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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, December 20, 2012

सुधारों पर सर्वदलीय सहमति के बावजूद बाजार के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं होगी।

 सुधारों पर सर्वदलीय सहमति के बावजूद बाजार के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं होगी।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

सुधारों पर सर्वदलीय सहमति के बावजूद बाजार के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं होगी।साल 2012 में बाजार ने निवेशकों को उम्मीद से ज्यादा रिटर्न दिया है, लेकिन अब भी कई सवाल बरकरार हैं। क्या आनेवाला साल 2013 भी 2012 जैसे रिटर्न दे पाएगा? सरकार ने आर्थिक सुधार के मोर्चे पर कई अहम कदम उठाएं हैं, लेकिन बढते वित्तीय घाटे को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।सरकार यदि डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ती जैसे फैसले लेती है तो साल 2013 में बाजार में तेजी देखने मिल सकती है। राजनीतिक बाध्यता को छिकाने लगाकर सुधारों की गाड़ी गड़गड़ाकर चसल निकली है और उम्मीद है कि साल 2013 में विदेशी संस्थागत निवेशकों(एफआईआई) का अच्छा रुझान भारतीय बाजारों में देखने को मिलेगा। साथ ही साल 2014 में कंपनियों की कमाई में 14-15 फीसदी की बढ़तोरी की उम्मीद है। वहीं मौजूदा समय में मिड कैप और स्मॉल कैप शेयर कम वैल्युएशन पर काफी आकर्षक लग रहे हैं।मौजूदा समय में बाजार में बढ़त का रुख बरकरार है। वहीं बाजार की यह तेजी जनवरी तक बरकरार रहेगी, वहीं साल 2013 में बाजार में और सुधार की उम्मीद है। सरकार के आर्थिक सुधारों के फैसलों को संसद की मंजूरी मिलने के बाद देश की तरक्की की रफ्तार तेज हो सकती है। इसके बाद बाजार में भी उछाल नजर आ रहा है। बाजार के जानकारों का मानना है कि अब नए निवेश करने के लिए इंतजार खत्म हो चुका है।जनवरी 2013 तक निफ्टी 6100-6200 तक पहुंच सकता है। ऐसा बाजार विशेषज्ञों का मानना है। लेकिन अर्थ व्यवस्था की  बुनियादी बुनियादी समस्याओं जस की तस है।सेवा क्षेत्र को कास तरजीह दैने के बावजूद बहुसंख्य जनता अभी कृषि पर निर्भर है और कृषि विकास दर ठहरी हुई है, वहीं उत्पादन प्रणाली में भी यथा स्थिति कायम है। महज​​ इंफ्रस्ट्रक्चर के विकास से अर्थ व्यवस्था पटरी पर नहीं आने वाली। मुद्रास्फीति, तेल की बढ़ती हुई खपत, बढ़ता हुआ रक्षा व्यय, मंहगाई ​​और बजट घाटा बाजार की चाल को हर हाल में प्रभावित करने वाले हैं।दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हथियार निर्यातक, रूस ने इस साल 14 अरब डॉलर के हथियार बेचे जबकि भारत उसका अग्रणी हथियार खरीदार रहा।

रियल एस्टेट उद्योग का मानना है कि संसद में जमीन अधिग्रहण विधेयक पारित हो जाता है तो इसका सीधा असर घरों की कीमतों पर देखने को मिलेगा। जमीन अधिग्रहण कठिन होने के कारण घरों की कीमतें बढ़ेंगी। इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी पर पूछे गए सवाल के जवाब में रियल्टी उद्योग के प्रमुख संगठन क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित कुमार जैन ने कहा कि रियल्टी उद्योग के विकास के लिए यह बिल अच्छा नहीं है। इससे जमीन की कीमतें बढ़ेंगी और हाउसिंग प्रोजेक्टों की लागत बढ़ेगी। यदि संसद में यह बिल इसी सत्र में पारित हो गया तो डेवलपर्स बड़े प्रोजेक्टों में हाथ डालने से कतराएंगे।

