Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, December 20, 2014

कुछ न कुछ पका है दिल्ली में! लेकिन बंगाल दखल करने का ख्वाब फिलहाल संघपरिवार का पूरा होना मुश्किल! असम में संघ परिवार 2021 तक भारत को मुसलमानों और ईसाइयों से मुक्त करने का संकल्प दोहरा रहा है तो निशाने पर हैं बौद्ध,सिख और जैन धर्म के अनुुयायी भी। कोलकाता में अपनी पिछली सभा में अमित साह कह गये हैं कि बंग विजय के बिना भारत विजय असंभव है।उनका तेवर ऐसा है कि जैसे किसी हमलावर विदेशी सेना के सिपाहसालार किसी देश के एक के बाद एक जनपद को रौंदता चला जा रहा हो।बहरहाल बंगविजय का सपना कम से कम 2016 में तो पूरा होते नहीं दीख रहा है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

कुछ न कुछ पका है दिल्ली में!


लेकिन बंगाल दखल करने का ख्वाब फिलहाल संघपरिवार का पूरा होना मुश्किल!

असम में संघ परिवार 2021 तक भारत को मुसलमानों और ईसाइयों से मुक्त करने का संकल्प दोहरा रहा है तो निशाने पर हैं बौद्ध,सिख और जैन धर्म के अनुुयायी भी।




कोलकाता में अपनी पिछली सभा में अमित साह कह गये हैं कि बंग विजय के बिना भारत विजय असंभव है।उनका तेवर ऐसा है कि जैसे किसी हमलावर विदेशी सेना के सिपाहसालार किसी देश के एक के बाद एक जनपद को रौंदता चला जा रहा हो।बहरहाल बंगविजय का सपना कम से कम 2016 में तो पूरा होते नहीं दीख रहा है।



एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


भाजपाई पहल पर बने तीनों छोटे राज्यों उत्तराखंड,झारखंड और छत्तीसगढ़ में संघ परिवार की विजययात्रा भले ही केकवाक साबित हो,ऐसा अनार्यभूमि के बाकी हिस्सों में भी हो कोई जरुरी नहीं।बंगाल,ओड़ीशा,तमिलनाडु और असम जीतना उतना अासान भी नहीं है।बहरहाल,ताजा परिदृश्य के मुताबिक पश्चिम बंगाल ने राजनीतिक परिदृश्य में 2014 में निश्चित रूप से बदलाव महसूस किया। इस साल लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन कर सत्ता हासिल करने वाली भाजपा एक ओर एक मजबूत ताकत के रूप में उभरी वहीं शारदा चिट फंड घोटाले एवं बर्द्धमान विस्फोट का लाभ उठाते हुये उसने राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को`बैकफुट' ला दिया।



असम में संघ परिवार 2021 तक भारत को मुसलमानों और ईसाइयों से मुक्त करने का संकल्प दोहरा रहा है तो निशाने पर हैं बौद्ध,सिख और जैन धर्म के अनुुयायी भी।मीडिया की खबरें से मिल रहे तथ्यों के आदार पर जमीनी हकीकत के बरखिलाफ बंगाल में केसरिया गुब्बारे खूब उड़ाये जा रहें है और एकमुश्त कश्मीर और तमिलनाडु समेत पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत यूपी बिहार एमपी राजस्थानमहाराष्ट्र की तर्ज पर घनघोर घृणा अभियान की पूंजी के दम पर जीत लेने की तैयारी में है संघ परिवार।


कोलकाता में अपनी पिछली सभा में अमित साह कह गये हैं कि बंग विजय के बिना भारत विजय असंभव है।उनका तेवर ऐसा है कि जैसे किसी हमलावर विदेशी सेना के सिपाहसालार किसी देश के एक के बाद एक जनपद को रौंदता चला जा रहा हो।बहरहाल बंगविजय का सपना कम से कम 2016 में तो पूरा होते नहीं दीख रहा है।


