दीदी के संघविरोधी जिहाद में आर्थिक सुधारों,
विनिवेश, निजीकरण और एफडीआई के खिलाफ
एक भी शब्द नहीं!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
महाश्वेता दी के शब्दों में कोलकाता में ममता बनर्जी की शहीद दिवस रैली में जनसमुद्र उमड़ा पड़ा था ,जैसा की हर साल होता रहा है।लेकिन इस जनसमुद्र को केंद्र की आर्थिक नीतियों के बारे में दीदी ने कुछ भी नहीं बताया जबकि वे भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति पर मिसाइलें दागती रहीं।
खुदरा बाजार,प्रतिरक्षा,बीमा,मीडिया समेत सभी संवेदनशील सेक्टरों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के खिलाफ,रेलवे और बैंकिंग समेत सारे सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ,सारे कायदे कानून तोड़ने के खिलाफ,गाजा संकट पर भारत सरकार की खामोशी के खिलाफ और कुल मिलाकर आर्थिक सुधारों के खिलाफ उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा।
गौरतलब है कि कभी खुद देश की रेल मंत्री रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी पिछले 8 जुलाई को रेल बजट में अपने राज्य की अनदेखी पर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी। तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रक्षा और रेलवे सरीखे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) शुरू कर 'देश को बेचने' का आरोप लगाया। उस दिन ममता ने हुगली जिले में एक समारोह में कहा, "भारतीय जनता पार्टी रेलवे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाना चाहती है। मोदी सरकार देश को बेचना चाहती है..घरेलू उद्योगपति कहां जाएंगे? मोदी को चुनाव के समय ही कह देना चाहिए था कि देश एफडीआई के हाथ में सौंप दिया जाएगा।..यह तो जनता के साथ धोखा है।"
लेकिन इतनी बड़ी शहीद दिवस रैली में वे इस मुद्दे पर बोलना भूल गयीं।
दरअसल,राज्यों की सत्ता पर काबिज क्षत्रपों की दरिद्रता दयनीय है।सत्ता में टिके रहने के लिए केंद्र के खिलाफ जिहादी तेवर अपनाना वोट बैंक साधने के लिए अनिवार्य है तो केंद्रीय मदद और सहयोग की खातिर केंद्रीय सत्ता के खिलाफ चूं तक करने की गुंजाइश नहीं होती।
दीदी की तो कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं है लेकिन दशकों तक हम विचारधारा और प्रतिबद्धता वाले लोगों का यह कारनामा देखा है और तेईस साल के अश्वमेध अभियान के पल पल इस हकीकत की जमीन पर लहूलुहान होते रहे हैं।
कोलकाता में शहीद दिवस के मौके पर पहलीबार सत्ता में आने के बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कांग्रेस और वामदलों को बख्श दिया और शुरु से आखिर तक भाजपा के सांप्रदायिक राजनतिक चरित्र पर प्रहार करती रहीं वे।पार्टी की ओर से सोमवार को यहां आयोजित शहीद रैली के दौरान पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निशाने पर भाजपा ही रही। इससे पहले तक वे माकपा पर हमले बोलती रही थीं।
यहां तक कि खिसकते जनाधार के मध्य वाम कार्यकर्ताओं और नेताओं से भाजपा में शामिल न होने की हैरतअंगेज अपील करते हुए उनसे तृणमूल में शामिल होने की अपील भी कर दी।
सालाना 21 जुलाई की कोलकाता रैली में राज्यभर से लाखों की तादाद में लोगों का जमावड़ा हुआ।1993 में युवा कांग्रेस की ओर से राज्य सचिवालय अभियान के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में मारे गए तेरह कार्यकर्ताओं की याद में ममता हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस मनाती हैं।
