মমতাম্ শরণম্ গচ্ছামি! ভেনটিলেটারে বাম!
অসলি বাম চেয়ারম্যান মমতার অক্সিজেন!
ममताम् शरणम् गच्छामि!वेंटिलेटर पर मरणासण्ण वाम,दीदी से आक्सीजेन की उम्मीद।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
আবার পরিবর্তনের লক্ষ্যে মিশন ২০১৬
নিজস্ব সংবাদদাতা
০৯ জুন, ২০১৪
সাম্প্রদায়িক-অস্ত্রে কাজ
হবে কি, ধন্দে বামেরা
সন্দীপন চক্রবর্তী
বামেদের ভোটে ভাগ বসিয়ে লোকসভা ভোটে নিজেদের শক্তিবৃদ্ধি ঘটিয়েছে বিজেপি। তার পরেও রাজ্যে তাদের উত্তরোত্তর শ্রীবৃদ্ধি ঘটছে। জেলায় জেলায় নিচু তলার বাম কর্মী-সমর্থকদের অনেকে নাম লেখাচ্ছেন গেরুয়া শিবিরে। রাজ্যে বিরোধী পরিসরের অনেকটাই দখল করে নিচ্ছে বিজেপি। এই অবস্থায় বিজেপি-র রাজনৈতিক মোকাবিলা এখন কোন পথে হবে, সেই প্রশ্নে গভীর উদ্বেগের মধ্যে পড়েছে দুই বাম দল সিপিএম এবং সিপিআই।
০৯ জুন, ২০১৪
সংস্কারের পথেই সেরা ভারত, প্রণবের বক্তৃতায় বার্তা মোদীর
আগামী দিনগুলিতে কোন পথে এগোবে তাঁর সরকার, আজ রাষ্ট্রপতির অভিভাষণের মাধ্যমে এই প্রথম তা নথি আকারে পেশ করলেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী। মন্ত্রক ধরে ধরে মোদী বলে দিলেন, ভোট প্রচারে তিনি যে নতুন ভারতের স্বপ্ন দেখিয়েছেন, কী ভাবে তার রূপায়ণ করতে চাইছেন তিনি। রাষ্ট্রপতির মুখ দিয়েই বলিয়ে দিলেন নিজের তিনটি স্লোগান, 'সর্বনিম্ন সরকার, সর্বোচ্চ প্রশাসন', 'এক ভারত, শ্রেষ্ঠ ভারত' ও 'সকলের সহযোগ, সকলের বিকাশ'। এর মাধ্যমেই মোদী তুলে ধরলেন একটি ব্র্যান্ড-ভারতের রূপরেখা।
নিজস্ব সংবাদদাতা
১০ জুন, ২০১৪
ঘর সামলান, মমতা বললেন বিমানদের
মেলালেন তিনি মেলালেন! যুযুধান দুই প্রতিপক্ষের মধ্যে এনে দিলেন সৌহার্দ্যের বাতাবরণ! তিনি নরেন্দ্র দামোদরদাস মোদী! মোদী হাওয়ায় রাজ্যে বিজেপি-র উত্থান চিন্তায় ফেলে দিয়েছে তৃণমূল এবং বাম, দু'পক্ষকেই। বামেদের ভোটব্যাঙ্ক ভেঙে বিজেপি-তে গিয়েছে। তৃণমূলের ততটা ক্ষতি না হলেও কলকাতা ও তার লাগোয়া এলাকায় তারা চাপে। এই আবহেই সোমবার সন্ধ্যায় মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় নবান্নে নিজের ঘরে সাদর আপ্যায়ন করলেন বিমান বসুর নেতৃত্বাধীন বামফ্রন্টের প্রতিনিধি দলকে।
নিজস্ব সংবাদদাতা
১০ জুন, ২০১৪
ইলামবাজারে সুব্রত, বোঝালেন অভিযুক্তের পাশেই দল
বীরভূমে বিজেপি সমর্থক রহিম শেখের খুনের ঘটনায় অন্যতম অভিযুক্ত তৃণমূল নেতা জাফারুল ইসলামকেই সোমবার দিনভর দেখা গেল দলের রাজ্য সভাপতি সুব্রত বক্সীর পাশে! পাড়ুই-কাণ্ডের মতোই এ ক্ষেত্রেও দল যে অভিযুক্ত-পক্ষের পাশেই থাকছে, কার্যত তা-ও বুঝিয়ে দিয়েছেন তৃণমূল নেতৃত্ব। সিউড়ি হাসপাতালে গিয়ে ইলামবাজারের গণ্ডগোলে জখম এক তৃণমূল কমর্ীর্কে সব সহযোগিতার আশ্বাসও দিয়েছেন।
নিজস্ব সংবাদদাতা
১০ জুন, ২০১৪
http://www.anandabazar.com/state
ममताम् शरणम् गच्छामि!वेंटिलेटर पर मरणासण्ण वाम,दीदी से आक्सीजेन की उम्मीद।सोमवार को वाम दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और चुनाव बाद हिंसा और पूरे राज्य में वाम कार्यकर्ताओं पर कथित हमलों को रोकने के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग की। दोनों पक्ष के बीच घंटेभर चली बातचीत हालांकि राजनीतिक हिंसा के एजंडे से हटकर बंगाल में केसरिया विपर्यय पर केंद्रित हो गयी।
सही मायने में राष्ट्रीय वाम मोर्चे की चेयरमैन सरीखी हो गयी है ममता बनर्जी।
जाहिर है कि वाम विडंबना की इंतहा हो गयी,दोस्तों।गौरतलब है कि ममता बनर्जी के मई, 2011 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री और किसी भी उच्च स्तरीय वाम प्रतिनिधिमंडल के बीच यह पहली बातचीत हुई।माकपा के राज्य सचिव व बंगाल वाम मोर्चा चेयरमैन सचिव बिमान बोस ने इस ग्यारह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में वाम नेताओं की अगुवाई की जो खासतौर पर ममता के विरुद्ध कटुवाणी और व्यंगवाण के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
यह बैठक केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बन जाने के बदा बदले हुए सत्ता समीकरण और राज्य में लोकसभा चुनावों में 17.69 फीसद वोटहासिल करके कांग्रेस और वामदलों के साइनबोर्ड बन जाने के साथ ही तृणमूल में भी सेंध लग जाने की पृष्ठभूमि में हुई।जाहिरा तौर पर बंगाल के राजनीतिक इतिहास में सोमवार को ऐसी घटनाएं हुईं, जो आज तक राज्य में नहीं हुई थ। बंगाल में अचानक ही भाजपा की बढ़ती शक्ति से सिर्फ सत्तारूढ़ पार्टी ही चिंतित नहीं, बल्कि दूसरे विपक्षी पार्टियों में भी खलबली मची है।
जिस ममता बनर्जी के आंदोलन की वजह से सत्ता बेदखल होना पड़ा,अब बंगाल में जारी अभूतपूर्व केसरिया सुनामी और पद्म प्रलय की वजह से उन्हीं वामासुरमर्दिनी ममता बनर्जी के शरणागत हो गये वाम नेता सारे के सारे।ऐसा तब हुआ जबकि वाम कार्यकर्ता राज्य नेतृत्व और माकपा महासचिव तक से इस्तीफे की मांग लेकर आंदोलन तेज करते जा रहे हैं और पार्टी से या निलंबित या निष्कासित हो रहे हैं और राज्यभर में वामदलों के कार्यकर्ताओं की धुनायी हो रही है और वे बेमौत मारे जा रहे हैं।तृणमूल के नेताओं ने खुल्लमखुल्ला वामदलों के खिलाफ न केवल युद्धघोषणा कर रखी है बल्कि वामसमर्तकों के सामाजिक बायकाट का फतवा भी जारी कर रखा है।
मजा तो यह है कि वाम नेताओं से सार्वजनिक गपनीय मुलाकात से परहेज करने वाली दीदी को भी अगले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा को रोकने का कोई और उपाय नहीं सूझ रहा है।
जिस मुसलिम वोट बैंक के भरोसे दीदी का जनाधार है,वह भी केसरिया होने लगा है।
केंद्र में मोदी सरकार और वाम अवसान के बावजूद मुसलमानों की दशा जस की तस,ऐसे हालात में बंगाल के मुसलमान भी केसरिया विकल्प आजमाने के मूड में है।
अब हालत यह है कि वाम और ममता को एक दूसरे के साथ हुए बिना केसरिया परिवर्तन रोकने का कोई दूसरा तरीका नहीं है।
लोकसभा चुनाव से पहले ममता बर्जी फेडरल फ्रंट बना रही थीं, लेकिन उसमें वामदलों के लिए कोई जगह नहीं थी तो वामनेतृत्व में तीसरे मोर्चे की कवायद में ममता कहीं नहीं थीं।
बंगाल में सत्ता स्वार्थ के लिए साथ आ रहे ये लोग भारत देश के बारे में सोचे होते तो शायद बात कुछ और होती।दोनों पक्ष एक दूसरे के सफाये के लिए कुरुक्षेत्र की लड़ाई लड़ते लड़ते ध्वंस प्राय हैं और अब कयामत से बचने की कोशिश में है।
वाम दलों के नेता गये थे बंगाल में राजनीतिक हिंसा की शिकायत करने,जिसका आरोप मुख्यतः सत्ता दल के खिलाफ है।
वे गये थे यह चेतावनी देने कि हिंसा न रुकी तो आंदोलन होगा।
लेकिन वे बंगाल में केसरिया सुनामी के लिए ज्यादा चिंता जता आये।
दीदी ने भी पलटकर कहा कि वाम अपना घर संभाले,वे खुद भाजपा और कांग्रेस दोनों से निपट लेंगी।
लेकिन वाम नेताओ के स्वागत में उन्होंने जिस अंदाज में पलक पांवड़े बिछा दिये,जैसे अपने कमरे से बाहर चली आयीं और विदा करने के लिए जिस तरह लिफ्ट तक वाम नेताओं को छोड़ने आयी साफ जाहिर है कि बर्फ पिघलने लगी है।सत्ता में आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी पार्टी को तरजीह दी है।
यह पहला मौका था, जब वाममोरचा चेयरमैन बिमान बसु, सीएम से मिलने के लिए हुगली पार हावड़ा स्थानांतरित राज्य सचिवालय पहुंचे।दीदी की माकपाइयों से नफरत इतनी घनी समझी जाती है कि वाम दलों से अपवित्र राइटर्स का कायाकल्प किये बिना वह वहां से राजकाज चलाना नहीं चाहती और इसीलिए तुरत फुरत नवान्न को राइटर्स में तब्दील कर दिया गया।माकपा नेता गौतम देब ने इसी नवान्न के घेराव की धमकी भी दे रखी है।
जाहिर सी बात है कि भाजपा की बढ़त रोकने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने वामपंथियों के साथ भी समझौता करने का मन बनालिया है।
कहने को तो वाम मोर्चा नेता तृणमूल कांग्रेस द्वारा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे हमलों के खिलाफ शिकायत करने पहुंचे थे, लेकिन जिस तरह नवान्न में उनका स्वागत दीदी की ओर से गर्मजोशी के साथ किया गया, इससे राजनीतिक विशेषज्ञ किसी और नजर से ही देख रहे है।
