22 हजार करोड़ की रियायतों के साथ वोटरों का आभार, रिफॉर्म के लिए करें इंतजार
नई दिल्ली
मोदी सरकार ने 22,200 करोड़ रुपये की कर रियायतों के साथ मध्यवर्गीय वोटरों को धन्यवाद दिया है। बजट में कोई कड़वी दवा नहीं है। बड़े आर्थिक सुधारों का इंतजार करना होगा। अलबत्ता महंगाई से जूझने और करने की इच्छा बहुत कुछ है लेकिन अभी ब्योरा तैयार नहीं है। पूरे बजट भाषण में बमुश्किल 8 ऐसी बड़ी घोषणाएं मिलती हैं जिनमें दूर की कुछ सूझ नजर आती है अलबत्ता इनमें बिग बैंग रिफॉर्म, कोई गेम चेंजर आइडिया नहीं है।
बजट की अाठ बड़ी घोषणायें
1. आयकर में रियायत
- इनकम टैक्स से छूट की सीमा दो लाख रुपए से बढ़ा कर 2.5 लाख रुपए की गई। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत छूट की सीमा 1.5 लाख रुपए की गइ और होम लोन ब्याज पर कर छूट सीमा 1.5 लाख रुपये 2 लाख रुपये कर दी गई है।
असर : महंगाई के मारे मध्य वर्ग को राहत मिलेगी। बचत पर रियायत के जरिेये ईएलएसएस, एनएससी, यूलिप, ईपीएफ, पीपीएफ, जीपीएफ, एनपीएस आदि में बचत बढ़ेगी। होम लोन लेने को प्रोत्साहन मिलेगा।
2. कृषि क्षेत्र के लिए पैकेज
- 1000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना, नेशनल कॉमन मार्केट, महंगाई रोकने के लिए 500 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष, किसानों को 100 करोड़ रुपए का हेल्थ कार्ड और कृषि भंडारण के लिए 5000 करोड़ रुपये के साथ बजट में एक मजबूत एग्री पैकेज दिखता है।
असर
सिंचाई पर खर्च की वापसी हुई है अलबत्ता सिंचाई सुविधायें राज्यों के हाथ हैं। नेशनल कॉमन मार्केट से बिचौलियों को खत्म करके नेशनल मंडी को बढ़ावा मिलेगा। मूल्य स्थिरीकरण कोष की मदद से राज्य सरकारें जरूरी सामान बाजार से खरीदकर उन्हे रियायती दरों पर उपभोक्ताओं को बेचेंगी। उन्हे इस फंड के तहत सब्सिडी दी जाएगी।
3.. 10,000 करोड़ रुपये का स्टार्ट अप फंड
छोटे कारोबारियों और युवा उद्यमियों को मिलेगा अपने कारोबार श्ुारु करने के लिए वेंचर कैपिटल, इक्विटी और सस्ते कर्ज, रिस्क कैपिटल मिलेगी।
असर
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और युवा उद्यमियों को कारोबार करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। अलबत्ता सीड कैपिटल व वेंचर कैपिटल देने वाली अन्य सरकारी संस्थायें भी सक्रिय हैं।
4- शहरों के विकास पर फोकस
- सात शहरों में स्मार्ट इंडस्ट्रियल सिटी शहरी नवीनीकरण कार्यक्रम के तहत पीपीपी मॉडल के जरिए काम किया जाएगा। पीपीपी मॉडल के जरिए कम से कम 500 आदर्श शहर बनाए जाएंगे। टियर टू और थ्री सिटी में पीपीपी मॉडल से हवाई अड्डों का निर्माण होगा
असर
रियलिटी उद्योग और कंस्ट्रक्शन को बढ़ावा। स्मार्ट औद्योगिक सिटी में वे सारी सुविधा मिलेंगी जो किसी भी उद्योग को जरूरत होती है। रोजगार सृजन करने में भी ये शहर योगदान करेंगे। हालांकि शहरों के निर्माण में पीपीपी मॉडल के साथ पिछला अनुभव कुछ खास बेहतर नहीं रहा है। ऐसे में इस घोषणा का क्रियान्वयन संदेह के घेरे में है। टियर टू और थ्री सिटी में हवाई अड्डों के निर्माण की योजना सफल हुई तो इसका असर देखने को मिलेगा।
5. सस्ते मकानों के लिए 4000 करोड़ रुपये
- ससते मकानों के लिए 4000 करेाड़ रुपए रखे गए हैं। यह पैसा कैसे मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है। नेशनल हाउसिंग बैंक को 12000 करोड़ रुपये मिलेंगे।
असर :
देश में करीब 2.5 लाख घरों की कमी है, जिसमें से 90 फीसदी घर कम कीमत आय वर्ग को चाहिए। ऐसे में 4000 करोड़ की रकम बहुत ही कम है। इस रकम से मोदी सरकार सभी को घर देने के सपने को पूरा नहीं कर सकती है।
6. बीमा व डिफेंस में विदेशी निवेश
- डिफेंस में 49 प्रतिशत तक एफडीआई लाया जाएगा। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी हुआ।
असर : रक्षा क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश खोला जाना बड़ा फैसला है। इससे देश में ज्यादा विदेशी मुद्रा आ सकेगी। देश की रक्षा क्षेत्र के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ने से विदेशी कंपनियां का रुझान देश में बढ़ सकेगा। इससे पहले 26 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती थी कंपनियां। बीमा क्षेत्र में कंपटीशन बढ़ेगा जिससे ग्राहकों के लिए बेहतर प्रोडेक्ट बाजार में आ सकेंगे। बीमा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां जैसे रिलायंस कैपिटल, आदित्य बिरला नुवो, मैक्स इंडिया को फायदा होगा।
7- लघु उद्योगों के लिए पैकेज
- एमएसएमई की परिभाषा बदलेगी और निवेश सीमा बढ़ेगी। छह नए टेक्सटाइल क्लस्टर्स बनाने की भी बात कही गई। छोटे कारोबारियों के लिए पेमेंट बैंकों को शुरू किया जाएगा। एसएमई के लिए कारोबार से आसानी से निकलने के लिए नया बैंकरप्सी फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा।
असर
एमएसएमई की परिभाषा बदलने मौजूदा 2.6 करोड़ एमएसएमई की संख्या में इजाफा होगा। साथ ही देश में निर्माण गतिविधियां भी तेजी से बढ़ेंगी। रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। देश में माइक्रो इंडस्ट्री के लिए मौजूदा सीमा 25 लाख, लघु उद्योग के लिए 5 करोड़, मध्यम उद्योग के लिए 10 करोड़ है।
8; राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए 8000 करोड़ रुपए की पूंजी
- सरकारी बैंकों को वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए सरकार की ओर से 8,000 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके अलावा, सरकारी बैंकों के शेयरों को बेचने की बात कही गई है।
असर
पीएसयू बैंकों की एसेट क्वालिटी में सुधार आएगा। वहीं, उनकी वित्तीय हालत भी बेहद होगी। बैकों के विनिवेश का रासता भी खुला है हालांकि सरकार इन पर स्वामित्व में बड़ी कमी नहीं करेगी।
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