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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, August 8, 2013

मुक्तिनाथ का इस्तीफा, किताब विवाद से आंखों को तकलीफ

मुक्तिनाथ का इस्तीफा, किताब विवाद से आंखों को तकलीफ


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


उच्चमाध्यमिक शिक्षा संसद के सभापति मुक्तिनाथ चट्टोपाध्याय ने आखिरकार अपना इस्तीपा देकर फजीहत से बचने का रास्ता निकाल ही लिया।ग्यारहवीं की किताब छापने के ठेके को लेकर अदालती विवाद में शिक्षा संसद और मुक्तिनाथ कटघरे में थे ही। वह मामला अभी सुलझा नहीं है। शिक्षा सत्र खुल जाने के बावजूद छात्रों को किताब अभी मिल नहीं पायी है। इस पर तुर्रा यह कि शिक्षा मंत्री वरात्यबसु से नाना प्रकरण में उनकी रस्साकशी चल रही थी।


बहरहाल अपने इस्तीफा में इन प्रसंगों को जाहिरा तौर पर टाल गये हैं मुक्तिनाथ और फिलहाल उन्होंने इस्तीफे की असली वजह के बारे में जुबान भी सी ली है। शिक्षामंत्री को संबोधित अपने  इस्तीफे में उन्होंने अपनी शारीरिक अस्वस्थता का हवाला देकर पद से मुक्ति की गुहार लगायी है।


सूत्रों का दावा है कि शिक्षा मंत्री से अनबन की वजह से नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नाराजगी के कारण मुक्तिनाथ को असमय विदा होना पड़ा। छात्रों को किताब न मिलने से मुख्यमंत्री बेहद नाराज बतायी जाती हैं और किताब छपने के मामले में अदालती झमेले के लिए वे मुक्तिनाथ को ही खासतौर पर जिम्मेदार मानती हैं।ऐसे में वे कबतक रस्साकशी खेलते?


हालांकि शिक्षामंत्री ने साफ कर दिया है कि मुक्तिनाथ से उनकी अनबन कीखबर बेबुनियाद है। उनके मुताबिक आंखों में तकलीफ की वजह से ही मुक्तिनाथ बाबू जा रहे हैं। अब यह पता नहीं चला है कि किस किस महकमे और कितने लोगों को आंखों की तकलीफ है और उनकी बीमारी मुक्तिनाथ बाबू की तरह लाइलाज है।


किताब विवाद पर मुक्तिनाथ बाबू ने हालांकि सफाई दी है कि उन्होंने कोई एक पैसा भी नहीं लिया है।अगर इस मामले में सीबीआई जांच भी हो जाये तो वे सामना करने के लिए तैयार हैं।


बताया जाता है कि मुख्यमंत्री की नाराजगी के बारे में मालूम होने पर मुक्तिनाथ बाबू ने दीदी को एसएमएस भेजकर पूछा था कि अब उनको क्या करना है।लेकिन मुख्यमंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया तो जवाब समझ गये मुक्तिनाथ और डेरा डंडा उठाकर चल दिये।



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