आईआईटी खड़गपुर के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन की राह पर!
गुड़गांव को गुरुग्राम बनाकर देश के तमाम एकलव्यों की अंगूठी काट लेने की मुहिम के खिलाफ बगावत!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप
भले ही नये वर्गीकरण के संशोधित पैमाने में आईआईटी खड़गपुर अव्वल नहीं है,लेकिन दुनियाभर में उसकी साख जस की तस है।फीस वृद्धि के खिलाफ कल उसी आईआईटी में करीब चार सौ छात्रों ने प्रदर्शन किया है।
हालांकि आईआईटी खड़गपुर के कार्यकारी अधीक्षक अजय राय ने छात्रों से कहा है कि उन्हें फीस में बढ़ोतरी के सिलसिले में कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है और छात्र अफवाहों से उत्तेजित न हों।फिरभी आंदोलन जारी है।छात्रो का कहना है कि फीस अचानक नब्वे हजार से बढ़ाकर तीन लाख तक बढ़ाने की तैयारी है,जिसे वे हरगिज मानेंगे नहीं।
खबर पहले से जगजाहिर है कि आईआईटी में पढ़ने वाले छात्रों को अब दोगुना फीस देनी होगी जो 90 हजार से बढ़कर दो लाख हो जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह फैसला आईआईटी काउंसिल के सिफारिश पर लिया है।
गुड़गांव को गुरुग्राम बनाकर देश के तमाम एकलव्यों की अंगूठी काट लेने की मुहिम के खिलाफ बगावत कर दी है आईआईटी खड़गपुर ने।अब बंगाल के दूसरे मशहूर इंजीनियरिंग संस्थान शिवपुर विश्वविद्यालय में भी आंदोलन की तैयारी है।
फीस में दो सौ फीसद वृद्धि के खिलाफ जुलुस निकालकर चारसौ छात्र प्रशासनिक भवन में हिजली बैरक के पास हिजली भवन के सामने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पूरी विरासत की भावभूमि में धरने पर बैढ गये ,जिसे लेकर द्रोणाचार्यों और मनु्मृति के वरदपुत्रों में खलबली मची है।
बंगाल के तमाम इंजीनियरिंग कालेजों में फीस में भारी वृद्धि कर दी गयी है।जादवपुर,कोलकाता,विश्वभारती के बाद अब खड़गपुर के आंदोलन का केंद्र बन जाने से बंगाल में छात्र ांदोलन और तेज होनेवाला है।हालांकि फिलहाल बंगाल पर देश की नजर लोकतंत्र महोत्सव के नाम भूतों के नाच पर ज्यादा है।
आज ही नागपुर में बाबासाहेब की 125 वीं जयंती के मौके पर दीक्षाभूमि के रास्ते पर बजरंगियों ने जेएनयू के छात्र नेका कन्हैया कुमार का रास्ता रोकने की कोशिश से मनुस्मृति के राजधर्म और हिंदुत्व के अंबेडकर महोत्सव का खुलासा कर दिया है।
बहरहाल आज का छात्र युवा आंदोलन किसी व्यक्ति की छवि लेकर नहीं है।यूजीसी की ओर से शोध छात्रों को छात्रवृत्ति रोकने से लेकर जेएनयू,जादवपुर हैदराबाद इलाहाबाद विश्वविद्यालयों में छात्रों के दमन के जरिये विश्वविद्यालयों को बंद कराने का जो अभियान चल रहा है,उसका असली मकसद कमजोर तबके के गीब बच्चों की शिक्षा का निषेध है।
शिक्षा को पूरीतरह बाजार में तब्दील करने के लिए आईआईएम और आईआईटी की फीस डबल कर दिया गया है ताकि आरक्षण के जरिये जो इक्का दुक्का छात्र इन संस्थानों में पहुंचकर विशुद्ध मनुस्मृति अनुशासन तोड़ते हैं,उनका संपूर्ण बहिस्कार हो जाये।
हैदराबाद से लेकर जेएनयू तक छात्र लामबंद हैं और रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के बाद छात्र लगातार आंदोलन कर रहे हैं और मुद्दों से अभी तक नहीं भटके हैं।
गौरतलब है कि फीस में बढ़ोतरी की दलील पेश करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि केंद्र सरकार एससी, एसटी के साथ-साथ दिव्यांग छात्रों के लिए सभी 23 आईआईटी में मुफ्त शिक्षा दिए जाने की योजना बना रही है।
उधर, सरकार ने मौजूदा 90,000 रूपए की फीस में बढ़ाकर 2 लाख रूपए सालाना करने की घोषणा कर दी है।
इसपर मानव संसाधन मंत्री ने यह भी कहा है कि इसके साथ ही 5 लाख रूपए से कम आमदनी वाले परिवारों के बच्चों की फीस में 66 फीसद की छूट भी दी जाएगी।
मंत्री ने यह भी कहा है कि 5 लाख रूपए से कम सालाना आय वाले परिवार के बच्चों की दो तिहाई फीस माफ होगी। पांच लाख रूपए से अधिक सालाना आय वाले परिवार के बच्चों को आईआईटी में पढऩे के लिए 8 लाख रूपए खर्च करने होंगे।
मनुस्मडति की दलील है कि इससे देशभर की आईआईटी में पढ़ रहे कुल 60,471 स्टूडेंट्स में करीब-करीब 50 फीसद छात्रों को फायदा होगा।
गौरतलब है कि आईआईटी में एससी के लिए 15 फीसद, एसटी के लिए 7.5 फीसद और ओबीसी के लिए 27 फीसद आरक्षण लागू है।
इस पर आखिरी फैसला मंत्री स्मृति ईरानी को ही लेना है।
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