पूर्वांचल में इंसेफ्लाइटिस से हो रही मौतों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित करने की माँग
सरकार चलाये युद्धस्तर पर अभियान – दारापुरी
लखनऊ 29 जून। पूर्वांचल में राष्ट्रीय आपदा की तरह आने वाली इस बीमारी में हर वर्ष हजारों बच्चे मरते हैं और विकलांग होते हैं। इस वर्ष भी अब तक पूर्वांचल में 118 बच्चों की मौत हो चुकी है और मानसून के बाद तक यह संख्या 1000 को भी पार कर जायेगी। सरकारी आकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष भी इस बीमारी ने 1256 बच्चों की जान ली थी और गैर सरकारी आँकड़ों के अनुसार यह संख्या 1500 के ऊपर है। बताया जाता है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 35000 बच्चों की जान इस बीमारी की वजह से जा चुकी है और 20000 के लगभग बच्चे विकलाँग हो चुके हैं। इस बीमारी के सन्दर्भ को स्वतः संज्ञान में लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी 2006 में सरकार को फटकार लगायी थी और इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित करने व इससे निपटने के लिये ठोस योजना बनाने का आदेश दिया था। इसके दबाब में आयी केन्द्र व राज्य सरकार ने इसे महामारी मानते हुये इसके रोकथाम के लिये कई घोषणाएं भी की थी पर आज तक वह जमीनी स्तर पर कहीं लागू नहीं की गयी और बच्चों की मौतें बदस्तूर जारी हैं।
आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आई.जी. एस0 आर0 दारापुरी ने पूर्वांचल में फैली दिमागी बुखार की बीमारी जापानी इंसेफ्लाइटिस को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित किये जाने एवं स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और जल प्रबंधन विभाग की संयुक्त टीम बनाकर इसकी रोकथाम और इसके रोधी टीकों को लगाने के लिये सरकार को टीकाकरण के लिये युद्धस्तर पर अभियान चलाये जाने की माँग की है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिये बड़ी-बड़ी सुविधाओं की घोषणाएं करने वाली और लोहिया के नारे दवा इलाज मुफ्त देने की बात करने वाली इस सपा सरकार में हालात और भी बुरे हैं। इस बीमारी के लिये गोरखपुर के बीआरडी कालेज में बनाया गया 100 बिस्तरों वाला विषेष वार्ड आज तक बनकर तैयार नहीं हुआ और न ही इससे प्रभावित होने वालों के लिये टीकाकरण अभियान शुरू हो सका है। सरकार की यह लापरवाही आपराधिक है। उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के द्वारा इसकी निगरानी की जाती है और मच्छरों के काटने से होने वाले इस रोग के इलाज और रोकथाम के लिये टीकाकरण भी उपलब्ध है बाबजूद इसके सरकार द्वारा ध्यान न देने के कारण हर साल हजारों बच्चों का जीवन दावँ पर लगता है। इस वर्ष मानसून की स्थिति को देखते हुये इसका प्रकोप ज्यादा होने की सम्भावना है।
दारापुरी ने बताया कि महामारी के रूप में हर साल आने वाली इस जापानी इंसेफ्लाइटिस से पूर्वांचल की जनता के जीवन को बचाने के लिये आइपीएफ महामहिम राज्यपाल को पत्र भेजेगा और उनसे इस मामले में शीध्र कार्रवाई के लिये राज्य सरकार को निर्देष देने के लिये हस्तक्षेप की अपील करेगा।
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