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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, October 13, 2015

I always respected Mandakranta and she becomes first in Bengal to return award.I love you Manda!Our Girl takes the initiative! Inline image 1 অসহিষ্ণুতার বিরুদ্ধে সামিল বাংলাও, সাহিত্য আকাদেমি পুরস্কার ফিরিয়ে দিচ্ছেন লেখিকা মন্দাক্রান্তা সেন আমরা রকেটে আছি আমরা জাপানে আছি আমরা মিছিলে আছি চ্যানলে প্যানেলে সবজান্তা আমরাই আমরা সরকার উল্টে দি আমরা ক্ষমতার মুখে থুথু মাখি আমরা শাসকের রক্তচক্ষুকে ভয় পাই না,তাই বিবৃতিতে আছি আমরা মীডিয়ার শিরোনামে আছি আমরা চিরকাল বিদ্রোহী বিপ্লবী আমরা গোলকায়নে,আমরা গৌরিক বাহিনী,গৌরিক আমরা আমরা রবীন্দ্র সঙ্গীতে আছি নয়ন অশ্রুসজল অশ্রু দেব না না জল দেব ভাবিয়া আকুল উলঙ্গ রাজকাহিনীতে আছি প্রশ্নচিন্হে নেই একুলেও আছি ওকুলেও আছি জনগণের দনক জননী আমরাই গাছেরও খাই কুড়িযেও পাই উপরিও আছে ইনামও আছে সম্মান ঝূুড়ি ঝুড়ি যা পাই তা অমনিই দেব ক্যানে চির উন্নত মম শির নেহারি নত শির হিমাদ্রির আমরা জিরাফেও আছি পুরস্কার ফেরত চলছে ফেরত চলছে,চলবে প্রতিবাদ চলছে ফ্যাসিবাদের বিরুদ্ধে নবারুণের শবদাহের পর বাংলা বাঙালির লজ্জা আমরা উত্সবে আছি আমরা বাজারে আছি এবার নাট্যকর্মীরাও বিরোধিতায় সরব

I always respected Mandakranta and she becomes first in Bengal to return award.I love you Manda!Our Girl takes the initiative!

অসহিষ্ণুতার বিরুদ্ধে সামিল বাংলাও, সাহিত্য আকাদেমি পুরস্কার ফিরিয়ে দিচ্ছেন লেখিকা মন্দাক্রান্তা সেন

আমরা রকেটে আছি 

আমরা জাপানে আছি

আমরা মিছিলে আছি

চ্যানলে প্যানেলে সবজান্তা আমরাই

আমরা সরকার উল্টে দি

আমরা ক্ষমতার মুখে থুথু মাখি

আমরা শাসকের রক্তচক্ষুকে ভয় পাই না,তাই বিবৃতিতে আছি 

আমরা মীডিয়ার শিরোনামে আছি
 
আমরা চিরকাল বিদ্রোহী বিপ্লবী
আমরা গোলকায়নে,আমরা গৌরিক বাহিনী,গৌরিক আমরা

আমরা রবীন্দ্র সঙ্গীতে আছি
নয়ন অশ্রুসজল
অশ্রু দেব না
না জল দেব 
ভাবিয়া আকুল

উলঙ্গ রাজকাহিনীতে আছি
প্রশ্নচিন্হে নেই

একুলেও আছি
ওকুলেও আছি

জনগণের দনক জননী আমরাই

গাছেরও খাই
কুড়িযেও পাই
উপরিও আছে

ইনামও আছে
সম্মান ঝূুড়ি ঝুড়ি
যা পাই তা 
অমনিই দেব ক্যানে

 চির উন্নত মম শির 
নেহারি নত শির হিমাদ্রির 

আমরা জিরাফেও আছি 

পুরস্কার ফেরত চলছে 
 ফেরত চলছে,চলবে

 প্রতিবাদ চলছে ফ্যাসিবাদের বিরুদ্ধে 

নবারুণের শবদাহের পর
 বাংলা বাঙালির লজ্জা 

আমরা উত্সবে আছি
 আমরা বাজারে আছি

এবার নাট্যকর্মীরাও বিরোধিতায় সরব তবু বাংলা নিরুত্তাপ

পান্জাবের দশজন হয়ে গেলো
আমাদের কেউ নেই?
তা কি হয়?
ধন্যবাদ মন্দাক্রান্তা
আমাদের মুখ রাখার জন্য!

