बढ़कर 66915 करोड़ रुपये रहा है।
तिमाही-दर-तिमाही आधार पर अक्टूबर-दिसंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज का एबिटडा 7705 करोड़ रुपये से बढ़कर 8373 करोड़ रुपये रहा है। कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 8.53 फीसदी से बढ़कर 8.9 फीसदी रहा है।
तिमाही-दर-तिमाही आधार पर अक्टूबर-दिसंबर में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेटकेम कारोबार का राजस्व 22058 करोड़ रुपये से घटकर 22053 करोड़ रुपये रहा है। कंपनी के रिफाइनिंग कारोबार का राजस्व 83878 करोड़ रुपये से बढ़कर 86641 करोड़ रुपये रहा है। कंपनी के ऑयल एंड गैस कारोबार का राजस्व 2254 करोड़ रुपये से घटकर 1921 करोड़ रुपये रहा है।
पिछली तिमाही के मुकाबले अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेटकेम कारोबार का एबिट मार्जिन 7.9 फीसदी से बढ़कर 8.8 फीसदी रहा है। कंपनी के रिफाइनिंग कारोबार का एबिट मार्जिन बिना किसी बदलाव के 4.2 फीसदी रहा है। कंपनी के ऑयल एंड गैस कारोबार का एबिट मार्जिन 38.4 फीसदी से घटकर 30.7 फीसदी रहा है।
31 दिसंबर 2012 को रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास 80962 करोड़ रुपये का नकद मौजूद है। वहीं, कंपनी पर 72266 करोड़ रुपये का कुल कर्ज है।
ट्रेडस्विफ्ट ब्रोकिंग के डायरेक्टर संदीप जैन का कहना है कि सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी आना स्वाभाविक है। साथ ही नतीजों के अलावा सरकार के फैसलों से भी रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर दौड़ लगाएगा।
हालांकि संदीप जैन के मुताबिक एस्सार ऑयल के मुकाबले रिलायंस इंडस्ट्रीज के नतीजे ज्यादा अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं। 1 साल में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 1100 रुपये का स्तर छू सकता है। छोटी अवधि में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 3-4 फीसदी चढ़ सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 930-940 के स्तर पर रेसिस्टेंस आ सकता है। साल भर में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 20-25 फीसदी तक चढ़ेगा।
रिस्क कैपिटल एडवाइजर्स के डी डी शर्मा का कहना है कि तिमाही दर तिमाही आधार पर रिफाइनिंग मार्जिन में आई बढ़त से मुनाफे में बढ़ोतरी देखने को मिली है। सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में अच्छी बढ़त देखने को मिल सकती है। दरअसल कंपनी को प्रमुख कारोबार से हुई ज्यादा आय को बाजार पसंद करेगा।
डी डी शर्मा के मुताबिक अच्छे नतीजों और ऑयल एंड गैस सेक्टर की री-रेटिंग होने की खबरों को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयरों के बायबैक को आगे बढ़ाना मुश्किल है। हालांकि सरकार ने ऑयल और गैस सेक्टर के लिए आगे भी अच्छे कदम उठाए तो रिलायंस इंडस्ट्रीज में 900 रुपये के आसपास खरीदारी का मौका होगा। छोटी अवधि में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 3-5 फीसदी चढ़ सकता है।
इंडिया इंफोलाइन के ऑयल एंड गैस सेक्टर के एक्सपर्ट प्रयेश जैन का कहना है कि रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल में देखने को मिले अच्छे प्रदर्शन से शेयर में उछाल जरूर देखने को मिलेगा। अच्छे नतीजों के बाद अब सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 3-4 फीसदी चढ़ सकता है।
प्रयेश जैन के मुताबिक एस्सार ऑयल और रिलायंस इंडस्ट्रीज के अच्छे नतीजों के बाद सरकार के उठाए गए कदमों के चलते ऑयल एंड गैस सेक्टर को री-रेटिंग करने का समय आ गया है। साथ ही केजी-डी6 में उत्पादन बढ़ने से रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों की री-रेटिंग की जा सकती है।