तो मोहन भागवत ने खुल्ला ऐलान करते ङुए घरवापसी जारी रखने का उद्घोष कोलकाता की सरजमी से किया जहां तीस फीसद से ज्यादा मुसलमान हैं और एक तिहाई सीटों पर मुसलमानों के वोट निर्मायक हैं।


हिंदू समाज जागने लगा है। भारत में रह रहे हिंदुओँ को डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि, हम किसी अन्य देश से यहां नहीं आये। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में विश्व हिंदू परिषद के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष में आयोजित 'विराट हिंदू सम्मेलन' को संबोधित करते हुए य बातें  कहीं।


वाममोर्चा शासन में जहां संघ की शाखाएं भी बंगाल में नहीं लगीं,ममता बनर्जी की नाक के नीचे शंग परिवार की यह युद्धघोषणा निश्चय ही ममता बनर्जी और परिवर्तन के बाद सत्ता में आय़ी मां माटी मानुष सरकार की महान उपलब्धि है।


मोहन भागवत ने जो कहा,वह असम में मुसलमानों और ईसाइयों के सफाये की घोषणा की पृष्ठभूमि है।उनने कहा कि घुसपैठ के चलते भारत में हिंदुओँ की संख्या घट रही है। एक वक्त था जब भारत में रहने वाले सभी हिंदु हुआ करते थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या घट कर देश की कुल जनसंख्या का ८२ प्रतिशत हो चुकी है। उन्होंने आशंका प्रकट करते हुए कहा कि कहीं यह संख्या घट कर ४२ प्रतिशत न हो जाये। इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल को घुसपैठियों से मुक्त कराने का संकल्प जाहिर कियाŸतथा गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाये जाने की मांग की। सम्मेलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेताओँ व विभिन्न पंथों से जुडे धर्मगुरुओं व संतो ने भी संबोधित किया। लगभघ सभी वक्ताओं ने qहदू समाज को संगठित और सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया व हिंदुओं के लिये विश्व हिंदू परिषद द्वारा दुनिया भर में किये जा रहे कार्यों की सराहना की।


बहरहाल,हुआ इतना है कि सीबीआई महिमा की वजह से कटघरे में हैं ममता बनर्जी और एक के बाद एक दागी मंत्री सासद वगैरह वगैरह जेल की सलाखों के पीछे हैं।तपिश और दबिश दोनों ममता बनर्जी के खिलाफ हैं।


केंद्र के खिलाफ दिल्ली और कोलकाता में जिहाद का ऐलान करने वाली ममता बनर्जी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के अनुरोध पर नई दिल्ली रुक गयी और अचानक उनके साथ प्रधानमंत्री राष्ट्रपति भवन में भेंटा गये,यह गप्प बंगाल में किसी के गले उतर नहीं रहा है,जबकि जीएसटी बिल की शुरुआत से कड़ा  विरोध करने वाली ममता ने इसके सबसे भयंकर विरोधी गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री जो अब प्रधानमंत्री बनकर उस कानून को बाराक बाबू के आगमन से पहले राज्यसभा में जरुरी बहुमत के बिना जैसे तैसे पासकराने की जुगत लगा रहे हैं,के साथ खड़ी दीख रही हैं।


बाकी कानून पास करने में भी तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के समर्थन बेहद निर्णायक साबित होेने वाला है।


ममता की दिल्ली यात्रा और उनकी आग उगलू प्रेस कांफ्रेंस के मध्य यकबयक जीएसटीबिल ममता की हरी झंडी के बिना लोकसभा में पेश करने वाले कारपोरेट वकील अरुण जेटली जो बीमा समेत तमाम सुधार कानून पास करने का दावा करने लगे हैं,उससे सीबीआई जांच का पुराना इतिहास दुहराया जाता नजर आ रहा है,जिसमें कटघरे में तो सारे के सारे क्षत्रप हुएकभी न कभी,लेकिन सजा अकेले लालू प्रसाद की हो गयी।बाकी सारे लोग छुट्टा घूम रहे हैं।



