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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, December 16, 2014

पाकिस्तान के वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता शोभो ज्ञानचंदानी ने अपने जीवन के ९५नवे वर्ष की पूर्व संघ्या पर अंतिम सांस ली


Shamshad Elahee Shams added 10 new photos.
गत ८ दिसंबर को पाकिस्तान के वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता शोभो ज्ञानचंदानी ने अपने जीवन के ९५नवे वर्ष की पूर्व संघ्या पर अंतिम सांस ली, उनकी स्मृति में प्रगतिशील सिंधी लेखक संघ टोरंटो कनाडा द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लेखकों, अखबार नवीसों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने शिरकत की.
सोवियत संघ के पतन के बाद ज्ञानचंदानी से किसी ने सवाल पुछा कि अब क्या होगा कामरेड? उनका जवाब था ..'मैं बालशेविक था, बालशेविक हूँ और बालशेविक रहूँगा, क्योकि जब तक इंसानी गैर बराबरी रहेगी, ज़ुल्म रहेगा, आर्थिक शोषण रहेगा, हमारा संघर्ष चलता रहेगा'
मोहन जोदाडो (सिंध पाकिस्तान) के नज़दीक पैदा हुए लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता ने १९३९ में रविन्द्र नाथ टैगोरे के शांति निकेतन से शिक्षा प्राप्त की थी, १९४६ में अंग्रेजी शासन के विरुद्द हुए 'नेवी विद्रोह' की आग मुंबई में लगी थी जिसकी ताप कराची में भी महसूस हुई थी, उस बगावत को हवा देने का काम ज्ञानचंदानी का भी था, अंग्रजों से लेकर नव गठित राज्य पाकिस्तान के हुक्मरानों ने उन्हें अपना दुश्मन माना जिसके कारण जीवन के बेहतरीन १३ साल उन्हें जेल की सलाखों के पीछे गुजारने पड़े.
कमुनिस्ट नेता उमर लतीफ़ ने इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कामरेड शोभू को सबसे बेहतर श्रद्धांजलि देने का तरीका सिर्फ यही है कि हम उनके द्वारा जारी किये गए संघर्ष को और आगे बढ़ाएं और उनके सपनों को साकार करें.
प्रसिद्द लेखक मुनीर सामी ने कहा कि कि कामरेड शोभू ने एक बार कहा था कि पाकिस्तान के लिए मैं तीन फनों वाला सांप हूँ, मैं कम्युनिस्ट हूँ, मैं हिन्दू हूँ और मैं सिंधी हूँ' इस व्यक्तव्य के पीछे का दर्द कोई लेखक ही समझ सकता है. ये तीनो तत्व पाकिस्तान की हकुमत के लिए नामंजूर थे, लिहाजा उन्हें जीने का हक़ नहीं है, पाकिस्तानी हुक्मरानों के लिए इन तीनो के लिए अपने मुआशरे में कोई अहमियत नहीं थी, इसी दर्द को जुबां देते हुए ज्ञानचंदानी ने यह कहा था.
कामरेड हरिंद्र हुंदल ने इस मौके पर कहा कि कामरेड शोभू की शक्सियत और उनके राजनीतिक कद की बदौलत ही सात समुन्दर पार उनकी याद में इतने लोग जुड़े हैं, उन्हें अपना सलाम पेश करते हुए उन्होंने भारत पाकिस्तान के मेहनत कश वर्ग से एकजुट होकर इन्कलाब करने का आह्वान किया, तभी दोनों देशों के बीच स्थाई शांति होगी, तभी विकास होगा, तभी शोषण समाप्त होगा तभी कामरेड शोभू के सपने साकार होंगे.

http://www.dawn.com/…/a-dauntless-crusader-sobho-gianchanda…
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