दीदी ने अभूतपूर्व ढंग से अपना भाषण आधे घंटे में ही निपटा दिया।भाजपा के खिलाफ अविराम हमले के मध्य अपने दल के भीतर बन रहे लाबी और गुटबंदी के खिलाफ भी वे खूब बोली।पार्टीजनों को जबरन वसूली न करने के लिए चेताय़ा।जांच एजंसियों से तस्वीर बनाकर चुनाव लड़ने की बात न मानने वाली दीदी ने फिर लिखकर,तस्वीरें बनाकर चुनाव लड़ते रहने का ऐलान भी किया।
हालांकि उनके भाषण का तेवर बेहद आक्रामक रहा भाजपा के खिलाफ तो बागी तृणमूलियों को चेताने में भी उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी।
बहरहाल ममता बनर्जी ने भाजपा पर राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में दो सीटें जीतने के बाद भाजपा राज्य में बड़े-बड़े सपने देख रही है। लेकिन उसके सपने पूरे नहीं होंगे। अगले चुनाव में यह दोनों सीटें भी उसके हाथों से निकल जाएंगी।
हालांकि ममता बनर्जी ने ईंधन कीमतों एवं रेल किराए में वृद्धि के लिए भाजपा की सोमवार को आलोचना भी की।रैली में लाखों समर्थकों को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता ने भाजपा पर चुनाव के दौरान लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
ममता ने रैली में कहा, "चुनाव से पहले उन्होंने कुछ और कहा था, जबकि चुनाव के बाद उन्होंने बिल्कुल विपरीत काम करना शुरू कर दिया. सत्ता में आने के एक माह के भीतर उन्होंने ईंधन की कीमत और रेल किराए में वृद्धि कर दी। हम इसके खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।"
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा पश्चिम बंगाल में दंगों को बढ़ावा देना चाहती है। लेकिन उन्होंने चेताया कि उनके राज्य में विभाजनकारी नीतियों के लिए कोई स्थान नहीं है।
ममता ने कहा, "वे राज्य में साम्प्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देना चाहते हैं। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. बंगाल की धरती पर साम्प्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं है।"
दीदी ने बाकायदा ऐलान भी कर दिया,"राज्य से भाजपा के पास एक संसदीय सीट थी. इस चुनाव में उनकी एक सीट बढ़ गई। लेकिन उनके रवैए से लगता है कि उन्होंने बहुत कुछ हासिल कर लिया है। उनके पास इस वक्त दो सीटें हैं। लेकिन सीटों की यह संख्या कभी तीन नहीं होगी और अगले आम चुनाव में यह घटकर शून्य हो जाएगी।"
वाम मोर्चा के चेयरमैन ने दीदी के भाजपाई संबंध पर सवाल तो उठाये,लेकिन उनकी जिहाद के स्वर में आर्थिक सुधारों के विरोध की अनुपस्थिति पर कोई सवाल नहीं किये।
दीदी ने आधे घंटे तक भाषण दिया और शायद उससे ज्यादा वक्त जनता से नारे लगाती रहीं।जिलों, स्थानों,व्यक्तियों को तृणमूल बताने के नारे थे वे।बेसिक और बुनियादी मुद्दों से जुड़े नारे कतई नहीं थे।
इस रैली में एक वाम महिला विधायक भी तीन कांग्रेसी विधायकों के साथ तृणमूल में शामल हो गयीं और वाम माने जाने वाले कई और बुद्धिजीवी कलाकार भी दीदी के साथ खड़ी नजर आयीं।इन्हीें के मध्य दीदी के भाषण के मध्य प्रख्यात लेखिका महाश्वेता दी भी आ गयीं जिनसे दीदी ने अपना वक्तव्य पेश करने के लिए बोलने को कहा।वे दीदी और रैली की तारीफ ही करती रहीं और उन्होंने भी जनसंहारी सत्ता के खिलाफ एक शब्द खर्च नहीं किये।
दीदी की खामोशी हैरतअंगेज है जबकि अल्पसंख्यकों को अपने हक में खड़ा करेन में उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।अपना भाषण उन्होंने रमजान मुबारक,खुदा हाफिज और इंशाल्ला जैसे जुमलों के साथ खत्म किया।