एसपीतुल्स्यान डॉट कॉम के एस पी तुल्स्यान का कहना है कि बेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के नतीजे अनुमान से बेहतर रहे हैं। अच्छे नतीजों के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 930-940 रुपये तक जा सकता है, लेकिन शेयर 1,000 रुपये के पार जाना मुश्किल है। सरकार की तरफ से जब तक गैस प्राइसिंग को लेकर कोई तस्वीर साफ नहीं की जाती तब तक रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 1,000 रुपये के ऊपर जाना मुश्किल है।
डीजल मूल्य वृद्धि से रेलवे पर 2700 करोड़ रु का अतिरिक्त बोझ
डीजल की नई मूल्य नीति से रेलवे को प्रति लीटर ईंधर पर पौने ग्यारह रुपए से अधिक खर्च करने पड़ेंगे और परिवहन क्षेत्र के इस सबसे बड़े संगठन पर सालाना करीब 2700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा,'हमें अब 10.80 रुपए प्रति लीटर और भुगतान करना पड़ेगा क्योंकि डीजल का थोक मूल्य बढ़ गया है। इस मूल्य वृद्धि के चलते ईंधन का बिल प्रतिवर्ष करीब 2700 करोड़ रुपए अधिक आएगा।'
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कपंनियों को थोक क्रेताओं के लिए डीजल के मूल्य खुद तय करने की अनुमति कल दे दी ताकि सब्सिडी बिल और बजट घाटे में कमी लाई जा सके। तेल कंपनियों ने दरें बढ़ाते हुए दोहरी मूल्य निर्धारण पद्धति की घोषणा की है।
जहां खुदरा उपभोक्ताओं को प्रति लीटर 50 पैसे का भुगतान और करना होगा, वहीं थोक ग्राहकों के लिए यह मूल्यवृद्धि 10 रुपए प्रति लीटर की है।
रेलवे ने बीते वित्त वर्ष में करीब 10,000 करोड़ रुपए ईंधन बिल का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि डीजल मूल्य में वृद्धि ऐसे समय में की गई है जब रेलवे को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे जहां यात्री किराया और माल भाड़े से आय के जरिए लक्ष्य पूरा करने में नाकाम रही है, वहीं इस साल वाषिर्क योजना आबंटन 60,000 करोड़ रुपए से घटाकर 51,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
रिलायन्स इण्डस्ट्रीज
http://hi.wikipedia.org/s/dyw
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रिलायंस इंडस्ट्रीज (एनएसई: रिलायंस) लिमिटेड भारत का सबसे बड़ा (बाजार मूल्य से) निजी क्षेत्र में अमेरिका की एक वार्षिक कारोबार के साथ संगठन, 35.9 अरब डॉलर और अमेरिका का लाभ 4.85 अरब डॉलर का वित्तीय मार्च 2008 में समाप्त होने का यह एक साल के लिए कर रही है भारत के निजी क्षेत्र फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनियां, 206 (2008) की स्थिति में स्थान पर रहीं. यह भारतीय उद्योगपति धीरूभाई अंबानी द्वारा 1966 में स्थापित किया गया था जा रहा है. अंबानी वित्तीय साधनों शुरू करने में अग्रणी रहा है भारतीय शेयर बाजारों को पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचरों की तरह. अंबानी पहले उद्यमियों में से एक को शेयर बाजारों में खुदरा निवेशकों को आकर्षित किया गया. आलोचकों का कहना है कि बाजार पूंजीकरण के लिहाज से रिलायंस इंडस्ट्रीज के सर्वोच्च स्थान को जन्म मोटे तौर पर धीरूभाई के लिए अपने लाभ के लिए एक नियंत्रित अर्थव्यवस्था की levers में हेरफेर करने की क्षमता की वजह से है. हालांकि कंपनी के तेल से संबंधित कार्य अपने व्यापार का मुख्य रूप है, इसे हाल के वर्षों में अपने कार्य विविध है. सितम्बर 2008 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज केवल भारतीय "दुनिया की 100 सबसे सम्मानित कंपनियों की है फोर्ब्स की सूची में विशेष रुप से प्रदर्शित फर्म थी."
