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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, December 22, 2012

शिक्षा अंधायुग में अंधेरनगरी, टका सेर पास टका सेर फेल!



शिक्षा अंधायुग में अंधेरनगरी, टका सेर पास टका सेर फेल!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

शिक्षा अंधायुग में अंधेरनगरी, टका सेर पास टका सेर फेल!जिस बंगाल में नवजागरण के तहत भारतभर में अंधेरे के अंधकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत हुई और जिसके फलस्वरुप भारतीय समाज में मध्ययुग का अवसान हुआ, वहीं शिक्षा क्षेत्र के अंधायुग की अंधेरनगरी में परीक्षाओं में फेल छात्र छात्राओं को पास कराने के लिए​​ राज्यव्यापी आंदोलन चल रहा है, प्रदर्शन हो रहे हैं। स्कूलों पर फेल परीक्षार्तियों के पास कराने के लिए शिक्षा संसद की ओर से फतवा जारी​ ​ हो रहा है और यह सब शिक्षा मंत्री के निर्देसानुसार अराजकता खत्म करने के संकल्प के तहत हो रहा है। राज्य में प्रथमिक स्तर पर भर्ती के ​​लिए प्रतिभा के बजाय लाटरी में बाग्य को पैमाना बनाया गया है। लाखों बच्चे अभिभावकों में निजी स्कूलों में दाखिला कराने लायक क्रय शक्ति न होने की वजह से सभी के लिए शिक्षा के अधिकार के बावजूद शिक्षा प्रांगण से बहिष्कृत हैं। पर फेल को पास कराने वाली अराजक बाहुबल धनबल निर्भर राजनीति इसके खिलाफ खामोश है। हालांकि अराजकता का यह आलम कोई रातोंरात पैदा नहीं हुआ। शिक्षा क्षेत्र को राजनीति का अखाड़ा​ ​ बनाने का काम इस राज्य में पैंतीस साल तक काबिज रही सर्वहारा की प्रतिबद्ध वाममोरचे की सरकार ने लगातार किया। नियुक्तियों के ​​मामले में पार्टीबद्धता अनिवार्य शर्त बन गयी और शिक्षा प्रतिष्ठानों को पार्टी कैडर बनाने के कारखाने में तब्दील कर दिया गया। मां माटी मानुष की सरकार सत्ता में आने के बाद नये शिक्षामंत्री संस्कृतिकर्मी रंगकर्मी ब्रात्य बसु ने शिक्षा में राजनीति की घुसपैठ खत्म करने का वायदा किया। इसका क्या नतीजा निकला, वह अब सामने है। छात्र आंदोलन अपनी अपनी पार्टी के खातिर शिक्षा प्रतिष्ठानों पर कब्जा करने का राजनीतिक गेम​​ बन गया। यही आंदोलनकारी छात्र अब चाहते हैं कि पास फेल का फर्क मिटा दिया जाये।वैसे ही बंगाल में शिक्षा का स्तर इतना दयनीय है कि सर्वभारतीय प्रतियोगिता में बंगाल के बच्चे लगातार पिछड़ रहे हैं। महामहिम राष्ट्रपति से लेकर इस राज्य का वासी इसे लेकर चिंतित हैं।राजनीति की बात फिर भी समझ में आती है, पर इस आंदोलन में शामिल अभिभावकों का क्या कहा जाये। वे अपने बच्चों को कैसी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। आरोप है कि संतोषपुर के स्कूल में जहां यह आग भड़की और शिक्षा संसद के अधिकारियों ने वहां पहुंचकर परीक्षा दुबारा लेने का फतवा जारी कर दिया, बाद में कड़ी आलोचना होने के बाद शिक्षा संसद ने राज्यभर में स्कूल से कालेज तक यह आग भड़क जाने के बाद यह कहकर अपना पल्ला ​​झाड़ लिया कि इस मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है, वहां और बाकी जगह इस आंदोलन के पीछे सत्तादल तृणमूल कांग्रेस की सक्रिय ​​भूमिका है। यही नहीं, आरोप है कि शिक्षा संसद के अफसरान संतोषपुर के स्कूल में शिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार ही गये।

