कोयले की कीमत में बढ़ोतरी वापस, इस्पात उद्योग को राहत
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवंस विश्वास
कोयले की कीमत में बढ़ोतरी वापसी के कोलइंडिया के फैसले से इस्पात उद्योग को राहत मिली है।कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने नए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले के आधार पर कोयले की कीमत में बढ़ोतरी वापस ले ली है, जो एक जनवरी से प्रभावी थी। बिजली, इस्पात और सीमेंट कंपनियों ने इस मूल्य वृद्धि का भारी विरोध किया था।
सीआईएल के अध्यक्ष एन सी झा ने नई दिल्ली में कहा कि कंपनी कोयले की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप नहीं रखेगी जिससे विभिन्न श्रेणी के कोयले की कीमत घट जाएगी। उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि वापसी की घोषणा मंगलवार को की गई और यह एक फरवरी से प्रभावी होगी।
सीआईएल मार्च के बाद इस प्रणाली की समीक्षा करेगी। हालांकि उन्होंने साफ किया की जीसीवी आधारित कोयले की श्रेणी तय करना जारी रहेगा और मंगलवार के फैसले के बाद मूल्य की गड़बड़ी दूर हो जाएगी।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा नई मूल्य निर्धारण प्रणाली का राजस्व पर असर नहीं होगा और मंगलवार को हुई कटौती की समीक्षा मार्च के बाद की जाएगी। सीआईएल ने एक जनवरी से नई मूल्य निर्धारण प्रणाली अपनाई थी। इस प्रणाली के तहत मूल्य कोयले की ऊर्जा या गुणवत्ता से जुड़ी है।
सरकार के नए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले पर बिजली उद्योग की अगुआई में घरेलू कोयला उपभोक्ताओं के कड़े विरोध को देखते हुए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी का निर्णय वापस लेना पड़ा। कोल इंडिया ने कोयले की गुणवत्ता के आधार पर 1 जनवरी से नई दरें लागू की थीं। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने आज कहा कि बिजली कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी का निर्णय वापस लिया गया है।
कीमतों को वापस लिए जाने से जहां उपभोक्ताओं ने राहत की सांस ली है वहीं कोल इंडिया के राजस्व पर असर पडऩे की आशंका है। यही नहीं कंपनी ने आज श्रमिकों के साथ वेतन वृद्घि का करार भी किया है जिससे कोल इंडिया पर 6,500 करोड़ रुपये सालाना बोझ बढ़ेगा।
नए फॉर्मूले के तहत कोयले की कीमतों में औसतन 12.5 फीसदी बढ़ोतरी की गई थी, जिससे कोल इंडिया को सालाना करीब 6,250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद थी। कीमतों में वापसी की घोषणा के बाद मंगलवार को कोल इंडिया का शेयर बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सोमवार के मुकाबले 2.9 फीसदी गिरकर 325.6 रुपये पर बंद हुआ।
सीआईएल के चेयरमैन एन सी झा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'नई नीति के तहत कीमतों में बढ़ोतरी वापस ले ली गई है। लेकिन इससे चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि नई कीमत निर्धारण प्रणाली की समीक्षा तीन माह बाद की जाएगी, उसके बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।' झा ने यह भी कहा कि कीमतों में वापसी से कोल इंडिया की सहायक इकाइयों के राजस्व का नुकसान हो सकता है लेकिन कोल इंडिया की कुल आय पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। कोल इंडिया ने एक माह पहले ही अंतरराष्ट्रीय मानक के तहत कोयले की कीमत तय करने के लिए कीमत निर्धारण की पुरानी प्रणाली की जगह नई नीति शुरू करने का निर्णय किया था।