मुख्यमंत्री खुद वाममोर्चा के प्रतिनिधि दल का स्वागत करने के लिए लिफ्ट के बाहर इंतजार कर रही थीं। बैठक के बाद तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव वाम नेताओं को छोड़ने उनके वाहन तक आये थे।
यही नहीं,कभी वाम मोरचा के खिलाफ आग उगलनेवाली मुख्यमंत्री ने चुनाव में माकपा को मिले कम वोट पर चिंता भी जता दी. मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में वाम मोर्चा को कम वोट मिले हैं।
यही नहीं, साथ ही मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि वाम समर्थक लगातार भाजपा में शामिल हो रहे हैंवाम नेताओं को सलाह भी दी कि इसे रोकने के लिए उन्हें खास प्रयास करना चाहिए।
यहां तक कि मुर्शिदाबाद जिले में कांग्रेस को मिली जीत पर भी मुख्यमंत्री ने वाम मोर्चा नेताओं से कहा कि उनके समर्थकों ने सही कार्य नहीं किये है.।
यह अजीब ही लगता है,लेकिन विचित्र किंतु सत्य हैकि कि वाम को फिर से शक्तिशाली बनाने के लिए मुख्यमंत्री ही वाम नेताओं को सुझाव देने लगी हैं।
और तो और, मुख्यमंत्री ने वाममोर्चा नेताओं को दो सदस्यीय समन्वय कमेटी के गठन का परामर्श दिया और इस कमेटी को तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पार्थ चटर्जी के साथ-साथ खुद उनके साथ लगातार संपर्क में रहने की बात कही।
इस वाकये से फिर साबित हो गया कि विचारधारा,प्रतिबद्धता,जनसरोकार और आंदोलन वामपक्ष के लिए अब दिखावे के सिवाय कुछ भी नहीं है।
सत्ता सुख के लिए वे दशकों तक कांग्रेस से नत्थी रहे तो सत्ता समीकरण साधने के लिए वे उस तृणमूल कांग्रेस की शरण में है,जिसने उसका सफाया कर दिया।
दूसरी ओर बंगाल नेतृत्व के बाद आखिरकार माकपा महासचिव कामरेड प्रकाश कारत ने भी लोकसभा चुनावों में पराजय के लिए नेतृत्व को जिम्मेदर मान लिया है।
लेकिन इसके बावजूद बंगाल राज्य कमिटी से लेकर पोलति ब्यूरो और केंद्रीय कमिटी तक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर उठे तूफान के बावजूद,बुद्धदेव भट्टाचार्य और प्रकाश कारते के इस्तीफे की पेशकश के बावजूद बेशर्म वाम नेतृत्व- कुछ दोष हमारा कुछ दोष तुम्हारा- की तर्ज पर विचारधारा बघारते हुए संगठनात्मक फेरबदल करने को कतई तैयार नहीं है।बल्कि वजूद बचाने की रघुकुल रीति मुताबिक सत्ता की सौदेबाजी में जुट गया है वाम नेतृत्व।
याद करें कि लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य द्वारा उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए जाने के बाद यह कहकर जवाबी हमला किया था कि कभीवाम मोर्चा शासन 'भ्रष्टाचार का पहाड़' था।फिर लोकसभा चुनावों में वाम सफाया के बाद शानदार जीत से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे की हार को लोकतंत्र और शांति की जीत बताया।
गौरतलब है कि नई दिल्ली में माकपा ने आज कहा कि लोकसभा चुनाव के समाप्त होने के बाद से एक दर्जन से अधिक सांप्रदायिक हिंसा के मामले हो चुके हैं और जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने जैसे ''विभाजनकारी'' मुद्दों को राजग सरकार उठा रही है।
पार्टी महासचिव प्रकाश करात ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''जहां लोग महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के कष्ट और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं भाजपा नीत सरकार की ऐसे मुद्दे उठाने में ज्यादा दिलचस्पी लगती है जो विभाजनकारी हैं।''
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की एक मंत्री के चर्चा करने की बात ने ''गंभीर डर'' पैदा किया है। उन्होंने कहा, ''इससे कश्मीर की जनता का और अधिक विलगाव होगा। माकपा नेता ने कहा, ''ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जो जम्मू कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य के दर्जे को कमजोर करेगा। भारतीय संघ में राज्य को शामिल करते वक्त यह एकमात्र वादा राज्य की जनता से किया गया था।
लोकसभा चुनाव के समाप्त होने के समय से ''गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और अन्य स्थानों पर देश में एक दर्जन से अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। एक युवा मुस्लिम आईटी पेशेवर की हिंदू राष्ट्र सेना के लोगों ने पुणे में हत्या कर दी थी।''
करात ने कहा, ''ऐसा लगता है कि जीत के मूड से सांप्रदायिक घटनाएं हो रही हैं जिसके तहत अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।''
उन्होंने कहा कि पार्टी सांप्रदायिकता के सभी रूपों का मुकाबला करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा के लिए काम करेगी।
उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों का यौन उत्पीड़न जारी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव दिखता है। करात ने कहा, ''पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं पर बढ़ते हमले से कोई राहत नहीं है।''
आर्थिक मोर्चे पर उन्होंने कहा कि सरकार रक्षा उत्पादन और बीमा जैसे अन्य क्षेत्रों में एफडीआई बढ़ाने जैसे कदम भी उठा रही है। उन्होंने कहा, ''माकपा इस तरह के कदमों के खिलाफ है।''
उन्होंने कहा, ''खनन और बिजली क्षेत्रों में बड़ी संख्या में परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी देने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं जिसका पर्यावरण और इन क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों पर गंभीर प्रभाव है।''
उन्होंने कहा कि सरकार ''पर्यावरण कारकों और आदिवासियों के अधिकारों पर गौर किए बिना इस तरह के कदम उठाने से बचे।''
বিমানকে ঘর সামলানোর পরামর্শ, সিপিএমকে অক্সিজেন দিয়ে বাঁচিয়ে রাখার কৌশল মমতার,জল্পনা
বিতনু চট্টোপাধ্যায়, সুমন ঘরাই, এবিপি আনন্দ
Monday, 09 June 2014 08:33 PM
রাজ্যে বিজেপির উত্থানে যে তিনি সিদুঁরে মেঘ দেখছেন, তা সোমবার নবান্নয়, বাম প্রতিনিধি দলের সামনে কার্যত প্রকাশ করে ফেললেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ এ দিন, তৃণমূলের বিরুদ্ধে সন্ত্রাসের অভিযোগে, মুখ্যমন্ত্রীর কাছে স্মারকলিপি জমা দিতে যায় বিমান বসুর নেতৃত্ব বাম প্রতিনিধি দল৷ সেই বৈঠকেই বিজেপিকে রুখতে বাম নেতাদের ঘর সামলানোর পরামর্শ দিলেন মুখ্যমন্ত্রী৷ সূত্রের খবর, বিমান বসুদের উদ্দেশে তিনি বলেন,
আমার দলকে আমি দেখে নিচ্ছি৷ বিজেপি-মোদিকেও দেখে নেব৷ কিন্তু, আপনাদের দল থেকে এত লোক বিজেপিতে যাচ্ছে কেন? এটা সামলান৷ অধীর চৌধুরী এত ভোটে জেতেন কীভাবে? আপনাদের ভোট পেয়েছেন অধীর চৌধুরী৷ নিজেদের ঘর সামলান৷
কিন্তু, অতীতে বামেরা একাধিকবার সন্ত্রাসের অভিযোগে মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে দেখা করার সময় চাইলেও, তখন সাক্ষাতের অনুরোধ খারিজ করে দেন তিনি৷ তাহলে, হঠাত্ এমন কী হল, যে নিজের দলের বিরুদ্ধেই সন্ত্রাসের অভিযোগ শুনতে রাজি হয়ে গেলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়! শুধু অভিযোগই শুনলেন না, যে সিপিএমের ঘর ভাঙলে তিনি এতদিন খুশি হতেন, সেই সিপিএমকেই ঘর সামলানোর পরামর্শ দিলেন!
