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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, October 4, 2015

नेपाल में हस्तक्षेप बंद करो

नेपाल में हस्तक्षेप बंद करो

लेखकों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, फिल्मकारों व राजनीतिज्ञों की भारत सरकार से मांग

नेपाल में हस्तक्षेप बंद करो

नई दिल्ली। भारत के 100 से अधिक प्रमुख लोगों ने एक वक्तव्य जारी कर नेपाल के आंतरिक मामलों में भारत सरकार के हस्तक्षेप का  विरोध किया है।

वक्तव्य में इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की गयी है कि 20 सितंबर को नेपाल के नये संविधान की घोषणा हो गयी।

संविधान की घोषणा पर भारत सरकार की नाखुशी भरी प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए कहा गया है कि 'अतीत में भारत की विभिन्न सरकारों द्वारा अपनाये गये 'बड़े भाई' वाली प्रवृत्ति की वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों में कटुता आती रही है जिसे नेपालियों ने भारत की विस्तारवादी नीति के रूप में चिन्हित किया है।'

वक्तव्य में कहा गया है कि 'यह नेपाली जनता का सार्वभौम अधिकार है कि वह अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करे, यह तय करे कि वहां किस तरह की शासन प्रणाली चाहिए, अपने संविधान की रचना करे और उसमें जिस तरह का परिवर्तन चाहे करे।'

सरकार की मौजूदा नीति पर टिप्पणी करते हुए इसमें कहा गया है कि 'भारत सरकार ने पड़ोसी देशों के बीच शांतिपूर्ण अस्तित्व के इस सिद्धांत का उल्लंघन किया है।'

वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख बुद्धिजीवियों के अलावा अनेक वामपंथी, जनतांत्रिक और क्रांतिकारी धारा के प्रमुख नेता शामिल हैं। इनमें एस. सुधाकर रेड्डी, महासचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी/अमरजीत कौर, राष्ट्रीय सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी/स्वपन मुखर्जी, पोलिट ब्यूरो सदस्य, सीपीआई (एमएल-लिबरेशन)/के. एन. रामचंद्रन, महासचिव सीपीआई (एमएल-रेड स्टार)/देवब्रत विश्वास, महासचिव, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक/अखिलेंद्र प्रताप सिंह, संयोजक, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट/शिवमंगल सिद्धांतकर, महासचिव, सीपीआई (एमएल-न्यू प्रोलिटेरियन)/रघु ठाकुर, अध्यक्ष, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी/अर्जुन प्रसाद सिंह, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया आदि प्रमुख हैं।

अनेक लेखकों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, फिल्मकारों आदि ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं। इनमें प्रमुख हैं आनंद पटवर्द्धन (फिल्मकार), अनिल सद्गोपाल (शिक्षाविद्), अमित भादुड़ी और निर्मलांगशु मुखर्जी (एकेडमीशिन) मनोरंजन मोहंती (राजनीति विज्ञानी), कमल नयन काबरा और गिरीश मिश्र (अर्थशास्त्री) और असद जैदीमंगलेश डबराल, पंकज बिष्ट, विष्णु नागर, नीलाभ, पंकज सिंह, विष्णु खरे, रंजीत वर्मा, उज्जवल भट्टाचार्य, मदन मोहन जैसे कवि-कथाकार, शमशुल इस्लाम (रंगकर्मी), गौतम नवलखा, आनंद स्वरूप वर्मा, राहुल पंडिता, अभिषेक श्रीवास्तव, पलाश बिश्वास, जावेद नकवी, अमलेंदु उपाध्याय जैसे पत्रकार आदि।

मूल वक्तव्य निम्न है -

नेपाल में हस्तक्षेप बंद करो

दो सौ वर्ष से भी पुराने राजतंत्र को उखाड़ फेंकने के बाद संविधान सभा के लिए हुए चुनावों के फलस्वरूप अनेक सरकारों द्वारा संविधान को अंतिम रूप देने में असफल होने से भरे सात उथल पुथल वाले वर्षों के बाद आखिरकार 20 सिंतबर को नेपाल के  राष्ट्रपति ने नये संविधान की घोषणा कर दी। इसे संविधान सभा के सदस्यों के बहुमत और व्यापक जनसमुदाय का समर्थन मिला। संविधान के अंतर्गत देश धर्मनिरपेक्ष संघीय प्रणाली के तहत सात राज्यों में बांट दिया गया।

