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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, November 18, 2015

TaraChandra Tripathi भारत और जापान के शुद्धि मंत्र - तुलना करें


TaraChandra Tripathi


भारत और जापान के शुद्धि मंत्र - तुलना करें

मिसोगी हराई (शुद्धि के लिए जल छिड़कना) से संबंधित एक मत्र और उसका भावानुवाद
तकामहर नि कामी त्सुमारीमासु/
कमुरोगी कमुरोमी नो मिकोतो वो मोचिते/
सुमेमिओया कमु इजांगी नो मिकोतो/
त्सुकुशी नो हिमुका नो ताचिहाना नो ओदो नो/
अहागी हारा नि मिसोगी हराई तमाउ तोकि नि/
नारिमासेरु हराईदोनो ओओकामी ताची/
मोरोमोरो नो मगागोतो त्सुमि केगारे वो/
हराई तमाए कियोमे तमाई तो मोउसु कोतो नो योशि वो/
तमात्सु कामी कुनित्सु कामी याओयोरोजुनो कामिताचि तोमोमी /
अमेनो हुचिकोमा नो मिमि फुरितातेते किकोशिमेसे तो/
काशिकोमी काशिकोमि मो माओसु।
भावानुवाद
नित्य आकाश में विचरण करने वाली माता इजांगी नो मिकोतो के आदेश से मेरे मन में शुद्धि की प्रेरणा जाग उठी है। जब इजांगी नो मिकोतो सदाबहार वृक्षों से अनवरत आच्छादित दक्षिण दिशा के छोटे से कुंड में नहाते हैं, हम अपने अन्तस की गहराई से पूरी श्रद्धा से निवेदन करते हैं कि वे उसी तरह हमें सुने जैसे हमारी आत्मा हमारे भावों को सुनती है। वे धरती और आकाश की संपूर्णचेतना के साथ तेज कानों से हमारी विनती सुनें। हमारे दोष, दुर्घटनाओं और पापों को दूर कर हम सब को शुद्ध करें । मिरोकु आओमिकामी हमें वर दो, हमारी रक्षा करो। मेइशु शामा हमे आशीर्वाद दो हमारी रक्षा करो । हमारी आत्मा का विस्तार करो और अपने संकल्प पूर्ति करो।
तुलना करें :
वृषा पवस्व धारया मरुत्वतेच मत्सरः। विश्वाः दधान ओजसा,। सामवेद पवमान पर्व/ऋचा 3
( सुखों की वृष्टि करने वाला, आनन्ददाता और अपनी शक्ति से संपूर्ण विश्व को धारण करता हुआ परमेश्वर हमें पवित्र करे।)
सत्राच्या मघवान्त्सोमपीतये धिया शविष्ठ आ गमत्। उभयं शृणवच्च न इन्द्रो अर्वागिदं वचः। सामवेद, ऐन्द्र पर्व, 3/6/8
(ईश्वर शीघ्र हमारे इन दोनों- स्तुति और प्रार्थना रूप वचनों को सुने। शक्तिमान तथा समस्त धनों का स्वामी हमारे उत्तम पदार्थो की रक्षा के लिए सत्य ज्ञान कराने वाली बुद्धि से हमें प्राप्त होवे। )
सामवेद भाषाभाष्ये पूर्वाचिकः, पृ. 27 दयानन्द संस्थान, नयी दिल्ली
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