রাজনৈতিক মহলের একাংশ মনে করছে, বামেদের প্রতি মমতার এই পরিবর্তিত মনোভাবের পিছনে রয়েছে রাজনৈতিক অঙ্ক৷ আর সেই অঙ্ক হল, বিজেপির উত্থ্বান আটকাতে মৃতপ্রায় সিপিএমকে অক্সিজেন যুগিয়ে বাঁচিয়ে রাখা৷ কারণ, সিপিএম রাজ্য রাজনীতিতে পুরোপুরি অপ্রাসঙ্গিক হয়ে গেলে আলিমুদ্দিন যেমন হতাশার অন্ধকারে তলিয়ে যাবে, তেমনই চিন্তা বাড়বে তৃণমূলেরও৷ এর কারণ হিসাবে রাজনৈতিক পর্যবেক্ষকদের একাংশের বক্তব্য, লোকসভা নির্বাচনে বিজেপির ভোট শতাংশ এক লাফে প্রায় ১৭ শতাংশ হয়ে যাওয়ার পর, বহু জায়গাতেই সিপিএম থেকে বিজেপিতে যোগ দেওয়ার খবর আসছে৷ আর এমনটা চলতে থাকলে, ২০১৬-র বিধানসভা নির্বাচনের আগে যদি বিরোধী ভোটের পুরোটাই কার্যত বিজেপির দিকে চলে যায়, সেক্ষেত্রে সমস্যায় পড়তে পারে তৃণমূল৷ কারণ, পর্যবেক্ষকদের মতে, বিরোধী ভোট ভাগভাগি হওয়ার জেরেই এবার ৩৯ শতাংশ ভোট পেলেও, ৪২টির মধ্যে ৩৪টি লোকসভা আসনেই জিতেছে তৃণমূল৷ উল্টোদিকে বিরোধীরা প্রায় ৬১ শতাংশ ভোট পেলেও, তা ভাগাভাগি হওয়ায় তারা মাত্র ৮টি আসন পেয়েছে৷ আর এই পরিস্থিতিতে বামেদের ভোটবাক্সে ধস অব্যাহত থেকে যদি ২০১৬-র বিধানসভা নির্বাচনের আগে তার সিংহভাগটাই বিজেপিতে চলে যায়, তাহলে আর এবারের মতো বিরোধী ভোট ভাগাভাগি হবে না৷ সেক্ষেত্রে আসন সংখ্যার নিরিখে বিজেপির শক্তি এক ধাক্কায় আরও অনেকটাই বেড়ে যেতে পারে৷ কারণ, এবারের লোকসভা নির্বাচনের ফল থেকেই স্পষ্ট, যেখানেই সিপিএমের ভোট অত্যাধিক হারে কমেছে, সেখানে ভোট বাড়িয়ে তৃণমূলের ঘাড়ের কাছে নিঃশ্বাস ফেলেছে বিজেপি৷ আসালসোলে পদ্ম ফোটার কারণও সেটা৷ তাই রাজনৈতিক মহলের একাংশের মতে, বিজেপির সামনে দেওয়াল হিসাবে দাঁড় করাতেই সিপিএমকে অক্সিজেন দিয়ে বাঁচিয়ে রাখতে চাইছেন মমতা৷ সে কারণেই বাম প্রতিনিধি দলের সঙ্গে দেখা করার তাঁর এই সিদ্ধান্ত৷ কারণ, সিপিএম শেষ হয়ে গেলে, তৃণমূলের দাপটও ভবিষ্যতে কমবে৷ এমনটাই মত রাজনৈতিক পর্যবেক্ষকদের একাংশ৷
নেতৃত্বের ভুলেই ভরাডুবি, অবশেষে মানলেন কারাট
প্রেমাংশু চৌধুরী
নয়াদিল্লি, ৯ জুন, ২০১৪, ০৩:২৫:১৩
লোকসভা নির্বাচনে সিপিএমের মুখ থুবড়ে পড়ার দায় দলের কেন্দ্রীয় নেতৃত্বেরই। প্রকাশ কারাট এই প্রথম সে কথা কবুল করে নিলেন।
তিন দিনের পলিটব্যুরো ও কেন্দ্রীয় কমিটির বৈঠকে প্রবল সমালোচনার মুখে পড়তে হয়েছে প্রকাশ কারাট তথা সিপিএমের কেন্দ্রীয় নেতৃত্বকে। রাজনৈতিক রণকৌশলের ভুলেই একের পর এক লোকসভা নির্বাচনে সংসদে সিপিএমের শক্তি কমছে বলে মুখর হয়েছেন দলের নেতারা। কেন্দ্রীয় কমিটির প্রস্তাবেও স্বীকার করে নেওয়া হয়েছে, লোকসভা নির্বাচনে দলের ভরাডুবির দায় সিপিএমের কেন্দ্রীয় নেতৃত্ব এড়াতে পারেন না।
গত ২০০৯ সালের লোকসভা নির্বাচন ও পশ্চিমবঙ্গে বিধানসভা নির্বাচনে সিপিএমের দুর্গ পতনের দায় কার, তা নিয়ে দলে প্রবল বিতর্ক হয়েছিল। সে সময় রাজ্যের খারাপ ফলের দায় পুরোপুরিই রাজ্য নেতৃত্বের উপরে চাপিয়েছিলেন কারাট। বলা হয়েছিল, সাংগঠনিক, রাজনৈতিক ও প্রশাসনিক ভুলভ্রান্তির ফলেই পশ্চিমবঙ্গে সিপিএমকে মুখ থুবড়ে পড়তে হয়েছে। এ বারের লোকসভা নির্বাচনের পর্যালোচনায় পশ্চিমবঙ্গের সাংগঠনিক দুর্বলতার কথা বলা হলেও কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের রাজনৈতিক কৌশলেরও যে দায় রয়েছে, তা মেনে নেওয়া হয়েছে।
আলিমুদ্দিন স্ট্রিটের নেতারা এটাকে যথেষ্ট তাৎপর্যপূর্ণ বলেই দাবি করছেন। তাঁদের বক্তব্য, এই দায় স্বীকার কার্যত কারাটের নিজের ভুল স্বীকার। সিপিএমে ব্যক্তিবিশেষকে দায় নিতে হয় না। কাজেই কারাটকেও ব্যক্তিগত ভাবে দায় নিতে হয়নি। কিন্তু কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের ভুলের অর্থ সাধারণ সম্পাদক হিসেবে তাঁর রাজনৈতিক লাইনের ভুল। পরমাণু চুক্তিতে সমর্থন প্রত্যাহার, মায়াবতীকে সামনে রেখে তৃতীয় ফ্রন্টের সরকার গঠনের ডাক থেকে সেই ভুলের শুরু। গত পাঁচ বছরে তারই মাসুল দিতে হচ্ছে দলকে। নরেন্দ্র মোদীর উত্থান মোকাবিলারও কোনও রাস্তা খুঁজে পাননি কারাট।
লোকসভার ভোটের পর্যালোচনা করতে বসে পশ্চিমবঙ্গ ও কেরলে বিজেপির উত্থান নিয়েই সব থেকে বেশি সময় ব্যয় হয়েছে। সাম্প্রদায়িক শক্তির বিরুদ্ধে ১১টি দলকে এক মঞ্চে নিয়ে এসেছিলেন কারাট। তাতে ছিলেন মুলায়ম সিংহ যাদব, জয়ললিতা, নীতীশ কুমার, নবীন পট্টনায়করা। কিন্তু তাঁদের সঙ্গেই রাজ্য স্তরে জোট বা আসন সমঝোতায় পৌঁছতে পারেননি কারাট। ওড়িশা, বিহার, তামিলনাড়ু, উত্তরপ্রদেশ বা অবিভক্ত অন্ধ্রপ্রদেশে ঠিকমতো আসন সমঝোতা বা জোট তৈরি করতে না পারার জন্যও কারাটকে সমালোচনার মুখে পড়তে হয়েছে। এবং সে কারণেই কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের দায় মেনে নিয়েছেন কারাট।
বারাণসীতে মোদীর বিরুদ্ধে সিপিএমের প্রার্থী দেওয়াও ঠিক হয়েছিল কি না, সেই প্রশ্নের মুখে পড়েছেন কারাট। তিনি নিজে সেখানে দলীয় প্রার্থী হীরালাল যাদবের হয়ে সভা করেছিলেন। এতে ধর্মনিরপেক্ষ ভোটেরই বিভাজন হয়েছে। অন্য ধর্মনিরপেক্ষ দলগুলিকে একজোট করে কোনও প্রার্থীকে সমর্থন করা উচিত ছিল বলে যুক্তি এসেছে। প্রয়োজনে আম আদমি পার্টির অরবিন্দ কেজরিবালকেও সমর্থন করা যেত বলে অনেকে যুক্তি দিয়েছেন।
কেন্দ্রীয় নেতৃত্বের দায় স্বীকার করলেও, নিজে ব্যক্তিগত ভাবে দায় নিচ্ছেন না বলে অন্য কাউকেও দায় নিতে দিচ্ছেন না কারাট। লোকসভা ভোটের ফল প্রকাশের পরেই দিল্লিতে পলিটব্যুরো বৈঠকে এসে পশ্চিমবঙ্গে খারাপ ফলের দায় নিতে চেয়েছিলেন রাজ্য সম্পাদক বিমান বসু। তাঁকে সেই দায় নিতে দেওয়া হয়নি। বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যও জানিয়ে দিয়েছেন, তিনি আর পলিটব্যুরো বা কেন্দ্রীয় কমিটিতে থাকতে চান না। একই ভাবে সীতারাম ইয়েচুরিও জানিয়ে দিয়েছেন, খারাপ ফলের দায় নিয়ে তিনি পলিটব্যুরো থেকে সরে দাঁড়াতে রাজি আছেন। আর এক পলিটব্যুরো সদস্য, কেরলের এম এ বেবিও রাজ্যের বিধায়ক পদ থেকে ইস্তফা দিতে চেয়েছিলেন। যাবতীয় পদত্যাগের প্রস্তাবই খারিজ করে দেওয়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছে পলিটব্যুরো। কেন্দ্রীয় কমিটিও তাতেই সিলমোহর বসিয়েছে।
কিন্তু দলের মধ্যে যে নেতৃত্বের মুখবদলের দাবি উঠছে, তাকেও অস্বীকার করতে পারছেন না সিপিএম নেতৃত্ব। কেন্দ্রীয় কমিটির বৈঠকে বৃদ্ধ ভি এস অচ্যুতানন্দনও আজ দাবি তোলেন, সাংগঠনিক স্তরে ব্যাপক রদবদল করে নতুন রক্তের আমদানি প্রয়োজ। কেরলের রাজ্য নেতৃত্বের কড়া সমালোচনা করার পাশাপাশি তিনি বলেন, পশ্চিমবঙ্গে কী ভাবে দল ঘুরে দাঁড়াবে, তা রাজ্য নেতৃত্বকেই ঠিক করতে হবে। পশ্চিমবঙ্গের তুলনায় এ বার কেরলে দলের ফল ভাল হয়েছে। ২০টির মধ্যে ৮টি আসন জিতেছেন বামেরা। কিন্তু সিপিএমের আশা ছিল, ১০ থেকে ১৪টি আসন ঝুলিতে আসবে। কিন্তু কোল্লম আসনে সিপিএম পলিটব্যুরোর এম এ বেবিকে প্রার্থী করায় বাম জোট ছেড়ে কংগ্রেসের জোটে চলে যায় আরএসপি। ওই আসনে আরএসপি-র নেতা এন কে প্রেমচন্দ্রনই বেবিকে হারিয়েছেন। সিপিএমের রাজ্য সম্পাদক পিনারাই বিজয়ন প্রেমচন্দ্রনকে 'স্কাউন্ড্রেল' বলে আক্রমণ করেছিলেন। বিজয়নের ওই মন্তব্যেরও কড়া সমালোচনা করেছেন অচ্যুতানন্দন।
ঠিক হয়েছে, আগামী ৮ থেকে ১০ অগস্ট পলিটব্যুরো ও কেন্দ্রীয় কমিটির বৈঠক বসবে। সেখানেই নেতৃত্বের মুখবদল কী ভাবে করা যায়, তার রূপরেখা নিয়ে আলোচনা হবে। সেই অনুযায়ীই পার্টি কংগ্রেসের সম্মেলন পর্বের মাধ্যমে ধাপে ধাপে নিচু তলা থেকে আলিমুদ্দিন স্ট্রিট হয়ে একেবারে এ কে গোপালন ভবন পর্যন্ত নেতৃত্বের মুখ বদলের চেষ্টা হবে। পার্টি কংগ্রেসের দিনক্ষণও ওই কেন্দ্রীয় কমিটির বৈঠকেই ঠিক হবে।
আসল পরিবর্তন ২০১৬: বি জে পি |
বিধানসভায় বি জে পি-র টার্গেট অম্তত ১৪৯ আসন |