एक्जिट पोल में मीडिया ढाक ढोल पीटकर झारखंड में भाजपाई जीत का ऐलान कर रही है जबकि इकोनामिक टाइम्स ने खास हिंदुत्व के गढ़ जम्मू में नैसेटी ब्लो के लिए भाजपा को सतर्क पहले ही कर दिया है और कश्मीर में जो भारी मतदान हुआ है वह संग परिवार के खिलाफ है।


जाहिर है कश्मीर को जीत लेने का दावा करने वाला केसरिया मीडिया अब खामोश हैं।


पहलीबार कोलकाता नगरनिगम के चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री आ रहे हैं।किसी प्रधानमंत्री ने दिल्ली महापालिका के लिए कभी चुनाव प्रचार किया है या नहीं,इस बारे में हमें जानकारी नही है।संघपरिवार की शाखाएं बंगाल में खूब लग रही हैं और संघ संगठनों ने तो बाकायदा बंगाल जीतने का ऐलान ही कर दिया है।


प्रधानमंत्री से ममता की संजोगवश मुुलाकात के मध्य ही मुरझाये हुए जेलबंदी मदनमित्र जेल रवाना होने से पहले माकपा के तीन नेताओं रोबिन देब,मोहम्मद सलीम और सुजन चक्रवर्ती के जो शारदा फर्जीवाड़े में नाम गिना गये,उसके नतीजे देखना दिलचस्प होगा।


दरअसल संघ परिवार को असम और बंगाल का जनसंख्या विन्यास मालूम है।शत प्रतिसत धारिमिक ध्रूवीकरण हुआ तो अपर पक्ष भी खामोश बैठने वाला नहीं है और उनके वोट कश्मीर की तरह भाजपा विरोधी शक्तियों को पड़ने वाले हैं।


ममता को भगाने से ही बंगाल दखल संभव नहीं है,जाहिर है।इसके लिए वामदलों का सफाया जरुरी है और चुनावी पराजयों के बाद अब जो तेजी से गोलबंद होने लगे हैं।उत्तरी बंगाल में कांग्रेस के गढ़ अभी बने हुए हैं,जिन्हें ध्वस्त करने की भी चुनौती है।


अब बंगाल मिशन के तहत दरअसल भाजपा तृणमूल काग्रेस के अलावा कांग्रेस और वामदलों की घेराबंदी करने की तैयारी में हैं और गुल अभी और तरह तरह के खिलने वाले हैं।जाहिर है कि कड़कती सर्दियों में भी बागों में बहार है।


इसीलिए विहिप सम्मेलन में उमडे जनसैलाब को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि भारत हिंदुओँ का देश है और हिंदू यहां पूरी तरह सुरक्षित हैं। उसे कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। हिंदू अपनी भूमि छोड कर कहीं नहीं जायेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक हिंदू समाज सिर्फ सहता रहा है लेकिन अब और सहने की जरूरत नहीं है।



विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगडिया ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए घुसपैठ की समस्या पर गंभीर चिंता जाहिर की। घुसपैठ को भारत  के लिये बडा खतरा करार देते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से लाखों की तादाद में घुसपैठिये भारत में आ चुके हैं जो हिंदुस्तान के लिये खतरा पैदा कर रहे हैं।

लव जिहाद का मुद्दा उठाते हुए तोगडिया ने कहा कि इस अभियान के जरिये हिंदू लडके-लडकियों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। इसे कतई सहन नहीं किया जा सकता। उन्होंने लोगों से बांग्लादेशी घुसपैठियों को अपने घर में ठहरने नहीं देने की अपील करते हुए कहा कि जो भारत के नागरिक नहीं है उन्हें घर किराये पर देना अपराध है।