लेकिन रिजवानुर की मां दीदी के सत्ता में आने के बाद पहलीबार रैली के मंच पर नहीं दिखीं।ऐसा गौर तलब है क्योंकि रिजावनूर मामले में अभियुक्त लाल बाजार के अफसर ज्ञानवंत सिंह को दीदी ने हाल ही में प्रोमोट करके मुर्शिदाबाद जिले में एसपी बनाया है।रछरपाल सिंह और सुल्तान सिंह के बाद ज्ञानवंत तीसरे बड़े पुलिस अफसर हैं जिनपर दीदी मेहरबान हो गयीं।रिजवानुर की मां के साथ रैली मंच पर हर साल की तरह शहीद परिवारों के चेहरे भी नहीं थे।दोनों मामलों में कोई संबंध है या नहीं,अभी इसका भी पता नहीं चला है।
गौरतलब है कि गाजा संरकट के मध्य रमजान महीने में विश्वभर में मुसलमान जब इजरायली हमलों में मारे जा रहे बेगुनाहों के लिए गमगीन हैं,दीदी एक बड़े विवाद में भी फंस गयीं।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी एक बार फिर विवादों में आ गई हैं। इस ममता बेनर्जी मुस्लिमों के पवित्र त्योहार रमजान और मक्का के मामले में चर्चा में हैं। दरअसल तृणमूल कांग्रेस ने रमजान के पवित्र महीने में सहरी और इफ्तार का एक टाइम टेबल छपवाया है, जिसमें ममता बनर्जी की तस्वीर भी छापी गई है। इस टाइम टेबल और उस पर छपी ममता की तस्वीर को लेकर मुस्लिम समुदाय में काफी रोष है।
सूत्रों के अनुसार इस टाइम टेबल में जहां एक तरफ ममता बनर्जी मुस्लिम भाईयों को इस पवित्र त्योहार की बधाई दे रही हैं, वहीं उनके पीछे मक्का की तस्वीर लगाई गई है। इस पर मुस्लिमों का कहना है कि मक्का जैसी पवित्र जगह की तस्वीर पीछे छपवाकर सीधे-सीधे मुसलमानों का अपमान किया गया है।
मुस्लिमों का कहना है कि ममता ने अपनी नमाज पढ़ते हुए तस्वीर छपवाकर ठीक नहीं किया है और ये मुस्लिम धर्म के खिलाफ है। मुस्लिम धर्म में किसी भी तस्वीर या मूर्ति का पूजन मना है। गौरतलब है कि मक्का मुसलमान का सबसे बड़ा धर्मस्थान है। बर्दवान के मुसलमानों का कहना है कि ये मक्का की तौहीन है, और तो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इफ्तार पार्टी आयोजन पर भी बर्दवान के मुस्लिमों को ऐतराज है।
उनका कहना है कि ममता ढोंगी हैं, ड्रामा कर रही हैं और उन्हें इस तरह की राजनीति बंद करनी चाहिए। मुस्लिम धर्म गुरुओं का कहना है कि लीफलेट छपवाना ममता का एक पब्लिसिटी स्टंट है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी अक्सर कहती हैं कि वो मुस्लिम धर्म को मानती हैं लेकिन वो इस धर्म को दिल से नहीं मानतीं हैं।
दूसरी ओर,पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों को सोमवार को उस समय झटका लगा, जब उनके चार विधायक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. इनमें से तीन कांग्रेस के और एक माकपा विधायक हैं।
कांग्रेस विधायकों में असित कुमार माल(बीरभूम जिले की हासन सीट), मोहम्मद गुलाम रब्बानी(उत्तर दीनाजपुर जिले की गोलपोखोर सीट) और उमापद बाउरी(पुरुलिया जिले की पारा सीट) शामिल हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छाया दुलुई तीन साल पहले पश्चिम मिदनापुर जिले की चंद्रकोना सीट से निर्वाचित हुई थीं। उन्होंने भी तृणमूल की सदस्यता ग्रहण कर ली।
ममता के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला मौका है जब माकपा के किसी विधायक ने तृणमूल की सदस्यता ग्रहण की है। ममता 2011 में मुख्यमंत्री बनी थीं।
गाजा संकट पर दी
बनर्जी ने विधायकों का स्वागत करते हुए कहा, "हम कंधे से कंधा मिलाकर बंगाल के विकास के लिए काम करेंगे."
बनर्जी ने कहा, "जिनके पास कुछ आदर्श है, मूल्य आधारित राजनीति में विश्वास रखते हैं, और काम करना चाहते हैं, उनके लिए तृणमूल कांग्रेस सही जगह है. क्योंकि यह जनता की पार्टी है."