এই শারদোত্সবে ভালোবাসার নাম মন্দাক্রান্তা!
এই শারদে তিলোত্তমা মন্দাক্রান্তা 
আমাদের মুখ!


পলাশ বিশ্বাস
সংবাদে প্রকাশঃ

ওয়েব ডেস্ক: অসহিষ্ণুতার বিরুদ্ধে প্রতিবাদী লেখক-সাহিত্যিকদের মিছিলে এবার সামিল বাংলাও। সাহিত্য আকাদেমি পুরস্কার ফিরিয়ে দিচ্ছেন বিশিষ্ট লেখিকা মন্দাক্রান্তা সেন। আজই এই সিদ্ধান্ত আকাদেমির সচিবকে জানাবেন তিনি।

এই রক্তস্নাত কসাইখানা আমার দেশ না
এই মৃত্যু উপত্যকা আমার দেশ না।

কবির সঙ্গে কণ্ঠ মিলিয়ে বলতে হয়তো এমন কথাই আমরা বলতে চাই একা এবং কয়েকজন। কিন্তু এ কোন পথে চলেছি আমরা!
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কুসংস্কারের বিরুদ্ধে আন্দোলনের মাসুল গুণে  আততায়ীর বুলেটে প্রাণ হারান নরেন্দ্র দাভোলকার।
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মূর্তিপুজোর বিরোধিতা আর লিঙ্গায়েত সম্প্রদায়ের ইতিহাস নিয়ে তাঁর ব্যাখ্যা অনেকের পছন্দ হয়নি। তাই খুন হয়েছেন এম এম কালবুর্গি।
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দু-সপ্তাহ আগে উত্তরপ্রদেশের দাদরিতে গোমাংস খাওয়ার গুজব রটিয়ে  গণপিটুনিতে খুন হন মহম্মদ আখলাক।

প্রতিবাদের সূচনা  করেন  হিন্দি সাহিত্যিক উদয় প্রকাশ। সাহিত্য আকাদেমি পুরস্কার ফিরিয়ে দেন তিনি।  একই পথে হাঁটেন নয়নতারা সেহগলও।

 অসহিষ্ণুতার প্রতিবাদে ইতিমধ্যেই সাহিত্য অ্যাকাডেমি পুরস্কার ফিরিয়ে দিয়েছেন কুড়িজনেরও বেশি সাহিত্যিক।

সাহিত্য অ্যাকাডেমির পদ থেকে ইস্তফা দিয়েছেন বিদ্বজ্জনেরা।

এবার একই পথে হাঁটলেন বাংলার আকাদেমি পুরস্কারপ্রাপ্ত লেখিকা  মন্দাক্রান্তা সেন। তিনি চান, অসহিষ্ণুতার  প্রতিবাদে তাঁর এই প্রতীকী  প্রতিবাদ আরও ছড়িয়ে পড়ুক।

প্রতিবাদ চলছেই। কিন্তু  অসহিষ্ণুদের হুঁশ আদৌ ফিরবে কি?

दिल्ली की रंगमंच कलाकार माया कृष्ण राव ने भी दादरी में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने और देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अपना संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार आज लौटा दिया।

पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया।

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এখনো রবীন্দ্রনাথের ,নজরুলের,সুকান্তের ,নেতাজির বাংলায় ফ্যাসীবাদের বিরুদ্ধে সোচ্চার প্রতিবাদ নেই! লজ্জায় মুখ ঢেকে যায় পার্টীবদ্ধ সংস্কৃতির গৌরবে! Sahitya Akademi protest: Complete list of writers who returned their awards

এখনো রবীন্দ্রনাথের ,নজরুলের,সুকান্তের ,নেতাজির বাংলায় ফ্যাসীবাদের বিরুদ্ধে সোচ্চার প্রতিবাদ নেই! লজ্জায় মুখ ঢেকে যায় পার্টীবদ্ধ সংস্কৃতির গৌরবে!

