मोहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं
♦ आमिर खान
…
मुझे स्वीकार करना होगा कि जब मैं अपनी टीम के साथ सत्यमेव जयते के 13 विषय चुनने बैठा, तो मैं प्रेम के प्रति असहनशीलता विषय को शामिल न करने के मुद्दे पर बिल्कुल अलग-थलग पड़ गया था। मुझे लगा था कि समाज और बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दों से जूझ रहा है। हालांकि मैंने अपनी टीम के सदस्यों, जिनकी सोच मेरी सोच से अलग थी, के बहुमत के सामने समर्पण कर दिया।
साथियों की इन दमदार दलीलों के सामने मैंने हथियार डाल दिए। तो अब मुद्दे पर आते हैं – प्रेम है क्या? प्रेम पर अनंत कविताएं, गीत, कहानियां, उपन्यास, निबंध और नाटक लिखे गये हैं और अधिकांश फिल्मों का विषय प्रेम ही है। हम सब प्रेम को अपनी-अपनी नजर से देखते हैं। अलग-अलग लोगों के लिए इसके अलग-अलग मायने हैं, किंतु इस बात से शायद ही कोई असहमत हो कि प्रजनन प्रेम से ही संभव है।
वास्तव में, प्रेम के अनेक पहलू हैं, पर यहां मैं विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण तक खुद को सीमित रख रहा हूं। विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण संभवत: प्रजनन की दिशा में पहला कदम है, और इसलिए यह स्पष्ट है कि यह हमारे अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। यह प्रकृति प्रदत्त है। क्या यह हैरान नहीं करता कि इसके बावजूद भारत में अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे को प्रेम में पाकर चिंतित और बेचैन हो जाते हैं। संभवत: आपकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण फैसला यह है कि आप अपना जीवनसाथी किसे चुनते हैं? यह अकेला फैसला ही आपके दो-तिहाई जीवन की नियति बदल सकता है। इसी से तय होगा कि आपके जीवन का हर दिन कितना सुखी या दुखी है। इसी से तय होगा कि आपकी जिंदगी में कितना उत्साह, उमंग, जोश और आनंद है या फिर आपका जीवन कितना नीरस, फीका है। यह तय करेगा कि आपका जीवन कितना खुशनुमा है या फिर हताशा से भरा हुआ। इससे तय होगा कि आपके बच्चे कैसे बनेंगे। इससे तय होगा कि आपका जीवन कितना सुरक्षित या फिर कितना असुरक्षित है। क्या यह विचित्र नहीं है कि भारत में हममें से 90 प्रतिशत लोग अपने जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण फैसला खुद नहीं लेते? इसके बजाय हम यह फैसला अपने प्रियजनों पर छोड़ देते हैं। इसमें संदेह नहीं कि वे हमारे शुभचिंतक हैं, पर क्या हमें यह फैसला उन पर छोड़ना चाहिए?
अक्सर घर का मुखिया या बड़े-बुजुर्ग बच्चों को डांटते हैं, मैं तुम्हारे भले-बुरे को तुमसे अच्छी तरह जानता हूं। मैं समझता हूं कि वरिष्ठ परिजनों को अपने बच्चों की चिंता होती है और वे उनके लिए बेहतर करना चाहते हैं, किंतु क्या आप उनके लिए बेहतर करते हैं, और क्या आप वास्तव में उनके लिए चुनाव करते हैं? अगर आप वास्तव में बच्चों की भलाई चाहते हैं, तो आप उन्हें खुद फैसला लेने को उत्साहित करेंगे। विवाह एक महत्वपूर्ण फैसला है और आपके जीवन के अन्य महत्वपूर्ण फैसलों की तरह यह फैसला भी आपका ही होना चाहिए।
मेरे विचार में इस नसीहत में जान है कि बड़ों के अनुभव से छोटों को फायदा उठाना चाहिए। निश्चित तौर पर हमारे बुजुर्गो ने हमसे कहीं ज्यादा जिंदगी देखी है। सवाल यह है कि यदि यह एक फैसला मुझ पर इतना गहरा प्रभाव डालने जा रहा है तो क्या मुझे अपनी पसंद तय करने की आजादी नहीं मिलनी चाहिए? यह एक विडंबना है कि यह वह आजादी है जो हम अपने युवाओं को नहीं देना चाहते। सच तो यह है कि हम जानबूझकर इस आजादी के खिलाफ खड़े होते हैं। आखिर हम अपने घर में युवाओं के प्रेम में पड़ने को लेकर इतने भयभीत क्यों हैं? मुझे तो लगता है कि यदि वे प्रेम नहीं करते हैं तो हमें चिंतित होना चाहिए।
जब मैं अपने इतिहास की ओर देखता हूं तो मुझे याद आता है कि जब मुझे पहला प्यार हुआ था, तो मेरी भावनाएं कैसी थीं? तब अपने प्रेम के प्रति मेरी कितनी अच्छी भावनाएं थीं। मैं इसकी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूं कि कब मेरे बच्चों को वैसी ही अनुभूति होगी। आखिर क्यों हम यह नहीं चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर कुछ खूबसूरत महसूस करें? हम सभी ने आखिर इस भावना को महसूस किया है, जिया है। हम भले ही कितने रूढ़ीवादी क्यों न हों, लेकिन शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने कभी न कभी इस भावना को महसूस न किया हो। हम अपनी इस भावना को स्वीकार करें या नहीं, लेकिन जब भी मन में प्रेम के अंकुर फूटते हैं तो एक विचित्र एहसास हमें सराबोर कर देता है। फिर हम अपने घर के बच्चों को इस भावना से वंचित क्यों कर रहे हैं? इसके बजाय क्या यह अच्छा नहीं होगा कि हम उन्हें इस अनुभूति का अवसर प्रदान करें। उन्हें यह इजाजत दें कि वे अपनी आशाओं और डर को आपके साथ बांट सकें।
अंत में मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हममें से अधिकांश लोग अपने घर के लड़के के प्रेम को तो स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन जब बात घर की लड़की की आती है तो हमारे अंदर यह भावना जागृत हो जाती है कि हमारे घर की इज्जत जा रही है। क्यों हम अपने घर की प्रतिष्ठा को इससे जोड़ देते हैं? सम्मान की यह भावना तो हमारे अपने आचार-विचार, मूल्यों, चरित्र और ईमानदारी पर निर्भर होनी चाहिए। मुझे लगता है कि अपने देश में अनेक मुद्दे हमारी अपनी परंपरागत सोच में उलझ कर रह जाते हैं – इसलिए, क्योंकि हम अपने समाज की महिलाओं को उचित सम्मान-अधिकार देने में नाकाम नजर आते हैं। सच्चाई यह है कि हम उनसे सम्मान-अधिकार छीनने की कोशिश करते हैं। हो सकता है कि हमारे बच्चे हमें अलग अनुभूति करा सकें।
शीर्षक सौजन्य : बशीर बद्र का शेर
गुलाबों की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते हैं
मोहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं
आमिर खान बॉलीवुड एक्टर हैं। उन्होंने होली नाम की फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की और कयामत से कयामत तक, रंगीला होते हुए फना और गजनी तक आते आते अपनी एक अलग तरह पहचान बनायी। वे हिंदी सिनेमा में नये विषय पर काम करने वाले निर्देशकों को प्रोत्साहित भी करते हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने लगान से की और पीपली लाइव, धोबी घाट और डेल्ही बेली जैसी फिल्में प्रोड्यूस की। सामाजिक मुद्दों पर आधारित उनके रियलिटी शो सत्यमेव जयते की इन दिनों बहुत चर्चा है।
No comments:
Post a Comment