আজকালের প্রতিবেদন: আগামী বিধানসভায় বি জে পি-র টার্গেট অম্তত ১৪৯ আসন জয়৷ ওই সব আসনে বি জে পি লোকসভা ভোটে ৩৫ হাজার বা তার বেশি ভোট পেয়েছে৷ মানুষকে আরও কাছে টানতে তাই তৈরি হয়েছে বুথ কমিটি৷ দলের ২ দিনের রাজ্য কার্য সমিতির বৈঠকে এ বিষয়ে সিদ্ধাম্ত হয়েছে৷ বিধানসভা থেকে বুথ ভিত্তিক ফলের পর্যালোচনা হয়৷ দলের পক্ষে দাবি করা হয়েছে লোকসভা ভোটের ফলাফলে ২৪টি আসনে বি জে পি এগিয়ে৷ ২৬টিতে জয়ের কাছাকাছি ছিল৷ বি জে পি-র রাজ্য পর্যবেক্ষক সিদ্ধার্থনাথ সিংও বলেন, ২০১৬ বিধানসভায় অভাবনীয় ফল করবে তাঁর দল৷ আর আসল পরিবর্তন হবে সেই সময়ই৷ গড়া হবে 'তৃণমূল মুক্ত' বাংলা৷ বলেন, লোকসভার ফলের ভিত্তিতে বি জে পি রাজ্যে প্রধান বিরোধী দলে পরিণত হয়েছে৷ ৩৪ আসনে জিতে মমতার খুশি হওয়ার কথা৷ কিন্তু উনি নার্ভাস হয়ে পড়েছেন৷ সন্ত্রাস না হলে বি জে পি এ রাজ্য থেকে আরও ৮৷৯টি আসনে জিততে পারত৷ রিগিং না করলে তৃণমূল ১০ শতাংশ ভোট কম পেত৷ সেই ভোট আসত বি জে পি-র পক্ষে৷ বি জে পি, তৃণমূলের ভোটের ফারাক হত মাত্র ২ শতাংশের৷ তার পরও বি জে পি বিধানসভা ভিত্তিক ১৪৯ আসনে ভাল ফল করেছে৷ মুসলিম ভোটও বি জে পি-র দিকে ঝুঁকেছে৷ তাই মমতা ৩৯ শতাংশ ভোট পেয়েও নিশ্চিম্ত থাকতে পারছেন না৷ বি জে পি নেতা-কর্মীদের ওপর হামলা হচ্ছে৷ ইলামবাজারে বি জে পি-র এক মুসলিম কর্মীকে মারধর করা হয়৷ তিনি মারা গেছেন৷ পরিস্হিতি দেখতে রাজ্যে আসবে কেন্দ্রীয় কমিটির দল৷ তারা কেন্দ্রীয় মাইনরিটি কমিশনকে রিপোর্ট দেবে৷ সন্ত্রাসের প্রতিবাদে ২০ জুন জেলাশাসকদের স্মারকলিপি দেবে বি জে পি৷ ২৩ জুন রাজ্য সভাপতি রাহুল সিন্হার নেতৃত্বে বি জে পি অফিস থেকে ধর্মতলা পর্যম্ত হবে 'বাংলা বাঁচাও' পদযাত্রা৷ সেদিন থেকে শ্যামাপ্রসাদ মুখার্জির জন্মদিন, ৬ জুলাই পর্যম্ত ব্লক পর্যায়ে 'গ্রামে চলো' কর্মসূচি নেওয়া হয়েছে৷ কেন্দ্রীয় সরকারকে কর্মসূচি জানানো হবে৷ রাজ্যের কী করা উচিত, তাও বলা হবে৷ এস এস সি-র দুর্নীতি নিয়ে জেলায় হবে বিক্ষোভ৷ সিদ্ধার্থনাথ বলেন, ফেডেরাল পরিকাঠামোয় উন্নয়ন নিয়ে কেন্দ্র-রাজ্য কথা হবে৷ মমতা ব্যানার্জিকেও অদক্ষতার জবাব দিতে হবে৷ লোকসভা নির্বাচনে কী কী প্রতিকূলতা এসেছে, কোথায় সন্ত্রাস বেড়েছে, নির্বাচন কমিশনের ভূমিকা আলোচিত হয় দু'দিনের রাজ্য কার্য সমিতির বৈঠকে৷ বলেন, মুসলিমরাও ভারতীয়৷ তাঁদের উন্নতির জন্য সব রকম চেষ্টা করতে হবে৷ বাংলাদেশ থেকে আসা অনুপ্রবেশকারীরা তাঁদের অধিকার হরণ করছে৷ এটা থামাতে হবে৷ নরেন্দ্র মোদির উদ্দেশ্য বুঝতে পেরে মুসলিমরাও বি জে পি-তে আসছেন৷ ওঁরা চলে গেলে তৃণমূল শূন্য হবে৷ নরেন্দ্র মোদিকে আমেরিকার আমন্ত্রণ প্রসঙ্গে বলেন, ওরা বুঝতে পেরেছে ভুল করেছিল৷
তৃণমূলের অভিযোগ, বি জে পি সরকার পাশে না দাঁড়িয়ে বাংলাকে অশাম্ত করার চেষ্টা করছে
দীপঙ্কর নন্দী | |
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কিছু শিক্ষিত বাম মধ্যবিত্তের স্বেচ্ছায় ভোট বি জে পি-কে
গৌতম রায় | |
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'সংঘর্ষ'-সংলাপে সন্ধি মমতা-বিমানে
এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: বাম প্রতিনিধিদলকে নিরাশ করলেন না মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। তবে নিরাপত্তার আশ্বাসের সঙ্গে সঙ্গে বিমান বসুদের প্রতি তাঁর পরামর্শ, নিজেদের ঘর গোছানোয় মন দিন।
এদিন প্রায় এক ঘণ্টা ধরে বিমানবাবুর সঙ্গে আলোচনা হয় মুখ্যমন্ত্রীর। রাজ্যে বেড়ে চলা হিংসা নিয়ে বাম নেতাকে মমতার আশ্বাস, কড়া হাতেই সন্ত্রাস দমন করবে সরকার। তিনি জানান, কোনও অবস্থাতেই রাজ্যের শান্তি-শৃঙ্খলা নষ্ট করতে দেওয়া হবে না।
একই সঙ্গে রাজ্যে বিজেপির সাম্প্রতিক আগ্রাসন সম্পর্কে উদ্বেগ প্রকাশ করলে বামফ্রন্ট নেতাকে মুখ্যমন্ত্রী আশ্বাস দেন, কংগ্রেস ও বিজেপিকে সামলে নেওয়ার দায়িত্ব তিনি নিজেই পালন করবেন। উল্টে বর্ষীয়ান নেতাকে তাঁর পরামর্শ, বিজেপিকে নিয়ে মাথা না ঘামিয়ে বরং বামেরা নিজেদের ঘর সামলানোয় মন দিন। বস্তুত, সম্প্রতি বাম সমর্থকদের মধ্যে গেরুয়া বাহিনীতে যোগ দেওয়ার প্রবণতার প্রতি কটাক্ষ করে মমতা বিমানবাবুকে বিষয়টির দিকে নজর দিতে পরামর্শ দেন।
রাজ্যে একের পর এক হিংসাত্মক ঘটনার জেরে সোমবার নবান্নে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে দেখা করতে যান বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান বিমান বসুর নেতৃত্বে ১২ সদস্যের বাম প্রতিনিধিদল। দলের তরফ থেকে বিকেল ৫-২০ নাগাদ মুখ্যমন্ত্রীর হাতে স্মারকলিপি তুলে দেওয়া হয়। স্মারকলিপিতে রাজ্যজুড়ে সাম্প্রতিক হিংসার বিরুদ্ধে অভিযোগ জানিয়ে প্রতিকারের আর্জি জানান বামেরা।
মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে বৈঠক সেরে বেরিয়ে নবান্নে দাঁড়িয়ে সাংবাদিকদের বিমানবাবু জানান, রাজ্যে ছড়িয়ে পড়া হিংসাত্মক ঘটনা সম্পর্কে মুখ্যমন্ত্রীকে বিস্তারিত জানানো হয়েছে। তিনি জানান, এ ব্যাপারে যথাযত ব্যবস্থা নেওয়ার আশ্বাস দিয়েছেন মমতা। তবে একই সঙ্গে বিমান বসুর সংযোজন, সরকার বিষয়টিতে হস্তক্ষেপ না করলে বামেরা পথে নেমে আন্দোলন করবেন।
বিধানসভায় গরহাজির ছায়া, ভাঙনের ভয় সিপিএমে
এই সময়, কলকাতা ও মেদিনীপুর: শরিক দলের পর এ বার ভাঙনের মুখোমুখি সিপিএম পরিষদীয় দলও৷ শারীরিক অসুস্থতার কারণ দেখিয়ে বিধানসভার চলতি অধিবেশনে গরহাজির থাকছেন চন্দ্রকোনার সিপিএম বিধায়ক ছায়া দোলুই৷ প্রকাশ্যে দল ছাড়ার ইঙ্গিতও দিয়েছেন তিনি৷ পশ্চিম মেদিনীপুরের সিপিএম নেতৃত্বের সঙ্গেও নিয়মিত যোগাযোগ রাখছেন না ছায়াদেবী৷ মোবাইলও বন্ধ থাকছে প্রায়ই৷ ফলে ছায়াদেবী সিপিএম ছেড়ে দেবেন কি না তা নিয়ে প্রবল জল্পনা তৈরি হয়েছে৷
সিপিএম নেতৃত্বের আশঙ্কা বেড়েছে পরপর বাম বিধায়করা শিবির পাল্টে তৃণমূলে যোগ দেওয়ায়৷ সমাজবাদী পার্টির চাঁদ মহম্মদ, ফরওয়ার্ড ব্লকের সুনীল মণ্ডল এবং আরএসপির অনন্তদেব অধিকারী ও দশরথ তিরকে বাম পরিষদীয় দল ভেঙে তৃণমূলে চলে যাওয়ায় বোঝা যাচ্ছে পরিষদীয় দলের উপর বাম নেতৃত্বের নিয়ন্ত্রণ অনেকটাই আলগা হয়েছে৷ এই প্রেক্ষাপটে ছায়া দোলুইয়ের গরহাজিরা প্রবল চাপে ফেলেছে সিপিএম নেতৃত্বকে৷ যদিও ছায়াদেবী দল ছাড়ছেন বলে খবর নেই, এমনই দাবি করছেন পশ্চিম মেদিনীপুরের সিপিএম জেলা সম্পাদক দীপক সরকার৷ দীনেন রায় কিংবা মৃগেন মাইতির মতো জেলা তৃণমূল নেতারা এখনই এ নিয়ে আগ বাড়িয়ে কোনও মন্তব্য করতে নারাজ৷
দীপকবাবু যতই দাবি করুন না কেন ছায়াদেবী এ দিন বলেন, 'মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে থাকলে আমার এলাকার উন্নয়নের অনেক কাজ করা সম্ভব হবে৷ সেই জন্য আমি তৃণমূলে যাওয়ার ইচ্ছে প্রকাশ করেছি৷ তবে কবে যাব এখনই বলতে পারছি না৷' ছায়াদেবীর এই মন্তব্য প্রসঙ্গে দীপকবাবু বলেন, 'আমাদের কাছে ছায়া দোলুই দল ছাড়ছে বলে কোনও খবর নেই৷ তার সঙ্গে যোগাযোগ রয়েছে৷ শরীর খারাপ থাকায় সে আপাতত বিধানসভায় যেতে পারছে না৷ নিয়মিত কাজকর্ম করতে পারছে না৷'
ছায়াদেবীর মনোভাব আন্দাজ করে গত কয়েক দিন ধরে পশ্চিম মেদিনীপুর সিপিএম জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর একাধিক সদস্য সক্রিয় হন৷ সুবোধ রায় ও নাজমুল হক যোগাযোগ করেন তাঁর সঙ্গে৷ তখন ছায়াদেবী তাঁদের যুক্তি দেন, 'শরীর ভালো নেই৷ চিকিত্সক বিশ্রাম নেওয়ার পরামর্শ দিয়েছেন৷ তাই বাড়ির বাইরে যাচ্ছি না৷'
দলীয় নেতৃত্বকে এই যুক্তি দিলেও সিপিএম জেলা নেতৃত্ব ছায়াদেবীর শিবির পরিবর্তন নিয়ে অন্য ব্যাখ্যা দিচ্ছেন৷ পশ্চিম মেদিনীপুর জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর এক প্রবীণ সদস্যের কথায়, 'ছায়া দোলুই চন্দ্রকোনার যে এলাকায় থাকেন সেখানে তৃণমূলের প্রবল আধিপত্যের কারণে চার-পাঁচটি বুথ এলাকায় সিপিএমের কোনও সংগঠন নেই৷ ওই এলাকায় তৃণমূলের আক্রমণে দু'জন বাম সমর্থক লোকসভা নির্বাচনের প্রচারের সময় মারা গিয়েছেন৷ ফলে তৃণমূলের প্রবল চাপ সামলানোর মতো ক্ষমতা ছায়ার নেই৷ আমাদের পক্ষেও এই বিধায়ককে সে ভাবে সাপোর্ট দেওয়া সম্ভব হচ্ছে না৷' জেলা সিপিএমের আর এক নেতার কথায়, 'ছায়া দোলুই পার্টি সদস্য হলেও রাজনৈতিক ভাবে পরিপক্ক নয়৷ ওই আসন সংরক্ষিত হওয়ায় তফশিলি জাতির কোনও মহিলাকে পাওয়া যাচ্ছিল না৷ তাই ছায়াকে প্রার্থী করা হয়েছিল৷' তৃণমূলের দিকে এই বিধায়ক পা বাড়িয়ে থাকলেও হাল ছাড়ছেন না সিপিএম নেতৃত্ব৷ জেলা পার্টি থেকে দফায় দফায় ফোন করে বোঝানোর চেষ্টা চলছে ছায়াদেবীকে৷ শরিক দলগুলির পরিষদীয় দলে ভাঙন ধরলেও সিপিএমের পরিষদীয় দল এত দিন অটুট ছিল৷ ফলে ভাঙন ঠেকিয়ে বিড়ম্বনার হাত থেকে রেহাই পেতে মরিয়া দলের একাংশ৷
সন্ত্রাস বন্ধ না হলে আন্দোলনে নামবে বামেরা, জানিয়ে এলেন মুখ্যমন্ত্রীকে
