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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, June 6, 2012

पैसा लेकर नम्बर देते रांची विश्वविद्यालय के परीक्षक

http://www.janjwar.com/campus/31-campus/2710-ranchi-university-number-scam

आश्चर्यजनक बात यह है कि संतोष  गुप्ता व योगेन्द्र महतो के किए गए गोरखधंधे का सबूत रांची विश्वविद्यालय प्रशासन के कब्जे में है, फिर भी दोषी परीक्षकों के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है...

राजीव 

स्नातक स्तर की शिक्षा इसलिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि यह उच्च  शिक्षा का आंरभिक सोपान है.लेकिन झारखंड में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में बड़ी हेराफेरी का मामला सामने आने के बाद इस पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है.

ranchi-university

खुलासा हुआ है कि राज्य के बाकी हिस्सों के साथ राजधानी रांची में स्थित 'रांची विश्वविद्यालय' में भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है और स्नातक तृतीय वर्ष की उत्तर पुस्तिकाओं के जांच में हेराफेरी की गयी है.दसवीं पास कम्प्यूटर आपरेटर संतोष गुप्ता से स्नातक तृतीय वर्ष की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करायी गयी है.

हाईस्कूल पास संतोष गुप्ता से स्नातक की कॉपी जंचवाने का नेक काम किया है रांची विश्वविद्यालय के कामर्स विभाग के हेड आफ डिपार्टमेंट डा. तुलसी मोदी ने.तुलसी मोदी के सह पर संतोष  गुप्ता ने कापियों की जांच अपने घर ले जाकर की.इतना ही नहीं मुख्य परीक्षक द्वारा जांची गयी कापियों को भी संतोष चुराकर अपने घर ले गया और उन कापियों में फिर से मनमाने ढंग से नंबर दिये.

गौरतलब है कि इस गोरखधंधे में सिर्फ संतोष गुप्ता और कामर्स हेड ही नहीं थे, बल्कि सिल्ली कालेज के व्याख्याता योगेंन्द्र महतो भी शामिल थे.सूत्रों ने बताया कि दन दोनों ने वैसे छात्रों की कापियां चुरायी या मनमाने ढंग से अंक दिये, जिन्हें उत्तीर्ण करवाने का इन्होंनें ठेका लिया था.

जेएन कालेज, रांची में अनुबंध पर कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटर संतोष  गुप्ता ने सर्वप्रथम रामटहल चैधरी कालेज में व्याख्याता पद के लिए फर्जी पत्र बनवाया, जिसमें उसे तीन साल पढ़ाने का अनुभव दिखला दिया गया और इसी फर्जी पत्र के आधार पर रांची वि'वविद्यालय के कामर्स के हेड आफ डिपार्टमेंट डा. तुलसी मोदी ने संतोष  गुप्ता को परीक्षक बना दिया.

रांची वि'वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था कितनी लचर है कि एक फर्जी पत्र के आधार पर संतोष गुप्ता नाम का यह व्यक्ति दूसरी बार परीक्षक बना है.इससे पहले  2010-11 में भी संतोष गुप्ता परीक्षक बन चुका है.क्या ऐसा संभव है कि एक व्यक्ति रांची वि'वविद्यालय के प्रशासनिक इकाई के प्रत्येक पदाधिकारी को हर समय बेबकूफ बना कर अपने फर्जीवाड़े को चला रहा होगा ? क्या इसमें वि'वविद्यालय की संलिप्तता से इंकार किया जा सकता है ?

रांची विश्वविद्यालय के कामर्स के हेड आफ डिपार्टमेंट डा. तुलसी मोदी का कहना है कि संतोष गुप्ता द्वारा रामटहल चैधरी कालेज के लेक्चरर होने का पत्र दिखाने पर मैंने उन्हें  परीक्षक बनाया था.मुझसे यह गलती हुई कि मैंने सत्यापन किए बिना ही संतोष गुप्ता को परीक्षक बना दिया.' 

तुलसी मोदी के कथनानुसार फर्जी परीक्षक संतोष गुप्ता, जो खुद स्नातक तक भी पढ़ा नहीं है पिछले वर्ष भी स्नातक के छात्र-छात्राओं की कापियां जांच चुका है.इसका अर्थ यह हुआ कि रांची विश्वविद्यालय  में यह शैक्षिणिक फर्जीवाड़ा कई वर्षों से चल रहा है.रांची वि'वविद्यालय द्वारा छात्रों के भवि"य से खिलवाड़ किया जा रहा है, जो एक अपराध है और इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए जिससे इस फर्जीवाड़े में संलिप्त लोग के चेहरे बेनकाब हों.

कामर्स के मुख्य परीक्षक डा. नवीन कुमार का कहना है कि उत्तर पुस्तिकाओं के साथ टेम्परींग की गयी है.16 गायब उत्तर पुस्तिकाओं को देखने से घालमेल की बात सामने आयी है.पूरे मामले की जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा कि कितने उत्तर पुस्तिकाओं में वास्तविक से ज्यादा अंक दिए गए हैं.

मामले का खुलासा होने पर रांची वि'वविद्यालय के वीसी डा. वीपी शरण ने कहा कि 'यह काफी गंभीर मामला है.मूल्यांकन में दोनों परीक्षकों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं.रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे परीक्षा बोर्ड में रखी जाएगी.दोनों परीक्षकों द्वारा जांची गयी काॅपियों को पुनः मूल्यांकन कराने की जिम्मेदारी एक वरिष्ठ शिक्षक  को दे दी गयी है.इस मामले में रांची वि'वविद्यालय प्रशासन कठोर कार्रवाई करेगा.'

उल्लेखनीय है कि 21 मई से 27 मई तक संतोष गुप्ता और सील्ली कालेज के योगेन्द्र महतो ने 352 कापियां जांची, जिसमें से 151 कापियां योगेन्द्र महतो ने और 201 कापियां संतोष  गुप्ता ने जांची.

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि संतोष  गुप्ता व योगेन्द्र महतो के किए गए गोरखधंधे का प्रथम द्रष्टया सबूत रांची विश्वविद्यालय प्रशासन के कब्जे में है फिर भी दोषी परीक्षकों के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है और न ही छात्रों के भविष्य से खेलने वाले फर्जी परीक्षकों को अभी तक निलबिंत किया गया है.

rajiv-giridihराजीव पेशे से वकील हैं और राजनीतिक विषयों पर लिखते हैं. 

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