ऊर्जा उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने हाल ही में कहा था कि नई प्रणाली के तहत कीमतें तय करने से कंपनी की लागत में करीब 40 फीसदी का इजाफा हो सकता है। हालांकि कोयला मंत्रालय ने एनटीपीसी की बात को खारिज करते हुए कहा था कि नई नीति मुनाफे के लिए नहीं अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की ओर से खराब गुणवत्ता के कोयले की आपूर्ति की शिकायत मिलने के बाद इस तरह की नीति अपनाने पर विचार किया गया था।
पुरानी नीति (यूएचपी) के तहत घरेलू कोयले को राख और वाष्प को हटाने के बादा तापीय मूल्य के आधार पर सात श्रेणियों (ए से एफ) में बांटा जाता था। बिजली कंपनियां ज्यादातर ई और एफ श्रेणी के कोयले का इस्तेमाल करती हैं। निम्नतम श्रेणी एफ में तापीय मूल्य 2,400 किलो कैलोरी से 3,600 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम होती है, जिसकी कीमत 570 रुपये प्रति टन थी। सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले ए ग्रेड कोयले में प्रति किलोग्राम 6,200 किलो कैलोरी पाई जाती है, जो 4,100 रुपये प्रति टन के भाव बिकता है।
बिजली उद्योग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ 18 जनवरी को हुई बैठक में कोयले की कीमतों की नई नीति का मसला उठाया था। बैठक के बाद जायसवाल ने बिजली उद्योग को आश्वासन दिया था कि कीमतों में अव्यावहारिक तरीके से बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
नई नीति के तहत कोयले को तापजनक मूल्य के हिसाब से 17 बैंड में बांटा गया था। निम्नतम श्रेणी के कोयले में प्रति किलो 2,200 से 2,500 किलो कैलोरी ऊर्जा का अनुमान जताया गया, जिसकी कीमत 480 रुपये प्रति टन तय की गई थी। सर्वोत्तम बैंड के कोयले की कीमत 4,900 रुपये प्रति टन आंकी गई। झा ने कहा, 'बैंड तय करने के पीछे मकसद यह था कि ग्राहकों को उनकी कीमत के मुताबिक गुणवत्ता वाले कोयले की आपूर्ति हो।'
पर अभी इंडोनेशिया से आयात हो रहे कोयले पर 7.55 फीसदी और दूसरे देशों से मंगाए जा रहे कोयले पर 10.83 फीसदी सीमा शुल्क का प्रावधान है। इसके अलावा पांच फीसदी प्रतिकारी शुल्क भी लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारी भरकम कर लगने की वजह से कोयला आधारित परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। उच्च बिजली दर का प्रभाव सभी वस्तुओं और सेवा क्षेत्र पर है जबकि बिजली परियोजनाओं में निवेश भी घटता जा रहा है।
उद्योग जगत ने सरकार से देश में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयातित कोयले पर सीमा शुल्क कम करने की मांग की है। विदेशी स्टीम कोयले पर तमाम तरह के कर लगने कारण देश में बिजली की कीमत 25 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी हो जाती है। इसी के मद्देनजर उद्योग संगठन एसोचैम ने कोयले पर से सीमा शुल्क हटाने का सुझाव वित्त मंत्रालय को दिया है।
इस बीच केंद्र सरकार द्वारा सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश की बाध्यता समाप्त किए जाने के बावजूद स्टारबक्स ने टाटा ग्लोबल के साथ पार्टनरशिप का विकल्प चुना है।स्टारबक्स कार्प देश में टाटा ग्लोबल बैवरेजेज के साथ मिलकर अपने आउटलेट्स खोलेगा। इसके लिए दोनों कंपनियों में एक संयुक्त उद्यम के लिए कारोबारी समझौता हुआ है। स्टारबक्स इस साल अगस्त या सितंबर तक अपना पहला कैफे शुरू कर देगा। साल के अंत तक कंपनी की योजना देश में 50 स्टोर का परिचालन शुरू करने की है।
