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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, November 28, 2015

प्यार करने पर दलित युवक को मिली दिल दहलाने वाली सजा !

प्यार करने पर दलित युवक 


को 


मिली दिल 


दहलाने वाली सजा !




 पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर शहर के निवासी बसंती लाल वाल्मीकि के 20 वर्षीय बेटे अजय कुमार वाल्मीकि की 27 नवम्बर की रात धारदार हथियार से चेहरा काट कर अत्यंत निर्मम हत्या कर दी गयी .हत्या जिस निर्दयी तरीके से की गयी ,शव को देख कर किसी का भी दिल दहल सकता है .

जानकारी के मुताबिक अजय अपने घर से रात की 8 बजे अपनी बाइक लेकर निकला और रात भर वापस नहीं लौटा .चिंतित परिजनों ने उसकी रात भर खोजबीन की ,मगर उसका पता नहीं चल पाया .सुबह करीब 8 बजे अजय कुमार का क्षत विक्षत शव हायरसेकण्ड्री स्कूल के ग्राउंड में पाया गया .अजय के पिता और भाई विशाल ने शव की पहचान अजय के रूप में की .लाश के पास ही अजय कि बाइक भी बरामद हुई .

अजय के चेहरे को बुरी तरह से काट दिया गया ,उसे चेहराविहीन कर दिया गया ताकि उसकी पहचान तक नहीं हो पाये .इस अमानवीय हत्याकांड की खबर जैसे ही इलाके के दलित समुदाय को लगी .आक्रोशित लोग सड़कों पर उतर आये तथा बाड़मेर शहर में उपद्रव फैल गया ,जिस पर काबू पाने के लिए पुलिस को दिन भर खासी मशक्कत करनी पड़ी . हालत इतने तनावपूर्ण रहे कि जिले के पुलिस कप्तान परीश देशमुख को दिन भर कोतवाली में डेरा डालना पड़ा और स्थितियों को खुद संभालना पड़ा .

जिले भर के दलित समुदाय के सक्रिय लोग जाति और राजनितिक पहचान से ऊपर उठ कर एकजुट हो गये और हत्यारों को पकडे जाने तक शव नहीं उठाने पर अड़ गए ,हालाँकि देर शाम तक अजय के शव का पोस्टमार्टम तो करवा दिया गया मगर शव लेने से परिजनों के इंकार के बाद अजय वाल्मीकि की लाश को बाड़मेर के मुख्य चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवा दिया गया .

दलित अत्याचार निवारण समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधान उदा राम मेघवाल के मुताबिक मृतक अजय के परिजनों द्वारा दर्ज करवाई गयी प्राथमिकी में एक स्वर्ण युवक नरेश कुमार पर एक माह पहले अजय को जान से मार देने की धमकी देने का आरोप लगाया गया है .मेघवाल का मानना है कि जिस तरह से शव का चेहरा विकृत किया गया है ,वह किसी गहरी घृणा का संकेत देता है. चेहरा पूरा काट करके कंकाल बना दिया गया ,ताकि वह पहचाना भी नहीं जा सके .

पुलिस अधीक्षक देशमुख का कहना है कि पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है और कुछ लोगों को संदेह के आधार पर पूछताछ के लिए पकड़ा गया है .पुलिस का भरसक प्रयास है कि जल्द से जल्द इस नृशंस हत्या कांड का पर्दाफाश हो जाये ,तब तक लोगों को संयम बरतना चाहिए ताकि पुलिस अपना काम कर सके .

मकतूल दलित युवा अजय कुमार वाल्मीकि के परिजनों का कहना है कि यह हत्या एक ऑनर किलिंग है ,यह एक स्वर्ण जाति की लड़की से जुड़ा हुआ मामला है .सूत्रों के मुताबिक अजय का एक स्वर्ण लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा था ,जिसके लिए उसे परिणाम भुगतने की चेतावनी भी मिल चुकी थी .लोगों का यह भी मानना है कि यह एक सुपारी मर्डर भी हो सकता है ,जिसमें किसी भी मार्शल कौम के अपराधी लोग निकल सकते है .पुलिस जाँच जारी है ,सम्भावना है कि दोषी कोई भी हो ,शीघ्र ही पकड़ में आ जायेंगे .