সন্ত্রাস বন্ধের দাবি নিয়ে মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে বৈঠক করলেন বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান বিমান বসু। ঘণ্টা খানেক বৈঠক চলে দুপক্ষের। অভিযোগ খতিয়ে দেখার আশ্বাস দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী। সন্ত্রাস মোকাবিলায় শাসক ও বিরোধীদের মধ্যে সমন্বয় চেয়েছেন তিনি। বৈঠক শেষে ফ্রন্ট চেয়ারম্যান জানিয়েছেন এরপরেও ব্যবস্থা না নিলে রাস্তায় নেমে আন্দোলন করবে বামফ্রন্ট।
রাজ্যজুড়ে লাগাতার সন্ত্রাস। ঘরছাড়া তাদের বহু কর্মী,সমর্থকেরা। দীর্ঘদিন ধরেই সন্ত্রাস বন্ধের দাবিতে সরব বামেরা। মিটিং মিছিল, রাস্তায় নেমে আন্দোলন। অসংখ্যবার মুখ্যমন্ত্রীকে চিঠিও দিয়েছেন সূর্যকান্ত মিশ্র। জবাব মেলেনি। রাজ্যে সরকার ও বিরোধী দলের এই সম্পর্কের মধ্যেই বিমান বসুর নেতৃত্বে বামফ্রন্টের প্রতিনিধিদের সঙ্গে দেখা করলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। নবান্নে প্রায় একঘণ্টার বেশি সময় বাম প্রতিনিধিদের সঙ্গে বৈঠক হয় মুখ্যমন্ত্রীর। মুখ্যমন্ত্রীর হাতে তুলে দেওয়া হয় সন্ত্রাসের তালিকা। বৈঠক করলেও মুখ্যমন্ত্রী আদৌ কতটা ব্যবস্থা নেবেন তা নিয়ে সংশয়ে বাম নেতৃত্ব।
মুখ্যমন্ত্রী এদিন বাম প্রতিনিধিদলকে প্রস্তাব দেন তাদের মধ্যে কেউএকজন রাজ্য সরকারের সঙ্গে সমন্বয় রক্ষা করবেন। বামেদের তরফে রবিন দেব সরকার পক্ষের তরফে পার্থ চট্টোপাধ্যায়ের ওপর সমন্বয় রক্ষার ভার ন্যস্ত হয়েছে। পরবর্তী সময়ে কোনও ঘটনা ঘটলেই পার্থ বাবুকে তা জানাবেন রবীন দেব। প্রয়োজনে সরাসরি মুখ্যমন্ত্রীকেও ফোন করে জানাতে পারবেন বিরোধীরা। এদিন বিধানসভাতেও রাজ্যে সন্ত্রাস নিয়ে সরব হন বাম বিধায়করা। সন্ত্রাস নিয়ে আনা হয় মুলতুবি প্রস্তাব। পরে ওয়াকআউট করেন বাম বিধায়করা।
রাজ্যের সন্ত্রাস বন্ধের জন্য বাম প্রতিনিধিদের সঙ্গে মুখ্মন্ত্রী নিজে বৈঠক করছেন নিঃসন্দেহে তাত্পর্যপূর্ণ ঘটনা,বিরল ছবি। কারন বামেদের এই সন্ত্রাসের দাবিকে এরআগে কখনও আমলই দেয়নি রাজ্য সরকার। তাহলে হঠাত্ কেন এই ভোলবদল? তা নিয়েই রাজনৈতিকমহলে আলোচনা তুঙ্গে।
লাগাতার আন্দোলনের পথেই
নতুন পরিস্থিতির মেকাবিলা
নির্বাচনী পর্যালোচনার পরে জানালো কেন্দ্রীয় কমিটি
নিজস্ব প্রতিনিধি
নয়াদিল্লি, ৯ই জুন- রাজনৈতিক লাইন ও সাংগঠনিক কাজের ধারার পর্যালোচনা করবে সি পি আই (এম)। লোকসভা নির্বাচনের বিশদ পর্যালোচনার পরে পার্টির কেন্দ্রীয় কমিটি এই সিদ্ধান্ত নিয়েছে। জনগণের জীবনজীবিকার প্রশ্নে ধারাবাহিক আন্দোলন গড়ে তোলার কথাও ঘোষণা করেছে পার্টি। কেন্দ্রীয় কমিটির দু'দিনব্যাপী বৈঠক হয় শনিবার ও রবিবার। সেই বৈঠকের সিদ্ধান্তের সারসংক্ষেপ সোমবার জানানো হয়েছে।
কেন্দ্রীয় কমিটির বিবৃতিতে বলা হয়েছে: কেন্দ্রীয় কমিটি লোকসভা নির্বাচনের পর্যালোচনা রিপোর্ট নিয়ে আলোচনা করেছে, তা গৃহীত হয়েছে। কেন্দ্রীয় কমিটিতে গভীর ভাবে আলোচনা হয়েছে, পার্টির খারাপ ফলাফল নিয়ে খুঁটিয়ে মূল্যায়ন করা হয়েছে। পার্টির স্বাধীন শক্তির প্রসার ঘটাতে ব্যর্থতা এবং পার্টির গণভিত্তি হ্রাসের প্রতিফলন পড়েছে নির্বাচনী ফলাফলে। এই ব্যর্থতার মূল দায়িত্ব গ্রহণ করেছে পলিট ব্যুরো ও কেন্দ্রীয় কমিটি।
পশ্চিমবঙ্গে পার্টি ও বামফ্রন্টের গুরুতর পরাজয় ঘটেছে। পশ্চিমবঙ্গের নির্বাচনী ফলাফলের পর্যালোচনাও করেছে কেন্দ্রীয় কমিটি। পশ্চিমবঙ্গে পার্টির কাজের ধারার পুনর্বিন্যাস এবং জনগণের সঙ্গে নিবিড় সম্পর্ক স্থাপনে কী কী রাজনৈতিক ও সাংগঠনিক পদক্ষেপ নিতে হবে, তা নিয়েও কেন্দ্রীয় কমিটি আলোচনা করেছে। শ্রমজীবী জনগণের সমস্যা নিয়ে আন্দোলন-সংগ্রাম গড়ে তোলায় অগ্রণী ভূমিকা নেবে পার্টি। ধারাবাহিক আক্রমণের মুখে থাকা পার্টিকর্মী ও সমর্থকদের রক্ষা করতে এখনই পদক্ষেপ নেওয়া হবে।
নজিরবিহীন জয়ের জন্য ত্রিপুরা রাজ্য কমিটিকে কেন্দ্রীয় কমিটি অভিনন্দন জানিয়েছে। পার্টি ও বামফ্রন্ট সেখানে ৬৪.৪শতাংশ ভোট পেয়েছে, দুই আসনেই বিপুল ব্যবধানে জয়ী হয়েছে।
সংশোধনাত্মক পদক্ষেপ নেবার লক্ষ্যে কেন্দ্রীয় কমিটি রাজনৈতিক লাইন এবং সাংগঠনিক কাজের ধারা পর্যালোচনা করার সিদ্ধান্ত নিয়েছে। পার্টি জনগণের মধ্যে যাবে, জনগণের সঙ্গে নিবিড় সম্পর্ক গড়ে তুলবে, জনগণের জীবনজীবিকার স্বার্থে এবং ধর্মনিরপেক্ষতা ও গণতান্ত্রিক অধিকার রক্ষায় নিরন্তর সংগ্রাম-আন্দোলন পরিচালনা করবে। দেশে নতুন রাজনৈতিক পরিস্থিতিতে উদ্ভূত চ্যালেঞ্জের মোকাবিলা করার ঐক্যবদ্ধ শপথ নিয়েছে কেন্দ্রীয় কমিটি।
তৃণমূলের হিংসার নিন্দা
পশ্চিমবঙ্গে পার্টির কর্মী ও বামপন্থী সমর্থকদের ওপরে তৃণমূল কংগ্রেসের লাগাতার হিংসা ও আক্রমণের নিন্দা করেছে কেন্দ্রীয় কমিটি। নির্বাচনী প্রচার এবং নির্বাচনোত্তর হিংসায় ১০ সি পি আই (এম) কর্মী ও সমর্থক খুন হয়েছেন। পশ্চিমবঙ্গে গণতন্ত্র রক্ষার দাবিতে, হিংসার বিরুদ্ধে দেশব্যাপী সংহতিমূলক প্রচারের জন্য পার্টি ও বামপন্থী শক্তির কাছে কেন্দ্রীয় কমিটি আহ্বান জানিয়েছে।
নতুন সরকার
নরেন্দ্র মোদী সরকার ক্ষমতায় আসার পরে জনগণ প্রত্যাশা করছেন মূল্যবৃদ্ধি, কর্মহীনতা, কৃষিতে দুর্দশা, নারীদের বিরুদ্ধে ক্রমবর্ধমান অপরাধের মতো তীব্র সমস্যাগুলির সুরাহা হবে।
কিন্তু বি জে পি সরকারকে দেখে মনে হচ্ছে তারা বিভেদমূলক বিষয়গুলি উত্থাপনেই বেশি আগ্রহী। এক মন্ত্রী সংবিধানের ৩৭০নং ধারা বিলোপের কথা বলায় গুরুতর আশঙ্কা তৈরি হয়েছে। এর ফলে কাশ্মীরের মানুষের মধ্যে বিচ্ছিন্নতা বাড়াবে। ভারতীয় যুক্তরাষ্ট্রে সংযুক্ত হবার সময়ে জম্মু কাশ্মীরের মানুষকে দেওয়া বিশেষ মর্যাদার অঙ্গীকার খর্ব হয় এমন কোনো কিছুই করা উচিত হবে না।
প্রতিরক্ষা উৎপাদন এবং বীমার মতো অন্যান্য ক্ষেত্রে প্রত্যক্ষ বিদেশী বিনিয়োগ বৃদ্ধির উদ্যোগ নেওয়া হচ্ছে। সি পি আই (এম) এইসব পদক্ষেপের বিরোধী। খনি এবং বিদ্যুৎ ক্ষেত্রে প্রচুর সংখ্যক প্রকল্পকে পরিবেশ ছাড়পত্র দেওয়ার উদ্যোগও নেওয়া হয়েছে। এমন প্রকল্পও আছে যার ফলে পরিবেশের ক্ষতি এবং এলাকার আদিবাসী মানুষের অধিকারের ওপরে গুরুতর প্রভাব পড়ার আশঙ্কা রয়েছে। পরিবেশের কথা বিবেচনা না করে, স্থানীয় মানুষ ও আদিবাসীদের অধিকারের কথা বিবেচনা না করে এমন পদক্ষেপ নেওয়া থেকে মোদী সরকারকে বিরত থাকতে হবে।
পরপর সাম্প্রদায়িক ঘটনা
লোকসভা নির্বাচন শেষ হওয়া মাত্র এবং নতুন সরকার ক্ষমতায় আসার পরে দেশজুড়ে বেশ কয়েকটি সাম্প্রদায়িক ঘটনা ঘটে গেছে। গুজরাট, মহারাষ্ট্র, উত্তর প্রদেশ, কর্ণাটক এবং অন্যান্য জায়গায় সাম্প্রদায়িক সংঘর্ষের ঘটনা ঘটেছে। পুনেয় হিন্দু রাষ্ট্র সেনার হাতে এক তরুণ মুসলিম তথ্য প্রযুক্তি কর্মীর নৃশংস হত্যার ঘটনা ঘটেছে। মনে হচ্ছে, বিজয়ের মনোভাব সাম্প্রদায়িক ঘটনা ঘটাচ্ছে এবং সংখ্যালঘু সম্প্রদায় তার লক্ষ্যবস্তু হয়ে যাচ্ছে। কেন্দ্রীয় কমিটি জোরালো ভাবে এইসব হামলার নিন্দা করেছে এবং সমস্ত ধরনের সাম্প্রদায়িকতার বিরোধিতা করার সঙ্গে সঙ্গে সংখ্যালঘু অংশকে রক্ষা করার লক্ষ্যে কাজ করার কথা ঘোষণা করেছে।
মহিলাদের বিরুদ্ধে ক্রমবর্ধমান অপরাধ
মহিলা ও শিশুদের বিরুদ্ধে যৌন অত্যাচারের ঘটনা ক্রমশ বাড়ছে। প্রশ্ন উঠছে ভারত কি মহিলাদের পক্ষে নিরপাদ এক দেশ? নারীদের ওপরে আক্রমণ মোকাবিলার রাজনৈতিক সদিচ্ছার অভাব প্রতিফলিত হয়েছে বাদাউনের মতো উত্তর প্রদেশে একের পর এক মহিলার ধর্ষণ ও খুনের ভয়াবহ ঘটনায়। রাজ্য সরকার নিজের পুলিস বাহিনী-সহ কোথাও আইন শৃঙ্খলার অবনতি আটকাতে পারেনি। তার বদলে সমাজবাদী পার্টির শীর্ষ স্তরের নেতারা ধর্ষণের ঘটনাকে তুচ্ছ করে দেখিয়েছেন এবং এই ধরনের ঘটনায় পুলিস ও অফিসারদের অবহেলাকে উৎসাহিত করেছেন।
রাজস্থানে যৌন আক্রমণের ঘটনার বৃদ্ধি ঘটেছে। মুখ্যমন্ত্রীর নিজের কেন্দ্রেও আক্রান্তরা বিচার পাননি। বি জে পি শাসিত মধ্য প্রদেশ ও ছত্তিশগড়ের স্বরাষ্ট্রমন্ত্রীদের স্তম্ভিত করে দেবার মতো বিবৃতি প্রমাণ করে তাঁরা কতটা সংবেদনহীন। এই প্রশ্নও তোলে যে কোনোদিনই ওই রাজ্যের আক্রান্তরা সুবিচার পেতে পারে কিনা। পশ্চিমবঙ্গেও বিরতিহীন ভাবে মহিলাদের ওপরে আক্রমণ চলছে। কেন্দ্রীয় কমিটি দাবি জানিয়েছে এই সমস্ত ঘটনায় রাজ্য সরকারগুলি দৃঢ় ও কার্যকর পদক্ষেপ গ্রহণ করুক। এই ধরনের অপরাধ সহ্য করা হবে না, এই মর্মে কড়া বার্তা দিক।
