क्रान्तिदूत एवं स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद
वीर बिरसा मुण्डा की 141वीं जयंति पर नमन
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संक्षिप्त जीवन परिचय : वीर बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर, 1872 को खुट्टी के चकलेद गॉव में हुआ था। इनकी शिक्षा-दीक्षा मिहानरी विद्यालय में हुई थी। 1899 में इन्होंने उलगुलान आंदोलन छेड़ा, जिसे सामंतों और अंग्रेजों ने मिलकर दबा दिया और 3 फरवरी, 1900 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल में दाल लिया गया। अंतत: 5 जून 1900 को रांची के कारागार में ही उनकी हत्या कर दी गयी। जिसे हैजा के कारण हुई मृत्यु कहकर प्रचारित किया गया।
जनजातीय विद्रोह :
1-जनजातीय विद्रोह में सबसे संगठित एवं विस्तृत विद्रोह 1895 ई. से 1901 ई. के बीच मुण्डा विद्रोह था, जिसका नेतृत्व आदिवासी वीर बिरसा मुण्डा ने किया था।
2-वीर बिरसा मुण्डा का जन्म 1875 ई. में रांची के तमार थाना के अन्तर्गत चालकन्द गाँव में हुआ था। उसने अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की थी।
3-वीर बिरसा मुण्डा ने, मुण्डा विद्रोह नाम से प्रसिद्ध विद्रोह पारम्परिक मनुवादी सामंतशाही एकाधिकारवादी भू-व्यवस्था के खिलाफ आदिवासियों को जमींदारी हक प्रदान करने की व्यवस्था में परिवर्तन हेतु सामजिक-धार्मिक-राजनीतिक आन्दोलन का स्वरूप प्रदान किया।
4-वीर बिरसा मुण्डा को स्थानीय भाषा में उल्गुहान (महान विद्रोही) कहा गया है। जिन्होंने धर्म के नाम पर अन्ध विश्वास पैदा करने वाली मनुवादी व्यवस्था के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट किया और एकेश्वरवाद का संदेश दिया।
5-वीर बिरसा मुण्डा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया का सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया। इसलिए उन्होंने निजी जीवन में नैतिक आचरण की शुद्धता, आत्म-सुधार और एकेश्वरवाद का उपदेश दिया।
6-वीर बिरसा मुण्डा ने स्थानीय सामंतों के मार्फ़त संचालित ब्रिटिश सत्ता के अस्तित्व को अस्वीकारते हुए अपने अनुयायियों को सामंतों के मार्फ़त सरकार को लगान न देने का आदेश दिया।
7-नाइंसाफी से विरुद्ध संघर्षरत वीर बिरसा मुण्डा की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर, कुछ धोखेबाज आदिवासियों के सहयोग से सामंतों और अंग्रेजों ने उनको 1900 ई. गिरफ्तार कर, जेल में डाल दिया जहाँ। जहाँ हैजा की बीमारी से उनकी मृत्यु होना प्रचारित किया गया। जबकि हकीकत में मनुवादियों और अंग्रेजों ने सामूहिक षड्यंत्र रचकर बिरसा को जेल में मार डाला।
प्रतिज्ञा करें : आज 15.11.2015 को उनकी 141वीं जयंति है। इस अवसर पर हम सभी आदिवासी और वीर बिरसा के जीवन संघर्ष को जानने और मान्यता प्रदान करने वाले सभी भारतवासी क्रान्तिदूत आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और अमर शहीद वीर बिरसा मुंडा द्वारा अन्याय के खिलाफ किये गए संघर्ष को नमन करते हैं। और अमर शहीद वीर बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेते हुए हम अपनी-अपनी सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी मानते हुए सच्चे मन से स्वेच्छा प्रतिज्ञा करें कि :-
01-हम सभी आदिवासी किसी के अन्याय और भेदभाव को नहीं सहेंगे।
02-हम सभी आदिवासी एक दूसरे की पीड़ाओं को साझा करेंगे।
03-हम सभी आदिवासी संघर्ष करने के लिए हमेशा एकजुट रहेंगे।
04-हम सभी आदिवासी धोखेबाज आदिवासियों से सावधान रहेंगे।
05-हम सभी आदिवासी अन्यायपूर्ण मनुवादी गुलामी से मुक्त होंगे।
06-हम सभी आदिवासी अन्धविश्वास और कुरूतियों को तोड़ेंगे।
07-हम सभी आदिवासी आर्यों के विरूद्ध अनार्यों को एकजुट करेंगे।
08-हम सभी आदिवासी अपने मौलिक और संवैधानिक हकों की रक्षा करेंगे।
09-हम सभी आदिवासी प्रकृति नाशक विकास का विरोध करेंगे।
10-हम सभी आदिवासी सभी समान भागीदारी के लिए संघर्ष करेंगे।
11-हम सभी आदिवासी धर्मनिरपेक्षता का सम्मान और समर्थन करेंगे।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख
हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
संयोजक : प्रस्तावित वंचित/अनार्य महासंघ
WA/M. No. 9875066111/14.11.15/10.08
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--धन्यवाद जी।
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