Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, August 19, 2013

मेरे सम्पादक , मेरे संतापक --२० अगम , अगोचर की ओर

मेरे सम्पादक , मेरे संतापक --२० 
अगम , अगोचर की ओर 

------------------------
भय और दौर्बल्य के कारण मेरे पिता सड़क के किनारे एक नाली में गिरे पड़े थे . हमें देख उन्होंने उठने का प्रयास किया , पर फिर लुढ़क गए .उनके शरीर पर धारित एक मात्र वस्त्र जांघिया भी सरक चुका था और वह लहू लुहान थे . सुधांशु धुलिया ने सहारा देकर उन्हें उठाया , और अपने वाहन में रखने लगे . एम्बुलेंस में बैठे डाकटर ने फरमान सुनाया यहाँ लाईये , . उनके साथ हम दोनों भी जबरन एम्बुलेंस में ठूंस गए . तुमने इन्हें मारा ? बाँहें चढ़ा कर मेरे मित्र ने डाक्टर को घूर . मेरे वह मित्र अब चूँकि हाई कोर्ट के माननीय न्याय मूर्ति हैं , इस लिए भावी प्रसंगों में अब मई उनका नामोल्लेख नहीं करूँगा . करीब आधा घंटे बाद वाहन ऋषिकेश के पास जौली ग्रांट हवाई पट्टी पर जा लगा . वहां पहले से ही अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात थे . एस डी एम् ने फरमान सुनाया - अब आप दोनों जाईये . ये गिरफ्तार हैं , और जेल मैन्युअल के मुताबिक़ कैदी के साथ कोई बाहरी व्यक्ति नहीं रहा सकता . मेरे पिता ने प्रतिरोध किया - तुम लोगों से मुझे जान का खतरा है , और मेरी सुरक्षा के लिए इन दोनों की उपस्थिति अनिवार्य है . गधे की गांड में गया तू भी और तेरा ज़ेल मैन्युअल भी , मैंने मजिस्ट्रेट को कहरी खोटी सुनाई . मेरे मित्र ने ललकारा - हिम्मत है तो अहमे बाहर निकाल के देख . इसी उहा पोह में एक छोटा सा विमान हवाई पट्टी पर उतरा . इन्हें जहाज़ में रखो , मजिस्ट्रेट ने डाक्टर को इंगित किया . डाक्टर पुलिस वालों के साथ मेरे पिता की और लपका , तो वह ज़मीन पर लम्बे लेट गए और बोले - इन दोनों के बगैर मैं बोर्ड नहीं करूँगा . तुम मुझे जान से मारने को कहीं ले जा रहे हो .
( जारी )

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...