संविधान का विरोध एक तरफ तो उन धार्मिक कट्टरपंथियों ने किया जो नेपाल को फिर हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे और दूसरी तरफ तराई क्षेत्र के मधेस और थारू समुदाय के नेताओं ने किया जो संविधान में कुछ और अधिकारों तथा प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे थे।

नेपाल 2.9 करोड़ लोगों का एक छोटा देश है जो अपने दो बड़े पड़ोसियों चीन और भारत के बीच स्थित है। चीन ने जहां एक तरफ इस संविधान का स्वागत किया है वहीं भारत ने इस बात को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर की है कि संविधान ने तराई की जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं की। इससे दोनों देशों के बीच संबंध और कटु हो गये हैं जो अतीत में भारत की विभिन्न सरकारों द्वारा अपनाये गये 'बड़े भाई' वाली प्रवृत्ति की वजह से कटु रहे हैं और जिसे नेपालियों ने भारत की विस्तारवादी नीति के रूप में चिन्हित किया है। हम मानते हैं कि यह नेपाली जनता का सार्वभौम अधिकार है कि वह अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करे, यह तय करे कि वहां किस तरह की शासन प्रणाली चाहिए, अपने संविधान की रचना करे और उसमें जिस तरह का परिवर्तन चाहे करे। भारत सरकार ने पड़ोसी देशों के बीच शांतिपूर्ण अस्तित्व के इस सिद्धांत का उल्लंघन किया।

हम नेपाली जनता को उसके संविधान की घोषणा के अवसर पर अपना पूर्ण समर्थन देते हैं। हम नेपाल के आंतरिक मामलों में भारत सरकार के हस्तक्षेप का विरोध करते हैं। हम मानते हैं कि तराई क्षेत्र की जनता सहित यह संपूर्ण नेपाली जनता का अधिकार है कि वह अपने संविधान में मनचाहा परिवर्तन करे। नेपाली जनता के संघर्ष के इस महत्वपूर्ण दौर में हम उसे अपना गर्मजोशी से भरा अभिवादन प्रेेषित करते हैं।

असद जैदी/कवि

आनंद पटवर्धन/फिल्म निर्माता

अखिलेंद्र प्रताप सिंह/राष्ट्रीय संयोजक, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट

अमरजीत कौर/राष्ट्रीय सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

अर्जुन प्रसाद सिंह/पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया (पीडीएफआइ)

अनिल सद्गोपाल/शिक्षाविद्

अमित भादुड़ी/एकेडमीशियन

आनंद स्वरूप वर्मा/पत्रकार, संपादक 'समकालीन तीसरी दुनिया'

अनूप सराया/चिकित्सक, एआईआईएमएस

अरबिंदो घोष/अधिवक्ता, मानवअधिकारकर्मी

अमलेन्दु उपाध्याय/हस्तक्षेप डॉट कॉम

ए.के. अरुण/संपादक युवा संवाद

अनिल चौधरी/सामाजिक कार्यकर्ता

अनवर जमाल/फिल्म निर्माता

अशोक कुमार पांडे/कवि

अरुण त्रिपाठी/पत्रकार

अभिषेक श्रीवास्तव/पत्रकार

अटल तिवारी/पत्रकार

अमित शुक्ला/अधिवक्ता

अविनाश पांडे/पत्रकार

भूपेंन सिंह/पत्रकार

भाषा सिंह/पत्रकार

भास्कर उप्रेती, पत्रकार

सी.पी. झा,/पत्रकार

देवब्रत विश्वास/महासचिव, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक

दिनकर कपूर/एआईपीएफ

दुलाली नाग/लेक्चरर

दिलीप खान/पत्रकार

दिगंबर/लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता

धर्मानन्द लखेड़ा/संस्कृतिकर्मी, प्रगतिशील लेखक संघ

फिरोज मिठीबोरवाला, मानवअधिकारकर्मी

फैसल अनुराग/सामाजिक कार्यकर्ता

गौतम नवलखा/लेखक, पत्रकार

गिरीश मिश्र/अर्थशास्त्री

गोविंद पंत राजू/पत्रकार

हिमांश कुमार/सामाजिक कार्यकर्ता और मानवअधिकारकर्मी

हर्ष कपूर/पत्रकार, साउथ एशियन सिटिजन्स वायर

हिरण्यमय धर/समाजशास्त्री

हिमांशु रंजन/पत्रकार

ईश मिश्र/जन हस्तक्षेप

जया मेहता/जोशी-अधिकारी समाज अध्ययन संस्थान, नयी दिल्ली

जावेद नकवी/पत्रकार

जावेद अनीस/पत्रकार

के.एन. रामचंद्रन/महासचिव सीपीआई (एमएल-रेड स्टार)

