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Saturday, December 29, 2012
बंगाल में अब लाटरी से शिक्षा!
बंगाल में अब लाटरी से शिक्षा!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल में तमाम अभिभावक बैहद परेशान हैं। नये सत्र के लिए भर्ती के लिए स्कूलों में लंबी कतारें लग रही हैं। सौ सौ सीटों के लिए डेढ़ हजार दो हजार आवेदनपत्र। और भर्ती के लिए लाटरी। लाटरी लग गयी तो बच्चे का दाखिला हो गया। वरना सर्व शिक्षा और शिक्षा के अधिकार की मजाक उड़ाते हुए अगले साल का इंतजार। हालत इतनी खराब है कि कोलकाता महानगर के अभिभावक अपेक्षाकृत कम प्रतिद्वंद्विता वाले दूर दराज इलाकों जैसे नामखाना के आवासिक स्कूलों में अपने बच्चे के दाखिले के लिए मारे मारे भटक रहे हैं। मां माटी सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।बच्चे की प्रतिभा का कोई अर्थ ही नहीं रह गया है। मां बाप के पास पैसे हों , तभी भारी चंदा देकर बच्चे को निजी स्कूलों में दाखिला मिल सकता है। दूसरी ओर, उच्च शिक्षा संसद के सचिव को राज्यपाल द्वारा संतोषपुर स्कूल में दखलंदाजी पर तलब किये जाने के बावजूद फेल छात्रों को पास कराने की मुहिम जारी है।टका सेर पास टका सेर फेल, इस अंधेर नगरी का क्या कहिये! वैसे तो बंगाल में शिक्षा और शिक्षण संस्थानों पर हमेशा से राजनीतिक रंग चढ़ा रहा है। इसे लेकर आए दिन हंगामा, मारपीट जैसी घटनाएं पहले भी होती थीं और आज भी हो रही हैं।
कितनी शर्मनाक है कि राजभवन से राज्यपाल एमके नारायण को उच्चशिक्षा संसद के सभापति और स्कूल सर्विस कमीशन के चेयरमैन की भर्त्सना का बयान जारी करना पड़ा। राज्य में शिक्षा क्षेत्र में राजनीतिकरण और अराजकता यह भयावह परिदृश्य है।राज्यपाल ने संसद के सभापति को चेताया कि किसी फेल छात्र को पास कराने के लिए संसद की दखलांदाजी अनेपेक्षित है।राज्यपाल के मुताबिक इस सिलसिले में अंतिम निर्णय का अधिकार स्कूल को ही है।इसके अलावा २९ जुलाई को स्कूल सर्विस कमीशन की परीक्षा में गड़बड़ी के लिए स्कूल सर्विस कमीशन के सचिव चित्तरंजन मंडल को भी राज्यपाल ने कड़ी फटकार लगायी। स्कूल सर्विस कमीशन की परीक्षा और फेल को पास कराने के राज्यव्यापी राजनीतिक आंदोलन को राज्यपाल ने राज्य के लिए अशुभ संकेत माना है।राज्यपाल ने दोनों से राजभवन में अलहदा अलहदा बात की।मुक्तिनाथ चट्टोपाध्याय तो राज्यपाल से मिलने के बाद राजभवन में पत्रकारों से कोई बातचीत किये बिना शिक्षामंत्री व्रात्य बसु से मिलने सीधे विकास भवन की ओर चल दिये।
शिक्षा अंधायुग में अंधेरनगरी, टका सेर पास टका सेर फेल!जिस बंगाल में नवजागरण के तहत भारतभर में अंधेरे के अंधकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत हुई और जिसके फलस्वरुप भारतीय समाज में मध्ययुग का अवसान हुआ, वहीं शिक्षा क्षेत्र के अंधायुग की अंधेरनगरी में परीक्षाओं में फेल छात्र छात्राओं को पास कराने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन चल रहा है, प्रदर्शन हो रहे हैं। स्कूलों पर फेल परीक्षार्तियों के पास कराने के लिए शिक्षा संसद की ओर से फतवा जारी हो रहा है और यह सब शिक्षा मंत्री के निर्देसानुसार अराजकता खत्म करने के संकल्प के तहत हो रहा है। राज्य में प्रथमिक स्तर पर भर्ती के लिए प्रतिभा के बजाय लाटरी में बाग्य को पैमाना बनाया गया है। लाखों बच्चे अभिभावकों में निजी स्कूलों में दाखिला कराने लायक क्रय शक्ति न होने की वजह से सभी के लिए शिक्षा के अधिकार के बावजूद शिक्षा प्रांगण से बहिष्कृत हैं। पर फेल को पास कराने वाली अराजक बाहुबल धनबल निर्भर राजनीति इसके खिलाफ खामोश है। हालांकि अराजकता का यह आलम कोई रातोंरात पैदा नहीं हुआ। शिक्षा क्षेत्र को राजनीति का अखाड़ा बनाने का काम इस राज्य में पैंतीस साल तक काबिज रही सर्वहारा की प्रतिबद्ध वाममोरचे की सरकार ने लगातार किया। नियुक्तियों के मामले में पार्टीबद्धता अनिवार्य शर्त बन गयी और शिक्षा प्रतिष्ठानों को पार्टी कैडर बनाने के कारखाने में तब्दील कर दिया गया। मां माटी मानुष की सरकार सत्ता में आने के बाद नये शिक्षामंत्री संस्कृतिकर्मी रंगकर्मी ब्रात्य बसु ने शिक्षा में राजनीति की घुसपैठ खत्म करने का वायदा किया। इसका क्या नतीजा निकला, वह अब सामने है। छात्र आंदोलन अपनी अपनी पार्टी के खातिर शिक्षा प्रतिष्ठानों पर कब्जा करने का राजनीतिक गेम बन गया। यही आंदोलनकारी छात्र अब चाहते हैं कि पास फेल का फर्क मिटा दिया जाये।