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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, June 10, 2014

Himanshu Kumar गांधी नीचे ज़मीन पर गिर चुका है मारने वाला अभी भी गर्व से तना खड़ा है लगता है गांधी हार गया राजा के सिपाहियों ने जीसस के कंधे पर सलीब रख दिया है और काँटों का घेरा उसके सर पर लपेट दिया है


गांधी नीचे ज़मीन पर गिर चुका है
मारने वाला अभी भी गर्व से तना खड़ा है 
लगता है गांधी हार गया

राजा के सिपाहियों ने 
जीसस के कंधे पर सलीब रख दिया है 
और काँटों का घेरा उसके सर पर लपेट दिया है 
जिन सूदखोरों को जीसस ने कोड़े मार कर मंदिर के अहाते से भगाया था 
वो सारे सूदखोर हँसते हुए राजा के साथ खड़े हैं 
भीड़ तालियाँ बजा रही है 
यह भीड़ का न्याय है

राजा ने सुकरात को ज़हर पीने की सज़ा दी है 
जो पाखंडी पुरोहित सुकरात की सच्ची बातों से घबराए हुए थे 
उस सड़ चुके पुराने धर्म के पुरोहित आज हंस रहे हैं 
सुकरात अकेला है 
भीड़ राजा के साथ हैं 
यह भीड़ का न्याय है

गैलीलियो के सच से 
पादरी घबराए हुए हैं 
उनका धर्मग्रंथ अब सवालों के घेरे में है 
इसलिए गैलीलियो पर धर्मग्रंथ के विरुद्ध बोलने का 
फतवा दे दिया गया है 
गैलीलियो सही होते हुए भी खामोश है 
भीड़ उन्माद से चिल्ला रही है

भीड़ कभी न्याय नहीं करती 
कुछ लोग अपने समय में हारते हैं 
लेकिन इतिहास अपना काम चुपचाप करता है 
उस समय के हारे हुए लोग बाद में विजेता के रूप में चमकते हैं 
तत्कालीन सत्ताधीश कूड़ेदान में जा चुके होते हैं 
उन्हें कोई याद नहीं करता ,
वो विस्मृत कर दिए जाते हैं

इसलिए मेरी बच्ची सोनी सोरी तुम ज़रा भी निराश ना होना 
भीड़ का साथ न मिला ना सही 
तुमने ढहा दिया उनके ज़ुल्म का किला 
उनके ज़िल्ले इलाही होने का मुलम्मा 
उतारा है तुमने

चाटुकार कलम घसीटू 
मलाई चाटते हैं 
सत्य की हंसी उड़ाते हैं 
पर वो भीड़ का ही हिस्सा होते हैं 
बेकार भीड़ का 
तुमने उस दौर में आवाज़ उठाई जब हार रही थी तुम्हारी पूरी कौम 
ज़ुल्मतों के सामने कलम घसीटू लोग 
मलाई के दोने के लिए सत्ता के सामने सर झुकाए बैठे थे

अभी हैं मुकाम कई 
अभी है रास्ता बहुत लंबा 
फिर लड़ेंगे 
फिर जीतेंगे 
हम अभी हारे नहीं हैं

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