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রাজনৈতিক লাইনের পর্যালোচনা হবে:কারাত
নিজস্ব প্রতিনিধি
নয়াদিল্লি, ৯ই জুন— জনগণের কাছে যাওয়া, তাঁদের জীবন-জীবিকার সমস্যা নিয়ে নিরবচ্ছিন্ন সংগ্রাম গড়ে তোলাই মূল লক্ষ্য। সোমবার সাংবাদিক সম্মেলনে আগামী দিনের কর্মসূচী নিয়ে একথা জানালেন সি পি আই (এম)-এর সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক প্রকাশ কারাত।
শনিবার এবং রবিবার কেন্দ্রীয় কমিটির দু'দিনের বৈঠক শেষে এদিন সাংবাদিক সম্মেলনে লোকসভা নির্বাচনের ফলাফল নিয়ে বিভিন্ন প্রশ্নের জবাব দেন কারাত। নির্বাচনে ফলাফল নিয়ে কেন্দ্রীয় কমিটিতে আলোচনা হয়েছে। কেন্দ্রীয় কমিটি পর্যালোচনা রিপোর্ট গ্রহণ করেছে। পশ্চিমবঙ্গের নির্বাচনে পার্টি এবং বামফ্রন্টের ফল ভালো হয়নি। এক্ষেত্রে পশ্চিমবঙ্গে রাজনৈতিক ও সাংগঠনিক কিছু পদক্ষেপ নেওয়ার কথাও আলোচিত হয়েছে। তবে সামগ্রিকভাবেই দেশজুড়ে পার্টির জনভিত্তি এবং নিজস্ব শক্তি হ্রাস পেয়েছে, তা স্পষ্ট জানিয়ে দিলেন কারাত। পার্টির প্রসার ঘটাতে এবং সমর্থনের ভিত্তি হ্রাসের ঘটনায় ব্যর্থতার মূল দায়িত্ব পলিট ব্যুরো এবং কেন্দ্রীয় কমিটির, তা কারাত জানিয়ে দেন। জনগণের কাছে যাওয়া, তাঁদের জীবন-জীবিকার সমস্যা নিয়ে নিরবচ্ছিন্ন সংগ্রাম গড়ে তোলার মধ্য দিয়ে পার্টির নিজস্ব শক্তি বৃদ্ধি ও জনভিত্তি বাড়ানো দরকার বলে তিনি জানান।
লোকসভা নির্বাচনের ফলাফল থেকে স্পষ্ট, কীভাবে পার্টির জনসমর্থন প্রসারের কাজ এগোতে পারেনি। পশ্চিমবঙ্গই শুধু নয়, সারাদেশে পার্টির প্রসারের কাজে ব্যর্থতা রয়েছে। কারাত এ প্রসঙ্গে এক প্রশ্নে বললেন, 'সামগ্রিকভাবে সর্বভারতীয় ক্ষেত্রে পার্টির নিজস্ব শক্তিবৃদ্ধি এবং তার জনভিত্তি প্রসারিত করার কাজ ব্যর্থ হয়েছে। ২০১৪ সালের নির্বাচনে আরও প্রকট হয়েছে। যা ২০০৯ সালে এত প্রকট ছিলো না। এটা শুধু পশ্চিমবঙ্গের কথা নয়। সর্বভারতীয় ক্ষেত্রে এই প্রবণতা। ফলে এর দায়িত্ব পলিট ব্যুরো এবং কেন্দ্রীয় কমিটির। ব্যর্থতার এই দায় স্বীকার করছে পলিট ব্যুরো এবং কেন্দ্রীয় কমিটি।'
এদিন পশ্চিমবঙ্গে লোকসভা ভোটের ফলাফল নিয়ে বিভিন্ন প্রশ্নের জবাব দেন কারাত। তিনি বলেন, পশ্চিমবঙ্গে ভোটে রিগিং হয়েছে। মোট ৭৭ হাজার বুথের মধ্যে ১০ হাজার বুথে পুরো রিগিং হয়েছে এবং ৭ হাজার বুথে আংশিক রিগিং হয়েছে। কিন্তু হারের কারণ শুধু রিগিংই নয়। জনসমর্থন হ্রাসের বিষয়টি ২০০৯ এবং ২০১১ সালের নির্বাচনেও লক্ষ্য করা গেছে। কিন্তু ঐ প্রবণতাকে আমরা আটকাতে সক্ষম হইনি। অন্যদিকে বি জে পি এবং নরেন্দ্র মোদীর প্রভাব পড়েছে। তাদের ঐ উত্থানকে আমরা খাটো করে দেখেছি। তৃণমূল কংগ্রেসের বিরুদ্ধে মানুষের ক্ষোভ ছিলো। তৃণমূল-বিরোধী ভোট বামপন্থীরাই পাবে বলে ভাবা হয়েছিল। কিন্তু বি জে পি ঐ ভোট অনেকটা পেতে সক্ষম হয়েছে। তিনি বলেন, দেশে কংগ্রেস-বিরোধী হাওয়া ছিল। মোদীর পক্ষে হাওয়ার বদলে কংগ্রেস-বিরোধী হাওয়া প্রবল ছিল। বি জে পি ও মোদীর নিপুণ প্রচারে ঐ ক্ষোভের বিরুদ্ধে ফসল তারা তুলতে সক্ষম হয়। কেরালার ফলাফল নিয়ে তিনি বলেন, কেরালায় বিধানসভা এবং লোকসভার ফলাফলে পার্থক্য হয়। আমরা ভেবেছিলাম এবারে তা ঘোচানো যাবে। কিন্তু তা সম্ভব হয়নি। আমরা যেরকম আশা করেছি, সেরকম ফল হয়নি, যেমন কোঝিকোড়, আলেপ্পি এবং কুইলনে আমরা জিতবো আশা করেছিলাম, তা হয়নি।
এদিকে পার্টিতে পদত্যাগ নিয়ে প্রশ্নে কারাত বলেন, কেউ পদত্যাগ করতে চাননি। বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যকে নিয়ে এক প্রশ্নের উত্তরে তিনি বলেন, কলকাতায় আমি ছিলাম। সেই সময় তিনি এসব পদত্যাগের কথা বলেননি। বিগত পার্টি কংগ্রেসের সময় শারীরিক অসুস্থতার জন্য তিনি সরতে চান। তারপরে আর কখনও এসব প্রসঙ্গ আসেনি। আসলে দেশে পার্টির সম্প্রসারণ ও শক্তিবৃদ্ধির কাজ রূপায়িত করার মূল দায়িত্ব হলো পলিট ব্যুরো এবং কেন্দ্রীয় কমিটির। আমরা সেই দায়িত্ব পালনে ব্যর্থ হয়েছি। এক্ষেত্রে রাজনৈতিক ও সাংগঠনিক কী কী ত্রুটি ছিল, তা বিশ্লেষণ করা হয়েছে। রাজনৈতিক লাইনে কিছু ত্রুটি ছিল কিনা, তা দেখা হবে। রাজনৈতিক লাইন নিয়ে এক প্রশ্নে তিনি বলেন, বিগত পার্টি কংগ্রেসে যে লাইন গৃহীত হয়েছে, সেটাই আমাদের বর্তমান পার্টি লাইন। তা নিয়ে পর্যালোচনা হবে। পার্টি কংগ্রেস আগামী এপ্রিলে হওয়ার কথা। সেখানে এসব বিষয়ে আলোচনা হবে। তিনি বলেন, পার্টি কংগ্রেসের প্রস্তুতির সঙ্গে সঙ্গে এসব বিষয়ে পর্যালোচনা হবে। তিনি জানান বামপন্থী বুদ্ধিজীবীদের নিয়ে একটি টিম গঠন করা হবে। উদারনীতি ও বিশ্বায়নের সঙ্গে সঙ্গে পরিবর্তন এসেছে সামাজিক জীবনে। শ্রমিক ও মধ্যবিত্তদের মধ্যে জীবনচর্চার মধ্যে পরিবর্তন এসেছে, তা পর্যালোচনা করে এতে লড়াই-সংগ্রাম পরিচালনার মধ্যে কৌশলগত কোনো ত্রুটি আছে কিনা, তা খতিয়ে দেখবে ঐ দল। পরে আগামী পার্টি কংগ্রেসেই এ বিষয়টি চূড়ান্ত হবে।
পশ্চিমবঙ্গে সংখ্যালঘু ভোট নিয়ে কারাত বলেন, বামপন্থীদের থেকে সংখ্যালঘু ভোট সরে গেছে, এটা বলা বোধহয় ঠিক হবে না। আমরা রায়গঞ্জ এবং মুর্শিদাবাদে জিতেছি। সেখানে সংখ্যালঘু মানুষই আমাদের সমর্থন করেছেন। তবে যেটা দেখা যাচ্ছে, তা হলো, তৃণমূল কংগ্রেস যে সমর্থন পেয়েছিল সংখ্যালঘুদের কাছ থেকে, সেটা তাদের রয়েছে।
এদিকে সংগঠনের কাজের ধারার ক্ষেত্রে পশ্চিমবঙ্গে কোনো দুর্বলতা রয়েছে কিনা, তা নিয়ে আলোচনা হয়েছে। রাজ্যের সাংগঠনিক দুর্বলতা দূর করার মধ্যে জনগণের সঙ্গে যোগাযোগ আরও নিবিড় করে তোলার উপর জোর দেওয়া হয়েছে কেন্দ্রীয় কমিটির বৈঠকে। এক প্রশ্নে কারাত বলেন, কেন্দ্রের মোদী সরকারের ক্ষমতায় আসার সঙ্গে সঙ্গে সাম্প্রদায়িক কার্যকলাপ বেড়েছে। গুজরাট, মহারাষ্ট্র, উত্তর প্রদেশ, কর্ণাটকে সাম্প্রদায়িক সংঘর্ষের ঘটনা ঘটেছে। কেন্দ্রের উচিত, এসব ঘটনার রোধে যাবতীয় উদ্যোগ গ্রহণ করা। মোদীর আর্থিক নীতি নিয়ে এক প্রশ্নে বলেন, সরকারের পুরো নীতির বিষয়টি সামনে আসুক। তারপরে এ নিয়ে বলা যাবে।
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বামেরা মুছে গেলে বিজেপির লাভ, আজ মমতাকে বলবেন বিমানেরা
এই সময়: বিরোধী বামেদের উপর শাসকদলের লাগাতার হামলা-আক্রমণের ফলেই রাজ্যে বিজেপির বাড়বাড়ন্ত হচ্ছে৷ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় অবিলম্বে মারমুখী দলীয় কর্মীদের নিয়ন্ত্রণ করতে না-পারলে রাজ্যের ধর্মনিরপেক্ষ কাঠামো ভেঙে পড়বে৷ যা আদতে তৃণমূলকেও কঠিন চ্যালেঞ্জের মুখে ফেলে দেবে৷ আজ সোমবার বিমান বসুর নেতৃত্বে বামফ্রন্টের প্রতিনিধি দল নবান্নে মুখ্যমন্ত্রীকে মুখোমুখি এই বার্তাই দিতে চাইছেন৷
আজ বিকেল পাঁচটায় বিমানবাবুর নেতৃত্বে ১২ সদস্যর বাম প্রতিনিধি দল মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে দেখা করবে৷ সে দলে থাকবেন আরএসপির রাজ্য সম্পাদক ক্ষিতি গোস্বামী, সিপিআই রাজ্য সম্পাদক মঞ্জুকুমার মজুমদার, ফরওয়ার্ড ব্লকের রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য জয়ন্ত রায়৷ যেতে পারেন বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্রও৷ নবান্নে যাওয়ার আগে দুপুরে আলিমুদ্দিন স্ট্রিটে ফ্রন্ট নেতৃত্ব ঘরোয়া বৈঠকে বসবেন৷ মুখ্যমন্ত্রীর কাছে বামফ্রন্টের তরফে যে স্মারকলিপি জমা দেওয়া হবে, তার বয়ান চূড়ান্ত করা হবে৷ এদিনই আবার বিজেপির একটি প্রতিনিধিদল দেখা করবে রাজ্য পুুলিশের ডিজির সঙ্গে৷
