अजीब देश है . . एक तरफ नंगी भूखी जनता है जिसे दो जून की रोटी और तन ढकने को कपड़ा तक नसीब नहीं है, दूसरी तरफ ये स्वतः नंगी हो रही प्रजा है जिसे तन ढंकने की तमीज तक नहीं है. ये इस देश का गौरव है या शर्म...
भंवर मेघवंशी
हमारे देश में सुन्दरियों में नंगे होने की होड़ सी मची हुई है. कपड़े उतारने की यह कैसी होड़ है? कोई पूनम पाण्डेय शाहरूख खान को तोहफा दे रही है तो कोई रोजलिन खान धोनी के लिए पूर्ण नंगी हो गई है. इससे पहले योगिता दाण्डेकर नामक युवती ने बुजुर्ग आन्दोलनकारी अन्ना का 'खुलकर' (दरअसल खोलकर ) सपोर्ट किया था, हालात यह है कि नारीवादी लेखिका और महिलाओं की आजादी की जबरदस्त समर्थक तस्लीमा नसरीन तक को पूनम पाण्डेय की सस्ती लोकप्रियता पाने की इस 'लुच्छी हरकत' पर कहना पड़ा कि ''पूनम पाण्डेय न्यूड हो गई मगर लगता है, अभी तक उनका मन नहीं भरा, वह अभी भी इतनी गंदी हरकतें कर रही है जितनी पहले कभी नहीं की . . . आगे तस्लीमा कहती है कि - लगता है पूनम . . . पब्लिक के सामने ही . . . . . . करवाना चाहती है.''
खैर, एक और तस्वीर भी सामने आई है जिसमें पूरी तरह से नग्न पूनम पाण्डेय ने किसी हिन्दू देवता की तस्वीर का सहारा ले रखा है, इस तस्वीर को राज्य सभा सांसद सचिन तेंदुलकर प्रणाम कर रहे है, यह अजीबो गरीब अवस्था है, क्या नंगी पूनम ने कामदेव को थाम रखा है जिसे नवजात नेता सचिन तेन्दुलकर नमन कर रहे है ! वैसे कर भी रहे हो तो क्या बुरा है ?
कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (जिनका नाम मनचलों ने अभिषेक के बजाय 'अभी सेक्स' रख लिया है!) से लेकर महिपाल मदेरणा तक सेक्स सीड़ीयों का बाजार गर्म है. हर व्यक्ति जान गया है कि राजनीति में क्या चल रहा है, किक्रेट में क्या चल रहा है और फिल्म इण्डस्ट्रीज और औद्योगिक जगत के बीच क्या चल रहा है, ऐसा लगता है यह देश, देश नहीं देह की मण्डी है, जहां पर हर कोई बदन ऊघाड़ू आकर अंग प्रदर्शन की अनन्त प्रतिस्पर्धा का धावक बनने पर तुला हुआ है.
नंगेपन की इस होड़ ने और कपड़े उतारने की इस दौड़ ने पूरे मुल्क को नंगा विमर्श में तब्दील कर दिया है. हालांकि पूनम पाण्डेय ने देवता के साथ वाली अपनी नंगी तस्वीर पर रोष व दुःख जताते हुए, इसे एडिटेड व फर्जी तस्वीर करार दिया है. शायद उसे डर है कि हिन्दू देवता की तस्वीर वाले चित्र पर हंगामा खड़ा हो सकता है, खासकर हिन्दुत्ववादी समूह इस आपत्ति कर सकते है, हालांकि अभी तक विश्व हिन्दू परिषद, शिव सेना, बजरंग दल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आदि संगठनों की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, शायद वे भी नग्न तस्वीरों के रसास्वादन में मस्त हो!
देह की अमीरी का प्रदर्शन करते वक्त वस्त्रों की दरिद्रता के दर्शन आजकल सहज में ही हो जाया करते है, विशेषतः अंग्रेजी भाषी भारतीय मध्यमवर्गीय धीरे-धीरे कम कपड़े पहनने लगा है, ये पूनम पाण्डेय, रोजलिन खान, योगिता दाण्डेकर तो इस वर्ग के मध्य मची सड़ांध का अंश मात्र ही है. जिस देश में ''भोग'' को पर्दे में करने की परम्परा रही हो वहां पर ''सम्भोग'' के सार्वजनिक प्रदर्शन को नैतिक अवमूल्यन की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा.
खैर, नंगे होने वाले तो मानसिक रूप से विकृत है ही, इस नग्नता को सोसल वेबसाइट्स पर फ़ॉलो कर रहे 'फोलोअर्स' के लिए क्या कहा जा सकता है ? क्या यह आम भारतीयों की दमित कामवासना का विस्फोट है या हम भारतीय इतने आधुनिक हो चुके है कि अब कपड़े नहीं भी पहने तो चल सकता है. अजीब देश है . . एक तरफ नंगी भूखी जनता है जिसे दो जून की रोटी और तन ढकने को कपड़ा तक नसीब नहीं है, दूसरी तरफ ये स्वतः नंगी हो रही प्रजा है जिसे तन ढंकने की तमीज तक नहीं है. इन्हें क्या कहें ? ये इस देश का गौरव है या शर्म, इन पर गर्व करें या लानत भेजे, समझ के परे है. इंतजार कीजिये, इनके चैराहों पर भोग करते हुये विडीयो सोशल मीडिया पर जल्द ही होंगे अथवा प्रिन्ट मीडिया में ये अपने लिये ब्लात्कार करने वाले लोग ढूंढने के इश्तेहार छपवायेगी.