इस जघन्य हत्याकांड के विरुद्ध पश्चिमी राजस्थान के युवाओं में जबरदस्त रोष व्याप्त है और आक्रोश की यह आग राज्य भर में फैलने की आशंका जताई जा रही है ,मृतक अजय के पिता बसंती लाल वाल्मीकि सफाई कर्मचारी है ,इसलिये दलित संगठनों के साथ साथ वाल्मीकि समाज और सफाई कर्मचारी यूनियन्स के लोग राज्य भर में जगह जगह पर धरना –प्रदर्शन की तैयारी कर रहे है .

जाँच का नतीजा जो भी आये मगर यह बेहद दुखद तथ्य है कि आज भी दलित युवाओं को स्वर्ण लड़की से प्रेम करने की ऐसी निर्मम सजा दी जाती है ,जिसे देखकर तालिबान भी शर्मिंदा हो जाये .यह हत्या यह भी साबित करती है कि दलितों के प्रति स्वर्ण हिन्दुओं की घृणा आज भी इतनी प्रगाढ़ है कि अगर कोई दलित युवक किसी गैर दलित लड़की से प्यार करने की जुर्रत करेगा तो वह चेहराविहीन कर दिया जायेगा .जब आंखे ही नहीं रहेगी तो तो वो किससे चार होगी ,जब मुंह ही नहीं होगा तो आई लव यू किससे बोला जायेगा और प्रत्युत्तर सुननेवाले कान ही नहीं होंगे तो किससे सुना जायेगा .दलित युवाओं के प्रति नफरत की यह पराकाष्ठा तो है ही ,यह सन्देश भी है कि किसी भी स्वर्ण लड़की से प्रेम करोगे तो तुम्हें भी अजय वाल्मीकि की ही तरह एक चेहराविहीन लाश में बदल दिया जायेगा .

एक 20 साल के मासूम दलित युवा को प्यार करने की ऐसी तालिबानी सजा देने वाले लोग अगर यह दावा करें कि वो विश्व के सबसे सहिष्णु देश और समाज है तो मैं ऐसे लोगों पर लानत भेजता हूँ ,धिक्कारता हूँ और शर्मशार होता हूँ .अगर हम इसके बाद भी कुछ नहीं कर पाये और प्रतिरोध में सड़कों पर नहीं आये तो कल हर दलित युवा और युवती का हश्र अजय वाल्मीकि जैसा हो सकता है .फैसला हमारे हाथ में है कि हम अजय कि चेहराविहीन कर दी गयी लाश को उसकी पहचान पुन दिला पायेंगे या मुर्दा कौम की तरह इसे भी अपनी नियति समझ कर ख़ामोश बैठ जायेंगे .यह फैसले का वक़्त है ,मुट्ठियाँ बांधिए ,जय भीम का नारा लगाइये और सड़कों को इस जुल्म के खिलाफ़ पाट दीजिये ,राजस्थान ही नहीं देश के हर कोने से अब आवाज़ आनी चाहिये कि अब और किसी अजय को मौत के सामने हम इस तरह पराजय नहीं देखने देंगे .हम इंसाफ से कम कुछ भी नहीं स्वीकार करेंगे .हम लड़ेंगे अजय तुम्हारे चेहरे के लिये ..क्योंकि वह सिर्फ तुम्हारा ही नहीं हम सबका चेहरा है ...!

-    भंवर मेघवंशी

( लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और राजस्थान में दलित ,आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर संघर्षरत है ,उनसे bhanwarmeghwanshi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है ) 


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Bhanwar Meghwanshi
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