রাজ্যে তৃণমূল ক্ষমতায় আসার পর বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্রের নেতৃত্বে বামেদের একটি দল মহাকরণে মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে সাক্ষাত্ করেছিল৷ এ ছাড়া আনিসুর রহমানের মতো বাম বিধায়করা পৃথক প্রতিনিধি দল নিয়ে একাধিকবার মন্ত্রিসভার গুরুত্বপূর্ণ মন্ত্রীদের সঙ্গে সাক্ষাত্ করে দাবি জানিয়েছেন৷ উত্তর ২৪ পরগনার মতো জেলার বামফ্রন্ট নেতারাও নবান্নতে গিয়ে গুরুত্বপূর্ণ মন্ত্রীদের কাছে বিভিন্ন ইস্যুতে স্মারকলিপি জমা দিয়েছেন৷ কিন্ত্ত বিমান বসু তৃণমূলের এই ৩৫ মাসের শাসনে কখনও মহাকরণ কিংবা নবান্নে যাননি৷ তবে মুখ্যমন্ত্রী হিসেবে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের শপথের দিন রাজভবনে তিনি ও বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য উপস্থিত ছিলেন৷ তার পর ২০১১-র ৯ ডিসেম্বর, আমরিতে অগ্নিকাণ্ডের দিন এসএসকেএমে বিমানবাবুর সঙ্গে সাক্ষাত্ হয়েছিল মমতার, যেখানে সূর্যকান্তবাবুও উপস্থিত ছিলেন৷ সেই ঘটনার পর ফের আজ মুখোমুখি হতে চলেছেন রাজ্য রাজনীতির দুই প্রধান সেনাপতি৷
মূলত লোকসভা নির্বাচন পরবর্তী রাজনৈতিক হিংসা ও সন্ত্রাস নিয়েই মুখ্যমন্ত্রীর হস্তক্ষেপ চাইবে প্রতিনিধি দল৷ স্মারকলিপির সঙ্গে হামলা-আক্রমণের একটি ঘটনাপঞ্জিও জমা দেওয়া হতে পারে৷ এর সঙ্গে ঘরছাড়াদের তালিকা জমা দেওয়া হবে কি না, তা আজকে বাম নেতাদের ঘরোয়া বৈঠকে চূড়ান্ত হবে৷ সন্ত্রাস বন্ধ করার আর্জি জানানোর পাশে ঘরছাড়াদের ঘরে ফেরানো এবং মিথ্যা মামলা প্রত্যাহারের দাবিও করবেন বাম নেতৃত্ব৷
সিপিআই-এর রাজ্য সম্পাদক মঞ্জুকুমার মজুমদারের বক্তব্য, 'মহিলাদের উপর আক্রমণ হচ্ছে৷ যাঁরা আক্রান্ত হচ্ছেন, তাঁদের বিরুদ্ধে মিথ্যা মামলা দেওয়া হচ্ছে৷ গণতান্ত্রিক আন্দোলন করতে দেওয়া হচ্ছে না৷ পার্টি অফিস ভেঙে গুঁড়িয়ে দেওয়া হচ্ছে৷ এই পরিস্থিতি পরোক্ষে বিজেপিকে সাহায্য করছে৷ মুখ্যমন্ত্রীর সামনে এই পরিস্থিতি তুলে ধরব আমরা৷' মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় যদি নিজের দলকে নিয়ন্ত্রণ করতে না-পারেন, তা হলে বিজেপির উত্থান আটকানো তৃণমূলের পক্ষেও সম্ভব নয়, এই বার্তা মুখ্যমন্ত্রীকে সরাসরি দিতে চাইছে আরএসপি নেতৃত্বও৷ দলের কেন্দ্রীয় কমিটির সদস্য মনোজ ভট্টাচার্যের কথায়, 'ইমামভাতার মতো পদক্ষেপের জন্য ইতিমধ্যে এই সরকার সংখ্যালঘুদের তোষণ করছে বলে ধারণা তৈরি হয়েছে৷ এখন তৃণমূলের হামলার মুখে বহু বাম সমর্থকও আশ্রয়ের আশায় বিজেপির ছাতার তলায় যাচ্ছে, এমনকি মুসলিমদের একাংশ তৃণমূলের সন্ত্রাস থেকে রক্ষা পাওয়ার জন্য বিজেপিতে যাচ্ছে৷ বিজেপির এই বাড়বাড়ন্ত রাজ্যের ধর্মনিরপেক্ষ পরিমণ্ডলকে ভেঙে দিতে পারে৷' তৃণমূলের সন্ত্রাস বন্ধের দাবিতেই তাঁরা নবান্নে যাচ্ছেন বলে জানিয়েছেন ফরওয়ার্ড ব্লক নেতা জয়ন্ত রায়৷
তৃণমূলের 'ঠ্যাঙারেদের' শিক্ষা দেওয়ার হুমকি আরএসএসের
এই সময়: পাল্টা মারের হুমকি রাষ্ট্রীয় স্বয়ংসেবক সংঘের৷ লোকসভা নির্বাচনের পর একের পর এক ঘটনায় বিজেপি কর্মীরা আক্রান্ত হওয়ায় প্রতিরোধে এগিয়ে আসার দায়িত্ব নিয়েছে হিন্দুত্ববাদী সংগঠনটি৷ বারুইপুরে সভা করে আরএসএস নেতৃত্ব জানিয়ে দিয়েছেন, তাঁরা গান্ধীবাদী নন৷ মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের নাম করে তাঁর উদ্দেশে আরএসএস কর্মী হিসাবে নিজেকে পরিচয় দিয়ে বিজেপি নেতা তথাগত রায় বলেন, 'আপনার ঠ্যাঙারে বাহিনীকে এমন শিক্ষা দেব যে কোন কূল খুঁজে পাবেন না৷' বিজেপির পক্ষ থেকেও সন্ত্রাসের অভিযোগ নিয়ে তৃণমূলের উপর লাগাতার চাপ সৃষ্টির কৌশল নেওয়া হচ্ছে৷
সোমবার নবান্নে গিয়ে পুলিশের ডিজির সঙ্গে দেখা করে এর বিহিত চাইবে বিজেপির প্রতিনিধি দল৷ কোথাও দলীয় কর্মীরা আক্রান্ত হলেই সেখানে ছুটে যাচ্ছেন বিজেপি নেতারা৷ বীরভূমের ইলামবাজারে রবিবার গিয়েছিল দলের সাধারণ সম্পাদক শমীক ভট্টাচার্যের নেতৃত্বে কয়েকজন নেতা৷ তাঁদের মধ্যে ছিলেন প্রাক্তন আইপিএস অফিসার আর কে মহান্তি৷ ইলামবাজারের কানুর গ্রামে নিহত শেখ রহিমের বাড়িতে গিয়েছিলেন তাঁরা৷ তৃণমূলের হামলায় শনিবার সেখানে শেখ রহিম খুন হয়েছিলেন বলে বিজেপির অভিযোগ৷
বিজেপির উপর হামলা অবশ্য রবিবারেও অব্যাহত৷ আরামবাগে বিজেপির এক কর্মীকে তৃণমূলের দপ্তরে ডেকে মারধর করা হয়েছে বলে অভিযোগ৷ মারের চোটে সংজ্ঞাহীন হয়ে পড়েন ওই কর্মী চিন্ময় মালিক৷ দক্ষিণ ২৪ পরগনার বাসন্তীতে আক্রান্ত হন তিন বিজেপি কর্মী৷ আহত অবস্থায় তাঁদের বাসন্তী গ্রামীণ হাসপাতালে ভর্তি করা হয়৷ তৃণমূল অবশ্য অভিযোগ অস্বীকার করে৷
এই ঘটনাগুলির উল্লেখ করে বারুইপুরের সভায় কড়া বার্তা দেওয়া হয় আরএসএসের পক্ষ থেকে৷ বিজেপি নেতা তথাগত রায় ছিলেন ওই সভার প্রধান বক্তা৷ তিনি মুখ্যমন্ত্রীর উদ্দেশে বলেন, 'দিদি, এটা করে সিপিএম বাঁচতে পারেনি৷ আপনিও এটা করে টিঁকতে পারবেন না৷ আপনাকে উত্খাত হতেই হবে৷' হুমকির সুরেই তিনি বলেন, 'আমাদের গায়ে হাত দেবেন না৷ আমরা গান্ধীবাদী নই৷ আমরা পড়ে পড়ে মার খাব না৷' এমন অবস্থান নিলে কেন্দ্রীয় সরকার যে আরএসএসের পাশেই থাকবে, তাও বুঝিয়ে দেন তিনি৷
তথাগতবাবু বলেন, 'মনে রাখবেন, দিল্লিতে এখন দুর্বল মনমোহন সিং নেই৷ আছেন নরেন্দ্র মোদী৷' বীরভূমের ইলামবাজারে দলীয় কর্মী খুনের ঘটনায় তৃণমূলের ৫ জন সমর্থককে গ্রেপ্তার করলেও বিজেপি নেতৃত্ব পুলিশের কড়া সমালোচনা করেন৷ সেখানে গিয়ে এ দিন শমীকবাবু বলেন, 'গত সোমবার থেকে ওই গ্রামে উত্তেজনা ছিল৷ আমাদের স্থানীয় নেতারা বারবার পুলিশকে তা জানিয়েও ছিলেন৷ কিন্ত্ত পুলিশ অফিসাররা আমাদের কাছে আজ স্বীকারই করলেন যে শনিবার ওই গ্রামে মোতায়েন পুলিশ পরিস্থিতি সামলাতে ব্যর্থ হয়েছিল৷ পুলিশের সামনেই শেখ রহিমকে বিদ্যুতের খুঁটিতে বেঁধে মেরে ফেলা হয়৷'
মহিলারাও তৃণমূলের হামলা থেকে রেহাই পাননি বলে বিজেপি নেতারা জানিয়েছেন৷ তাতে সায় দেন মৃত রহিমের পরিবারও৷ নিহতের মেয়ে বলেন, 'হামলাকারীরা বাড়ির মেয়েদের জামাকাপড় ছিড়ে দেয় ও শ্লীলতাহানি করে৷' ওই পরিবারের অপর একজন মহিলা বলেন, 'আমি সম্ভ্রম বাঁচাতে একটি পুকুরে ঝাঁপ দিয়েছিলাম৷' পুলিশ এখনও ঘটনাটি তৃণমূলের হামলা বলে মন্তব্য করছে না৷ তবে তৃণমূলের কর্মী বলে পরিচিত ওই এলাকার পাঁচজনকে ধরে বোলপুর আদালতে পাঠিয়ে হেফাজতে নিয়েছে চারদিনের জন্য৷
মিশন-২০১৬, মুসলিম মন পেতে ঝাঁপাচ্ছে রাজ্য বিজেপি
এই সময়: রাজ্যে ক্ষমতায় আসার লক্ষ্যে দলের গা থেকে সাম্প্রদায়িকতার তকমা ঝেড়ে ফেলতে মরিয়া বিজেপি বিপন্ন মুসলিমদের পাশে থাকার কৌশল নিচ্ছে৷ এ ব্যাপারে তারা প্রথম ধাপেই হাতিয়ার করছে ইলামবাজারের দলীয় কর্মী শেখ রহিমের খুনের ঘটনাকে৷ সেখানে আক্রান্ত মুসলিমদের পাশে দাঁড়াতে দিল্লি থেকে আসছেন বিজেপির কেন্দ্রীয় সংখ্যালঘু সেলের নেতারা৷ তাঁরা বীরভূমের পাশাপাশি রাজ্যে অন্যত্র সংখ্যালঘুদের 'দুর্দশা' ঘুরে দেখে মোদী সরকারকে রিপোর্ট জমা দেবেন৷ দলের কেন্দ্রীয় মুখপাত্র সিদ্ধার্থনাথ সিং রবিবার কলকাতায় সাংবাদিক বৈঠকে বলেন, 'লোকসভা ভোটে তৃণমূলের মুসলিম ভোটব্যাঙ্কে বিজেপি থাবা বসানোয় মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় আতঙ্কিত হয়েছেন৷ তাই মরিয়া শাসকদল সংখ্যালঘুদের উপর হামলা চালাচ্ছে৷' পাল্টা দিয়ে তৃণমূলের মহাসচিব পার্থ চট্টোপাধ্যায় বলেছেন, 'ধর্মের ভিত্তিতে ভাগাভাগির রাজনীতিকে প্রশয় দিচ্ছে বিজেপি৷ রাজ্যের বাইরে থেকে এসে ওদের নেতা উস্কানিমূলক কথা বলছেন৷'
হিন্দুত্ববাদী দল হিসাবে পরিচিত বিজেপি থেকে স্বাভাবিক কারণেই বরাবর মুখ ঘুরিয়ে থেকেছে সংখ্যালঘু সম্প্রদায়ের সিংহভাগ মানুষ৷ এ রাজ্যেও এত কাল গেরুয়া শিবিরকে ঠেকাতে বিজেপি বিরোধীদেরই সমর্থন করেছে তারা৷ সদ্যসমাপ্ত লোকসভা ভোটেও এবার কম-বেশি সেই ছবি ধরা পড়েছে৷ কিন্ত্ত রাজ্যে এই অংশের সমর্থন ছাড়া ক্ষমতায় আসা কঠিন, তা উপলব্ধি করেছেন বিজেপি নেতৃত্ব৷ সেই কারণেই ২০১৬-র বিধানসভা নির্বাচনে তৃণমূলকে হঠিয়ে সরকার দখলের লক্ষ্যে এখন থেকেই মুসলিম ভোটব্যাঙ্ককে পাখির চোখ করছে নরেন্দ্র মোদীর দল৷ শনি ও রবিবার দলের রাজ্য কমিটির বৈঠকে লোকসভা ভোটের ফল পর্যালোচনা করতে গিয়ে আলোচনায় বারবার উঠে এসেছে সংখ্যালঘু ভোটারদের প্রসঙ্গ৷ সেখানেই সিদ্ধান্ত হয়, সন্ত্রাসের মুখে পড়ে আতঙ্কিত মুসলিমরা দিশেহারা৷ এই অবস্থায় তাদের পাশে দাঁড়িয়ে নিরাপত্তা দিতে হবে বিজেপিকে৷ তা হলেই সংখ্যালঘুদের মন পাওয়া যাবে৷