कुमार सुंदरम/परमाणु विरोधी कार्यकर्ता

कुलदीप कुमार, पत्रकार

किशन कालजयी/कवि-पत्रकार

कमल नयन काबरा/अर्थशास्त्री

कृष्ण प्रताप सिंह/पत्रकार

कुमार राजेश/पत्रकार

कौशल किशोर/कवि-संस्कृतिकर्मी

कामता प्रसाद/अनुवादक

कुमार नरेंद्र सिंह/पत्रकार

मंगलेश डबराल, कवि, संस्कृतिकर्मी

मनोरंजन मोहंती/पूर्व प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय

मुशर्रफ अली/पत्रकार

मल्लिका शाक्य/साउथ एशियन यूनिवर्सिटी

मोइनुद्दीन अहमद,

मेहर इंजीनियर/राजनीतिक टिप्पणीकार

मदन मोहन/उपन्यासकार

मोहिनी भोज/कवयित्री

महेंद्र प्रताप/प्राध्यापक

मनोज कुमार सिंह/पत्रकार

मनोज पांडे/कवि

नित्यानंद गायेन/कवि

निर्मलांगशु मुखर्जी/एकेडिमीशियन

नीलाभ/कवि, संस्कृतिकर्मी

प्रशांत टंडन/पत्रकार

पीयूष पंत/पत्रकार

पांणिनि आनंद/पत्रकार, संस्कृतिकर्मी

पलाश बिश्वास/पत्रकार

प्रणव प्रियदर्शी/पत्रकार

पंकज सिंह/कवि, पत्रकार

पंकज श्रीवास्तव/पत्रकार

प्रमोद मलिक/पत्रकार

पंकज बिष्ट/उपन्यासकार. संपादक 'समयांतर'

कुरबान अली/पत्रकार

रघु ठाकुर/अध्यक्ष, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी

राहुल पंडिता/पत्रकार, येल वर्ल्ड फेलो

रेयाज-उल-हक/ पत्रकार, 'हाशिया'

राजेंद्र सायल/सामाजिक कार्यकर्ता

रामू सिद्धार्थ/पत्रकार

रामशिरोमणि शुक्ल/पत्रकार

रवि हेमाद्रि,

रवींद्र गोयल/प्रध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता

रॉबिन चक्रवर्ती/साप्ताहिक फ्रंटियर

रामजी राय/संपादक समकालीन जनमत

रंजीत वर्मा/कवि

रमेंद्र त्रिपाठी/पूर्व प्रशासक

एस. सुधाकर रेड्डी/महासचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

स्वपन मुखर्जी/पोलिट ब्यूरो सदस्य, सीपीआई (एमएल-लिबरेशन)

शिवमंगल सिद्धांतकर, महासचिव/सीपीआई (एमएल-न्यू प्रोलिटेरियन)

शिव जोशी/सामाजिक कार्यकर्ता

सीमा आजाद/राजनीतिक कार्यकर्ता, संपादक-मासिक दस्तक

संदीप राउजी/पत्रकार

शेखर पाठक/इतिहासकार, 'पहाड़'

शहनाज इमरानी,

एस.आर. दारापुरी/दलित चिंतक

शमशुल इस्लाम/रंगकर्मी

सुधेन्दु पटेल/सामाजिक कार्यकर्ता

शास्त्री रामचंद्रन/लेखक, पत्रकार

सुब्रत राजू/वैज्ञानिक

तनवीर आलम/राजनीतिक टिप्पणीकार

उज्जवल भट्टाचार्य/कवि-पत्रकार

विष्णु खरे/कवि-आलोचक

विजय सिंह/संपादक 'रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेसी'

वीरेंद्र यादव/साहित्यकार संस्कृतिकर्मी

विनीत तिवारी/महासचिव, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ

विष्णु नागर/कवि-पत्रकार

विद्याभूषण रावत/सामाजिक कार्यकर्ता

विली डिकोस्टा/सामाजिक कार्यकर्ता

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