रुद्रपुर : बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड के गांवों में रह रहे लोगों के सामने अब अपने क्षतिग्रस्त मकानों को दोबारा बनाने और घटते राशन की स्थिति से निपटना चुनौतीपूर्ण कार्य हैं।
चौमासी गांव के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे पास सिर्फ तीन या चार और दिनों के लिए रसद बची है। समस्या यह है कि गांव का संपर्क पूरी तरह कट गया है। एक पुल था जो गुप्तकाशी के साथ हमारा संपर्क जोड़ता था, लेकिन यह बह गया है। वही हाल सड़क का है और कोई उचित रास्ता नहीं बचा है। मुझे गुप्तकाशी पहुंचने के लिए 22 किलोमीटर से अधिक चलना पड़ा। चौमासी गांव की आबादी करीब 600 है। यह कालीमठ के उपर है। यहां मंदाकिनी नदी बहती है।
सिंह अन्य ग्राम प्रधानों के साथ आए थे ताकि जिला प्रशासन से रसद के साथ अन्य वस्तुओं के लिए अनुरोध कर सकें। इन जरूरतों में तंबू और तिरपाल की आपूर्ति शामिल है ताकि उन सदस्यों के लिए आश्रय की व्यवस्था की जा सके जिनके मकान मूसलाधार बारिश में क्षतिग्रस्त हो गए।
सिंह ने कहा कि हमारे गांव से 12 लोग लापता हैं। सभी पुरुष हैं। उनमें से नौ विवाहित हैं। शेष किशोर हैं। वे सभी पर्यटन के मौसम में केदारनाथ में काम करते थे। बिजली, उचित पेयजल और खाद्य आपूर्ति कुछ बड़ी समस्याएं हैं लोगों के सामने हैं। वे नजदीकी गांवों में अपना पुनर्वास करना चाह रहे हैं।
जलमल्ला गांव के प्रधान त्रिलोक सिंह रावत ने कहा कि हम 15 जून से बिना बिजली के हैं, जब भारी वर्षा का पहला दौर शुरू हुआ था। हम मुश्किलों के दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। मदद पाने के लिए हमें प्रशासन से संपर्क करने की आवश्यकता है लेकिन वह संभव नहीं है क्योंकि बिजली के बिना मोबाइल फोन चार्ज नहीं हो सकते।
रावत ने कहा कि भोजन पाने के लिए हमें आपूर्ति लाइन और सड़क चाहिए। लेकिन सारी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा कि हम जिला अधिकारियों से हमारे गांव में रसद पहुंचाने के लिए अनुरोध करने यहां आए हैं। हम भोजन, तेल और सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं। (एजेंसी)
चौमासी गांव के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे पास सिर्फ तीन या चार और दिनों के लिए रसद बची है। समस्या यह है कि गांव का संपर्क पूरी तरह कट गया है। एक पुल था जो गुप्तकाशी के साथ हमारा संपर्क जोड़ता था, लेकिन यह बह गया है। वही हाल सड़क का है और कोई उचित रास्ता नहीं बचा है। मुझे गुप्तकाशी पहुंचने के लिए 22 किलोमीटर से अधिक चलना पड़ा। चौमासी गांव की आबादी करीब 600 है। यह कालीमठ के उपर है। यहां मंदाकिनी नदी बहती है।
सिंह अन्य ग्राम प्रधानों के साथ आए थे ताकि जिला प्रशासन से रसद के साथ अन्य वस्तुओं के लिए अनुरोध कर सकें। इन जरूरतों में तंबू और तिरपाल की आपूर्ति शामिल है ताकि उन सदस्यों के लिए आश्रय की व्यवस्था की जा सके जिनके मकान मूसलाधार बारिश में क्षतिग्रस्त हो गए।
सिंह ने कहा कि हमारे गांव से 12 लोग लापता हैं। सभी पुरुष हैं। उनमें से नौ विवाहित हैं। शेष किशोर हैं। वे सभी पर्यटन के मौसम में केदारनाथ में काम करते थे। बिजली, उचित पेयजल और खाद्य आपूर्ति कुछ बड़ी समस्याएं हैं लोगों के सामने हैं। वे नजदीकी गांवों में अपना पुनर्वास करना चाह रहे हैं।
जलमल्ला गांव के प्रधान त्रिलोक सिंह रावत ने कहा कि हम 15 जून से बिना बिजली के हैं, जब भारी वर्षा का पहला दौर शुरू हुआ था। हम मुश्किलों के दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। मदद पाने के लिए हमें प्रशासन से संपर्क करने की आवश्यकता है लेकिन वह संभव नहीं है क्योंकि बिजली के बिना मोबाइल फोन चार्ज नहीं हो सकते।
रावत ने कहा कि भोजन पाने के लिए हमें आपूर्ति लाइन और सड़क चाहिए। लेकिन सारी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा कि हम जिला अधिकारियों से हमारे गांव में रसद पहुंचाने के लिए अनुरोध करने यहां आए हैं। हम भोजन, तेल और सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं। (एजेंसी)
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