अनुक्रम[छुपाएँ] |
[संपादित करें]क्रेडिट रेटिंग[1]
क्रिसिल | लंबी अवधी का ऋण | AAA |
फिच | लंबी अवधी का ऋण | Ind AAA |
क्रिसिल | छोटी अवधी का ऋण | P1+ |
क्रिसिल | कार्यचालनलंबी पूंजी का ऋण | AAA |
मूडीज़ | अंतर्राष्ट्रीय ऋण | Baa2 |
स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर | अंतर्राष्ट्रीय ऋण | BBB |
फिच | अंतर्राष्ट्रीय ऋण | BBB- |
[संपादित करें]शेयर
हर 4 निवेशकों से भारत में कंपनी की वेबसाइट "1 के अनुसार * एक रिलायंस शेयरधारक है." . रिलायंस से अधिक 3 मिलियन शेयरधारकों है, दुनिया के सबसे व्यापक रूप से आयोजित की स्टॉक में से एक बना. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जनवरी 2006 में विभाजन के बाद निरंतर बढ़ती रही है.[संपादित करें]शेयर होल्डिंग[2]
३० सितंबर २०१२ कोशेयर धारक | शेयर संख्या | % |
प्रमोटर व प्रमोटर समूह | १,४६,३९,२३,३८३ | ४५.२४% |
संस्थान | ९२,३८,६३,४८९ | २८.५५% |
गैर संस्थान | ७३,७१,३५,६८६ | २२.७८% |
अन्य | ११,०७,५०,१६६ | ३.४२% |
कुल | ३,२३,५६,७२,७२४ | १००.००% |
[संपादित करें]उत्पाद
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (विमल के ब्रांड नाम के तहत) पेट्रोलियम उत्पादों, पेट्रोरसायन, से उत्पादों के कपड़ों के लिए एक व्यापक रेंज है, रिलायंस खुदरा रिलायंस ताजा के रूप में ताजा खाद्य पदार्थ बाजार में प्रवेश कर गया है और एक नई श्रृंखला शुरू की डिलाईट रिलायंस खुदरा और नोवा केमिकल्स बुलाया के लिए ऊर्जा कुशल बनाने के इरादे संरचनाओं के एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. कंपनी के मुख्य व्यवसाय पेट्रोलियम शोधन और पेट्रो रसायन है. यह जामनगर में एक 33 मिलियन गुजरात के भारतीय राज्य में टन रिफाइनरी संचालित. रिलायंस को भी एक ही साइट है जो दिसंबर 2008 में काम करना शुरू कर में 29 लाख टन की एक दूसरी रिफाइनरी पूरा कर लिया है. कंपनी तेल और गैस की खोज और उत्पादन में शामिल है. 2002 में, यह एक प्रमुख मारा में भारत के पूर्वी तट पर मिल कृष्णा गोदावरी बेसिन. इस 2 अप्रैल 2009 को शुरू किया गया मिल से गैस का उत्पादन. 2009-2010 के 3 तिमाही, के.जी. D6 से गैस के उत्पादन के अंत तक 60 एमएमएससीएमडी को ramped.[संपादित करें]बोर्ड ऑफ डायरेक्टर[3]
- श्री मुकेश धीरुभाई अंबानी - अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक
- श्री निखिल रसिकलाल मेसवानी - कार्यकारी निदेशक
- श्री हीतल आर मेसवानी - कार्यकारी निदेशक
- श्री पी एम एस प्रसाद - कार्यकारी निदेशक
- श्री पी के कपिल - कार्यकारी निदेशक
- श्री रमणिकलाल हीराचंद अंबानी - अकार्यकारी व अस्वतंत्र निदेशक
- श्री मानसिंह एल भकत - स्वतंत्र निदेशक
- श्री योजेन्द्र पी त्रिवेदी - स्वतंत्र निदेशक
- डॉ डी व्ही कपूर - स्वतंत्र निदेशक
- श्री एम पी मोदी - स्वतंत्र निदेशक
- प्रो अशोक मिश्रा - स्वतंत्र निदेशक
- प्रो दीपक सी जैन - स्वतंत्र निदेशक
- डॉ रघुनाथ अनंत मशेलकर - स्वतंत्र निदेशक
[संपादित करें]सहायक
प्रमुख सहायक एंड एसोसिएट्स- रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड ( Reliance Petroleum Limited ) रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की सहायक कंपनी है और उभरते अवसरों का दोहन, शोधन क्षेत्र में दुनिया भर में मूल्य बनाने बनाया गया था.
- रिलायंस लाइफ साइंसेस ( Reliance Life Sciences ) रिलायंस समूह की कंपनियों, भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र की कंपनियों के एक विविध और एकीकृत जैव प्रौद्योगिकी पहल है.
- रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ( Reliance Industrial Infrastructure Limited ), एक कंपनी रिलायंस समूह, मुख्य गठन और औद्योगिक बुनियादी ढांचे के आपरेशन, पट्टे पर कंप्यूटर और डाटा प्रोसेसिंग के सॉफ्टवेयर के साथ और आपूर्ति शामिल करने में लगी हुई है.
- रिलायंस जीवन विज्ञान संस्थान (Rils), धीरूभाई अंबानी फाउंडेशन द्वारा स्थापित, जीवन विज्ञान और संबंधित प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा का एक संस्थान है. मुख्य रूप से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों के समाधान और जीवन की गुणवत्ता में परिवर्तन के बारे में लाते हैं.
- रिलायंस रसद (पी) लिमिटेड ( Reliance Logistics ), रिलायंस समूह की एक कंपनी, एक भी अपने सभी परिवहन, वितरण, भंडारण, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के लिए खिड़की के समाधान प्रदाता है की जरूरत है.
- रिलायंस नैदानिक अनुसंधान सेवा ( Reliance Clinical Research Services ), एक रिलायंस समूह की कंपनी, एक अनुबंध अनुसंधान संगठन (CRO) और उसके रिलायंस लाइफ साइंसेज, जो दुनिया नैदानिक अनुसंधान, फार्मास्यूटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों और चिकित्सा के लिए वर्ग सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है उपकरण.
- रिलायंस लाइफ साइंसेस ( Relicord ) पहल, गर्भनाल रक्त बैंकिंग सेवाओं की पेशकश रिलायंस समूह, भारत का सबसे बड़ा व्यापार सभा द्वारा समर्थित है.
[संपादित करें]रिलायंस के तेल और गैस मिल
२००२ में, रिलायंस को विशाखापट्नम के पास आंध्र प्रदेश के समुद्र तट से दूर कृष्णा गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस मिली। यह प्राकृतिक गैस की वित्तीय वर्ष २००२-०३में दुनिया में सबसे बड़ी खोज थी। २ अप्रैल २००९ को रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन के ब्लॉक ६ से प्राकृतिक गैस का उत्पादन शुरु किया। गैस आरक्षित 7 trillion आकार में घन फीट है. 1.2 अरब बैरल ([से 165 लाख टन) के बराबर [कच्चे तेल]] है, लेकिन केवल 5 खरब घन फुट extractable हैं।[संपादित करें]रिलायंस खुदरा
रिलायंस खुदरा रिलायंस व्यवसाय के खुदरा कारोबार शाखा है. रिलायंस ताजा, रिलायंस पदचिह्न, रिलायंस टाइम आउट, रिलायंस डिजिटल, रिलायंस वेलनेस, रिलायंस Trendz, रिलायंस Autozone, रिलायंस सुपर, रिलायंस मार्ट, रिलायंस iStore, रिलायंस होम रसोई में, और रिलायंस गहने की तरह कई ब्रांडों [रिलायंस खुदरा ब्रांड के तहत आते हैं.[संपादित करें]पर्यावरण रिकॉर्ड
रिलायंस उद्योग के सबसे बड़े पॉलिएस्टर निर्माता दुनिया है और पॉलिएस्टर कचरे के सबसे बड़े निर्माताओं के परिणामस्वरूप दुनिया में एक के रूप में. आदेश में बर्बाद वे एक तरह से बर्बाद रीसायकल बना था की इस बड़ी राशि से निपटने के लिए. वे सबसे बड़े पॉलिएस्टर रिसाइकिलिंग है कि केंद्र के रूप में पॉलिएस्टर कचरे का उपयोग करता है काम एक भरने और भराई. वे इस प्रक्रिया का प्रयोग कर एक मजबूत रिसाइकिलिंग प्रक्रिया 'जो उन्हें टीम उत्कृष्टता प्रतियोगिता' में एक पुरस्कार जीता विकसित करना. रिलायंस इंडस्ट्रीज 2006 में नई दिल्ली में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पर एक सम्मेलन का समर्थन किया. सम्मेलन में एशिया प्रशांत क्षेत्र के पर्यावरण और वन, सरकार के मंत्रालय के साथ साझेदारी में न्यायविद् एसोसिएशन द्वारा चलाए जा रहा था. भारत की और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड. सम्मेलन में मदद नए विचारों और इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर लेख के बारे में लाना था. महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का पालन उद्योग के लिए आमंत्रित किया सम्मेलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए और एक प्रायोजक के रूप में समर्थन करते हैं. सम्मेलन का रास्ता क्षेत्र में पर्यावरण चिंता को बढ़ावा देने के रूप में कारगर साबित हुआ.[संपादित करें]पुरस्कार और मान्यता
- इंटरनेशनल 23 वार्षिक है हार्ट विश्व शोधन और ईंधन सम्मेलन में 2005 में वर्ष का निर्मल
[संपादित करें]पुरस्कार प्रबंधकों के लिए
- मुकेश डी. अंबानी 'के लिए ग्लोबल विजन यूनाइटेड स्टेट्स इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) प्राप्त नेतृत्व पुरस्कार' जुलाई 2007 में 2007 वॉशिंगटन में.