समझौते के मुताबिक कंपनी टाटा ग्लोबल से कॉफी भारत से खरीदेगी और देश भर में खुदरा आउटलेट्स खोलेगी। दोनों कंपनियों में करीब एक साल पहले इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। स्टारबक्स और टाटा ग्लोबल का कहना है कि उन्होंने देश कैफे के परिचालन और कारोबार विस्तार के लिए बराबर की हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम टाटा स्टारबक्स लिमिटेड बनाया है। यह संयुक्त उद्यम देशभर में स्टारबक्स के आउटलेट्स स्थापित करेगा, जिसकी शुरुआत दिल्ली और मुंबई से की जाएगी।
टाटा ग्लोबल की इकाई टाटा कैफे ने कहा है कि उसने संयुक्त उद्यम को कॉफी की आपूर्ति के लिए एक करार पर दस्तखत किया है। मालूम हो कि भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है, जो फिलहाल अपना 70 से 80 फीसदी उत्पादन निर्यात कर देता है।
ग्लोबल स्तर पर कमजोरी और स्थानीय स्तर पर हुई मुनाफावसूली से घरेलू शेयर बाजार पिछले छह कारोबारी सत्रों की तेजी खोकर सोमवार को दो फीसदी से अधिक की गिरावट लेकर बंद हुए। बीएसई का सेंसेक्स 371 अंक टूटकर 17 हजार के नीचे 16,863.30 पर और एनएसई का निफ्टी 117 अंक धराशाई होकर 5,087.30 अंक पर बंद हुआ।
बीएसई समूह में सभी वर्ग सूचकांक लाल निशान पर रहे। कैपिटल गुड्स, पावर, रीयल्टी, मेटल व बैंकिंग वर्ग के शेयरों में भारी मुनाफावसूली हुई। बीएसई का मिडकैप 115.38 अंक गिरकर 5,756.98 पर और स्मॉलकैप 118.10 अंक नीचे 6,373.59 अंक पर बंद हुआ। यूरो संकट के समाधान को लेकर संशय की स्थिति बने रहने से विदेशी बाजारों में चौतरफा गिरावट देखी गई। अमेरिका, यूरोप और एशियाई बाजार सभी नीचे रहे।
सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में ही 130 अंक से ज्यादा की गिरावट लेकर 17,136.04 अंक पर खुला। बीच सत्र में 17,138.04 अंक के ऊपर और 16,828.33 अंक के निचले स्तर पर रहा। आखिर में 370.68 अंक यानी 2.15 प्रतिशत की गिरावट लेकर 16,863.30 अंक पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह यह 17,233.98 अंक पर रहा था। निफ्टी ने भी करीब 35 अंक की गिरावट के साथ 5,163.55 अंक पर शुरुआत की। बीच सत्र में यह 5,166.15 अंक के उच्चतम और 5,076.70 के न्यूनतम स्तर पर रहकर अंत में 117.40 अंक घटकर 5,087.30 अंक पर सिमटा।
यूरोप में कर्ज संकट की समस्या गंभीर बनी हुई है। पिछले छह सत्रों से लिवाल रहे विदेशी संस्थागत निवेशक घरेलू बाजार में सोमवार को सतर्क नजर आए। उधर, घरेलू निवेशकों ने मुनाफावसूली की, जिससे सूचकांक दबाव में रहे। सेंसेक्स में भेल के शेयर 10.41 प्रतिशत घाटे के साथ सबसे ज्यादा नुकसान में रहे। स्टरलाइट के शेयर 5.99 प्रतिशत फिसले।
एलएंडटी 5.37 प्रतिशत व हिंडाल्को 4.81 प्रतिशत नुकसान में रही। इसके अलावा, घाटा उठाने वाली अन्य कंपनियों में महिंद्रा 4.71 प्रतिशत, एयरटेल 4.54, आईसीआईसीआई बैंक 4.07, टाटा स्टील 3.55, डीएलएफ 3.07, आरआईएल 2.71, एसबीआई 2.54, टाटा मोटर्स 2.42, हिंदुस्तान यूनि 1.99, विप्रो 1.96, टाटा पावर 1.62, एचडीएफसी 1.50, कोल इंडिया 1.41, गेल इंडिया 1.18, मारुति 1.16, एनटीपीसी 1.01, एचडीएफसी बैंक 0.94, ओएनजीसी 0.92, सिप्ला 0.59, इनफोसिस 0.54 और आईटीसी 0.54 प्रतिशत घाटे के साथ शामिल रही। लाभ में रहने वाली कंपनियों में सन फार्मा 1.34, बजाज ऑटो 0.48, जिंदल स्टील 0.41, हीरो मोटोकार्प 0.13 और टीसीएस 0.06 प्रतिशत मुनाफे में रही।
