अबॉर्शन कर अपने कुत्तों को खिला देता था कन्या भ्रूण
- TUESDAY, 22 MAY 2012 12:44
मुंडे के पास चार पालतू कुत्ते हैं और अबॉर्शन करने के बाद सबूत मिटाने के लिए डॉक्टर इन्हीं कुत्तों को भ्रूण खिला देता है. दो साल पहले हेल्थ डिपार्टमेंट ने भ्रूण लिंग जांच करने करने के लिए डॉक्टर की सोनोग्रफी मशीन सील कर दी थी...
हरियाणा के यमुनानगर में एक महिला डॉक्टर द्वारा अबॉर्शन के बाद कन्या भ्रूण को टाइलेट में फ्लश करने के बाद उससे भी भयावह मामला सामने आया है. महाराष्ट्र के बीड में एक ऐसे ही 'डॉक्टर डेथ' का पता चला है, जो कन्या भ्रूण के अबॉर्शन के बाद सबूत मिटाने के लिए उसे अपने कुत्तों को खिला देता था.
बीड के परली तहसील में क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर सुंदम मुंडे पर आरोप है कि कन्या भ्रण के अबॉर्शन के सबूत मिटाने के लिए फिटिसाइड को अपने पालतू कुत्तों को खिला देते हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग को इसके सबूत भी मिले हैं. इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
आरोपी डॉक्टर मुंडे के खिलाफ शुरुआती जांच में कन्या भ्रूण की हत्या और उसे कुत्तों को खिलाने के सबूत मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने क्राइम ब्रांच से मामले की जांच करने के लिए कहा है. ऐसा पहली बार है जब प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) कानून के तहत दर्ज आरोपी के खिलाफ जांच पुलिस नहीं बल्कि क्राइम ब्रांच करेगी.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र का बीड वह इलाका है जहां चाइल्स सेक्स रेशियो सबसे बदतर है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां एक हजार लड़कों पर मात्र 801 लड़कियां हैं.
छह महीने की प्रेगनेंट 28 वर्षीय विजयमाला पाटेकर को 18 मई को डॉ. मुंडे के अबॉर्शन क्लिनिक में ऐडमिट कराया गया था, जहां अबॉर्शन प्रक्रिया के दौरान उसकी मौत हो गई थी. सूत्रों के अनुसार, पाटेकर की चार बेटियां पहले से ही थीं और वह फिर से बेटी नहीं चाहती थीं. कन्या भ्रूण हत्या के एक और मामले में दो साल पहले डॉ. मुंडे का लाइसेंस रद्द किया जा चुका है.
डॉ. मुंडे और उनकी पत्नी डॉ. सरस्वती मुंडे के खिलाफ आईपीसी के दो धाराओं के साथ-साथ पीसीपीएनडीटी ऐक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. क्राइम ब्रांच से यह भी जांच करने के लिए कहा गया है कि लाइसेंस रद्द होने के बाद किसी आधार पर मुंडे दंपती क्लिनिक चला रहे थे और इसके लिए उन्हें इजाजत किस आधार पर और कहां से मिली.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी ने हमारे सहयोगी अखबार मुंबई मिरर से कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. उन्होंने कहा, एक अधिकारी ने बताया कि डॉ. मुडे के पास चार पालतू कुत्ते हैं और अबॉर्शन करने के बाद सबूत मिटाने के लिए डॉक्टर इन्हीं कुत्तों को भ्रूण खिला देता है. शेट्टी ने बताया, दो साल पहले हेल्थ डिपार्टमेंट ने भ्रूण लिंग जांच करने और गैर-कानूनी तरीके से अबॉर्शन करने के लिए डॉक्टर की सोनोग्रफी मशीन सील कर दी थी और क्लिनिक चलाने का लाइसेंस कैंसल कर दिया था. इसके बावजूद वह प्रैक्टिस जारी रखे हुए है.
बीड के एसपी दत्तात्रे मांडिक ने कहा, 'आरोपी डॉक्टर के खिलाफ पहले भी दो-तीन मामले दर्ज हैं और डॉक्टर पर आईपीसी की धारा 304ए और 201 के तहत नए केस दर्ज किए गए हैं. हम कुत्तों को भ्रूण खिलाने की रिपोर्ट्स की भी जांच कर रहे हैं.'
गौरतलब है कि 2 साल पहले एक एनजीओ 'लेख लड़की अभियान' द्वारा करवाए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में पकड़े गए थे. एनजीओ की अध्यक्ष वर्षा देशपांडे ने कहा कि लाइसेंस रद्द होने और मशीन सील होने के बावजूद एक साल के अंदर-अंदर दोनों ने फिर प्रैक्टिस शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि इसके बाद एक और घटना में उनकी बाड़ी से भ्रूण मिलने पर जून 2011 में डॉक्टर दंपती पर केस दर्ज हुआ था.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले यमुनानगर में स्वास्थ्य विभाग और रेडक्रॉस की टीम ने भ्रूण हत्या रैकिट पकड़ा था. रेड से कुछ देर पहले ही तीन महीने की गर्भवती महिला का अबॉर्शन करके भ्रूण टॉइलेट के फ्लश में बहा दिया गया था. पुलिस ने आरोपी महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया था. डॉक्टर के पास जो डिग्री थी उस पर वह सिर्फ महिलाओं का इलाज कर सकती थी गर्भपात नहीं. इतना ही नहीं, उसके क्लिनिक पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया था कि वहां अबॉर्शन के बाद भ्रूणों को टॉइलेट में बहा दिया जाता था.
एनबीटी से साभार
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