- एशिया सोसायटी, वॉशिंगटन, अमरीका, मई 2004 के एशिया सोसाइटी लीडरशिप पुरस्कार से सम्मानित किया * मुकेश डी. अंबानी था.
- मुकेश डी. अंबानी एशिया फॉर्च्यून पत्रिका, अगस्त, 2004 के द्वारा प्रकाशित व्यापार में बेहद प्रभावशाली लोगों की सूची में 25 पावर में 13 वें स्थान पर रहीं.
- मुकेश डी. अंबानी है नेता इकॉनॉमिक टाइम्स बिजनेस वर्ष के.
[संपादित करें]वित्तीय परिणाम[4]
(रु करोड़)वित्तिय वर्ष | २०११-१२ | २०१०-११ | २००९-१० | २००८-०९ | २००७-०८ | २००६-०७ |
संचालन से आय | ३,३९,७९२ | २,५८,६५१ | २,००,४०० | १,४६,३२८ | १,३९,२६९ | १,१८,३५४ |
कुल आय | ३,४५,९८४ | २,६१,७०३ | २,०२,८६० | १,४८,३८८ | १,४४,८९८ | १,१८,८३२ |
शुद्ध लाभ | २०,०४० | २०,२८६ | १६,२३६ | १५,३०९ | १९,४५८ | ११,९४३ |
नेट वर्थ | १,६६,०९६ | १,५१,५४० | १,३७,१७१ | १२६,३७३ | ८१,४४९ | ६३,९६७ |
प्रति शेयर आय | ६१.२ | ६२.० | ४९.७ | ४९.७ | १०५.३ | ८२.२ |
वित्तिय वर्ष २००९-१० में १:१ अनुपात में बोनस शेयर आवंटित किये गए।
[संपादित करें]पता[5]
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेडमेकर्स चेंबर्स -५
नरीमन पॉइन्ट
मुम्बई ४०० ०२१
भारत
दूरभाष +९१-२२-२२७८-५०००
[संपादित करें]सन्दर्भ
- ↑ http://www.ril.com/html/investor/credit_rating.html
- ↑ http://www.nseindia.com/corporates/corporateHome.html?id=spatterns&radio_btn=company¶m=RELIANCE
- ↑ http://www.ril.com/html/aboutus/board_composition.html
- ↑ http://www.ril.com/html/investor/10_yearshighlight.html
- ↑ http://www.ril.com/html/contact/contactus.html
[छुपाएँ]
देखें • चर्चा • बदलें भारत की बीएसई सेंसेक्स कंपनियाँ
बजाज ऑटो · एयरटेल · भेल · सिप्ला · कोल इण्डिया लिमिटेड · डीएलएफ · गेल · एचडीएफसी · एचडीएफसी बैंक · हीरो मोटो कॉर्प · हिंडाल्को · एचयूएल · आईसीआईसीआई बैंक · इंफोसिस ·आईटीसी · जिंदल स्टील एवम पावर · एल एंड टी · मारुति · महिंद्रा एंड महिंद्रा · एनटीपीसी · ओएनजीसी · रिलायन्स इण्डस्ट्रीज · एसबीआई · स्टरलाइट इंडस्ट्रीज · सन फार्मास्युटिकल ·टाटा मोटर्स · टाटा पावर · टाटा इस्पात · टीसीएस · विप्रो
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भारतीय अर्थव्यवस्था - विकिपीडिया
- hi.wikipedia.org/wiki/भारतीय_अर्थव्यवस्था
- भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पन्द्रह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है औरभारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभरकर आया है।
तेल आयात खर्च अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बोझ ... - होम
- aajtak.intoday.in › ख़बरें › कारोबार
- ৯ জানুয়ারী, ২০১৩ – प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि तेल आयात पर होने वाला खर्चभारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बोझ है.