ममता ने इसके पहले अपने संबोधन में वाम मोर्चे के सदस्यों को अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए झकझोरा.
बनर्जी ने कहा, "पूरे आदर के साथ मैं कहती हूं कि जो वामपंथी सिद्धांतों, मूल्यों में विश्वास करते हैं, वे तृणमूल में शामिल हो जाएं और जनता के लिए काम करें. पैसे की लालच में खुद को न बेचें."
দলকে বার্তা, লবি করে নেতা হওয়া যায় না | ||
দীপঙ্কর নন্দী | ||
বি জে পি-কে হুঁশিয়ারি দিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি৷ পাশাপাশি দলকেও কড়া বার্তা দিলেন৷ সোমবার একুশে জুলাইয়ের মঞ্চ থেকে বি জে পি-র উদ্দেশে মমতা বলেন, আগামী নির্বাচনে ২ থেকে ০ করে দেব৷ আগে ওদের ছিল ১, এবার হয়েছে ২৷ ভবিষ্যতে ২ থেকে ৩ হবে না৷ ২টি আসনে জিতে বি জে পি-র এত লোভ৷ এত অপপ্রচার! এর জবাব দেবে সাধারণ মানুষ৷ শহিদ স্মরণে ধর্মতলার মঞ্চ থেকে সভায় আসা তৃণমূলকর্মীদের উদ্দেশে মমতা বলেন, লবি করে নেতা হওয়া যায় না৷ কেউ খারাপ কাজ করলে ব্যবস্হা নেব৷ তৃণমূলে টাকা দিয়ে নেতা হওয়া যায় না৷ আমি চাই মাটির নেতা৷ মমতা এদিন এও বলেন, তৃণমূলে টাকা দিয়ে টিকিট বিক্রি হয় না৷ ভাল কাজ করলে আমি নিজে নেতা খুঁজে নেব৷ প্রত্যেককে ভাল হতে হবে৷ টাকা থাকলে সম্মান পাওয়া যায় না৷ সভামঞ্চ থেকে এদিন মমতা ফের নির্বাচনী সংস্কারের দাবি জানান৷ কংগ্রেস, সি পি এম, বি জে পি-র উদ্দেশে তিনি বলেন, নির্বাচনের সময় হাজার হাজার কোটি টাকা ওরা খরচ করে৷ আমাদের টাকার প্রয়োজন হয় না৷ আমরা টাকা তুলি না৷ নির্বাচন এলে আমি আবার ছবি আঁকব৷ লিখব৷ টাকা আসবে এখান থেকেই৷ বামপম্হীদের উদ্দেশে এদিন মমতা বলেন, যাঁরা প্রকৃত বামপম্হী, আদর্শ ও মূল্যবোধ নিয়ে যাঁরা রাজনীতি করেন, তাঁরা আমাদের দলে আসুন৷ উপযুক্ত সম্মান পাবেন৷ কাজ করার সুযোগ পাবেন৷ টাকার বিনিময়ে আপনারা অন্যের কাছে নিজেদের বিকিয়ে দেবেন না৷ এদিন ঠিক দুপুর ১টা নাগাদ মমতা আসেন সভামঞ্চে৷ তাঁর আসার প্রায় দেড় ঘণ্টা আগে সভা শুরু করে দেন তৃণমূলের দুই নেতা মুকুল রায় ও সুব্রত বক্সি৷ টানা ২৫ মিনিট মমতা বক্তব্য পেশ করেন৷ গোষ্ঠীবাজি নিয়েও মমতা সভায় কড়া বার্তা দেন৷ সাফ জানিয়ে দেন, দলে কোনও গোষ্ঠীবাজি বরদাস্ত করবেন না৷ সম্প্রতি কয়েকটি ঘটনা ঘটে যাওয়ার পর দলকে কিছুটা অস্বস্তিতে পড়তে হয়৷ তাই তিনি এদিন কর্মীদের উদ্দেশে বলেন, খারাপ কাজ কেউ করবেন না, জনসংযোগ আরও বাড়াতে হবে, মাটির গভীরে ঢুকতে হবে আমাদের, ওপর থেকে নেতা হবে না, কাজ করেই নেতা তৈরি হবে৷ মমতা বলেন, রাজনীতিতে মূল্যবোধ না থাকলে রাজনীতি করাই উচিত নয়৷ আমরা কারও কাছ থেকে টাকা নিয়ে রাজনীতি করি না৷ কর্মীদের নিঃস্বার্থভাবে কাজ করার নির্দেশ দেন মমতা৷ তিনি বলেন, গ্রামে ঢুকতে হবে৷ নিঃশব্দে কাজ করতে হবে৷ বিশ্বাস, আস্হা আরও ফিরিয়ে আনতে হবে৷ মমতা বলেন, আমি ক্ষমতার জন্য মুখ্যমন্ত্রীর চেয়ারে বসি না৷ মানুষই আমার সব৷ চারিদিকে যেসব কুৎসা ও অপপ্রচার চলছে, তার বিরুদ্ধে মানুষই জবাব দেবে৷ সি পি এম, কংগ্রেস, বি জে পি-কে একহাত নিয়ে মমতা বলেন, সি পি এম আগে দিল্লিতে ইউ পি এ সরকারের দালালি করেছে, এখন বি জে পি সরকারের দালালি করছে৷ আমরা যখন কংগ্রেস করতাম, তখন দিল্লিতে গিয়ে এখানকার নেতারা লবিবাজি করতেন৷ এখানেও একই কাজ চলত৷ তাই আমি বলি, তৃণমূলে এ সব হয় না৷ আর যাঁরা লবি করবেন, তাঁরা কিন্তু কোনও সুযোগই পাবেন না৷ ইউ পি এ সরকারকে আক্রমণ করে মমতা বলেন, এই সরকার আমাদের সুদের টাকা কেটে নিয়ে গেছে৷ তা সত্ত্বেও বাংলাকে দাঁড় করিয়েছি৷ এখন নতুন সরকারও সুদের টাকা কেটে নিয়ে