शारदा फर्जीवाड़े में सीबीआई जांच भी औपचारिकता। दिग्गजों को घेरे बिना मामला फिर दफा रफा।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आखिरकार सीबीआई के शिकंजे में हैं शारदा फर्जीवाड़े के सिलसिले में पहले से गिरफ्तार सारे मुख्य अभियुक्त।सीबीआई ने अभी हाई फाई लोगों के खिलाफ जांचशुरु की नहीं है,जाहिर सी बात है कि इसमें कानूनी कम राजनीतिक जटिलताएं और समीकरण ज्यादा सरदर्द का सबब है।अब इस कार्रवाई से जांच की औपचारिकता तो पूरी हो सकती है,लेकिन दिग्गजों को घेरे बिना मामला फिर दफा रफा है।
मसलन कुणाल घोष और सुदीप्त देवयानी अब पुलिसकब्जे से बाहर सीबीआई हिफाजत में हैं।लेकिन पक्ष विपक्ष के दिग्गजों से पूछताछ हुई नहीं है।बंगाल क्या ओड़ीशा और दूसरे राज्यों के तमाम नेताओं मंत्रियों समेत पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री तक आरोपों के घेरे में हैं।क्यों राज्यों और केंद्रीयएजंसियों ने देशभर में हजारों की तादाद में पोंजी चिटफंड कंपनियों के कारोबार का अब तक संरक्षण किया,जांच का पहला मुद्दा तो यही होना चाहिए जो नहीं है।सहारा श्री जो जेल हिरासत में है,उसका ताल्लुक निजी बैंकिंग के नये कारोबार में उन्हें हाशिये पर रखकर उनसे बड़े खिलाड़ियों के हक में पेनाल्टी शूट का मामला है।सुदीप्त भी राजनीतिक वजह से गिरफ्तार हुए हैं और ऐसा इस प्रकरण में अन्तम अभियुक्त राजायसभा सदस्य कुणाल घोष का आरोप है।लेकिन बाकी देश में सहारा और शारदा को छोड़ बाकी कंपनियों के कारोबार में न सेबी का कोई दखल है और न दूसरी केंद्रीय एजंसियां कोई खोज खबर कर रही हैं।
बंगाल में पिछले चुनावों में शारदा मामले को चुनावी मुद्दा बनाने में राष्ट्रीय नेताओं ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ा।सत्ता समीकरण सध जाने के बाद सत्ता गलियारे में अब सन्नाटा है।सक्रिय है सीबीआई।लेकिन वृहत्तर साजिश का जो हवाला सीबीआई दे रही है ,उसे खोलने के लिए तो सरगना कौन है,उसी को पकड़ना जरुरी है।यह तय है कि कम से कम शारदा मामले में साजिश का सरगना न शारदा समूह के मालिक सुदीप्त हैं और न समूह के मीडिया प्रमुख कुणाल घोष।देश विदेश में नकदी जो अबाध राजनीतिक खातों में हस्तांतरित हो गयी और लाखों लोगों का सर्वस्व लूट लिया गया,उस खजाने की तलाश अबी बाकी है।
वैसे भी बंद पिंजड़े के तोता का रिकार्ड बहुत बेहतर नहीं है।विदेशों में कालाधन, बेहिसाब संपत्ति,बोफर्स समेत तमाम रक्षा घोटालों,आईपीएल,कामनवेल्थ,टेलीकाम,कोयला जैसे मशहूर घोटालों में सीबीआई किसी दोषी को अब तक सजा दिलाने में नाकाम रही है।खाते में महज एकमात्र उपलब्धि है चारा घोटाले में लालू को सजा दिलाने कीष
वैसा ही अपवाद शारदा फर्जीवाड़े मामले के हो जाने के आसार लेकिन कम है,क्योंकि इस घोटाले केतार देश विदेश में हैं और पोंजी कारोबार मुक्ता बाजार के पोंजी बंदोबस्त में खत्म करना न राज्य सरकार का इरादा है और न केंद्र सरकार का।जांच और नियमन एजंसियां आखिरकार राजनीति संचालित होती है।
बहरहाल शारदा चिट फंड घोटाले के सरगना सुदीप्त सेन और निलंबित तृणमूल कांग्रेस के सांसद कुणाल घोष समेत छह आरोपियों को अदालत ने सोमवार को 7 दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया। आरोपी के वकील ने यह जानकारी दी।
शारदा ग्रुप के सहायक सेन और घोष के अलावा, अन्य आरोपियों में मुख्य सहयोगी और कर्मचारी देवजानी मुखर्जी, मनोज नागेल, सोमनाथ दत्ता हैं। करोड़ों के इस घोटाले की जांच करने वाली सीबीआई की हिरासत में इन्हें भेज दिया गया है।
आरोपी के वकील ने कहा, सीबीआई के वकील सौम्यजीत राहा ने सभी आरोपियों की सात दिन की हिरासत की मांग की थी, लेकिन अभियोजन और बचाव पक्ष को सुनने के बाद अदालत ने सीबीआई को सात दिनों की हिरासत दी।
अप्रैल 2013 को सेन और मुखर्जी को कश्मीर से गिरफ्तार किया गया था। समूह की मीडिया शाखा को देखने वाले घोष को पिछले साल नवंबर में राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। बाकी तीनों को इसके बाद गिरफ्तार किया गया था।
पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए तृणमूल से निलंबित घोष ने राज्य के इस सबसे बड़े घोटाले में कई पार्टियों के लोगों की संलिप्तता का आरोप लगाया है।
अदालत ले जाते समय घोष ने कहा, मैं अदालत से आज जमानत नहीं मांगूंगा। सीबीआई की हिरासत में जाने को मैं उत्सुक हूं। जो कुछ मैं जानता हूं उन्हें बताऊंगा। पिछले साल अप्रैल में सामने आने वाले इस घोटाले में 20 लाख से ज्यादा लोगों को ठगा गया है।
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