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवंस विश्वास
कोयले की कीमत में बढ़ोतरी वापसी के कोलइंडिया के फैसले से इस्पात उद्योग को राहत मिली है।कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने नए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले के आधार पर कोयले की कीमत में बढ़ोतरी वापस ले ली है, जो एक जनवरी से प्रभावी थी। बिजली, इस्पात और सीमेंट कंपनियों ने इस मूल्य वृद्धि का भारी विरोध किया था।
सीआईएल के अध्यक्ष एन सी झा ने नई दिल्ली में कहा कि कंपनी कोयले की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप नहीं रखेगी जिससे विभिन्न श्रेणी के कोयले की कीमत घट जाएगी। उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि वापसी की घोषणा मंगलवार को की गई और यह एक फरवरी से प्रभावी होगी।
सीआईएल मार्च के बाद इस प्रणाली की समीक्षा करेगी। हालांकि उन्होंने साफ किया की जीसीवी आधारित कोयले की श्रेणी तय करना जारी रहेगा और मंगलवार के फैसले के बाद मूल्य की गड़बड़ी दूर हो जाएगी।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा नई मूल्य निर्धारण प्रणाली का राजस्व पर असर नहीं होगा और मंगलवार को हुई कटौती की समीक्षा मार्च के बाद की जाएगी। सीआईएल ने एक जनवरी से नई मूल्य निर्धारण प्रणाली अपनाई थी। इस प्रणाली के तहत मूल्य कोयले की ऊर्जा या गुणवत्ता से जुड़ी है।
सरकार के नए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले पर बिजली उद्योग की अगुआई में घरेलू कोयला उपभोक्ताओं के कड़े विरोध को देखते हुए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी का निर्णय वापस लेना पड़ा। कोल इंडिया ने कोयले की गुणवत्ता के आधार पर 1 जनवरी से नई दरें लागू की थीं। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने आज कहा कि बिजली कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी का निर्णय वापस लिया गया है।
कीमतों को वापस लिए जाने से जहां उपभोक्ताओं ने राहत की सांस ली है वहीं कोल इंडिया के राजस्व पर असर पडऩे की आशंका है। यही नहीं कंपनी ने आज श्रमिकों के साथ वेतन वृद्घि का करार भी किया है जिससे कोल इंडिया पर 6,500 करोड़ रुपये सालाना बोझ बढ़ेगा।
नए फॉर्मूले के तहत कोयले की कीमतों में औसतन 12.5 फीसदी बढ़ोतरी की गई थी, जिससे कोल इंडिया को सालाना करीब 6,250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद थी। कीमतों में वापसी की घोषणा के बाद मंगलवार को कोल इंडिया का शेयर बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सोमवार के मुकाबले 2.9 फीसदी गिरकर 325.6 रुपये पर बंद हुआ।
सीआईएल के चेयरमैन एन सी झा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'नई नीति के तहत कीमतों में बढ़ोतरी वापस ले ली गई है। लेकिन इससे चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि नई कीमत निर्धारण प्रणाली की समीक्षा तीन माह बाद की जाएगी, उसके बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।' झा ने यह भी कहा कि कीमतों में वापसी से कोल इंडिया की सहायक इकाइयों के राजस्व का नुकसान हो सकता है लेकिन कोल इंडिया की कुल आय पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। कोल इंडिया ने एक माह पहले ही अंतरराष्ट्रीय मानक के तहत कोयले की कीमत तय करने के लिए कीमत निर्धारण की पुरानी प्रणाली की जगह नई नीति शुरू करने का निर्णय किया था।
