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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, June 19, 2016

बेहतर समाज का सपना देने वाले हे पितरों, आज फादर्स डे पर अपनी नालायक संतानों को माफ़ करना। वे नहीं जानते कि वे क्‍या कर रहे हैं। वे नहीं जानते कि वे क्‍यों कर रहे हैं। वे नहीं जानते कि वे किसके ‍लिए कर रहे हैं। वे कुछ नहीं जानते।

Abhishek Srivastava


बहुत मज़ा आ रहा है। लाल किताब के दोनों खण्‍ड बरसों पहले चबा चुके बौद्धिक आज रघुराम राजन के लिए आंसू बहा रहे हैं। संसद को सुअरबाड़ा मानने वाले इंकलाबी आज संविधान को बचाने की जंग लड़ रहे हैं। एनआइएफटी जैसे संस्‍थानों को नव-उदारवाद की संतान मानने वाले संस्‍कृतिकर्मी आज उसके चेयरमैन के पद पर एक क्रिकेटर की बहाली को लेकर चिंतित हैं और अभिव्‍यक्ति की आज़ादी को बचाने के नाम पर उन्‍हीं गालियों का समर्थन किया जा रहा है जिन्‍हें दे-दे कर भक्‍त ट्रोल बिरादरी अपना वजूद बचाए हुए है।

प्रधानजी का धन्‍यवाद, जो उन्‍होंने झूठे विरोधाभास खड़े कर के पढ़े-लिखे लोगों को एक ऐसी कबड्डी में झोंक दिया जहां तीसरे पाले की गुंजाइश ही नहीं है। वे जिस पाले का बचाव कर रहे हैं वह किसी दूसरे का है। उनका पाला सिरे से गायब है। नतीजतन, हम सब दो साल के भीतर उस राजमिस्‍त्री की भूमिका में आ गए हैं जो किसी दूसरे का घर बनाने में अपना पसीना बहाए जाता है। दिलचस्‍प यह है कि इस मकान को बनाने वाला ठेकेदार हमें छोड़ कर भाग गया है। पेमेंट का भी भरोसा नहीं है।

बेहतर समाज का सपना देने वाले हे पितरों, आज फादर्स डे पर अपनी नालायक संतानों को माफ़ करना। वे नहीं जानते कि वे क्‍या कर रहे हैं। वे नहीं जानते कि वे क्‍यों कर रहे हैं। वे नहीं जानते कि वे किसके ‍लिए कर रहे हैं। वे कुछ नहीं जानते।

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