যাচ্ছে৷ তা সত্ত্বেও বাংলায় উন্নয়নের গতি বন্ধ হয়নি৷ কাঞ্চনজঙঘা হাসছে, বাংলায় শাম্তি ফিরে এসেছে৷ ১০০ দিনের কাজে বাংলা দেশে একনম্বর হয়েছে৷ বি জে পি-কে আক্রমণ করে মমতা বলেন, সরকারে আসার এক মাসের মধ্যেই ডিজেল, পেট্রলের দাম বাড়িয়ে দিল৷ রেল বাজেটে বাংলাকে বঞ্চিত করা হল৷ এর বিরুদ্ধে আমাদের গণ-আন্দোলন চলবে৷ পাশাপাশি মমতা এও বলেন, বাংলায় কোনও সাম্প্রদায়িক শক্তি থাকবে না৷ মানুষ এই সাম্প্রদায়িক শক্তির বিরুদ্ধে রুখে দাঁড়াবে৷ কর্মীদের উদ্দেশে মমতা এদিন বলেন, নিজেদের এলাকা পরিষ্কার রাখুন৷ রাস্তাঘাট যাতে পরিষ্কার-পরিচ্ছন্ন থাকে, তার জন্য কাজ করুন৷ চারিদিকে সবুজ রাখুন৷ মুখ্যমন্ত্রী এদিন জানিয়ে দেন, ১৪ আগস্ট 'কন্যাশ্রী দিবস' পালন করা হবে৷ তিনি বলেন, কুৎসা, অপপ্রচার ও নাটক চলছে, তা সত্ত্বেও বাংলা শিল্পে একনম্বরে এগিয়ে যাবে৷ তৃণমূলকে কেউ অসম্মান করবেন না, হেয় করবেন না৷ মানুষ কিন্তু কুৎসা চায় না৷ তাঁরা চান কাজ, তাঁরা চান শাম্তি৷ বক্তব্য শেষ করার পরেও মমতা দেব, সোনালি, অশোকা মণ্ডল-সহ নেতা-নেত্রীদের নিয়ে টানা ১৫-২০ মিনিট স্লোগান দেন৷ মমতার স্লোগানের সঙ্গে সুর মিলিয়ে কর্মীরাও স্লোগান দেন৷ আবেগে ভেসে যান তাঁরা৷ রমজান মাস৷ তাই দুপুর আড়াইটের মধ্যে মমতা সভা শেষ করে দেন৷ সভায় ধন্যবাদ জানান সুব্রত বক্সি৷ জাতীয় সঙ্গীত পরিবেশনের পরেই সভা শেষ হয়৷
২১ জুলাইয়ের মঞ্চ থেকে বাংলা গড়ার ডাক দিলেন তৃনমূল নেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় l মনও প্রচার চালানো হচিছল যে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের জনসমর্থন তলানিতে ঠেকেছে৷ কিন্ত্ত সব কিছুর জবাব দিল সেই মানুষই৷ সোমবার মমতার শহিদ স্মরণ সমাবেশকে কেন্দ্র করে যেভাবে মানুষের ঢল নামল ধর্মতলায় তাতে স্পষ্ট, লোকসভা ভোটে যে সাফল্য তৃণমূল পেয়েছে, তা মমতার প্রতি মানুষের সমর্থনেরই প্রতিফলন৷ ২১ জুলাইয়ের সমাবেশ তাই উপচে গেল কর্মী-সমর্থকদের আবেগে৷ মঞ্চ থেকেই একদিকে দিল্লির বাংলার প্রতি বঞ্চনা ও এ রাজ্যে
সরকারবিরোধী সমালোচকদের কড়া বার্তা এল৷ নিজস্ব ঢঙে প্রতিবাদে মুখর হলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ শুরু থেকেই স্পষ্ট বার্তা, কুত্সা ও ষড়যন্ত্রের বিরুদ্ধে৷ তাঁর কথায়, বাংলার বঞ্চনা ও কুত্সাকারীদের রুখে দিয়ে উন্নয়ন চলবে৷ মানুষের কাছে মাথা নত করব৷ আর কারও কাছে নয়৷ শান্তি ও উন্নয়ন একসঙ্গেই বজায় থাকবে৷ বাংলাকে গড়ে তোলার জন্য তৃণমূলের কর্মীরা নিজেদের জীবন দিয়ে অন্যায় রুখবে l তৃনমূল মানুষের দল, মাটির দল, মা-আম্মার দল l দলের কর্মীদের উদ্দেশে নেত্রীর কড়া বার্তা, তৃনমূলে লবি করে নেতা হওয়া যায় না l তৃনমূলের নেতা হতে গেলে মাটির কাছাকাছি থাকতে হবে, নম্র হতে হবে l যারা নিঃশব্দে কাজ করবেন তাঁদের খুঁজে নেবে দল l সমাজ গড়তে, রাজ্যকে গড়তে দলীয় কর্মীদের আহ্বান জানিয়েছেন l রাজনৈতিক মূল্যবোধ টাকা দিয়ে কেনা যাবে না l আদর্শ বা মূল্যবোধ না থাকলে রাজনীতিতে আসার প্রয়োজন নেই l টাকা নিয়ে রাজনীতি করে না তৃনমূল l প্রয়োজন পড়লে ছবি এঁকে, কবিতা লিখে টাকা তুলবেন দলনেত্রী l বাংলার মানুষ কুত্সার জবাব চাইবে l বাংলায় বিরোধীদের উদ্দেশে তোপ দেগে মমতা বলেন একটা দুটো আসন পেয়ে এত প্রচার চালাচ্ছে l কিন্তু আগামী নির্বাচনে সেই আসন ২ থেকে তিন হবে না l বরং শূন্য হয়ে যাবে l বাংলার মাটিতে সাম্প্রদায়িকতা চালানো চলবে না l বাংলাকে বিশ্ব বাংলাই পরিনত করবে তৃনমূল l | ||
মুখ্যমন্ত্রীকে প্রশ্ন বিমানের | ||
সেদিন সাম্প্রদায়িকতার সুযোগ নিয়েছেন, আজ ভয় দেখাচ্ছেন?