पर क्या इसके लिये केवल औरतें ही जिम्मेदार है ? शायद नहीं, क्योंकि कोई पूनम शाहरूख के लिए नंगी हो रही है तो रोजलिन धोनी के लिए और योगिता अन्ना हजारे के लिए, ये अल्ट्रा मार्डन युवतियां आखिर नग्न तो पुरूषों के लिए ही हो रही है ना. फिर भी यहां पितृसत्ता का प्रकोप बना हुआ है. सम्पूर्ण नारीवादी विमर्श नारी की दैहिक स्वाधीनता पर जोर देता है. उनके लिए देह स्त्री की सम्पत्ति है, वे इसे ढंके, छिपाये अथवा दिखाये. मगर नारीवादियों ने भी कभी कल्पना नहीं की होगी कि देह की स्वतंत्रता एक दिन स्त्री को महज देह में ही बदल कर रख देगी, जहां पर वे 'जबरन' नहीं पर 'इच्छा से' वस्त्र उतार रही होगी.
इन सुन्दरियों की 'हरकतें' चर्चा में बने रहने का 'पब्लिसीटी स्टंट' हो सकता है, शर्लिन चौपड़ा, साक्षी प्रधान भी 'हॉट फोटो' जाहिर करके खूब चर्चा में रही हैं. विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन भी कम कपड़ों में फोटो खिंचवा चुकी है. पुरूषों में भी वस्त्र उतारने से लेकर जिस्म बेचने तक का प्रचलन खूब बढ़ गया है. दरअसल नवउदारीकृत बाजार की दुनिया में देह एक उत्पाद मात्र है, शायद तभी तो तस्लीमा नसरीन जैसी लेखिका पूनम पाण्डेय के लिए ट्विटर पर लिखती है कि - इसका बस चले तो सरेआम लोगों के बीच आकर ' संबंध' बना ले. तस्लीमा भी मुस्लिम महिलाओं के लिए यह लिख कर हंगामा खड़ा कर चुकी है कि वे 72 कुंवारे पुरूषों के साथ सो सकती है, बस उन्हें मौका मिलने की देर है.
अब इन बातों पर कोई क्या प्रतिक्रिया करें ? पूनम ने तो हाल ही में 'माई बाथरूम सीक्रेट्स' नामक विडि़यों भी लांच किया है, जो यू ट्यूब पर बैन किया जा चुका है (मगर आज भी दिखता है) गौरतलब है कि पूनम पाण्डेय का बाथरूम विडियों सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से हिट हुआ है. इसे मिल रहे रिस्पांस के चलते वेबसाइट कई बार क्रेश हो गई, महज दो ही दिनो में इसे दुनिया भर के 70 लाख लोगों ने देख डाला.
कपड़ों की नंगई से जुमलों की नंगई तक के इस सफर में फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चौपड़ा भी कूद गई, उसने मुम्बई में विगत दिनों कह डाला कि मर्द 'इज्जतदार' नहीं होते मगर बिना मर्दों के रहना भी मुश्किल है. एक फिल्म पत्रिका को इस 'गर्ल' ने कहा कि औरत व मर्द के रिश्ते अजीब होते है, मैं मर्दों के साथ भी नहीं रह सकती और उनके बगैर भी नहीं रह सकती.
इस देश की संस्कृति, देश के तिरंगे और देश के नाम का किस प्रकार देहोन्मुखी दुरूपयोग किया जा सकता है उसका सबसे गरमागरम उदाहरण योगिता दाण्डेकर है जो गांधीवादी अन्ना को सपोर्ट करने के लिए अधनंगी हो गई थी, उसने अपने शरीर के उपरी भाग पर तिरंगा पुतवा कर उस पर 'आई सपोर्ट अन्ना' लिखवा दिया और पिछवाड़े बेचारे चिरकुंवारे अन्ना को मंडवा कर 'आई लव इंडिया' लिखवा दिया.
उसने तो जन लोकपाल बिल संसद में पारित हो जाने पर नंगे होकर संसद मार्ग पर दौड़ लगाने की भी घोषणा कर दी थी, सलीना वली खान ने भी ऐसा ही ऐलान किया था. योगिता का तो दावा है कि वे अन्ना की 10 वर्षों से अनुयायी है और कई अभियानों का हिस्सा रह चुकी हैं.
वाकई अन्ना टीम की इस सदस्य का यह भी स्वागत योग्य कदम है, अन्ना की बाकी टीम संप्रग को, केंद्रीय मंत्रीमण्डल तथा प्रधानमंत्री को नंगा करने पर तुले हुए है, वहीं योगिता है जो खुद टॉपलेस (अध नंगी) होकर मनचलो के लिए मनोरंजन का सामान बन गई हैं.
राखी सांवत से लेकर सनी लियोन तक, योगिता दाण्डेकर से लेकर पूनम पाण्डेय तक भारतीय नारी समाज में नंगे होने की होड़ मची हुई है, कपड़ो की नग्नता से लेकर दैहिक नग्नता तक, शब्दों की नंगई से लेकर जुमलों की नंगई तक आज ऐसा माहौल बना दिया गया है कि जो नंगा हो गया उसने अपना जन्म सार्थक कर लिया और जो पूरे कपड़ों में रहा उसने जिन्दगी बेकार कर ली, शायद इसीलिए दूसरों के कपड़े उतारने से लेकर खुद के कपड़े उतारने तक कि इस 'नंगदौड़' में शामिल होने की युवा समाज में लालसा बढ़ती जा रही है, शायद हम वो दिन भी देखेंगे जब इस देश में कपड़े पर खर्च सबसे कम होगा, आज के महंगाई के जमाने में राहत देने वाली यह एक मात्र खबर हो सकती है.
भंवर मेघवंशी खबरकोष डॉट कॉम के संपादक हैं.
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