वामजमाने में शिक्षा क्षेत्र में जिस तरह पार्टी समर्थकों और कैडरों को कुलपति और रजिस्ट्रार जैसे सर्वोच्च पदों से लेकर प्राथमिक शिक्षक से​​ लेकर प्रोफेसर तक बनाने का रिवाज चला आ रहा है, पिछले दिनों प्रथमिक शिक्षकों के ३४ हजार पदों को भरने के लिए अपनायी गयी भर्ती प्रक्रिया उसी परंपरा का निर्वाह करती है, जिससे पचपन लाख युवाओं का भविष्य अदालती फैसले पर निर्भर है । वे परीक्षा तो दे सकते हैं पर उनकी नियुक्ति अदालती पैसले के मुताबिक होगी। पर जिस तेजी से फेल छात्रों को पास कराने का आंदोलन भड़क उठा है, वह अभूतपूर्व है। इसकी कहीं कोई नजीर ही नही है।संतोषपुर के ऋषि अरविंद बालिका विद्यालय के बाद कोलकाता और उपनगरों के स्कूल कालेजों से लेकर बर्दवान, कालना, लालगोला और आसनसोल तक फेल छात्रों को पास कराने का आंदोलन चल रहा है।

उच्चमाद्यमिक शिक्षा संसद के शबापति मुक्तिनाथ चट्टोपाध्याय ने खुद संतोषपुर स्कूल पहुंचकर परीक्षा में हुई त्रुटि के लिेए क्षमा प्रार्थना ​​करते हुए दुबारा परीक्षा का एलान किया। उन परीक्षार्थियों के लिए भी जो पास हो गये। बाद में अपना फैसला वापस लेने के उनके कदम ​​उठाने से पहले राज्यभर में फेल परीक्षार्थियों को पास कराने का आंदोलन शुरु हो गया।जिस तरह संतोषपुर में प्रधानाध्यापिका का घेराव हुआ, उसी तरह कोलकाता के सिंथि स्कूल में भी उच्चमाध्यमिक परीक्षा के टेस्ट में फेल​ ​ छात्रों को पास कराने के लिए प्रधानाध्यापिका और दूसरे शिक्षकों का घेराव कर दिया छात्रों और अभिभावकों ने। यहीं कहानी सर्वत्र दोहरायी ​​जा रही है।

दक्षिणी कोलकाता के बाहरी इलाके संतोषपुर स्थित ऋषि अरविंदो बालिका विद्यालय की 29 छात्रों ने मिलकर शिक्षिकाओं को बंधक बना लिया। उन्होंने पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक परीक्षा परिषद की तरफ यह आश्वासन मिलने के बाद कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को फिर से जांचा जाएगा, शिक्षिकाओं को मुक्त कर दिया।छात्राओं के एक समूह ने टेस्ट परीक्षा में फेल हो जाने पर प्रधानाध्यापिका सहित कई शिक्षिकाओं को लगभग 24 घंटे तक बंधक बनाए रखा।आंदोलनकारी छात्राएं उच्चतर माध्यमिक परीक्षा से पहले स्कूल में ली गई टेस्ट परीक्षा में फेल घोषित कर दी गई हैं। इस स्कूल की कुल 104 छात्राएं टेस्ट परीक्षा में शामिल हुई थीं।परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद सोमवार को दोपहर बाद लगभग तीन बजे अपने अभिभावकों के साथ आई छात्राओं ने शिक्षिकाओं को घेर लिया।

माध्यमिक परीक्षा परिषद के सचिव अचिंत्य पाल ने कहा, "हम देखेंगे, क्या किया जा सकता है। हमने सभी 104 छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं को सील कर दिया है और अपने कार्यालय ले जा रहे हैं। हम देखेंगे, कितनी छात्राओं को पास होने लायक अंक दिए जा सकते हैं।"

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