ग्राउंड दलित रिपोर्ट -9
कोटड़ी ( भीलवाड़ा )
जातिगत अपमान की अंतहीन दास्तान
- भंवर मेघवंशी
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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा थाना क्षेत्र का कोटडी गाँव आज भी सामंती अत्याचारों का गढ़ बना हुआ है .इस गाँव के निवासी पन्ना लाल बलाई ने आज भीलवाड़ा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश हो कर अपनी व्यथा बयान की ,उनका कहना था कि जब से उसने अपने गाँव में एक अच्छा सा सुन्दर पक्का मकान बनाया है तब से वह गाँव के सामंतों के निशाने पर आ गया है ,वे उसे तरह तरह से परेशान करने में लगे है .दरअसल पन्नालाल बलाई का मकान पडौसी सामंतों से ऊँचा जो है ,क्या वह बर्दाश्त किया जा सकता है ? ऐसे प्रदेश में जहाँ पर घरों के दरवाजे तक जाति की साईज पर रखने की मजबूरी हो !
पन्ना लाल के परिवार पर विगत कई वर्षों से सामंती कहर बरपा है ,कभी उनका चारा जलाया गया तो कभी उनके यहाँ आये मेहमानों को पीटा गया .इस बार 24 मई को लक्षमण सिंह ने भरी दोपहरी दिन दहाड़े पन्नालाल के घर पर हमला किया ,घर के खिड़की दरवाजे तोड़ दिए .फर्श उखाड़ दिया और घर के बाहर खड़ी एक्सल गाड़ी के भी कांच तोड़ दिये .इतना ही नहीं बल्कि घर में रखे पांच हज़ार रूपये और भामाशाह कार्ड जैसे सारे दस्तावेज भी चुरा कर ले जाने लगा ,जब उसे रोकने की कोशिस की गई तो लक्ष्मण सिंह पथराव करने लगा और कांडी तथा बलाईटा जैसी अपमानजनक गलियाँ देकर अपमानित करने लगा .
बर्षों तक इस तरह का अत्याचार सहते सहते तंग आ चुके पन्नालाल ने इस बार दलित अधिकार कार्यकर्ताओं की मदद लेने की सोची और उन्होंने जयपुर स्थित सामाजिक न्याय समिति के सचिव गोपाल वर्मा से सम्पर्क स्थापित कर मदद मांगी .श्री वर्मा ने पीड़ित दलित पन्नालाल की अर्जी ड्राफ्ट कर दी और उन्हें बनेड़ा थाने में भेजा ताकि मुकदमा दर्ज हो सके .
पीड़ित पक्ष जब अपनी शिकायत ले कर थाने पर पंहुचा तो वहां पर पोस्टेड अधिकारी एस पी हटवाल ने जो कि खुद भी दलित है और बाबा साहब के रहमो करम से सरकारी नौकरी में है ,उसने दलित पन्नालाल की मदद करने के बजाय उसे ही धमकाया और खुले आम कहा कि जा कोई कार्यवाही नहीं होगी ,जयपुर से कार्यवाही करवा लेना .ये दलितों के नेता बनने वाले कागलों ( कव्वों ) से ही कार्यवाही करवाना ,मैं नहीं करूँगा .और उसने अपना वचन निभाया ,घटना के नौ दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की .डॉ अम्बेडकर ने ऐसे ही लोगों के लिए आगरा में कहा था कि – मुझे मेरे ही समाज के पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया है .सही बात है शासन और प्रशासन में ऐसे हजारों धोखेबाज दलित बहुजन अधिकारी कर्मचारी बैठे है ,मगर वे बाबा साहब की संतानों को न्याय देने का काम नहीं करते ,बल्कि गैरदलितों के तलुवे चाटने को ही अपनी ज़िन्दगी का उद्देश्य बनाये हुए रहते है .इसलिये इन नाकारा महाशय से भी क्या उम्मीद की जा सकती थी .
खैर ,जब पीड़ित पन्नालाल के सब्र का बांध टूट गया तो वह आज अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ज्योतिस्वरूप शर्मा के पास अपनी व्यथा ले कर पंहुचा ,उसने अपने साथ हुए पूरे घटना क्रम से पुलिस के आला अफसरान को अवगत कराया ,अंततः आरोपी लक्षमण सिंह के खिलाफ कार्यवाही के त्वरित दिशा निर्देश प्रदान किये गए .बरषों बाद आज पन्नालाल बलाई के चेहरे पर उम्मीद की भी एक झुर्री दिखलाई पड़ने लगी है ,हालाँकि न्याय और समानता का लक्ष्य अभी बहुत बहुत दूर है ,मगर उसकी तरफ कदम बढ़ चूका है और पन्नालाल ने जान लिया है कि बिन लड़े यहाँ कुछ भी नहीं हासिल हो सकता है ,इसलिए उसने संघर्ष के लिए कमर कस ली है .दशकों से दमित पन्नालाल के इस जज्बे को सलाम और क्रांतिकारी जय भीम कहना तो बनता ही है .
- भंवर मेघवंशी
( लेखक राजस्थान में दलित ,आदिवासी ,घुमन्तु और अल्पसंख्यक समुदाय के प्रश्नों पर कार्यरत है )
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