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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, December 16, 2014

जन संगठनों ने वसुंधरा सरकार पर हल्ला बोला

जन संगठनों ने वसुंधरा सरकार पर हल्ला बोला
जयपुर, 16 दिसंबर

"सरकार ने चुनाव से पहले अच्छे दिनों का सपना दिखाया था लेकिन सवाल यह है
कि यह अच्छे दिन किनके आये हैं? केंद्र व राज्य की सरकार ने सबके साथ
सबके विकास की बात की, लेकिन आज किसका विकास हो रहा है? जब आम लोगों का
विकास नहीं होता है तो देश का विकास कैसे संभव हैं? यह जनता की नहीं
कंपनियों की सरकार है, विकास के नाम पर हमें विनाश मंजूर नहीं."

उपरोक्त विचार सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती अरुणा रॉय ने आज
उद्योग मैदान में राजस्थान के जन संगठनों के समन्वयन की ओर से आयोजित सभा
को संबोधित करते हुए व्यक्त किये, उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य की
भाजपा सरकारें लम्बे जन संघर्ष से हासिल हुए अधिकार आधारित कानूनों को
ख़त्म कर देना चाहती है. इस मौके पर मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े
निखिल डे ने कहा कि सरकार विभिन्न तरीकों से नरेगा को कमजोर कर रही है,
उसका बजट सीमित किया जा रहा है तथा क्रियान्वयन में खामी रखकर जनता के इस
हक़ को समाप्त करने की कोशिश हो रही है.

उल्लेखनीय है कि आज जयपुर में स्टेच्यू सर्कल पर राजस्थान के 14 जिलों के
21 जन संगठनों के 850 प्रतिनिधियों ने एक-दिवसीय विरोध सभा आयोजित कर
राज्य की राजे सरकार के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजाया. जन संगठन वसुंधरा
सरकार द्वारा राशन, पेंशन, नरेगा तथा निःशुल्क दवा योजना में कटौती, वन
अधिकार कानून की सही पालना नहीं होने तथा प्रदेश में महिला, दलित,
आदिवासी व अल्पसंख्यक वर्गों पर बढ़ रहे अत्याचार को लेकर आक्रोशित थे.
पी यू सी एल की महासचिव कविता श्रीवास्तव ने सभा में बोलते हुए कहा कि
हिंदुत्व, क्रोनी कैपिटलिज्म और कॉर्पोरेट के साथ मिलकर यह सरकार लूट
मचाये हुए, लोगों को बुनियादी हक़ देने में विफल रहने के चलते अब जाति और
धर्म के झगडे करवाए जा रहे हैं, जिनमें सत्तारूढ़ दल के जन प्रतिनिधि
शामिल हैं.

सभा के दौरान श्रमिक नेता हरिकेश बुगालिया तथा अशोक खंडेलवाल ने कहा कि
कंपनियों और धनवानों को फायदा पहुँचाने के लिए सरकार ने श्रम कानूनों में
बदलाव किया है. महिला पुनर्वास समिति से जुडी रेणुका पामेचा ने कहा कि एक
वर्ष में सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है.
मुख्यमंत्री द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर किये गए दावे खोखले साबित हुए
हैं. उन्होंने बताया कि बलात्कार के मामलों में 85 प्रतिशत तथा छेड़छाड़
के मामलों में 97 प्रतिशत वृद्धि हुई है.

जन संगठनों का आरोप है कि मुख्यमंत्री लोगों को मिलने के लिए समय ही नहीं
देती हैं,उन्हें विरोध की आवाजें पसंद नहीं हैं. उनकी कार्यशैली राजशाही
को बढ़ावा देने वाली है. भारत ज्ञान विज्ञान समिति की कोमल श्रीवास्तव ने
कहा कि वसुंधरा राजे प्रदेश में 17 हजार स्कूल बंद करके जश्न मना रही है,
उनके इस कदम से लाखों दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राएं
शिक्षा से बंचित हो जायेंगे.

सभा को भंवर सिंह चंदाना, कमला भसीन, ममता जैतली, भंवर मेघवंशी, ग्यारसी
बाई, शंकर सिंह, क्षितिज, शरद, कमल टाक, मुकेश गोस्वामी, मोहन सांसी,
धर्मचंद, जवानलाल गमेती, हरिओम सोनी, हंसराज, जयराम तथा गोपाल वर्मा ने
भी संबोधित किया.
इन मुद्दों पर हुई सभा में बात
•       श्रम कानूनों में बदलाव
•       नरेगा को कमजोर करने के प्रयास
•       वन अधिकार मान्यता कानून की दशा
•       खाध्य सुरक्षा, राशन तथा पेंशन योजना
•       शिक्षा अधिकार कानून तथा स्कूलों का बंद होना
•       राज्य में बढती साम्प्रदायिकता, दलित व महिला अत्याचार के बढ़ते प्रकरण
•       सूचना आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होना
•       निःशुल्क दवा योजना में कटौती

दिया ज्ञापन
प्रदर्शन में शामिल जन संगठनों की ओर से 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने
उपरोक्त मुद्दों से सम्बंधित मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के विशेष सचिव
के. के. पाठक, मुख्य सचिव सी. एस. राजन तथा शिक्षा सचिव नरेशपाल गंगवाल
से मुलाकात की, राज्य के आला अफसरों ने जन संगठनों द्वारा उठाये गए
नुद्दों को गंभीरता से सुना तथा उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है.

ज्ञापन की प्रमुख मांगे
       उचित मुआवजा का अधिकार, पुनर्स्थापना और पुनर्वास एवं अधिग्रहण में
पारदर्शिता अधिनियम 2013 को बदलने के सभी प्रावधानों को अविलम्ब
क्रियान्वित किया जाये.
       राजस्थान सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किये गए बदलावों को निरस्त किया जाये
       नरेगा को किसी भी रूप में सीमित नहीं किया जाये बल्कि 200 दिन का
रोज़गार उपलब्ध करवाया जाये.
       वन भूमि अधिकार कानून 2006 का सही क्रियान्वयन हो.
       राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को राज्य में अविलम्ब
क्रियान्वित किया जाये
       शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 को बदलने के सभी प्रस्ताव ख़त्म कर इस
कानून को सही तरीके से लागू किया जाये.
       स्वास्थ्य के अधिकार हेतु एक कानून बनाया जाये.
       पेंशन योजना को सर्वव्यापी बनाया जाये और पेंशन की राशि को न्यूनतम
मजदूरी का आधा या कम से कम 2 हजार रुपये प्रति माह किया जाये
       सामाजिक क्षेत्र के सभी कार्यक्रमों पर हो रहे खर्च में कटौती करने के
बजाय उसे दुगुना किया जाये.
सादर प्रकाशनार्थ

भवदीय
भंवर मेघवंशी, कविता श्रीवास्तव एवं मुकेश गोस्वामी
अबकी बार हमारा अधिकार राजस्थान के जन संगठनों के समन्वयन की ओर से
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 9468862200, 9571047777, 9351562965

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