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Thursday, June 7, 2012

सुरक्षा का बोझ उठाने वाले कंधे अब थकने लगे हैं

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सुरक्षा का बोझ उठाने वाले कंधे अब थकने लगे हैं

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सुरक्षा का बोझ उठाने वाले कंधे अब थकने लगे हैं

सुनकर झटका सा लगता है लेकिन ताजे आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं। अक्सर विपरीत हालात में काम करने वाले केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों के नौकरी छोड़ने का सिलसिला तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद रूकने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय सुरक्षाबलों का नियंत्रण करने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक गत तीन वर्षों में करीब 39 हजार सुरक्षाकर्मी नौकरी छोड चुके हैं।

वर्ष 2009 से वर्ष 2011 के बीच कुल 34683 सुरक्षाकर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लिया जबकि 3947 जवानों ने विभिन्न निजी कारणों का हवाला देते हुये इस्तीफा दे दिया।

वर्ष 2009 में 12983 सुरक्षाकर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी जबकि वर्ष 2010 में 10875 और वर्ष 2011 में 10825 जवानों ने यह तरीका अपनाया। नौकरी से इस्तीफा देने वाले केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों की संख्या में वर्ष 2009 के 1162 के तुलना में बढकर वर्ष 2010 में 1487 पर पहुंच गयी। हालांकि पिछले साल 1298 इस्तीफे के साथ इस संख्या में थोडी गिरावट दर्ज की गयी है।

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अर्द्धसैनिक बलों में सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ के 17639 सुरक्षाकर्मियों के साथ सबसे आगे है। वर्ष 2009 में बीएसएफ के 6319 जवानों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी जबकि वर्ष 2010 में यह संख्या 5443 और वर्ष 2011 में 5877 रही।

इस मामले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2009 में 3580. वर्ष 2010 में 2790 और वर्ष 2011 में 2377 सीआरपीएफ कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली।

दूसरी तरफ केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ इस्तीफा देने वाले जवानों के हिसाब से सबसे आगे है। वर्ष 2009 में इस बल के 330 जवानों ने नौकरी से त्योगपत्र दिया था और उसके अगले साल यह संख्या बढकर 616 तक पहुंच गयी। वर्ष 2011 में भी सीआईएफएफ के 446 जवानों ने निजी एवं घरेलू कारणों का हवाला देते हुये नौकरी छोड दी।

केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों के इतनी बडी संख्या में नौकरी छोडने से सरकार की चिंताएं बढती जा रही हैं। इसको ध्यान में रखते हुये सरकार ने विपरीत हालात में काम करने की वजह से सुरक्षाकर्मियों के बीच बढते तनाव को कम करने के लिए समुचित आराम एवं छुट्टी की नीति के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है। इसके अलावा जवानों को अपने परिजनों एवं दोस्तों से बात करने के लिए बेहतर संचार सुविधा भी मुहैया करायी जा रही है।

गृह मंत्रालय ने सुरक्षाकर्मियों में तनाव स्तर को कम करने के लिए नियमित रूप से तनाव प्रबंधन कार्यक्रम और योग की कक्षाएं चलाना शुरू किया है। साथ ही खेलकूद और मनोरंजन की सुविधाएं प्रदान करने पर भी जोर है। ड्यूटी वितरण में भी पारदर्शिता बरतने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा सीमा चौकियों पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को बुनियादी सुख-सुविधाएं मुहैया कराने पर भी जोर दिया जा रहा है।

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