এই সিদ্ধান্ত নেওয়ার পরেই দিল্লিতে দলের কেন্দ্রীয় সংখ্যালঘু সেলের নেতাদের সঙ্গে কথা বলেন রাজ্য নেতৃত্ব৷ রাজ্য সভাপতি রাহুল সিনহার আবেদনে সাড়া দিয়ে কেন্দ্রীয় নেতারা বীরভূমে ঘটনাস্থলে যাওয়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছেন৷ পরে সিদ্ধার্থ বলেন, 'কংগ্রেস-সিপিএম-তৃণমূল বরাবর মুসলিমদের ভোটব্যাঙ্ক হিসাবে ব্যবহার করেছে৷ সংখ্যালঘুদের তারা দেশের নাগরিক মনে করেনি কখনও৷' আর এই অংশের ভোটারদের মন কাড়তে হলে বিজেপিকে যে ধর্মনিরপেক্ষ ভাবমূর্তি গড়তে হবে, তা বোঝাতেই সিদ্ধার্থ কার্যত মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে চ্যালেঞ্জ ছুড়ে দিয়ে বলছেন, 'বিজেপি কোনও বৈষম্য রাখবে না৷ মোদী মুসলিমদের উন্নয়নের জন্য বিভিন্ন প্রকল্প নিচ্ছেন৷ কারণ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ওদের জন্য কিছু করবেন না৷' পার্থবাবু অবশ্য বলছেন, 'বাংলার মাটিতে এসে মমতাকে চ্যালেঞ্জ করার ক্ষমতা বিজেপির নেই৷ ওই দলকে নিয়ে চিন্তা বা দুশ্চিন্তা, কোনটাই আমাদের নেই৷ আমাদের চিন্তা বাংলার মানুষকে নিয়ে৷'
এই তত্পরতা যে ২০১৬-এর বিধানসভা নির্বাচনকে ঘিরে তা রাজ্য কমিটির বৈঠকে জানিয়ে দেন রাজ্য নেতৃত্ব৷ কেন্দ্রীয় স্তর থেকে তেমনই নির্দেশ এসেছে ৬ নম্বর মুরলীধর সেন লেনে৷ তার জেরেই বৈঠকে বলা হয়েছে, নেতা-কর্মীরা যেন ঘুমিয়ে সময় নষ্ট না-করেন৷ ২০১৬-এ তৃণমূলমুক্ত বাংলা গড়াই আমাদের মিশন৷ এর পাশাপাশি কর্মসূচি ঘোষণা করেছে রাজ্য কমিটি৷ সন্ত্রাস নিয়ে স্মারকলিপি দিতে ২০ জুন সব জেলাশাসকের দপ্তরে যাবেন বিজেপি নেতারা৷ ২৩ জুন শ্যামাপ্রসাদ মুখোপাধ্যায়ের মৃত্যুদিনে বাংলা বাঁচাও স্লোগান নিয়ে রাজ্য দপ্তর থেকে ধর্মতলা পর্যন্ত মিছিল করবেন রাহুল সিনহারা৷
CPI(M) General Secretary Prakas Karat, along with other leaders.
BREAKING NEWS
Over 12 cases of communal violence since LS polls ended: CPI-M
Bodies of five students fished out, 3 suspended for negligence
Kolkata, june 4 :CPI(M) West Bengal state committee thoroughly reviewed the election results in two day meeting on 2nd- 3rd. June. CPI(M) General Secretary Prakas Karat, along with Polit Bureau members Sitaram Yechury, Manik Sarkar were present in the meeting.
The preliminary review report and the discussion on it identified the rise of BJP to power and its strengthened support in states including West Bengal is a dangerous turn of politics. Along with them, TMC has gained seats in West Bengal. The strengthening of two rightist political forces and weakening of the Left has imposed serious dangers in front of democratic movement and the working people.
Review report and the discussions have identified both political and organizational reasons of Left Front's unexpected setback. BJP has taken advantage of intense anti-Congress discontent among people. The national situation has affected the scenario in Bengal too and the idea of alternatives other than BJP did not find ground. There was weakness in combating BJP's aggressive campaign. BJP even took advantage of discontent against TMC government in the state. There were lapses in the election organization too. The election organization was not satisfactorily active in many areas.
The review also took into account the impact of large scale terror in the state. In many areas, election campaign could not be conducted due to intense terror. On the day of elections large scale rigging and booth capturing took place. The Election Commission failed miserably to facilitate free, fair elections. These were reflected in vote share. In many constituencies, peoples' verdict was not reflected in the result. The state committee decided to thoroughly examine in an objective manner the difference of vote share between Left Front and TMC and determine the impact of political reasons and rigging behind that.
After the discussion, Prakash Karat, in his address, said that major political change has occurred in the country with BJP getting absolute majority in its own. BJP, which is backed by RSS has received unstinted support of the big bourgeoisie. On the other hand CPI(M) and the Lefts have suffered throughout the country except Tripura. Party has to take appropriate tactics to face this unprecedented situation.
Karat said that CC would review the electoral tactical line and all related questions. The impact of BJP's campaign, though apprehended, could not be effectively combated even in states like West Bengal. TMC's three year rule in Bengal has provided a fertile ground for the communal forces. This will pose a serious danger in the future. With the weakening of the Left and weakness in class movements, identity politics has grown. Party has to adopt proper political line to meet the challenge.
Karat said, Party and the Left movement in Bengal are facing fascistic method of terror. Elementary democratic rights are being attacked. It is an urgent task of the entire Party and the leadership to stand by the people who are being attacked. It is an urgent task to defend and protect Party's activists and supporters. Party will take up this attack on democracy in West Bengal throughout the country in a big way.
Karat said, we have to take up peoples' issues and develop class and mass movements even in such an adverse situation. We should develop independent activities of class and mass organizations.
Karat said that the Party will patiently listen to and grasp criticism, suggestions, and opinions of the Party members, supporters and sympathizers. We will critically process the political and organizational issues and take all necessary measures within the framework of the Party.
Summing up the discussion, Biman Basu said that this election was fought in an entirely different situation from the past. We have to work harder to overcome the weaknesses identified in the election struggle and in Party organization. Sustained ideological campaign against the communal forces should be conducted. To combat this danger, working class and peasants' movements have to be strengthened. One of the major areas of priority will be developing the work style of the mass organizations. State Party will take up this matter urgently. Party and leaders of all levels will steadfastly stand by the victims of terror. Party will take more initiatives to support them legally. Party will collect funds to support those who have become homeless in terror.
Meanwhile, Left Front has decided to submit deputation to the Chief Minister on 9th June demanding immediate halt of violence in the districts. On 25th June , conventions will be organized on the issue of protecting democracy commemorating the anniversary of declaration of internal emergency. On 30th June, Hul day will be observed throughout the state. On 8th July, the birth centenary celebration of Comrade Jyoti Basu will be observed throughout the state.
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