Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, June 6, 2012

लाल'गढ़' बनता बालाघाट

http://visfot.com/home/index.php/permalink/6546.html

 लाल'गढ़' बनता बालाघाट

लाल'गढ़' बनता बालाघाट

By  
लाल'गढ़' बनता बालाघाट
Font size: Decrease font Enlarge font

छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में वारदात करने के बाद पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए नक्सली मप्र को पनाहगाह बना रहे हैं। जिसके कारण पहले से ही नक्सल प्रभाव से ग्रस्त मंडला, बालाघाट, सीधी, शहडोल, उमरिया जिलों में नक्सलियों की घुसपैठ बढ़ रही है। प्रदेश का बालाघाट जिला तो नक्सलियों का 'लालगढ़' बनता नजर आ रहा है। मप्र के लिए यह चिंता का सबब बन गया है। जिसके चलते मप्र की खुफिया एजेंसियों की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। अगर समय रहते नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो प्रदेश में कोई बड़ी वारदात हो सकती है।

बालाघाट जिले में पिछले 20 सालों में नक्सलियों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में की गई वारदातों में 81 लोगों की मौत हुई है। वहीं पुलिस मुठभेड़ में 14 नक्सली मारे गए हैं, जबकि 111 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं। नक्सलियों ने वर्ष 1999 में कैबिनेट मंत्री लिखीराम कावरे की हत्या भी की थी। जिले में प्रारंभ में मुख्य रूप से संजू उर्फ संजय के नेतृत्व में मलाजखंड दलम, सगन उर्फ जमुना बाई के नेतृत्व में टाडा दलम और दिलीप गुहा के नेतृत्व में बालाघाट गुरिल्ला रकवा दलम ज्यादा सक्रिय था। वहीं देवरी दलम, दड़ेकसा दलम, जाब दलम, कोरची दलम, कुरखेरा दलम,खोब्रामेटा दलम और प्लाटून दलम सहयोगी थे। तीन मुख्य दलम और 7 सहयोगी दलम के साथ नक्सलियों ने जिले में अपनी सक्रियता बढ़ाई थी। बालाघाट के पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर भी मानते हैं कि पुलिस ने नक्सलियों की सक्रियता को देखते हुए जिले में अपने सर्चिंग आपरेशन को तेज कर दिया है। नक्सल प्रभावित बैहर, लांजी और परसवाड़ा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा बढ़ाई दी गई है।

पिछले 2-3 माह में इस इलाके में नक्सली सक्रियता बढ़ी है। फिलहाल यहां तीन ग्रुप में नक्सलियों की संख्या 100 के आसपास है। लेकिन उन्हें खदेडऩे और अंकुश लगाने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है।

जानकारों के अनुसार नक्सलियों ने जिले में छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले और महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले से प्रवेश किया था। आज भी नक्सलियों का इन्हीं सीमावर्ती क्षेत्रों से आगमन होता है। नक्सली मुख्य रूप से घने जंगलों और आदिवासी अंचलों में रहने के लिए अपना स्थान ढूंढते हैं। इतना ही नहीं नक्सली आशियाना तलाशने से पूर्व उस क्षेत्र में कमजोर यातायात व्यवस्था, दूरसंचार सहित अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 5 जनवरी 1990 को नक्सलियों ने जिले में अपनी दस्तक दी थी। नक्सली महाराष्ट्र राज्य के सालेकसा थाना अंतर्गत अदारी गांव से जिले के सीमावर्ती ग्राम मुरकुट्टा में पहुंचे थे। आजाद उइके के नेतृत्व में 9 सशस्त्र नक्सलियों ने जिले में प्रवेश किया था। इसके बाद से ही नक्सलियों की गतिविधि बढ़ी थी। सूचना मिलने पर जब पुलिस ने ग्राम मुरकुट्टा में घेराबंदी कर उन्हें पकडऩे की कोशिश की तब नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर फायर किया और अंधेरे का फायदा उठाकर जंगल की ओर भाग गए। हालांकि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई थी। अलबत्ता पुलिस ने इस मुठभेड़ के बाद 12 बोर की रॉयफल, देशी कट्टा, 30 बुलैट, 303 रॉयफल के 40 बुलैट, टार्च, ब्लैंकेट और दैनिक उपयोग की सामग्री सहित अन्य सामान बरामद किए थे।

दबदबा बनाने पीडब्ल्यूजी हुआ सक्रिय
बालाघाट में वर्चस्व गंवा चुके नक्सली संगठन पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्ल्यूजी) ने दोबारा अपना दबदबा बनाने के लिए गोपनीय तरीके से एक बड़ी योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों ने इस जिले को अपनी दमदार मौजूदगी वाले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली डिवीजन में शामिल कर अपने पुराने तीनों दलम मलाज खंड, परसवाड़ा और टांडा की गतिविधियां तेज कर दी है। नक्सलियों की योजना छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र  की सीमा से लगे बालाघाट जिले को अपना डिवीजनल मुख्यालय बनाकर इसे पश्चिम बंगाल के लालगढ़ के अभेद्य दुर्ग की तरह बनाने की तैयारी है।

बालाघाट में पिछले कुछ सालों में नक्सलियों के केवल एक दलम मलाजखंड की सक्रियता देखी गई है। इसमें नक्सलियों की संख्या आमतौर पर 14 या 15 ही रही है। जबकि यहां पूर्व में सक्रिय रहे परसवाड़ा और टांडा दलम की यहां मौजूदगी न के बराबर ही बची थी। लेकिन पिछले कुछ माह से यहां नक्सलियों के चार-पांच ग्रुपों के मौजूद होने की खबरें पुलिस को मिल रही हैं। इन ग्रुपों ने लांजी और पझर थाना क्षेत्र बल्कि भरवेली, हट्टा, बैहर, किरनापुर और बालाघाट के ग्रामीण थाना क्षेत्रों में भी मूवमेंट बढ़ा दी है। पुलिस मुठभेड़ में एक महिला नक्सली के मारे जाने के बाद अधिकारियों ने सभी थाने और चौकियों को जवाबी कार्रवाई की संभावनाओं को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। साथ ही पुलिस को नक्सल क्षेत्रों में सर्चिंग के दौरान एहतियात बरतने की हिदायत दी है। इसके अलावा भी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), कोबरा और राज्य सशस्त्र बल (एसएएफ) जैसे बलों के अधिकारियों को भी आवश्यक सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं।

नक्सली वारदात
नक्सलियों ने वर्ष 1999 में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री लिखीराम कावरे की हत्या उनके गृह ग्राम सोनपुरी में ही की थी। नक्सलियों ने अब तक 36 पुलिस जवानों व अधिकारियों, 4 शासकीय कर्मचारी, 40 आम आदमियों को मौत के घाट उतारा है। वहीं पुलिस के साथ हुई नक्सली मुठभेड़ में 20 वर्षों में केवल 13 ही नक्सली मारे गए हैं जबकि 110 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं। गुरिल्ला स्क्वॉड फिर सक्रिय हो गया है। पिछले पांच माह में दो बार पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई जबकि लगभग 3 बार पुलिस ने नक्सली विस्फोटक बरामद किया। लेकिन बीते 25 दिनों में पुलिस सतर्कता के बीच कोठिया टोला व बिठली में अडोरी कोरका में निर्माण कार्य बंद कराया है। वहीं पुलिस ने एक नक्सली सहयोगी को सोनेवानी निवासी अमर सिंह भलावी को 18 मई को गिरफ्तार किया था व 26 मई को नक्सलियों व पुलिस में मुठभेड़ में एक महिला नक्सली पुलिस की गोली का शिकार हो गई।

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...