सत्ता के साथ नहीं हैं सौरभ गांगुली
मंत्री की फिरकी पर दादा ने उड़ाया छक्का,गेंद मैदान से बाहर
शोधपत्र विवाद के बाद दादा का नाम तृणमूली सितारों में अव्वल रखकर इश्तहार जारी करके बुरे फंसे शिक्षा मंत्री
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
जगमोहन डालमिया के साथ अंतरंग संबंधों की वजह से वैशाली डालमिया के हक में तृणमूल कांग्रेस के प्रचार की खबर का दादा ने अभी तक खंडन नहीं किया।उनकी मनस्थिति समझी जा सकती है।लेकिन इसीका फायदा उठाने की कोशिश दादा के मोहल्ले में ही पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने सीथे उनके मिडिल स्टंप को निशाना बांधकर फिरकी गेंद फेंकी तो दादा ने सीधे बल्ला घूमाकर गेंद मैदान से बाहर फेंक दी।
दादा अभीतक किसी लालच या उकसावे में सियासत की गली में भटके नहीं हैं।वैशाली के हक में अभीतक वे सड़क पर उतरे नहीं हैं तो उन्हें दादा के समर्थन की वजह समजी जा सकती है।उनकी चुप्पी का मतलब यह लगाया गया कि दादा दीदी के खेमे में हैं।इसकी बड़ी तीखी प्रतिक्रिया होने लगी ,लेकिन दादा फिर भी खामोश रहे।मंत्री की हरकत से दादा को यह बताने का मौका मिल गया कि वे वैशाली के हक में जरुर हैं लेकिन सत्ता के साथ नहीं।
अब हुआ यह कि दादा के बेहाला विधानसभा चुनाव क्षेत्र से शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी मैदान में हैं। वैशाली को दादा का समर्थन जानकर पार्थ बाबू ने अपने समर्थन में तृणमूली विद्वजनों और टालीगंज के सितारों का एक इश्तहार बांट दिया और अपने समर्थन में बयान जारी करने वालों में दादा सौरभ गांगुली का नाम अव्वल ंबर पर सबसे ऊपर टांक दिया।
मंत्री महोदय के लिए यह कोई नया करिश्मा नहीं है और हाल में वे अपने शोध पत्र में पुराने बीस पच्चीस शोध पत्रों की लाइन बाई लाइन हूबहू बिना सूत्र का हवाले दिये डिग्री हासिल करने के विवाद में फंसे हैं और इस मामले में सुर्खियों का सिलसिला जारी है।
वैसे बंगाल के विद्वतजन और सितारे सत्ता पक्ष में इस तरह नत्ती हैं कि उनके नाम सत्तापक्ष के हक में कहीं भी जोड़े जा सकते हैं और राजकाज के सिपाहसालार किसी के नाम के साथ कोई बयान जारी करने के लिए उनकी सहमति जरुरी नहीं मानते और न जिनका नाम आता है,वे विरोध करने की जुर्रत करते हैं।
तृणमूल के पाले में धकेल दिये जाने से दादा वैसे ही मुश्किल में थे क्योंकि वैशाली जगमोहन डालमिय की बैटी हैं और उनको समर्थन का खंडन वे किसी सूरत में कर नहीं सकते।
शिक्षा मंत्री के इस करिश्मे से दादा को राहत मिली और उनकी पिरकी पर छक्का जड़कर दादा ने जतला दिया कि वे सत्ता के साथ नहीं है।इस सिलसिले में उनका साफ कहना है कि ऐसा इश्तहार उनने देखा नहीं है और मंत्री के हक में किसी बयान पर उनके दस्तखत नहीं है।
दादा ने तो खुद को खुली हवा में निकाल लिया लेकिन मंत्री जी की बची खुची साख हवा हवाई हो गयी।
अंग्रेजी दैनिक दि टेलीग्राफ के सौजन्य से मंत्री की थीसिस का नजारा भी देख लेंः
Both Chatterjee and Bhuimali today asserted that the thesis had appropriately cited the sources of material used to write the document.
Pl see my blogs;
Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
No comments:
Post a Comment