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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, December 24, 2014

कल रात से सोच रहा हूँ कि अगला ^भारत रत्न' किसे दूँ. एक चुनाव तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और विनायक दामोदर सावरकर के बीच करना था. इनमें से तो मैंने 'वीर' सावरकर को चुन लिया.


कल रात से सोच रहा हूँ कि अगला ^भारत रत्न' किसे दूँ. एक चुनाव तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और विनायक दामोदर सावरकर के बीच करना था. इनमें से तो मैंने 'वीर' सावरकर को चुन लिया. फ्री इंडिया सोसाइटी की गतिविधियों में भाग लेने पर गिरफ़्तारी के बाद उन्होंने १९१० में मार्सेलेस में कैद से भागने की कोशिश भी की थी. १९२१ में माफीनामा लिख कर अंडमान जेल (काला पानी) की काल कोठरी से छूटने से पूर्व उन्होंने १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम पर किताब भी लिखी. इसके बाद वे हिन्दुत्व के प्रखर व्याख्याता बन गये और उनके मूल सिद्धांतों पर आज की हिन्दुत्व की राजनीति सफलता के साथ चल रही है. कांग्रेस के वे कटु आलोचक रहे और १९४२ के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का विरोध किया. शायद इसीलिये उन्हें महात्मा गांधी के हत्या के मुक़दमे में घेर लिया गया. उस मुक़दमे से उनके बाइज्जत रिहा होने के बाद भी नेहरू आदि ने उनसे दूरी बनाये रखी. नेहरू के मरने के बाद लाल बहादुर शास्त्री के काल में ही उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन मिलनी शुरू हुई. तो मेरे हिसाब से वीर सावरकर इस सम्मान के लिये ठीक बैठते हैं. मगर अब मुझे महाराणा प्रताप और शिवाजी में से एक को चुनना है. यह कठिन सवाल है. क्या करूं ?
कल रात से सोच रहा हूँ कि अगला ^भारत रत्न' किसे दूँ. एक चुनाव तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और विनायक दामोदर सावरकर के बीच करना था. इनमें से तो मैंने 'वीर' सावरकर को चुन लिया. फ्री इंडिया सोसाइटी की गतिविधियों में भाग लेने पर गिरफ़्तारी के बाद उन्होंने १९१० में मार्सेलेस में कैद से भागने की कोशिश भी की थी. १९२१ में माफीनामा लिख कर अंडमान जेल (काला पानी) की काल कोठरी से छूटने से पूर्व उन्होंने १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम पर किताब भी लिखी. इसके बाद वे हिन्दुत्व के प्रखर व्याख्याता बन गये और उनके मूल सिद्धांतों पर आज की हिन्दुत्व की राजनीति सफलता के साथ चल रही है. कांग्रेस के वे कटु आलोचक रहे और १९४२ के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का विरोध किया. शायद इसीलिये उन्हें महात्मा गांधी के हत्या के मुक़दमे में घेर लिया गया. उस मुक़दमे से उनके बाइज्जत रिहा होने के बाद भी नेहरू आदि ने उनसे दूरी बनाये रखी. नेहरू के मरने के बाद लाल बहादुर शास्त्री के काल में ही उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन मिलनी शुरू हुई. तो मेरे हिसाब से वीर सावरकर इस सम्मान के लिये ठीक बैठते हैं. मगर अब मुझे महाराणा प्रताप और शिवाजी में से एक को चुनना है. यह कठिन सवाल है. क्या करूं ?

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