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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, June 28, 2013

74 गांवों में एक भी महिला नहीं!

74 गांवों में एक भी महिला नहीं!

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हिमाचल के 74 राजस्व गांव ऐसे हैं, जहां एक भी महिला नहीं है। ये बस्तियां राजस्व रिकार्ड में गांव के रूप में दर्ज हैं, लेकिन यहां या तो अस्थायी शेड लोगों ने कृषि, बागवानी और पशुपालन के लिए बनाये हैं या फिर यहां से पलायन हो गया है। राज्य में कुल गांव 20690 हैं।इनमें से 268 गांव ऐसे हैं, जहां शिक्षा दर 100 फीसदी है, जबकि 39 छोटे गांवों में शिक्षा दर शून्य है। कुल्लू जिले का खराहल गांव जनसंख्या के मामले में सबसे बड़ा है। यहां 12,384 लोग रहते हैं।शहरों में शिमला सबसे बड़ा है। यहां 169578 लोग हैं। सूबे का सबसे छोटा शहर नारकंडा है जहां सिर्फ 901 की आबादी है। यह खुलासा जनगणना विभाग के ताजा आंकड़ों में हुआ है।विभाग के संयुक्त निदेशक राम कुबेर राम ने वीरवार को साल 2011 की जनगणना के आधार पर हिमाचल के शहरों, गांवों और तहसीलों की आबादी के आंकड़े जारी किए। उन्होंने बताया कि भौगोलिक स्थिति के चलते हिमाचल में सर्दियों में कुछ गांव दूसरे स्थान पर शिफ्ट होते हैं।

ऐसे गांव में महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता पर शिफ्ट किया जाता है। ऐसे में इन गांव में या तो कोई नहीं रहता है या फिर काम की देखरेख के लिए पुरुष ही रुकते हैं। वर्ष 2011 की गणना के अनुसार राज्य में 0 से 6 वर्ष के बच्चों में लिंग अनुपात सुधरा है। यह अब 909 हो गया है।319 छोटे गांवों ऐसे हैं, जहां 0 से 6 वर्ष के आयु के बच्चों की संख्या महज एक ही है। मंडी की लडभड़ोल तहसील में लिंग अनुपात सबसे ज्यादा 1218 है। प्रदेश की 38 तहसीलों में लिंग अनुपात एक हजार से ज्यादा है। बद्दी में सबसे कम लिंग अनुपात 739 है।प्रदेश के बिल्कुल छोटे 42 गांव ऐसे हैं, जहां एक ही व्यक्ति है। प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से किन्नौर की हंगरंग तहसील सबसे छोटी और मंडी सबसे बड़ी तहसील है। सूबे की 71 फीसदी तहसीलों में शिक्षा दर 80 से 90 फीसदी के बीच है।

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