Indian Express Reports: Punjab to Assam: Writer returns her Padma Shri, another his Akademi "To kill those who stand for truth and justice put us to shame in the eyes of the world and God. In protest, therefore, I return the Padma Shri award", said Tiwana.

सर कलम कर दो लब आजाद रहेंगे! हिटलर के राजकाज में भी संस्कृतिकर्मी प्रतिरोध के मोर्चे पर लामबंद थे

सर कलम कर दो लब आजाद रहेंगे! हिटलर के राजकाज में भी संस्कृतिकर्मी प्रतिरोध के मोर्चे पर लामबंद थे


नामवर सिंह ने पुरस्कार लौटाने का विरोध किया
हिंदी के प्रख्यात मार्क्‍सवादी आलोचक डॉक्टर नामवर सिंह का कहना है कि लेखकों को साहित्य अकादमी के पुरस्कार नहीं लौटाने चाहिए, बल्कि उन्हें सत्ता का विरोध करने के और तरीके अपनाने चाहिए, क्योंकि साहित्य अकादमी लेखकों की अपनी निर्वाचित संस्था है।

डॉक्टर सिंह ने देश के पच्चीस लेखकों द्वारा अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने पर कहा क़ि लेखक अख़बारों में सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह पुरस्कार लौटा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आ रहा कि लेखक क्यों पुरस्कार लौट रहे हैं। अगर उन्हें सत्ता से विरोध है तो साहित्य अकादमी पुरस्कार नहीं लौटाने चाहिए, क्योंकि अकादमी तो स्वायत संस्था है और इसका अध्यक्ष निर्वाचित होता है।

यह देश की अन्य अकादमियों से भिन्न है। आखिर लेखक इस तरह अपनी ही संस्था को क्यों निशाना बना रहे हैं। अगर उन्हें कलबुर्गी की हत्या का विरोध करना है तो उन्हें राष्ट्रपति, संस्कृति मंत्री या मानव संसाधन मंत्री से मिलकर सरकार पर दबाव बनाना चाहिये और उनके परिवार की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

कविता के नए प्रतिमान गढ़ने के लिए आज से चालीस साल पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के इस शीर्षस्थ लेखक का यह भी कहना है क़ि लेखकों को कुछ ठोस कार्य करना चाहिए न क़ि इस तरह के नकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

उनका यह भी कहना है कि इस मुद्दे पर अकादमी को लेखकों का एक सम्मेलन भी करना चाहिए, जिसमें इन सवालों पर खुल कर बात हो।


पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया।

जन विजय's photo.

Sahitya Akademi protest: Complete list of writers who returned their awards

प्रोफेसर चमनलाल ने भी लौटाया साहित्य अकादमी से मिला अनुवाद पुरस्कार‪#‎SahityaAkademiAward‬ ‪#‎profchamanlal‬

शहीद-ए-आज़म सरदार भगतसिंह पर अपने शोध कार्य के लिए विख्यात जवाहर लाल नेहरू…
Nabarun- I am sorry to say that while Indian creative writers and poets stand united rock solid in resistance of fascism and return awards, no one...

Thanks 

जन विजय
for all photos from his wall!

पंजाबी लेखक और अनुवादक चमनलाल ने भी अपना साहित्य अकादमी (2010) पुरस्कार लौटाया।

जन विजय's photo.

पंजाबी लेखक दर्शन भुट्टर ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार (2012) लौटाया।

जन विजय's photo.

पंजाबी लेखक बलदेव सिंह सड़कनामा ने साहित्य अकादमी पुरस्कार (2011) लौटाया।

जन विजय's photo.