वैसे ही बंगाल में शिक्षा का स्तर इतना दयनीय है कि सर्वभारतीय प्रतियोगिता में बंगाल के बच्चे लगातार पिछड़ रहे हैं। महामहिम राष्ट्रपति से लेकर इस राज्य का वासी इसे लेकर चिंतित हैं।राजनीति की बात फिर भी समझ में आती है, पर इस आंदोलन में शामिल अभिभावकों का क्या कहा जाये। वे अपने बच्चों को कैसी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। आरोप है कि संतोषपुर के स्कूल में जहां यह आग भड़की और शिक्षा संसद के अधिकारियों ने वहां पहुंचकर परीक्षा दुबारा लेने का फतवा जारी कर दिया, बाद में कड़ी आलोचना होने के बाद शिक्षा संसद ने राज्यभर में स्कूल से कालेज तक यह आग भड़क जाने के बाद यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि इस मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है, वहां और बाकी जगह इस आंदोलन के पीछे सत्तादल तृणमूल कांग्रेस की सक्रिय भूमिका है। यही नहीं, आरोप है कि शिक्षा संसद के अफसरान संतोषपुर के स्कूल में शिक्षा मंत्री के निर्देशानुसार ही गये।
वामजमाने में शिक्षा क्षेत्र में जिस तरह पार्टी समर्थकों और कैडरों को कुलपति और रजिस्ट्रार जैसे सर्वोच्च पदों से लेकर प्राथमिक शिक्षक से लेकर प्रोफेसर तक बनाने का रिवाज चला आ रहा है, पिछले दिनों प्रथमिक शिक्षकों के ३४ हजार पदों को भरने के लिए अपनायी गयी भर्ती प्रक्रिया उसी परंपरा का निर्वाह करती है, जिससे पचपन लाख युवाओं का भविष्य अदालती फैसले पर निर्भर है । वे परीक्षा तो दे सकते हैं पर उनकी नियुक्ति अदालती पैसले के मुताबिक होगी। पर जिस तेजी से फेल छात्रों को पास कराने का आंदोलन भड़क उठा है, वह अभूतपूर्व है। इसकी कहीं कोई नजीर ही नही है।संतोषपुर के ऋषि अरविंद बालिका विद्यालय के बाद कोलकाता और उपनगरों के स्कूल कालेजों से लेकर बर्दवान, कालना, लालगोला और आसनसोल तक फेल छात्रों को पास कराने का आंदोलन चल रहा है।
उच्चमाद्यमिक शिक्षा संसद के शबापति मुक्तिनाथ चट्टोपाध्याय ने खुद संतोषपुर स्कूल पहुंचकर परीक्षा में हुई त्रुटि के लिेए क्षमा प्रार्थना करते हुए दुबारा परीक्षा का एलान किया। उन परीक्षार्थियों के लिए भी जो पास हो गये। बाद में अपना फैसला वापस लेने के उनके कदम उठाने से पहले राज्यभर में फेल परीक्षार्थियों को पास कराने का आंदोलन शुरु हो गया।जिस तरह संतोषपुर में प्रधानाध्यापिका का घेराव हुआ, उसी तरह कोलकाता के सिंथि स्कूल में भी उच्चमाध्यमिक परीक्षा के टेस्ट में फेल छात्रों को पास कराने के लिए प्रधानाध्यापिका और दूसरे शिक्षकों का घेराव कर दिया छात्रों और अभिभावकों ने। यहीं कहानी सर्वत्र दोहरायी जा रही है।
दक्षिणी कोलकाता के बाहरी इलाके संतोषपुर स्थित ऋषि अरविंदो बालिका विद्यालय की 29 छात्रों ने मिलकर शिक्षिकाओं को बंधक बना लिया। उन्होंने पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक परीक्षा परिषद की तरफ यह आश्वासन मिलने के बाद कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को फिर से जांचा जाएगा, शिक्षिकाओं को मुक्त कर दिया।छात्राओं के एक समूह ने टेस्ट परीक्षा में फेल हो जाने पर प्रधानाध्यापिका सहित कई शिक्षिकाओं को लगभग 24 घंटे तक बंधक बनाए रखा।आंदोलनकारी छात्राएं उच्चतर माध्यमिक परीक्षा से पहले स्कूल में ली गई टेस्ट परीक्षा में फेल घोषित कर दी गई हैं। इस स्कूल की कुल 104 छात्राएं टेस्ट परीक्षा में शामिल हुई थीं।परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद सोमवार को दोपहर बाद लगभग तीन बजे अपने अभिभावकों के साथ आई छात्राओं ने शिक्षिकाओं को घेर लिया।