सरकार ने वित्त वर्ष 2013 के लिए जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य 7.6 फीसदी से घटाकर 5.7-5.9 फीसदी किया।खतरे की घंटी यह है कि सरकार की गेम चेंजर योजना डायरेक्ट कैश सब्सिडी शुरू होने से पहले ही खटाई में पड़ती दिख रही है। 1 जनवरी से सरकार ने 51 जिलों में डायरेक्ट कैश सब्सिडी को लागू करने का ऐलान तो कर दिया लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए मुश्किल से करीब 35 जिलों में ही इसे लागू कर पाना संभव होगा।अगले सप्ताह शेयर बाजार पर तीसरी तिमाही में अग्रिम कर भुगतान, भारतीय रिजर्व बैंक की मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा तथा कुछ वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों पर निवेशकों की निगाह रहेगी। भारतीय कारोबारी कम्पनियां 15 दिसम्बर से तीसरी तिमाही के लिए अग्रिम कर भुगतान करना शुरू कर देंगी, जो कम्पनियों के प्रदर्शन का आइना होगा। अग्रिम कर का भुगतान चार किश्तों में (15 जून तक 15 फीसदी, 15 सितम्बर तक 40 फीसदी, 15 दिसम्बर तक 75 फीसदी और 15 मार्च तक सौ फीसदी) होता है। रिजर्व बैंक मंगलवार 18 दिसम्बर को मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा। 18 दिसंबर को आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी से ज्यादा उम्मीदें नहीं है। क्योंकि आरबीआई के सामने अब भी हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए है। ऐसे में मंगलवार की क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई रेपो रेट में में कोई कटौती नहीं करेगा, हालांकि सीआरआर में 25 आधार अंकों की कटौती देखने को मिल सकती है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ''देश :रूस: के रक्षा उद्योग ने 2012्र में 15 अरब डॉलर के अन्य निर्यात सौदे भी किए।'' उन्होंने रक्षा उद्योग पर एक सरकारी आयोग के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रूस सैन्य उपकरणों के रख-रखाव और आधुनिकरण के बाजार में अपनी स्थिति सुदृढ़ करेगा।इस बीच, रूसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती की एक रिपोर्ट के अनुसार सैन्य एवं तकनीकी सहयोग पर रूसी संघ सेवा ने पूर्वानुमान लगाया है कि 2012 में हथियार निर्यात 13.5 अरब डॉलर रहेगा।रिपोर्ट के अनुसार भारत रूसी हथियारों का अग्रणी खरीदार है। वियतनाम, म्यांमा, वेनेजुएला और पश्चिम एशिया के देश भी रूसी रक्षा उद्योग के मुख्य खरीदार हैं।

दूसरी छमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताते हुए प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने सोमवार को उम्मीद जाहिर की कि इस वर्ष राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.3 फीसद तक सीमित रखने का संशोधित लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।

दिल्ली आर्थिक सम्मेलन में संवाददाताओं से अलग से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा,'मुझे लगता है कि इस बार राजकोषीय घाटा 5.3 के आस-पास रहेगा जैसा कि वित्त मंत्री ने संकेत दिया है।'

सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में 5.1 फीसद राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा था। राजस्व संग्रह में कमी और ईंधन व खाद्य सब्सिडी के बढ़ने से इसे संशोधित कर 5.3 फीसद कर दिया गया है।

उन्होंने कहा,'मुझे लगता है कि दूसरी छमाही, पहली छमाही से बेहतर होगी। हमें लगता है कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 5.5 फीसद से छह फीसद के बीच रहेगी।'

आरबीआई के गवर्नर रह चुके रंगराजन को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि और बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2012-13 की पहली छमाही के दौरान वृद्धि घटकर 5.4 फीसद हो गई जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.3 फीसद थी।

2011-12 के दौरान वृद्धि दर नौ साल के न्यूनतम स्तर 6.5 फीसद पर आ गई। इधर रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में 5.8 फीसद वृद्धि की उम्मीद है।

सरकार ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान पूर्वघोषित 7.3 फीसद से घटाकर 5.7-5.9 फीसद कर दिया।

संसद में पेश मध्यावधि आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि उभरते हालात के मद्देनजर अर्थव्यवस्था के लिए वित्त वर्ष 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद के करीब 5.7-5.9 फीसद के बराबर रहने की संभावना है। इसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में छह फीसद की वृद्धि दर प्राप्त करनी होगी ताकि वृद्धि का तय लक्ष्य हासिल किया जा सके। अप्रैल से सितंबर 2012-13 के दौरान आर्थिक वृद्धि 5.4 फीसद रही।

समीक्षा के मुताबिक 5.7-5.9 फीसद की वृद्धि प्राप्त करने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक दोनों नीतियों को निवेशकों का भरोसा बरकरार रखने में मदद करनी होगी। सरकार को भी आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों को दूर करना होगा।

घरेलू और वैश्विक दोनों वजहों से 2011-12 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर घटकर नौ साल के न्यूनतम स्तर 6.5 फीसद पर पहुंच गई थी।

मुद्रास्फीति के संबंध में इसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही से मंहगाई दर में कमी शुरू होगी।

मध्यावधि समीक्षा के मुताबिक मार्च 2013 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6.8-7 फीसद रह जाने की उम्मीद है। राजकोषीय घाटे के संबंध में इसमें कहा गया कि सरकार की कोशिश इसे सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 फीसद तक सीमित रखने की होगी जबकि बजट में 5.1 फीसद का लक्ष्य तय किया गया था।

मध्यावधि समीक्षा के मुताबिक यह मानने की वजह है कि नरमी का दौर खत्म हो गया है और अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ज्यादा वृद्धि की ओर अग्रसर है।

