वो हमसफ़र था
वो हमसफ़र था,
मगर उससे हमनवाई न थी
तरक-ए-ताल्लुकात पे,
ना रोया तू न मैं,
वो हमसफ़र था, वो हमसफ़र था,
मगर उससे हमनवाई न थी
के धूप छाँव का आलम रहा,
जुदाई ना थी.....
अदावतें थीं, तग़ाफुल था, रंजिशें थीं,
बिछड़ने वाले में सब कुछ था,
बेवफ़ाई न थी....
बिछड़ने वाले की आँखों में थी,
हमारी ग़ज़ल,
ग़ज़ल वो के जैसे कभी किसी को सुनाई न थी....
वो हमसफ़र था
वो हमसफ़र था,
मगर उससे हमनवाई न थी
https://soundcloud.com/waleedt…/woh-humsafar-tha-with-extras
दिल थाम के सुनें
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