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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, November 3, 2015

Dilip C Mandal 

मैं आरएसएस के ऑफीशियल पेज Rashtriya Swayamsevak Sangh : RSS पर तस्वीरें देख रहा हूं। वे जब शहर में लाठी या गन लेकर परेड करते हैं, उसको पथ संचलन जैसा कुछ बोलते हैं। चमड़े का जूता, चमड़े की बेल्ट और अंग्रेज़ सिपाहियों की छोड़ी हुई हवादार ख़ाकी हाफ पैंट पहनकर जब ये निकलते हैं तो कितने स्मार्ट दिखते हैं! आप भी अलग अलग शहर की इन तस्वीरों को गौर से देखिए।

ये जब निकलते हैं,
तो शहर में सन्नाटा पसर जाता है,
दुकानें बंद, शटर डाउन,
खरीदार गायब,
रिक्शा बंद, ऑटो, टैंपो ग़ायब, 
सडक पर न कोई चलता है, न गाड़ी चलाता है,
आम आदमी घर में दुबक जाता है,
रेहडी पटरी पर एक भी बेचनेवाला नहीं,
एक औरत नहीं,
बच्चे सड़क से ग़ायब हो लेते है,
पता नहीं,
उनकी माँ इसके लिए बोलती हैं, वे खुद ही सटक लेते हैं।

आरएसएस का असर तो है।
सारी तस्वीरें देख लीजिए। सलेक्शन भी मेरा नहीं है। आरएसएस ने खुद अपने पेज पर लगाई हैं। अलग अलग शहर से दिन के अलग अलग वक्त की तस्वीरें! छाया देखने से पता चलता है!


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