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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, August 7, 2013

सुषमा असुर जेएनयू में 'आदिवासी साहित्‍य : स्‍वरूप और संभावनाएं' विषय पर आयोजित राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का नगाड़ा बजाकर उद्घाटन करते हुए.

गंगा सहाय मीणा added a photo from July 29, 2013 to his timeline.
सुषमा असुर जेएनयू में 'आदिवासी साहित्‍य : स्‍वरूप और संभावनाएं' विषय पर आयोजित राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का नगाड़ा बजाकर उद्घाटन करते हुए. (कन्‍वेंशन सेंटर, जेएनयू, 29 जुलाई, 2013) हमने अपनी गोष्‍ठी की शुरूआत वक्‍ताओं को सखुआ पत्‍ता भेंट कर और नगाड़ा बजाकर की. संगोष्‍ठी के कुल 10 सत्रों में किसी सत्र में कोई अध्‍यक्ष नहीं था. हर सत्र का एक मॉडरेटर था, जिसे हिंदी में हमने सत्र संयोजक कहा. हिंदी की गोष्ठियों के रूढ़ ढांचे से हमने कुछ अलग करने की कोशिश की. हमारे तमाम प्रतिभागियों ने भी हमारी इस पहल और कोशिश में हमारा साथ दिया. हम उनके शुक्रगुजार हैं. (फोटो में यूजीसी के पूर्व अध्‍यक्ष प्रो. सुखदेव थोराट, जेएनयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार सोपोरी, समाजशास्‍त्री प्रो. Anand Kumar और झारखंडी भाषा संस्कृति अखड़ा पत्रिका की संपादक Vandna Tete जी नगाड़ा बजाने के इंतजार में. साथ मैं उद्घाटन सत्र के मॉडरेटर के रूप में मैं भी हूं.) — at आदिवासी साहित्‍य : स्‍वरूप और संभावनाएं.
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