पंजाब के प्रमुख नाटककार और नाट्य-निर्देशक अजमेर सिंह औलख ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया। औलख ने कहा कि प्रगतिशील लेखकों, तर्कवादी लेखकों पर हमले और शिक्षा एवं संस्कृति के जबरन भगवाकरण से वह बहुत आहत हैं। उन्होंने कहा कि वह देश में बनाए जा रहे साम्प्रदायिक माहौल से परेशान हैं और केंद्र सरकार धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक देश के प्रतिनिधि के तौर पर अपना कर्तव्य नहीं निभा रही है।

जन विजय's photo.

कश्मीरी लेखक गुलाम नबी ख़याल ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया।

जन विजय's photo.

कन्नड़ लेखक रहमत तरिकेड़े ने भी साहित्य अकादमी (2010) पुरस्कार लौटाया।

जन विजय's photo.

कन्नड़ लेखक और अनुवादक श्रीनाथ डी०एन० ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया।


गुजराती लेखक और प्रसिद्ध भाषाविद् गणेश देवी ने भी अपना पुरस्कार साहित्य अकादमी को लौटाया।

जन विजय's photo.

पिछले साल ही साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले पंजाबी कवि जसविन्दर ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया।

जन विजय's photo.

आज पंजाबी लेखिका दलीप कौर टिवाणा ने अपना पद्मश्री सम्मान लौटाया।

जन विजय's photo.

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार विजेता अमन सेठी ने अवॉर्ड लौटाया

साहित्यकारों की ओर से एक के बाद एक सरकारी सम्मान लौटाए जाने के बीच साहित्य अकादमी के 'युवा पुरस्कार' से सम्मानित लेखक अमन सेठी ने कहा कि वे अपना पुरस्कार लौटा रहे हैं, क्योंकि कन्नड़ लेखक एम० एम० कलबुर्गी की हत्या पर साहित्य अकादमी द्वारा 'सख्त रुख' न दिखा पाने पर वे 'स्तब्ध' हैं ।

सेठी ने एक ट्वीट में कहा जब साहित्यकारों को निशाना बनाया जा रहा हो, उस वक्त उनके प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने से हिचकिचा कर अकादमी अपनी वैधता बरकरार नहीं रख सकती । उन्होंने अपने ट्वीट में अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को ई-मेल किए गए अपने बयान का लिंक भी दिया है ।

जन विजय's photo.

फर्क तो पड़ता है . देश भर के विभिन्न भाषाओं के लेखकों के इस अभूतपूर्व प्रतिरोध के कारण ही आखिर अकादमी को आपात बैठक बुलाने का असाधारण फैसला करना पड़ा है . यह फैसला भारत के सांस्कृतिक पर्यावरण पर मंडला रहे असामान्य आपात संकट का पहला सांस्थानिक संज्ञान है .
जबकि प्रतिरोध और तेज करने की जरूरत है , जबकि हर रोज इसमें तेजी आती जा रही है , इसे बेअसर करने के लिए तर्कों -कुतर्कों की खोज भी पूरी शिद्दत से जारी है . यह सरकारी तर्क बारबार दुहराया जा रहा है कि 'पहले क्यों नहीं लौटाया'. गोया आज के हालात में ऐसी कोई ख़ास नयी बात ही न हो ! क्या पहले किसी संस्कृति मंत्री ने कहा था कि विरोधी लेखकों को लिखना छोड़ देना चाहिए ? यही तो लेखकों के हत्यारे भी कह रहे थे ! 
संस्कृति मंत्री कह रहे हैं कि सभी विरोधी लेखक वामपंथी हैं . इधर कुछ लोग कह रहे हैं कि उनमें कोई वामपंथी नहीं है .कि जो हैं , वे भी मन मारकर हैं !
याद रहे , आज हमला केवल वाम पर नहीं है . असहमति और अभिव्यक्ति के अधिकार मात्र पर है . यह एकजुट और एकाग्र रहने का समय है . इधर-उधर की बातों में फंसने का नहीं .


पीड़ा और मज़बूरी के कारण फिर से साझा कर रहा हूँ.......और क्या कहूँ ! आगे समय और भी भयानक होने वाले हैं .....कबतक खामोश रहेंगे ?