আজকালের প্রতিবেদন: সেদিন সাম্প্রদায়িকতার সুযোগ নিয়েছিলেন৷ কেন্দ্রে মন্ত্রী হয়েছিলেন৷ রাজ্যে সাম্প্রদায়িকতাকে ডেকে এনেছিলেন৷ এখন এ রাজ্যের মানুষকে সাম্প্রদায়িকতার ভয় দেখাচ্ছেন? সোমবার মমতা ব্যানার্জির বি জে পি-বিরোধিতার এভাবেই সমালোচনা করলেন বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান বিমান বসু৷ উল্লেখ্য, সোমবার ধর্মতলায় ২১ জুলাইয়ের সমাবেশে রাজ্যে বি জে পি-র উত্থান সম্পর্কে সতর্ক করেছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি৷ বলেছেন, বি জে পি ভয়ঙ্কর সাম্প্রদায়িক দল৷ এ রাজ্যে সাম্প্রদায়িকতার ঠাঁই নেই৷ এদিন বিকেলে বামফ্রন্টের বৈঠক শেষে সাংবাদিক সম্মেলনে বিমান বসু বলেছেন, ১৯৯৮ সাল থেকে আপনি (মমতা ব্যানার্জি) তো এই সাম্প্রদায়িক দলের সঙ্গেই ছিলেন৷ তখন এঁদের সাম্প্রদায়িক মনে হয়নি? আমরা, বামপম্হীরা বি জে পি-র জন্মের অনেক আগে থেকে সাম্প্রদায়িক আর এস এসের বিরোধিতা করে আসছি ধারাবাহিকভাবে৷ বামপম্হীরা কখনও সাম্প্রদায়িকতার সঙ্গে আপস করেনি, ভবিষ্যতেও করবে না৷ মমতা ব্যানার্জির নাম না করে বিমান বসু বলেন, এ রাজ্যে সাম্প্রদায়িক বি জে পি-কে কে ডেকে এনেছিলেন? আপনি৷ ২০০৪ সাল পর্যম্ত এই সাম্প্রদায়িক বি জে পি-র সঙ্গেই ছিলেন৷ মন্ত্রিত্বের সুযোগও নিয়েছেন৷ এতদিনে মনে হল বি জে পি সাম্প্রদায়িক? এদিনের সভায় মমতা ব্যানার্জি বলেছেন, ভোটের আগে অনেকে আমার কাছে টাকা দিতে চেয়েছিলেন৷ আমি নিইনি৷ অনেক কষ্ট করে দল চালিয়েছি৷ বিমান বসু এ ব্যাপারে পাল্টা প্রশ্ন তুলেছেন, সাম্প্রতিক ভোটে উনি খুব 'কষ্ট করে' চার্টার্ড বিমান ও কপ্টারে চড়ে প্রচার চালিয়েছেন৷ এতে তো অনেক খরচ! এত টাকা এল কোথা থেকে? কে দিল এত টাকা? এদিন বামফ্রন্টের বৈঠকে ঠিক হয়েছে, দ্রব্যমূল্য বৃদ্ধির বিপদকে সবচেয়ে গুরুত্ব দিয়ে প্রচারে নামবে বামপম্হীরা৷ ২৪-২৭ জুলাই রাজ্যের প্রতিটি জেলায় প্রচার চালাবে৷ রাজ্য সরকার যে টাস্ক ফোর্স গড়েছে, তা জনসাধারণের জন্য, নাকি মধ্যস্বত্বভোগী ফড়েদের সুবিধার্থে? সাধারণ মানুষের সামনে এই প্রচার নিয়ে যাবে বামফ্রন্ট৷ তিনি বলেন, কেন্দ্রীয় নীতির কুফল তো আছেই, কিন্তু সীমিত ক্ষমতাতেও দ্রব্যমূল্য নিয়ন্ত্রণে রাজ্য সরকারের অনেক কিছু করার আছে৷ রাজ্যে তোলাবাজির জন্যও জিনিসের দাম অনেক ক্ষেত্রেই আকাশছোঁয়া হয়ে যাচ্ছে৷ রাজ্যের সরকার কেন এটা বন্ধ করতে উদ্যোগী নয়? প্রশ্ন বিমানের৷ এদিন সি পি এমের চন্দ্রকোনার বিধায়ক ছায়া দলুইয়ের তৃণমূলে যোগদান প্রসঙ্গে বিমান বসু বলেন, গোটা রাজ্যেই শাসকদলের অত্যাচার চলছে৷ ওই এলাকায় এখনও ৫৮ জন সি পি এম নেতা-কর্মী ঘরছাড়া৷ ভয়-ভীতি, সন্ত্রাসের মাধ্যমে এদের তৃণমূলে যেতে বাধ্য করা হচ্ছে৷ দিনের পর দিন এই বিধায়ক এলাকায় থাকতে পারছিলেন না৷ স্কুলে যেতে পারছিলেন না৷ পুলিস-প্রশাসন কোনও সাহায্য করেনি৷ এভাবে ভয় দেখিয়ে ওই বিধায়ককে তৃণমূলে যোগ দিতে বাধ্য করা হয়েছে৷
বামেদের দলে ডাক, মমতার নিশানায় বিজেপিতীব্র সিপিএম-বিরোধিতায় ভর করেই তাঁর রাজনৈতিক উত্থান। ক্ষমতায় আসার তিন বছরের মাথায় মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের রাজনৈতিক মানচিত্র থেকে প্রায় বাদই পড়তে বসেছে সেই সিপিএম! সোমবার 'শহিদ দিবসে'র মঞ্চে সিপিএমের বিরোধিতায় কিছুই বললেন না তৃণমূল নেত্রী। যতটুকু বললেন, তা বিজেপি-র সম্পর্কে। রাজ্যের বদলে যাওয়া রাজনৈতিক চিত্রই মমতার এমন পরিবর্তিত অবস্থানের কারণ বলে তৃণমূল সূত্রের অভিমত।নিজস্ব সংবাদদাতা ২২ জুলাই, ২০১৪