माध्यमिक परीक्षा परिषद के सचिव अचिंत्य पाल ने कहा, "हम देखेंगे, क्या किया जा सकता है। हमने सभी 104 छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं को सील कर दिया है और अपने कार्यालय ले जा रहे हैं। हम देखेंगे, कितनी छात्राओं को पास होने लायक अंक दिए जा सकते हैं।"
सर्वेक्षण से पता चला है कि बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के दो साल बाद भी पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में इसका क्रियान्वयन एक चुनौती बना हुआ है। चाइल्ड राइट एंड यू :क्राई: और पश्चिम बंगाल शिक्षा नेटवर्क द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में कहा गया है, ''पश्चिम बंगाल के कई जिलों में व्यापक भूमि सर्वेक्षण के बाद यह पाया गया है कि हालांकि यह कानून लागू है फिर भी सुविधा से वंचित बच्चों को अक्सर उनके अधिकार नहीं दिये जाते हैं ।''
नेटवर्क ने दो माह के सघन सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि नौ जिलों में 1210 बच्चों ने शिक्षा पूरी करने के पहले ही स्कूल छोड़ दिया ।
उसने कहा, ''जहां तक शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने की बात है, ये आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में सब ठीक नहीं है ।''
जिन जिलों में सर्वेक्षण कराया गया उनमें दक्षिणी और उत्तरी-24 परगना जिला, पूर्वी मिदनापुर, हुगली, वर्द्धमान , बांकुरा, मुर्शिदाबाद, माल्दा और उत्तरी दिनाजपुर शामिल हैं ।
राज्य सरकार अपने दायित्व का कैसे निर्वाह कर रही है, उसका एक नमूना। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रिमोट बटन से कूचबिहार शहर के एक नंबर वार्ड में श्यामा प्रसाद पल्ली में स्थित ठाकुर पंचानन वर्मा छात्रावास का उद्घाटन किया। इसमें 96 अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र रह सकेंगे। छात्रावास के निर्माण में 1 करोड़ 21 लाख रुपये खर्च हुए। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने उत्तर बंग कृषि विश्व विद्यालय के प्रशासनिक भवन, केंद्रीय ग्रंथागार, तूफानगंज सरकारी पॉलीटेक्निक छात्रावास, कृष्णपुर बालाबाड़ी सिराजिया उच्च मदरसा छात्रावास, सोलमारी नछिमियां उच्च मदरसा का छात्रावास, हल्दीबाड़ी नगरपालिका क्षेत्र, कूचबिहार एक नंबर प्रखंड के फलीमारी ग्राम पंचायत व शीतलकुची प्रखंड के खलीसामारी ग्राम पंचायत में तीन शुद्ध पेयजल परियोजना व सिताई हाईस्कूल में अनुसूचित छात्राओं के लिए बाबू जगजीवन राम छात्रावास का शिलान्यास मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया।उत्तर बंग कृषि विश्व विद्यालय परिसर में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित ऋण मेला का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि वामो ने 35 वर्षो में पश्चिम बंगाल को श्मशान बना दिया। अगर मुझे 10 वर्ष का समय मिला तो मैं सोने का बंगाल बना दूंगी। उन्होंने कहा कि सूबे में 19 माह में दो लाख सरकारी नौकरी की व्यवस्था की गई है।
भारत में करीब 10 लाख स्कूल हैं। इनमें से करीब 90 फीसदी स्कूल राज्य सरकार के द्वारा संचालित होते हैं। बाकी के करीब 10 फीसदी स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त निजी व्यवस्था के द्वारा संचालित होते हैं, या फिर निजी स्कूल हैं। जहां तक आधुनिक शैक्षिक सुविधाओं का सवाल है तो ज्यादातर सरकारी स्कूलों में इनका घोर अभाव है।देश में विद्यार्थियों और शिक्षकों की औसत उपलब्धता के बीच काफी चौड़ी खाई है। शिक्षा के अधिकार से जुड़े एक फैसले में दर्ज सुप्रीम कोर्ट के एक आकलन के मुताबिक देश के आठ राज्यों में 12 लाख शिक्षकों की कमी है। इस मामले में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल सबसे अधिक प्रभावित हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक आकलन के मुताबिक प्रत्येक 30 विद्यार्थी पर एक शिक्षक एक आदर्श स्थिति के लिए अपेक्षित है। लेकिन देश के 43 फीसदी सरकारी स्कूलों में शिक्षक और विद्यार्थियों का औसत अनुपात इससे अधिक है।
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