ऊर्जा उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने हाल ही में कहा था कि नई प्रणाली के तहत कीमतें तय करने से कंपनी की लागत में करीब 40 फीसदी का इजाफा हो सकता है। हालांकि कोयला मंत्रालय ने एनटीपीसी की बात को खारिज करते हुए कहा था कि नई नीति मुनाफे के लिए नहीं अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की ओर से खराब गुणवत्ता के कोयले की आपूर्ति की शिकायत मिलने के बाद इस तरह की नीति अपनाने पर विचार किया गया था।
पुरानी नीति (यूएचपी) के तहत घरेलू कोयले को राख और वाष्प को हटाने के बादा तापीय मूल्य के आधार पर सात श्रेणियों (ए से एफ) में बांटा जाता था। बिजली कंपनियां ज्यादातर ई और एफ श्रेणी के कोयले का इस्तेमाल करती हैं। निम्नतम श्रेणी एफ में तापीय मूल्य 2,400 किलो कैलोरी से 3,600 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम होती है, जिसकी कीमत 570 रुपये प्रति टन थी। सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले ए ग्रेड कोयले में प्रति किलोग्राम 6,200 किलो कैलोरी पाई जाती है, जो 4,100 रुपये प्रति टन के भाव बिकता है।
बिजली उद्योग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ 18 जनवरी को हुई बैठक में कोयले की कीमतों की नई नीति का मसला उठाया था। बैठक के बाद जायसवाल ने बिजली उद्योग को आश्वासन दिया था कि कीमतों में अव्यावहारिक तरीके से बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
नई नीति के तहत कोयले को तापजनक मूल्य के हिसाब से 17 बैंड में बांटा गया था। निम्नतम श्रेणी के कोयले में प्रति किलो 2,200 से 2,500 किलो कैलोरी ऊर्जा का अनुमान जताया गया, जिसकी कीमत 480 रुपये प्रति टन तय की गई थी। सर्वोत्तम बैंड के कोयले की कीमत 4,900 रुपये प्रति टन आंकी गई। झा ने कहा, 'बैंड तय करने के पीछे मकसद यह था कि ग्राहकों को उनकी कीमत के मुताबिक गुणवत्ता वाले कोयले की आपूर्ति हो।'
पर अभी इंडोनेशिया से आयात हो रहे कोयले पर 7.55 फीसदी और दूसरे देशों से मंगाए जा रहे कोयले पर 10.83 फीसदी सीमा शुल्क का प्रावधान है। इसके अलावा पांच फीसदी प्रतिकारी शुल्क भी लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारी भरकम कर लगने की वजह से कोयला आधारित परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। उच्च बिजली दर का प्रभाव सभी वस्तुओं और सेवा क्षेत्र पर है जबकि बिजली परियोजनाओं में निवेश भी घटता जा रहा है।
उद्योग जगत ने सरकार से देश में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयातित कोयले पर सीमा शुल्क कम करने की मांग की है। विदेशी स्टीम कोयले पर तमाम तरह के कर लगने कारण देश में बिजली की कीमत 25 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी हो जाती है। इसी के मद्देनजर उद्योग संगठन एसोचैम ने कोयले पर से सीमा शुल्क हटाने का सुझाव वित्त मंत्रालय को दिया है।
इस बीच केंद्र सरकार द्वारा सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश की बाध्यता समाप्त किए जाने के बावजूद स्टारबक्स ने टाटा ग्लोबल के साथ पार्टनरशिप का विकल्प चुना है।स्टारबक्स कार्प देश में टाटा ग्लोबल बैवरेजेज के साथ मिलकर अपने आउटलेट्स खोलेगा। इसके लिए दोनों कंपनियों में एक संयुक्त उद्यम के लिए कारोबारी समझौता हुआ है। स्टारबक्स इस साल अगस्त या सितंबर तक अपना पहला कैफे शुरू कर देगा। साल के अंत तक कंपनी की योजना देश में 50 स्टोर का परिचालन शुरू करने की है।