इसमें कहा गया कि कृषि में सुधार की उम्मीद है क्योंकि मिट्टी में ज्यादा नमी और सिंचित क्षेत्र में गेंहू और चावल की फसल अधिक होने से रबी फसल अच्छी होने की संभावना है।

समीक्षा में कहा गया कि विशेष तौर पर व्यापार, परिवहन, संचार और वित्तीय सेवा से जुड़ी सेवाएं जो आम तौर पर वास्तविक क्षेत्रों के प्रदर्शन से जुड़ी हैं, उनमें अच्छी वृद्धि होगी।

संसद को सूचित किया गया कि 29 अक्तूबर को घोषित राजकोषीय पुनर्गठन के खाके से कारोबारी संभावनाओं और घरेलू व वैश्विक निवेशकों का रुझान बेहतर हुआ है।

व्यापार घाटे के बारे में इस रपट में कह गया कि मौजूदा वर्ष का घाटा पिछले साल के मुकाबले अधिक नहीं होगा।

रपट में कहा गया कि इसलिए यह उम्मीद करना तर्कसंगत होगा कि चालू खाता के घाटे का अनुपात 2011-12 से कम होगा।

दरअसल सरकार की आधार नंबर के जरिए डायरेक्ट कैश सब्सिडी देने की योजना है। लिहाजा 51 में से सिर्फ 35 जिलों में 80 फीसदी लोगों को आधार नंबर मिला है। वहीं बाकी के 10 जिलों में 25 फीसदी और 8 जिलों में 50 फीसदी से भी कम लोगों के पास आधार कार्ड है।

बहरहाल अर्थव्यवस्था और जनता का जोह हल रहा हो,वित्त वर्ष 2013 की तीसरी तिमाही में कॉर्पोरेट इंडिया की सेहत में सुधार देखने को मिला है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए एसबीआई, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील को छोड़कर बाकी कंपनियों ने ज्यादा एडवांस टैक्स भरा है।

विनिवेश सचिव डी के मित्तल का कहना है कि एनटीपीसी से पहले ऑयल इंडिया का इश्यू बाजार में आ सकता है। हालांकि वित्त वर्ष 2013 में अब किसी सरकारी कंपनी के आईपीओ आने की उम्मीद बेहद कम है।

डी के मित्तल के मुताबिक एनटीपीसी के इश्यू की प्राइसिंग बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। एनटीपीसी का इश्यू जनरी के दूसरे पखवाड़े या फिर फरवरी के शुरुआत में आ सकता है। वहीं जनवरी के पहले पखवाड़े में ऑयल इंडिया का इश्यू आ सकता है।

डी के मित्तल का मानना है कि जल्द ही हिंदुस्तान जिंक और बाल्को में हिस्सा बेचने का प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा। हिंदुस्तान जिंक और बाल्को में हिस्सा बेचने का फैसला खदान मंत्रालय पर निर्भर करेगा।

साल दर साल आधार पर वित्त वर्ष 2013 की तीसरी तिमाही में एसबीआई ने 1,730 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,700 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। एचडीएफसी बैंक ने 900 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,000 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। आईसीआईसीआई बैंक ने 500 करोड़ रुपये के मुकाबले 675 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 1,000 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,100 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है।

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए टीसीएस ने 530 करोड़ रुपये के मुकाबले 620 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 207 करोड़ रुपये के मुकाबले 295 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। एचयूएल ने 290 करोड़ रुपये के मुकाबले 450 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। हालांकि टाटा मोटर्स ने इस तिमाही के लिए एडवांस टैक्स नहीं भरा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में कंपनी ने 60 करोड़ रुपये का टैक्स भरा था।

अंबुजा सीमेंट ने 113 करोड़ रुपये के मुकाबले 150 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। अल्ट्राटेक सीमेंट ने 200 करोड़ रुपये के मुकाबले 250 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। ल्यूपिन ने 43 करोड़ रुपये के मुकाबले 133 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। सिप्ला ने 95 करोड़ रुपये के मुकाबले 125 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। टाटा स्टील ने 1,090 करोड़ रुपये के मुकाबले 520 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है। लार्सन एंड टुब्रो ने 350 करोड़ रुपये के मुकाबले 330 करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स भरा है।

सरकार ने 80 फीसदी लोगों को आधार कार्ड मिलने के बाद ही योजना शुरू करने का फैसला किया हुआ है। सरकार की 1 जनवरी 2013 से 51 जिलों में योजना शुरू करने का लक्ष्य है लेकिन 51 में से मुश्किल से 30-35 जिलों में ही डायरेक्ट कैश सब्सिडी योजना शुरु हो पाएगी। जरूरतमंदों का डिजिटल डाटा तैयार करने का काम अभी भी अधूरा पड़ा है। साथ ही करीब दर्जन भर जिलों के कलेक्टरों का कहना है कि डायरेक्ट कैश सब्सिडी योजना को लेकर तैयारी अभी अधूरी है।

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