ছোট বক্তৃতায় উদ্বেগ দলের লবিবাজি নিয়েলোকসভা ভোটে বিপুল জয়ের পরে কলকাতার বুকে প্রথম বড় সমাবেশ। অথচ সেই মঞ্চ থেকেই স্মরণকালের মধ্যে সংক্ষিপ্ততম বক্তৃতাটি দিলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। শুধু সময়সীমার নিরিখে নয়, ধারে এবং ভারেও বেশ নিষ্প্রভ রইল তৃণমূল নেত্রীর এ বারের একুশে জুলাইয়ের বক্তৃতা। বিরোধীদের চড়া সুরে আক্রমণ নেই। শিল্পায়ন নিয়ে কার্যত কোনও কথা নেই। দিশা নির্দেশ, কর্মসূচি নেই দলীয় কর্মীদের জন্যও।নিজস্ব সংবাদদাতা ২২ জুলাই, ২০১৪
নেই-রাজ্যে আশ্বাস নেই শিল্পমহলের জন্যসংবাদমাধ্যমে যতই বিরূপ সমালোচনা হোক, তাঁর রাজ্য শিল্পে এক নম্বর হবেই! এই দাবিটুকুর বাইরে শিল্প নিয়ে মুখ্যমন্ত্রীর কাছ থেকে নির্দিষ্ট কোনও আশ্বাস পাওয়া গেল না ২১শে জুলাইয়ের মঞ্চ থেকে। রাজ্যের সাম্প্রতিক পরিস্থিতি মাথায় রেখে মুখ্যমন্ত্রীর নিষ্প্রভ বক্তব্যে হতাশ শিল্প ও বণিক মহলের বড় অংশই।নিজস্ব সংবাদদাতা ২২ জুলাই, ২০১৪
আজকালের প্রতিবেদন: কংগ্রেসের ৩ ও সি পি এমের ১ বিধায়ক দল ছেড়ে ২১শে জুলাইয়ের সভামঞ্চে গিয়ে তৃণমূলে যোগ দিলেন৷ এঁরা হলেন– অসিত মাল, উমাপদ বাউড়ি, গোলাম রব্বানি ও সি পি এমের ছায়া দলুই৷ মমতা এদিন ধর্মতলার সভামঞ্চে এঁদের স্বাগত জানান৷ মঞ্চে দাঁড়িয়ে কংগ্রেসের ৩ বিধায়কই মমতাকে পায়ে হাত দিয়ে প্রণাম করেন৷ অসিত মাল মমতাকে উত্তরীয় পরিয়ে দেন৷ দল থেকে এঁদের স্বাগত জানান দলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়৷ কংগ্রেসের ৩ বিধায়ককে নিয়ে অনেকদিন ধরেই জল্পনা চলছিল৷ সেই জল্পনার অবসান হল এদিন৷ অসিত বীরভূমের হাসান, উমাপদ পুরুলিয়ার পাড়া ও গোলাম রব্বানি গোয়ালপোখর থেকে কংগ্রেসের প্রতীকে নির্বাচনে জিতেছিলেন৷ কংগ্রেস পরিষদীয় দলের মুখ্য সচেতক ছিলেন অসিত৷ ৪ বিধায়ক ছাড়া এদিন মঞ্চে এসে যোগ দেন আলিপুরদুয়ারের জেলা পরিষদের ৩ সদস্য৷ মোহন শর্মার নেতৃত্বে এঁরা দলে যোগ দিয়েছেন৷ জেলা পরিষদে তৃণমূলের ৩ জন সদস্য রয়েছেন৷ মোট সদস্য সংখ্যা দাঁড়াল ৬৷ মমতা জানিয়েছেন, কয়েকদিন পরেই জেলা পরিষদ আমাদের দখলে আসবে৷ নতুন জেলা পরিষদ তৈরি হচ্ছে৷ আলিপুরদুয়ার পুরসভার ৩ কংগ্রেস কাউন্সিলর এদিন দল ছেড়ে তৃণমূলে যোগ দেন৷ কংগ্রেস পরিষদীয় দলের দলনেতা মহম্মদ সোহরাব এদিন জানিয়েছেন, এঁরা দল থেকে ইস্তফা দিয়ে তৃণমূলে গেলে পারতেন৷ এঁরা দলত্যাগ বিরোধী আইনে পড়ছেন৷ তাই এঁদের বিরুদ্ধে ব্যবস্হা নেওয়ার জন্য বিধানসভার স্পিকার বিমান ব্যানার্জিকে চিঠি দেওয়া হচ্ছে৷ এর আগে কংগ্রেসের দুই বিধায়ক ইমানি বিশ্বাস ও সুশীল রায় ইস্তফা না দিয়েই তৃণমূলে যোগ দিয়েছিলেন৷ এঁদের বিরুদ্ধেও ব্যবস্হা নেওয়ার জন্য স্পিকারকে চিঠি দেওয়া হয়৷ এখন পর্যম্ত কোনও ব্যবস্হা নেওয়া হয়নি৷ মহম্মদ সোহরাব বলেন, এঁরা দল ছেড়ে চলে যাওয়ায় দলের কোনও ক্ষতি হবে না৷ কর্মীদের ওপরও প্রভাব পড়বে না৷ অন্যদিকে কংগ্রেস পরিষদীয় দলে এখন সদস্য সংখ্যা গিয়ে দাঁড়াল ৩৩৷ |
২ নয়, ২২ হবে: মীনাক্ষী |