समझौते के मुताबिक कंपनी टाटा ग्लोबल से कॉफी भारत से खरीदेगी और देश भर में खुदरा आउटलेट्स खोलेगी। दोनों कंपनियों में करीब एक साल पहले इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। स्टारबक्स और टाटा ग्लोबल का कहना है कि उन्होंने देश कैफे के परिचालन और कारोबार विस्तार के लिए बराबर की हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम टाटा स्टारबक्स लिमिटेड बनाया है। यह संयुक्त उद्यम देशभर में स्टारबक्स के आउटलेट्स स्थापित करेगा, जिसकी शुरुआत दिल्ली और मुंबई से की जाएगी।
टाटा ग्लोबल की इकाई टाटा कैफे ने कहा है कि उसने संयुक्त उद्यम को कॉफी की आपूर्ति के लिए एक करार पर दस्तखत किया है। मालूम हो कि भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है, जो फिलहाल अपना 70 से 80 फीसदी उत्पादन निर्यात कर देता है।
ग्लोबल स्तर पर कमजोरी और स्थानीय स्तर पर हुई मुनाफावसूली से घरेलू शेयर बाजार पिछले छह कारोबारी सत्रों की तेजी खोकर सोमवार को दो फीसदी से अधिक की गिरावट लेकर बंद हुए। बीएसई का सेंसेक्स 371 अंक टूटकर 17 हजार के नीचे 16,863.30 पर और एनएसई का निफ्टी 117 अंक धराशाई होकर 5,087.30 अंक पर बंद हुआ।
बीएसई समूह में सभी वर्ग सूचकांक लाल निशान पर रहे। कैपिटल गुड्स, पावर, रीयल्टी, मेटल व बैंकिंग वर्ग के शेयरों में भारी मुनाफावसूली हुई। बीएसई का मिडकैप 115.38 अंक गिरकर 5,756.98 पर और स्मॉलकैप 118.10 अंक नीचे 6,373.59 अंक पर बंद हुआ। यूरो संकट के समाधान को लेकर संशय की स्थिति बने रहने से विदेशी बाजारों में चौतरफा गिरावट देखी गई। अमेरिका, यूरोप और एशियाई बाजार सभी नीचे रहे।
सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में ही 130 अंक से ज्यादा की गिरावट लेकर 17,136.04 अंक पर खुला। बीच सत्र में 17,138.04 अंक के ऊपर और 16,828.33 अंक के निचले स्तर पर रहा। आखिर में 370.68 अंक यानी 2.15 प्रतिशत की गिरावट लेकर 16,863.30 अंक पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह यह 17,233.98 अंक पर रहा था। निफ्टी ने भी करीब 35 अंक की गिरावट के साथ 5,163.55 अंक पर शुरुआत की। बीच सत्र में यह 5,166.15 अंक के उच्चतम और 5,076.70 के न्यूनतम स्तर पर रहकर अंत में 117.40 अंक घटकर 5,087.30 अंक पर सिमटा।
यूरोप में कर्ज संकट की समस्या गंभीर बनी हुई है। पिछले छह सत्रों से लिवाल रहे विदेशी संस्थागत निवेशक घरेलू बाजार में सोमवार को सतर्क नजर आए। उधर, घरेलू निवेशकों ने मुनाफावसूली की, जिससे सूचकांक दबाव में रहे। सेंसेक्स में भेल के शेयर 10.41 प्रतिशत घाटे के साथ सबसे ज्यादा नुकसान में रहे। स्टरलाइट के शेयर 5.99 प्रतिशत फिसले।
एलएंडटी 5.37 प्रतिशत व हिंडाल्को 4.81 प्रतिशत नुकसान में रही। इसके अलावा, घाटा उठाने वाली अन्य कंपनियों में महिंद्रा 4.71 प्रतिशत, एयरटेल 4.54, आईसीआईसीआई बैंक 4.07, टाटा स्टील 3.55, डीएलएफ 3.07, आरआईएल 2.71, एसबीआई 2.54, टाटा मोटर्स 2.42, हिंदुस्तान यूनि 1.99, विप्रो 1.96, टाटा पावर 1.62, एचडीएफसी 1.50, कोल इंडिया 1.41, गेल इंडिया 1.18, मारुति 1.16, एनटीपीसी 1.01, एचडीएफसी बैंक 0.94, ओएनजीसी 0.92, सिप्ला 0.59, इनफोसिस 0.54 और आईटीसी 0.54 प्रतिशत घाटे के साथ शामिल रही। लाभ में रहने वाली कंपनियों में सन फार्मा 1.34, बजाज ऑटो 0.48, जिंदल स्टील 0.41, हीरो मोटोकार्प 0.13 और टीसीएस 0.06 प्रतिशत मुनाफे में रही।
Palash Biswas
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