राज्य में नरेन्द मोदी की लहर के सहारे मई में हुये लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली में 17 प्रतिशत मत आये जबकि 2011 में हुये विधानसभा चुनाव में पार्टी को राज्य में केवल चार फीसदी मत हासिल हुये थे। बहुकोणीय मुकाबले में, तृकां को सबसे अधिक लाभ मिला और राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 34 पर उसने कब्जा कर लिया। भाजपा के एक ताकत के रूप में उभरने के कारण बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव महसूस किया गया और पूर्व में एक मजबूत ताकत रही वाम किनारे चली गयी। वाम मोर्चे की वरिष्" सहयोगी माकपा बशीरहाट और चौरंगी विधानसभा सीटों पर हुये उपचुनाव में अपनी जमानत जब्त करवा बैठी।


भाजपा ने बशीरहाट सीट जीत ली जबकि चौरंगी सीट पर वह दूसरे नम्बर पर रही जहां तृकां ने चुनाव जीता। ना केवल अपने राजनीतिक विरोधियों बल्कि पार्टी के भीतर भी माकपा को आलोचना का शिकार होना जिससे बाद पार्टी ने अपने दो नेता अब्दुर रज्जाक मुल्ला और लक्ष्मण से" को `पाटी विरोधी गतिविधियों' के आरोप के कारण निलंबित कर दिया।


भाजपा के उभार को देखते हुये तृकां प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार के खिलाफ हमले तेज कर दिये हैं और उनपर देश बेचने का आरोप लगाया और सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश के लिए भाजपा पर हमला किया।

कोई शक नहीं कि ताजा हालाते जो दीख रहे हैं,वे इस तरह हैं कि राजनीतिक परिदृश्य में कई करोड़ के शारदा घोटाले की गूंज सुनाई देती रही और सत्तारूढ़ पार्टी के परिवहन मंत्री मदन मित्रा और दो राज्यसभा सांसद सृंजय बोस और कुणाल घोष को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया जिससे पार्टी को बड़ी शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा।

दो अक्तूबर को बर्द्धमान विस्फोट में जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गये थे और इस मुद्दे को लेकर भी राज्य सरकार पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाते हुए हुए शिंकजा कसा कि इसमें भी सारधा घोटाले के धन का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, केन्द ने बाद में कहा कि जांच में अभी तक इस तरह के किसी भी लेन-देन का पता नहीं चला है जिसमें आतंकवादी गतिविधियों के लिए बांग्लादेश पैसा जा रहा हो।

इसी बीच ममता पर और दबाव बनाने के लिएशारदा घोटाले के मामले बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की तैयारी है।गिरफ्तार मंत्री मदनमित्र को अदालत में पेश करने के दौरान समर्थकों की भारी भीड़ के देखते हुये शारदा घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष अपराध शाखा मामले को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती है, ऐसा बताया जा रह है जिससे सत्ता खमे में जाहिरा तौर पर खलबली मच गयी है।

सीबीआई के एक सूत्र ने बताया 'शनिवार को अलीपुर अदालत में पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा को पेश करने के दौरान भारी भीड़ को देखते हुये हम लोग किसी दूसरे राज्य में मामले को स्थानांतरित करने के बारे में विचार कर सकते हैं।'

अदालत में मित्रा को पेश करने के लिए जाने से पहले और बाद में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के हजारों समर्थक अदालत परिसर के सामने जमा हो गये और उनमें से कई लोगों ने एसयूवी को घेर लिया जिसमें मंत्री और सीबीआई के एक अधिकारी बैठे हुये थे।

सूत्र ने बताया 'भीड़ उपद्रवी थी। हम लोगों ने पश्चिम बंगाल पुलिस प्रशासन से अगली बार 16 दिसंबर को फिर से मंत्री की पेशी के दौरान बेहतर व्यवस्था करने की मांग की है।' सूत्र ने बताया 'देखते हैं, क्या होता है। अगर 16 दिसंबर को स्थिति में सुधार नहीं होता है तब हम दूसरे विकल्प पर विचार करेंगे।'



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...