৩০ নভেম্বর বি জে পি-র পাল্টা সভা আজকালের প্রতিবেদন: তৃণমূল কংগ্রেসের পাল্টা সভা ডাকল বি জে পি৷ সভা হবে বি জে পি-র উত্থান দিবস ৩০ নভেম্বরে ধর্মতলায়৷ জানিয়ে দিলেন বি জে পি নেতৃত্ব৷ দলের রাজ্য সভাপতি রাহুল সিনহার দাবি, মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি বুঝে গেছেন, আগামী দিনে তাঁর লড়াই বি জে পি-র সঙ্গে৷ তিনিও তাঁর বক্তৃতায় সে-কথাই বুঝিয়ে দিলেন৷ সোমবার শহিদ দিবস সমাবেশে মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি মম্তব্য করেন, আগামী লোকসভা ভোটে রাজ্যে বি জে পি-র আসন ২ থেকে ০ হবে৷ বি জে পি নেতৃত্ব মুখ্যমন্ত্রীর এই মম্তব্যের সমালোচনা করেন৷ বি জে পি নেত্রী মীনাক্ষী লেখির মম্তব্য, সাংসদ সংখ্যা ২ থেকে ২২ হবে৷ রাহুল সিনহার বক্তব্যেও মীনাক্ষী লেখির বক্তব্যের প্রতিফলন৷ বলেন, সংখ্যা ২ থেকে ০ নয়, ২-এর পর অন্য সংখ্যা বসবে৷ তৃণমূলের বিরুদ্ধে ভোট-লুটের অভিযোগ তুলে বি জে পি সাংসদ বাবুল সুপ্রিয়র সংযোজন, রিগিং না করলে তো আমাদের আসন সংখ্যা বাড়ত৷ এদিন দলের রাজ্য দপ্তরে সাংবাদিক বৈঠকে রাজ্য সভাপতি রাহুল সিনহা তৃণমূলের তুমুল সমালোচনা করেন৷ শহিদ দিবসের সমাবেশকে কটাক্ষ করে বলেন, শহিদ দিবসের সমাবেশ৷ অথচ শহিদদের নিয়ে কোনও কথাই নেই৷ ক্ষমতায় আসার পর রাজ্যে শহিদ বানানোর কাজ চলছে৷ তাঁদের মুখে শহিদ সমাবেশ মানায় না৷ তিনি বলেন, মুখ্যমন্ত্রী নার্ভাস হয়ে গেছেন৷ প্রধান বিরোধী দল বামফ্রন্ট সম্পর্কে কোনও কথাই নেই৷ আমাদেরই প্রধান বিরোধী দল ভাবছেন৷ আগামী দিন বি জে পি-র সঙ্গেই মূল লড়াই, সেটা মুখ্যমন্ত্রী বুঝিয়ে দিলেন৷ মুখ্যমন্ত্রী বলেছেন, ৫ বছর পর বি জে পি একটাও আসন পাবে না৷ ৫ বছর পর কী হবে সেটা উনি বুঝে গেছেন৷ কিন্তু ২ বছর পর কী হতে চলেছে, সেটা বলছেন না৷ আসলে উনি বুঝে গেছেন কী হবে৷ আগামী লোকসভা ভোটে বি জে পি শূন্য হয়ে যাবে, বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ কিন্তু ২ বছর পর তৃণমূল না শূন্য হয়ে যায়৷ প্রসঙ্গত, লোকসভা ভোটের ফলাফলে ব্যাপক খুশি রাজ্যের বি জে পি নেতৃত্ব৷ তাও ভোটের শতাংশের নিরিখে প্রায় তিনগুণ ভোট বেড়েছে বি জে পি-র৷ তাদের পাখির চোখ ২০১৬ সালের বিধানসভা ভোট৷ বি জে পি-র দাবি, তারাই প্রকৃত পরিবর্তন আনতে পারে৷ শহিদ দিবসে মুখ্যমন্ত্রী বলেছেন, ভোটের সময় ছবি এঁকে, বিক্রি করে অর্থ সংগ্রহ করবেন৷ মুখ্যমন্ত্রীর ছবি আঁকাকে কটাক্ষ করে রাহুলবাবুর মম্তব্য, সুদীপ্ত সেন তো জেলে, ছবি কিনবেন কে? আর যে সাংসদ বিক্রির দায়িত্বে ছিলেন, তিনিও জেলে৷ বিক্রি কে করবে? তাঁর মতে, শহিদ দিবসে কোনও বার্তা নেই৷ গতবারের তুলনায় অর্ধেকেরও কম মানুষ এসেছেন৷ তাই জানুয়ারিতে ফের ব্রিগেড সমাবেশের ডাক দিয়েছে তৃণমূল৷ তিনি বলেন, ৩০ নভেম্বর বি জে পি উত্থান দিবস পালন করবে৷ ওই দিন ধর্মতলায় সভার ডাক দিয়েছি৷ আজ, মঙ্গলবার পুলিস প্রশাসনের কাছে সভার অনুমতি নিতে যাব৷ প্রসঙ্গত, ২০১০ সালের ৩০ নভেম্বর বাংলা বন্ধের ডাক দিয়েছিল বি জে পি৷ রাজ্যেও কোথাও কোথাও ব্যাপক সাড়া পেয়েছিল তারা৷ উজ্জীবিত হয়েছিল তারা৷ সিদ্ধাম্ত নেওয়া হয়, ওই দিনটিকে উত্থান দিবস হিসেবে পালন করা হবে৷ |
সাধারণ মানুষের জন্য তৃণমূলের সদস্য হওয়ার দরজা খুলে দেওয়া হল
অরূপ বসু | |
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