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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, December 17, 2014

मैं कितनी जिद्दी मां हूं

(16 दिसंबर 2014 को पेशावर के स्कूल में आतंकी हमले पर)

मैं कितनी जिद्दी मां हूं।
तुम्हारे बहाने पर...
आज जो बहल जाती
नहीं भेजती तुमको स्कूल।

मैंने अल्सुबह...
तुम्हारे चेहरे पर
एक शरारत देखी थी।
छत्तीस कोनों पर बने
तुम्हारे मुंह की
भविष्यवाणी पढ़ जो पाती
नहीं भेजती तुमको स्कूल।
मैं कितनी जिद्दी मां हूं।

मेरे बच्चे...
हाथ हिलाकर
तुम फिर पीछे मुड़े थे।
इस उम्मीद में
कि मैं पिघल जाऊं।
आज पत्थर जो न हुए होते,
तुम्हें बड़ा बनाने के मेरे इरादे,
आज कमज़ोर मां जो रह पाती
नहीं भेजती तुमको स्कूल।
मैं कितनी जिद्दी मां हूं।

कल रात...
सोने से पहले
मैंने बंदूक वाले
नए खिलौने का वादा किया था।
ढांय-ढांय, ढांय-ढांय।
मेरे लाल
अब बंदूक मैं थामूंगी।
मैं मारूंगी,
आतंकवाद के राक्षस को।
अत्याचार
अनाचार
अंधकार...मैं मारूंगी।
खिलौने के वादे पे
तुम्हें सुला जो न पाती।
नहीं भेजती तुमको स्कूल।
मैं कितनी जिद्दी मां हूं।
.............................................................................................

आज कैसे सोएगी मां?
आज बच्चा रो नहीं रहा
आज वो खामोश है
एकदम चुप्प...अब कभी नहीं रोएगा
अब मां रोएगी।

(अभय)
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