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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, December 27, 2012

डीजल होगा बेहद मंहगा! सुधारों के लिए बेहद जरुरी तमाम विधेयकों के पास हो जाने या जल्दी ही पास होने की गारंटी के बाद केंद्र सरकार मुक्त ​​बाजार के एजंडे को बेरहमी से लागू करने में लग गयी!

डीजल होगा बेहद मंहगा! सुधारों के लिए बेहद जरुरी तमाम विधेयकों के पास हो  जाने या जल्दी ही पास होने की गारंटी के बाद केंद्र सरकार मुक्त ​​बाजार के  एजंडे को बेरहमी से लागू करने में लग गयी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

संसद से आर्थिक सुधारों के लिए बेहद जरुरी तमाम विधेयकों के पास हो  जाने या जल्दी ही पास होने की गारंटी के बाद केंद्र सरकार मुक्त ​​बाजार के  एजंडे को बेरहमी से लागू करने में लग गयी है।अगले साल डीजल के दाम में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। सरकार अगर विजय केलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है तो अगले एक साल में डीजल के दाम 10 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं। वहीं सिफारिशें मानने पर मिट्टी तेल के दाम में अगले दो साल में 10 रुपए लीटर तक बढ़ाये जा सकते हैं।राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक से सरकार के आक्रामक तेवर का पता चलता है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आठ प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला और बिजली के दाम धीरे-धीरे बढ़ाने की पैरवी करते हुए आज कहा कि इन पर दी जाने वाली सरकारी सहायता पर यदि अंकुश नहीं लगाया गया तो इसका असर जनकल्याण की योजनाओं पर पड़ सकता है।मनमोहन ने आज यहां विज्ञान भवन में 57वीं राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा, 'देश में ईंधन के दाम कम हैं। कोयला, पेट्रोलियम पदार्थों और प्राकृतिक गैस सभी के दाम उनकी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले कम हैं। इससे बिजली की प्रभावी दर भी कम है।' पेट्रोलियम पदार्थों और दूसरे ऊर्जा साधनों के दाम चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'इनके दाम में अंतर की भरपाई के लिए एक झटके में दाम बढ़ाना उचित नहीं होगा, मैं इसे समझता हूं, लेकिन धीरे-धीरे इनमें समायोजन करना जरूरी है।' जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आशा व्यक्त की है कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में निरंतर मजबूत दर के साथ वृद्धि कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि ऊंची बचत दर, सेवा क्षेत्र में वृद्धि, निरंतर मांग पैदा करने वाली वृहद मध्यम वर्ग और तकनीकी तथा कुशल लोगों और युवाओं जैसे मजबूत घटकों के बल पर हमारी अर्थव्यवस्था में यह संभव है।वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटा को कम करने के लिए हमें संसाधन जुटाने के साथ ही व्यय पर नियंत्रण रखना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ उपायों के कारण हमें तत्काल पीड़ा हो सकती है किंतु अगले तीन वर्षों में राजकोषीय घाटा को तीन प्रतिशत तक नीचे लाने के लिए ये आवश्यक हैं।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सतत विकास हासिल करने के लिए देश के समक्ष कई चुनौतियां हैं। देश को मुश्किल आर्थिक हालात से निकालना हमारी प्राथमिकता है।

दूसरे चरण के सुधारों के लिए सरकार पर बाजार का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।अच्छे अंतर्राष्ट्रीय संकेत और रुपये के 55 के ऊपर बने रहने के बावजूद दिसंबर सीरीज की एक्सपायरी के दिन बाजार पर बिकवाली हावी हुई। हालांकि, बाजार में 4.16 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड टर्नओवर दिखा।सेंसेक्स 94 अंक गिरकर 19324 और निफ्टी 35 अंक गिरकर 5870 पर बंद हुए। दिग्गजों के साथ-साथ छोटे और मझौले शेयरों पर दबाव आया। निफ्टी मिडकैप 0.3 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 0.7 फीसदी कमजोर हुए।15 जनवरी के बाद ही अमेरिका में फिस्कल क्लिफ को लेकर कुछ हरकत दिखाई देगी। फिस्कल क्लिफ का भारत पर असर नहीं होगा।जानकारों का मानना है कि 2013 में बाजार में तेजी जारी रहेगी और निवेशकों के पास कमाई करने का मौका रहेगा।