Nityanand Gayen's photo.
Delhi -based actor expressed her disappointment over the government's failure…

Hindi writer Uday Prakash was the first to return the prestigious award. Writer Nayantara Sahgal and poet Ashok Vajpeyi followed Prakash in protesting the murders of rationalists like MM Kalburgi, Govind Pansare and Narendra Dabholkar. They also came out against the shocking Dadri incident, in which a mob lynched a Muslim man in Greater Noida over rumours of eating and storing beef.
At least 16 litterateurs have returned the prestigious Akademi award, while four have resigned elite posts of the organisation.
Here is the list of litterateurs who returned their Sahitya Akademi Awards*
NoLitterateurLanguage
1Uday PrakashHindi writer
2Nayantara SahgalIndian English writer
3Ashok VajpeyiHindi poet
4Sarah JosephMalayalam novelist
5Ghulam Nabi KhayalKashmiri writer
6Rahman AbbasUrdu novelist
7Waryam SandhuPunjabi writer
8Gurbachan Singh BhullarPunjabi writer
9Ajmer Singh AulakhPunjabi writer
10Atamjit SinghPunjabi writer
11GN Ranganatha RaoKannada translator
12Mangalesh DabralHindi writer
13Rajesh JoshiHindi writer
14Ganesh DevyGujarati writer
15Srinath DNKannada translator
16Kumbar VeerabhadrappaKannada novelist
17Rahmat TarikereKannada writer
18Baldev Singh SadaknamaPunjabi novelist
19JaswinderPunjabi poet
20Darshan BattarPunjabi poet
21Surjit PatarPunjabi poet
22Chaman LalPunjabi translator
23Homen BorgohainAssamese journalist
*The list does not include six Kannada writers who returned the State literary award on 3 October. Theatre artist Maya Krishna Rao has also returned her Sangeet Natak Akademi award on 12 October, while Shiromani Lekhak award winner Megh Raj Mitter has also announced to return his award.
List of litterateurs who resigned from Sahitya Akademi posts
NoLitterateurLanguage
1Shashi DeshpandeKannada author
2K SatchidanandanMalayalam poet
3PK ParakkadvuMalayalam writer
4Aravind MalagattiKannada poet
Article Published: October 13, 2015 07:00 IST

https://youtu.be/I-ST7ysPnxc

अछूत रवींद्रनाथ का दलित विमर्श
Out caste Tagore Poetry is all about Universal Brotherhood which makes India the greatest ever Ocean which merges so many streams of Humanity!
आप हमारा गला भले काट दो,सर कलम कर दो लब आजाद रहेंगे! क्योंकि हिटलर के राजकाज में भी जर्मनी के संस्कृतिकर्मी भी प्रतिरोध के मोर्चे पर लामबंद सर कटवाने को तैयार थे।जो भी सर कटवाने को हमारे कारवां में शामिल होने को तैयार हैं,अपने मोर्चे पर उनका स्वागत है।स्वागत है।
प्रोफेसर चमनलाल ने भी लौटाया साहित्य अकादमी से मिला अनुवाद पुरस्कार #SahityaAkademiAward

प्रोफेसर चमनलाल ने भी लौटाया साहित्य अकादमी से मिला अनुवाद पुरस्कार #SahityaAkademiAward

असम के प्रख्यात साहित्यकार बोर्गोहैन भी लौटाएंगे साहित्य अकादेमी पुरस्कार #SahityaAkademiAward

असम के प्रख्यात साहित्यकार बोर्गोहैन भी लौटाएंगे साहित्य अकादेमी पुरस्कार #SahityaAkademiAward


Why do I quote Nabarun Bhattacharya so often?
এই মৃত্যু উপত্যকা আমার দেশ নয়!
এই মৃত্যু উপত্যকা আমার দেশ নয়!Nabarun Da declared it in seventies!

Bengal has no courage to raise voice against the fascist racist HIT LIST or the governance of Fascism,I am afraid to speak out.Rest of India follows Nabarunda in creativity as creativity is all about the acts activated to sustain humanity and nature.Reactionaries have taken over the world and Bengal remains the colony!

Palash Biswas


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