भाजपा को आदिवासियों ने नहीं जिताया है
एके पंकज
81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. इनमें से 11 भाजपा, आजसू 2, निर्दलीय 2 और झामुमो ने 13 सीटें जीती हैं. दलितों के लिए आरक्षित 9 में से 5 पर भाजपा, 3 पर झाविमो और एक सीट पर आजसू ने कब्जा किया है. अब भाजपा की 37 सीटों में से यदि हम अजजा-अजा की 16 आरक्षित सीटें और वामपंथियों की दो सीटें (धनवार में माले-लिबरेशन और निरसा में मासस) निकाल दें तो सामान्य वर्ग की 19 सीटें बचती हैं. जो मुख्यतः औद्योगिक, शहरी, बाहरी आबादी से अतिक्रमित और बिहार-बंगाल के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र हैं. जैसे, रांची, धनबाद, बोकारो, बेरमो, गिरिडीह, कोडरमा, जमशेदपुर, घाटशिला, दुमका, गुमला आदि. लगभग यही स्थिति उन आदिवासी सीटों की भी है जिनपर भाजपा को जीत मिली है. झाविमो, कांग्रेस और आजसू भी अधिकांशतः उन्हीं इलाकों में जीते हैं जहां बहिरागतों का स्पष्ट प्रभाव है. मतलब 81 में से सुरक्षित 37 (28 अजजा और 9 अजा) सीटें निकाल दें तो बचे हुए 44 सामान्य सीटों में से मात्र छह ही झामुमो को मिले हैं जो कि मुख्यतः मूलवासी सदान बहुल सीटें हैं. बहिरागतों के प्रभाव वाला एक भी सीट झामुमो के खाते में नहीं आया है.
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