राष्ट्रीय विकास परिषद देश की सर्वोच्च नीति निर्माता संस्था है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आज हुई परिषद की 57वीं बैठक में अनेक केन्द्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। बैठक में वर्ष 2012 से 2017 तक चलने वाली 12वीं योजना को मंजूरी दे दी गई। मौजूदा कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये इसमें वृद्धि लक्ष्य को 8.2 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया गया।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान काफी महत्त्वाकांक्षी है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में आर्थिक हालात डावांडोल हैं ऐसे में ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद करने बेमानी होगी।हालांकि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि फिलहाल ग्रोथ में सुधार लाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू करना बेहद जरूरी है। साथ ही टैक्स-जीडीपी रेश्यो बढ़ाने की भी काफी जरूरत है।

योजना के पांच साल में पांच करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने और बिजली, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कई मुख्यमंत्रियों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर गौर करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों ने कृषि, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों की महत्ता को रेखांकित किया है। योजना दस्तावेज में इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।

राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक के दौरान भारी ड्रामा भी हुआ। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गईं।तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने बैठक का यह कहकर बहिष्कार किया कि मुख्यमंत्रियों को अपनी बात रखने के लिये केवल 10 मिनट का समय देकर केन्द्र राज्यों की आवाज दबाना चाहता है। बीजेपी सरकार वाले राज्यों ने भी केंद्र की नीतियों का जमकर विरोध किया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र अपनी नीतियों को तो राज्यों पर थोप रहा है, लेकिन पैसे नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि पैसा जनता का है, केंद्र का नहीं।गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी केंद्र से खफा थे, मगर उन्होंने इस बार राज्य के मुद्दों पर बात नहीं करके राष्ट्रीय मुद्दों को उठाया। नरेंद्र मोदी ने ग्रोथ के मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने हकीकत के करीब ज्यादा रहने के चक्कर में ग्रोथ का लक्ष्य कम रखा है। लक्ष्य जितना ऊंचा होगा, उसे पाने की कोशिश भी उतनी ज्यादा होगी।

मनमोहन ने विभिन्न क्षेत्रों में दी जा रही सरकारी सहायता को नियंत्रित करने पर काफी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से कुछ सब्सिडी रखना जरूरी है, लेकिन सब्सिडी व्यवस्था सुविचारित और इसका लाभ उन्हीं लोगों तक सीमित रखा जाए जो उसके पात्र हों। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सब्सिडी की मात्रा भी वित्तीय क्षमता के दायरे में होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने राजधानी में एक युवती के साथ हाल में हुई गैंगरेप की वीभत्स घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने विकास में महिलाओं की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करके ही संभव हो सकता है।

मनमोहन ने कहा कि 12वीं योजना में आर्थिक वृद्धि लक्ष्य को कम करके 8 प्रतिशत पर लाना तर्कसंगत सुधार है, लेकिन योजना के पहले वर्ष में 6 प्रतिशत से कम वृद्धि हासिल होने के बाद समूची पंयवर्षीय योजना में आठ प्रतिशत औसत वृद्धि हासिल करना महत्वकांक्षी लक्ष्य है। वित्त मत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने हाल में जो कड़े फैसले किये हैं उससे लोगों को कष्ट पहुंचा है लेकिन राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये ये निर्णय जरुरी थे। उन्होंने कहा कि संसाधनों को बढ़ाकर और खर्चे कम करके राजकोषीय घाटे पर अंकुश रखना जरुरी था। सरकार ने हाल ही में डीजल के दाम पांच रुपये लीटर और सस्ते रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति साल में छह तक सीमित कर दी।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इससे पहले कहा कि मौजूदा घरेलू और वैश्विक घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुये आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर आठ प्रतिशत करना बेहतर होगा। यह अनुमान सबसे बेहतर परिस्थिति को ध्यान में रखकर तय किया गया है। उन्होंने कहा 'मैं बहुत खुश हूं कि एनडीसी ने 12वीं योजना को मंजूरी दे दी। हमने इसमें औसत सालाना वृद्धि लक्ष्य को 8.2 प्रतिशत से मामूली घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया।' 12वीं योजना में केन्द्र का सकल योजना आकार 43 लाख 33 हजार 739 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का सकल योजना व्यय 37 लाख 16 हजार करोड़ रुपये प्रस्तावित है।

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