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बुरा दौर शुरू हो ...
- business.jagranjunction.com/.../indian-economic-slowdown-to-contin...
- ২৬ মে, ২০১২ – मुद्रा की कीमत कम होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को कई मोर्चों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. भारत में कच्चे तेल की मांग का अस्सी प्रतिशत मांग आयात पर निर्भर है और तेल का अंतरराष्ट्रीय व्यापार डॉलर में होता है. जब बाजार में तेल ...
भारत का व्यापार पोर्टल : भारतीय अर्थव्यवस्था
- business.gov.in/hindi/indian_economy/index.php
- भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समानता के आधार पर दुनिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह विशाल जन शक्ति आधार, विविध प्राकृतिक संसाधनों और सशक्त बृहत अर्थव्यवस्था के मूलभूत तत्वों के कारण व्यवसाय और निवेश के अवसरों के सबसे ...
Indian Economy : भारतीय अर्थव्यवस्था एक नजर
- www.himarticles.com › ... › Ring Tones › Guest Book › AboutMe
- ১৫ জুলাই, ২০১২ – पिछले कुछ सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था (indian economy) में काफ़ी तेज़ी आई है । बढ़ती विकास दर के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े कई सकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं..
तेल आयात खर्च अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बोझ: पीएम ...
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- ১০ জানুয়ারী, ২০১৩ – नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि तेल आयात पर होने वाला खर्च भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बोझ है। नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 के लांच समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में ...
तेल – आधारित अर्थव्यवस्था का विकल्प सोचना ही ...
- www.pnews.in/तेल-आधारित-अर्थव्यवस्था/
- ৪ অক্টোবর, ২০১২ – अब यह कहना कि भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्णतः कच्चे तेल पर आधारित हो चुकी है बिलकुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगा ! मशीनीकरण के इस आधुनिक युग में लगभग सभी उत्पादन – क्षेत्र ऊर्जा – आधारित है ! भारत में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत ...
भारतीय अर्थव्यवस्था का डीजलीकरण - Guest column ...
- www.livehindustan.com/news/.../article1-story-57-62-262423.html
- भारतीय अर्थव्यवस्था का डीजलीकरण. नरेंद्र तनेजा, सीईओ, वर्ल्ड ऑयल ऐंड गैस असेंबली. First Published:14-09-12 08:01 PM. Tweet. ई-मेल Image Loading प्रिंट टिप्पणियॉ: (0) अ+ अ-. हमारा देश अपनी जरूरत का 82 से 84 फीसदी कच्च तेल आयात करता है। ऐसे में, जाहिर है कि ...
'तेल, मुद्रास्फीति में तेजी से भारतीय ...
- www.jansatta.com/index.php/.../12255-2012-02-22-04-56-51
- ২২ ফেব্রুয়ারী, ২০১২ – मुंबई 22 फरवरी (एजेंसी) कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, मुद्रास्फीति, आर्थिक मंदी और अपर्याप्त ऋण उपलब्धता से भारत की अर्थव्यवस्था को खतरा है। बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच द्वारा मुख्य वित्तीय अधिकारियों के बीच कराए गए एक ...
हाशिया: भारतीय अर्थव्यवस्था: डगमगाते घोड़े की ...
- hashiya.blogspot.com/2012/07/blog-post_03.html
- ৩ জুলাই, ২০১২ – भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा दशा पर कोबाद गांधी द्वारा लिखे जा रहे चार लेखों में से यह पहला है. गांधी ... उन्होंने दो किताबें लिखी हैं: भारतीय अर्थव्यवस्था पर (वैश्वीकरण,भारत की संप्रभुता पर हमला, 2004) और दूसरी विश्व अर्थव्यवस्था पर (कैपिटलिज्म इन कोमा, 2009). ..... तो रोक दो तेल के पम्प ...
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